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अंतःकरण निर्मल से भक्ति का मार्ग सरल : सुधांशु महाराज
रायपुर, 7 दिसंबर (देशबन्धु) बलवीर सिंह जुनेजा इनडोर स्टेडियम रायपुर में रजत जयंती वर्ष पर आयोजित दिव्य भक्ति सत्संग कार्यक्रम का आज समापन हो गया।
चार दिवसीय समापन सत्र को संबोधित करते हुए सुधांशु महाराज ने कहा कि जब तक अंतःकरण से निर्मल नहीं होंगे तब तक भक्ति के मार्ग पर जाना संभव नहीं हो सकता है। इसके लिए उन्होंने आंतरिक को शुद्ध करने के लिए परमात्मा से जुड़ने करने को कहा। इस मौके पर रायपुर महापौर श्रीमती मिनल चौबे सत्संग में आकर लिया आशीर्वाद महाराज ने नारद भक्ति सूत्र में उल्लेखित महत्वपूर्ण संदेशों के बारे में बताते हुए कहा कि जीवन की आरंभ मां के आंचल से होती है।
हर मां अपने बालक को प्यार से पालती है। सभी चीजों को ग्रहण करने के लिए नियम वक्त नहीं कि दुबारा वक्त मिल सके, इसलिए समय के साथ चलते हुए आत्मा का भोजन प्रार्थना को बताते हुए सेवा की शक्ति से यश प्राप्त करने को कहा। कार्यक्रम के समापन सत्र मैं ध्यान एवं योग गुरु व विश्व जागृति मिशन के उपाध्यक्ष डॉ अर्थिका दीदी ने उपस्थित समुदाय को सूक्ष्म ध्यान साधना करवाते हुए ? नमः शिवाय के मंत्र से स्वयं के अंदर ऊर्जा उत्पन्न करने को कहा।




दिव्य भक्ति सत्संग का शुभारंभ, सुधांशु महाराज ने कहा- 'लक्ष्य पहचानें और इसे पाने के लिए नदी की तरह बढ़ते रहें'
कम्युनिटी रिपोर्टर | रायपुर
विश्व जागृति मिशन के चार दिवसीय दिव्य भक्ति सत्संग की शुरुआत गुरुवार को इंडोर स्टेडियम में हो गई। बड़ी संख्या में जुटे लोगों को आचार्य सुधांशु महाराज ने जीवन के मूल लक्ष्य को पहचानने और सकारात्मक कर्म को अपनाने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि जैसे नदी समुद्र की ओर बढ़ती है, उसी तरह अपने लक्ष्य को पाने के लिए उसकी ओर बढ़ते रहें।
सत्संग के लिए राजधानी पहुंचे महाराजश्री को राज्य सरकार ने 'राज्य अतिथि' का सम्मान दिया है। दूसरे सत्र में ध्यान गुरु डॉ. अर्चिका दीदी ने लोगों से स्वयं को आंतरिक रूप से सकारात्मक बनाने और ईश्वरीय शक्ति से जुड़े रहने की बात कही। उन्होंने कहा कि जीवन को कभी कोसें नहीं, बल्कि मुस्कुराहट और सकारात्मकता को अपनी आदत बनाएं। उन्होंने नए वर्ष में स्वयं को बेहतर बनाने, ईश्वरीय शक्ति से जुड़े रहने और गुरुदेव की शरण में चलने की प्रेरणा दी। यह सत्संग 7 दिसंबर तक चलेगा।

अध्यात्म, सेवा और सामाजिक क्रांति के लिए काम कर रहा विश्व जागृति निशान: आचर्य सुधांशु जी महाराज
बरनाला, 29 नवम्बर ( विवेक सिंधवानी, रवि): विश्व जागृति मिशन के संस्थापक, पूज्य गुरुदेव आचार्य सुधांशु जी महाराज ने शनिवार को बरनाला में एक प्रैस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया, जहां उन्होंने अपने मिशन के व्यापक उद्देश्यों, कार्यों और सामाजिक पहलों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
महाराज ने स्पष्ट किया कि उनकी संस्था केवल धार्मिक प्रवचन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह अध्यात्म, ध्यान (मैडीटेशन) और निस्वार्थ सेवा के तीन स्तंभों पर खड़ी है। भारत के आध्यात्मिक दर्शन को जन-जन तक पहुंचाना पूज्य महाराज ने अपने संगठन, विश्व जागृति मिशन का परिचय देते हुए बताया कि यह संस्था पूरे भारतवर्ष में 88 मंडलों के साथ सक्रिय रूप से काम कर रही है और 11 देशों में भी इसकी उपस्थिति है।
उन्होंने कहा, “हमारा मुख्य कार्य पूरे देश में प्रवचन करना है, जिसमें हम वेद, उपनिषद, गीता, रामायण, भागवत महापुराण और संतों की वाणी को आधार बनाते हैं। हम भारत के आध्यात्मिक ग्रंथों का दार्शनिक पहलू लोगों तक लेकर जाते हैं।"





जीवन में भागने नहीं, जागने का सन्देश देती है गीता - आचार्य सुधांशु जी महाराज होता है सारे विश्व का कल्याण यज्ञ से जल्दी प्रसन्न होते हैं भगवान यज्ञ से
» तेरी प्रीत का रिश्ता यूं निभे हे मेरे गोविन्द मैं तेरे दर से जुड़ा रहूं तू मेरे दिल में बसा रहे
» 05 कुण्डीय श्री गणेश लक्ष्मी महायज्ञ में डाली पूज्य महाराजश्री ने आहुति
तीसरा दिवस का प्रातः कालीन समारोह हुआ सम्पन्न
29 नवम्बर। विश्व जागृति मिशन बरनाला पंजाब मण्डल द्वारा आयोजित चार दिवसीय गीता का जीवन सन्देश के माध्यम से आयोजित विराट भक्ति सत्संग महोत्सव में आज प्रात:कालीन सत्र में पूज्य गुरुदेव श्री सुधांशु जी महाराज ने पांच कुण्डीय श्री गणेश लक्ष्मी महायज्ञ में आहुति देकर सबके लिए सुख समृद्धि और यश की कामना की तथा सबका कल्याण हो कि प्रार्थना की। उसके उपरान्त विशाल पांडाल में समागत सत्संगप्रेमियों को संबोधित किया।
पूज्य आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता को अपने दिल में उतारें और गीता हमें जीवन में भागने के लिए अपितु जागने का सन्देश देती है। उन्होंने हर पल एक दूसरे को भला करने के लिए बोलते हुए स्वयं को खुश व आनंदित रहने को कहा। वह दिन बेकार चला जाएगा जिस दिन खुलकर मुस्कुराएंगे नहीं ।