श्रावण मास में विशेष फलदायी है शिव आराधना | विशेष पूजा, पाठ एवं अनुष्ठान

श्रावण मास में विशेष फलदायी है शिव-आराधना | विशेष पूजा, पाठ एवं अनुष्ठान

श्रावण का महीना भारतीय मनुष्यों के लिए बहुत ही महत्व का होता है। हिंदू समाज के शास्त्रीय 12 महीनों में श्रावण पाँचवाँ महीना होता है और भारतीय ज्योतिष में जन्म कुण्डली के 12 भावों में बुद्धि – विद्या, इष्ट देव, सन्तान और प्रेम का भाव पाँचवाँ होता है।

महीनो में पाँचवाँ महीना और जन्म कुण्डली में पाँचवाँ भाव हम सभी के लिए इष्ट साधना का प्रतीक है। विद्या, बुद्धि, संतान, समृद्धि, यश, आयुष्य एवं आरोग्य के दाता शिव की आराधना का पूरे वर्ष के समस्त महीनों में श्रावण का महीना अतिश्रेष्ठ माना गया है। भगवान शिव वनस्पतियों और औषधियों के कारक भी हैं। समुद्र मंथन का प्रथम परिणाम हलाहल विष को निष्काम भाव से पीकर देवताओं का संकट हरने वाले, अपने गले को जहर के दुष्प्रभाव से नीला कर लेने वाले, स्वयं को जंगलों – पहाड़ों-गुफाओं तथा श्मशान में रखकर भक्तों को मुंह मांगा वरदान देकर सभी सुखों से भरपूर करने वाले भगवान शिव की कृपा पाने का श्रावण माह आ गया है। इस वर्ष श्रावण मास 22 जुलाई से 19 अगस्त 2024 तक इस माह में पूरे महीने भगवान शिव की कृपा पाने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ है।

जिन भक्तों को रुद्राभिषेक, महामृत्युञ्जय मंत्र, पंचाक्षर मंत्र आदि जाप एवं की पूजा-पाठ, करवाना है वे अपना नाम, गोत्र, पता, मनोकामना आदि विश्व जागृति मिशन के “युगऋषि पूजा एवं अनुष्ठान केन्द्र” में भेजें। आश्रम के विद्वान् आचार्यों द्वारा उनके नाम से संकल्प लेकर यह पूजा सम्पन्न करायी जायेगी। जिसका सम्पूर्ण फल श्रद्धालु यजमान को ही मिलेगा। शिव आराधना में मुख्य यजमान के परिवार सहित फोटो भी लाइव दिखाए जाएंगे। सामूहिक पूजा ऑनलाइन एवं व्यक्तिगत पूजा ऑफलाइन होगी।

मनोकामना पूर्ति के लिये रुद्राभिषेक के श्रेष्ठ पदार्थ

जल से वर्षा, कुशा के जल तथा गंगाजल से जवर शान्ति, दही से वाहन प्राप्ति, ईख (गन्ना) के रस से लक्ष्मी प्राप्ति, मधु और घी से धन-धान्य की वृद्धि, तीर्थ जल से मोक्ष, दूध से संतान प्राप्ति शर्करा (शक्कर) मिले हुए दूध से सुबुद्धि की प्राप्ति, सरसों के तेल से शत्रु की बुद्धि में मैत्री भाव की जागृति एवं रोगों का नाश, शहद से पापक्षय एवं गृहस्थ जीवन में मधुरता का उदय होता है।

रुद्राभिषेक से लाभ

रुद्राभिषेक से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। भूकम्प, अकालमृत्यु, महामारी और संक्रामक रोगों का नाश, समस्त शारीरिक दोषों का नाश, सर्वविध अमंगलों का नाश, पैशाचिक कष्टों से निवृत्ति और सभी प्रकार की विघ्न बाधाएं दूर हो जाती हैं। इससे आरोग्य, विद्या, कीर्ति, पराक्रम, धनधान्य, पुत्र-पौत्रादि अनेक प्रकार के ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। भगवान शिव कल्याण कल्याण तो करते ही हैं उन्हीं का दूसरा नाम रुद्र रुतं — ‘दुःखं, द्रावयति– नाशयति इति रुद्र’: सेवक के समस्त दुखों का समूल नाश करके सुख सर्वस्व प्रदान करते हैं। उनको किसी वर्ग विशेष से लेना देना नहीं होता चाहे देवता, मनुष्य, गन्धर्व, किन्नर, राक्षस, ब्रह्मा, विष्णु में से कोई भी उनका पूजन अर्चन करे, परिणाम में कोई भेदभाव नहीं करते। भक्तों के संकट खुद ले लेते हैं।

मन्त्र, पाठ एवं अनुष्ठान विवरण

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युगऋषि पूजा एवं अनुष्ठान केन्द्र

श्रावण मास (2024) में शिव आराधना हेतु मुख्य व्रत-पर्व-त्यौहार एवं दिन

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