स्वास्थ्य – समृद्धि के लिये करें शुक्र प्रदोष में धनतेरस की पूजा

स्वास्थ्य -समृद्धि के लिये करें शुक्र प्रदोष में धनतेरस की पूजा
10 नवम्बर, 2023 शुक्रवार को प्रदोष व्रत और धनतेरस है। धन-समृद्धि, स्वास्थ्य-सुख प्राप्ति के पंच दिवसीय त्यौहारों में धनतेरस का विशेष महत्व है।
धनतेरस आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वन्तरि का जन्मदिवस है। धन्वन्तरि जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरि चूंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिये ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। कहीं-कहीं लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती हैं। इस अवसर लोग धनिया के बीच खरीद कर भी घर में रखते हैं। दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों बोते हैं।
परमपूज्य सद्गुरु श्रीसुधांशुजी महाराज कहते हैं धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है, जिसके सम्भव न हो पाने पर लोग चांदी के बने बर्तन खरीदते हैं। इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि चांदी “ चन्द्रमा” का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करती है और मन में सन्तोष रूपी धन का वास होता है। संतोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है। जिसके पास संतोष है वह स्वस्थ है, सुखी है और वही धनवान है। भगवान धन्वन्तरि जो चिकित्सा के देवता हैं। उनसे स्वास्थ्य और सेहत की कामना के साथ संतुष्टि का धन भी मांगा जाता है। संतोष रूपी धन से बड़ा कोई धन नहीं है। धनतेरस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है। धनतेरस की रात जो प्राणी धर्मराज ( यम देवता) के नाम से पूजन करके दक्षिण दिशाकी ओर दीप जलाकर रखते हैं उनके घर-परिवार में अकाल मृत्यु का भय नहीं होता। अर्थात् असमय किसी की मृत्यु नहीं होती। धनतेरस के दिन दीप जलाकर भगवान धन्वन्तरि की पूजा करें। भगवान धन्वन्तरि से स्वास्थ्य और सेहतमंद बनाये रखने हेतु प्रार्थना करें। चांदी का कोई बर्तन या लक्ष्मी गणेश अंकित चांदी का सिक्का खरीदें। नया बर्तन खरीदें जिसमें दीपावली की रात भगवान श्रीगणेश व देवी लक्ष्मी के लिये भोग चढ़ाएं।
युगऋषि पूजा एवं अनुष्ठान केन्द्र द्वारा 10 नवम्बर, 2023 शुक्रवार को शुक्र प्रदोष एवं धनतेरस के पर्व पर धन-समृद्धि, स्वास्थ्य – सुख प्राप्ति के लिये आनंदधाम आश्रम नई दिल्ली में विशेष पूजन अनुष्ठान आयोजित किये जा रहे हैं। यजमान बनकर पुण्य लाभ प्राप्त करें।
मन्त्र, पाठ एवं अनुष्ठान विवरण