नागपंचमी में रुद्राभिषेक, काल, नाग और राहु पूजा से कालसर्प दोष मुक्ति
नागपंचमी में रुद्राभिषेक, काल, नाग और राहु पूजा से कालसर्प दोष मुक्ति
‘कालसर्प योग’ जन्म कुण्डली में एक ऐसा योग होता है जो राहु एवं केतु के कारण बनता है। जब राहु एवं केतु के मध्य अन्य सभी ग्रह एक तरफ ही कुण्डली में स्थित हों तब जो योग बनता है उसे कालसर्प योग कहते हैं। ऐसा योग भारतीय ज्योतिष के अनुसार अनेक प्रकार की परेशानियां देता है। जैसे- धन, व्यवसाय, वैवाहिक जीवन, नौकरी, संतान, रिश्ते, मानसिक शांति, शिक्षा, विवाह, शरीर, यश, उन्नति, मित्रता, जीवन पद्धति और खान-पान आदि पर बुरा असर पड़ता है। कालसर्प सभी बारहों राशियों में देखा जाये तो 144 प्रकार का बनता है। किन्तु मुख्य तौर पर 12 प्रकार के कालसर्प अधिक प्रभाव देने वाले माने जाते हैं।
इनके नाम क्रमश-
- अनंत कालसर्प
- कुलिक कालसर्प
- वासुकि कालसर्प
- शंखपाल कालसर्प
- पद्म कालसर्प
- महापद्म कालसर्प
- तक्षक कालसर्प
- कर्कोटक कालसर्प
- शंखचूड़ कालसर्प
- घातक कालसर्प
- विषधर कालसर्प
- शेषनाग कालसर्प
ये 12 प्रकार के कालसर्प दोष मुख्य माने गए हैं।
ऐसे में जब राहु तथा केतु की किसी भी प्रकार की दशा लागू होने पर जातक को अनेक प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है जिससे उसका साहस, मन तथा कार्य करने का तरीका उलट-पलट हो जाता है। और नुकसान हो जाने की सम्भावनाएं अधिक बढ़ जाती हैं।
9 अगस्त, 2024 शुक्रवार को नागपंचमी है। श्रावण महीने का विशेष पर्व है नागपंचमी । इस दिन नाग देवता (सर्पों) की पूजा की जाती है। नाग भगवान शिव का आभूषण है। नागपंचमी के दिन ही नाग जाति की उत्पत्ति हुई थी। पौराणिक कथा के अनुसार तक्षक नाग के काटने से राजा परीक्षित की मृत्यु हो गयी। तब परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने सर्पयज्ञ कर सम्पूर्ण नाग व सर्पों को भस्म करने का संकल्प लिया। नाग व सर्पों को नष्ट होता देख आस्तीक मुनि के आग्रह और तक्षक नाग के क्षमा मांगने पर राजा जनमेजय ने क्षमा कर दिया और उन्होंने वचन दिया कि नागपंचमी को जो व्यक्ति नाग व सर्प की पूजा के साथ भगवान शिव का अभिषेक करेगा उसे सर्प से भय नहीं होगा और उसकी जन्मकुण्डली से कालसर्प दोष दूर हो जायेगा।
परमपूज्य श्री सुधांशुजी महाराज के आशीर्वाद से 9 अगस्त, 2024 शुक्रवार को प्रात: 8:00 बजे से युगऋषि पूजा एवं अनुष्ठान केन्द्र द्वारा आनंदधाम आश्रम, नई दिल्ली में ‘कालसर्प दोष’ से मुक्ति के लिए विशेष पूजन करवाया जा रहा है। इस पूजन-अनुष्ठान की सहयोग राशि 5100/- रूपये निर्धारित की गई है। जिन भक्तों की स्वयं या उनके पारिवारिक जनों की जन्म कुण्डली में कालसर्प दोष है, वे इस दोष के निवारण के लिए यथाशीघ्र सम्पर्क करें।
मन्त्र, पाठ एवं अनुष्ठान विवरण