शक्ति आराधना (शारदीय नवरात्र) दुर्गा पूजा में नवदुर्गा उपासना से सुख सौभाग्य की प्राप्ति
शक्ति आराधना (शारदीय नवरात्र) दुर्गा पूजा से दुःख, दारिद्र्य, रोग-शोक का नाश एवं सुख-समृद्धि, आरोग्य व आयुष्य की प्राप्ति
आदि काल से शक्ति की आराधना चलती चली आ रही है। मनुष्य को सदैव आंतरिक शक्ति की आवश्यकता रही है। शक्ति के बिना कोई भी एक तिनका भी इधर से उधर नहीं कर सकता। मनुष्य तीन प्रकार की आनुपातिक शक्तियों के बल पर संसार के कार्य सम्पन्न करता है। सात्विक, राजसिक एवं तामसिक शक्तियों का संतुलित समायोजन ही इस पूरे ब्रह्माण्ड की रचना का संबल बनता है। शक्ति ही ब्रह्मा, विष्णु एवं रुद्र के रूप में पुरुष भाव को प्राप्त होती है “सैषा ब्रह्म विष्णु रुद्ररुपिणी” (देवी अथर्वशीष ) । वह एक ही शक्ति ब्रह्मा के साथ मिलकर अखिल ब्रह्माण्ड की रचना करती है, वही श्री विष्णु के साथ मिलकर सम्पूर्ण जीव समुदाय का पालन करती है और वही शक्ति गौरी के रूप में भगवान रुद्र की सहयोगिनी बनकर ब्रह्माण्ड की समस्त वस्तुओं का नाश (प्रलय) करती है । ‘विभेद भगवान् रुद्रः तद् गौर्या सह वीर्यवान् ‘।
इसी मूलरूप शक्ति को श्री महाकाली, श्री महालक्ष्मी, श्री महासरस्वती नाम से संहारिका, पोषिका, सृष्टि कारिका के स्वरूप से ऋषि मनीषा ने व्यक्त किया है। भगवती महाशक्ति समस्त ब्रह्माण्ड में सतोगुण, रजोगुण तथा तमोगुण रूप में व्याप्त है। जिसकी अनुभूति अष्ट सिद्धियों एवं अष्टांग योग की सिद्धि होने पर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से साधक को होने लगती है। जो साधक की माता बनकर हर प्रकार की मुश्किलों से रक्षा करती है। वह मां भगवती अपने भक्त की सभी प्रकार की मनोकामना पूर्ण करने के लिए प्रतिक्षण उसकी भावनाओं एवं कामनाओं का निरीक्षण करती रहती है। एक कुशल माता की तरह उसकी रक्षा करती है। पुत्र-पौत्र, धन, आरोग्य, आयुष्य, यश, कीर्ति, शक्ति प्रसिद्धि, प्रतिष्ठा प्रदान करती है।
महाशक्ति भगवती दुर्गा की उपासना तो साधक को प्रतिदिन करनी चाहिए किंतु मुख्य रूप से वर्ष में दो नवरात्र पर्व प्रत्यक्ष जिससे चैत्रमास ( वासन्तिक) एवं आश्विन मास (शरद नवरात्र) कहते हैं। शरद नवरात्र देवी आराधना के लिए मुख्य माना जाता है। इस नवरात्र से नए साधक व्रत एवं उपासना को आरम्भ करते हैं। हमारे भारत वर्ष में दो नवरात्र गुप्त भी हैं जो आषाढ एवं माघ मास में मनाए जाते हैं, इस प्रकार चार नवरात्र पर्व विशेष साधकों के लिए उपासना हेतु शास्त्र निर्दिष्ट हैं।
इस वर्ष शरद नवरात्र आश्विन शुक्ल 3 अक्टूबर 2024, गुरुवार से आरम्भ होकर 12 अक्टूबर, 2024 शनिवार (10 दिन) तक भक्तों की उपासना एवं उनकी मनोकामना सिद्धि हेतु पंचांग विहित हैं। आप सभी माता दुर्गा के शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कृष्णाण्डा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी एवं सिद्धिदात्री स्वरूपों की नी दिन तक अवश्य आराधना अपने गुरुधाम के विज्ञब्राह्मणों द्वारा करवाएं। जिससे रोग-शोक, ताप – संताप, दुख-दारिद्रय से मुक्ति तथा सुख-सौभाग्य की प्राप्ति हो। इस वर्ष विजय दशहरा पर्व भी 12 अक्टूबर में ही मनाया जायगा ।
माता दुर्गा की कृपा सभी भक्तों पर बनी रहे इसी संकल्प से परमपूज्य सद्गुरुदेव श्री सुधांशु जी महाराज जी ने आनन्दधाम आश्रम में दिनांक 3 अक्टूबर, 2024 (गुरुवार) से प्रतिदिन प्रातः 6:30 बजे से 7:30 तक 12 अक्टूबर, 2024 (शनिवार) तक शारदीय नवरात्र महापर्व पर “शक्ति आराधना का विराट् अनुष्ठान आप सभी भक्तों के लिये आयोजित किया है। आप सभी गुरुभक्त गुरुदेव के पवित्र संकल्प का लाभ अनुष्ठान में अवश्य सम्मिलित होकर प्राप्त करके स्वयं को धन्य करें।
मन्त्र, पाठ एवं अनुष्ठान विवरण
युगऋषि पूजा एवं अनुष्ठान केन्द्र