सन्तान सुख देने वाला है पुत्रदा एकादशी का व्रत एवं पूजन | युगऋषि पूजा एवं अनुष्ठान केन्द्र
सन्तान सुख देने वाला है पुत्रदा एकादशी का व्रत एवं पूजन
श्रावण माह शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पुत्रदा एवं पवित्रा एकादशी के नाम से जाना जाता है। हर एक स्त्री-पुरुष विवाह बन्धन के बाद अनेक प्रकार के सुखों में सन्तान सुख को सबसे अधिक महत्व देते हैं। यदि स्त्री-पुरुष सकारात्मक एवं शास्त्रानुमत ढंग से जीवन शैली को बनाए रखते हैं तो सन्तान प्राप्ति में बाधा नहीं रहती है, किन्तु अनेक प्रकार के कारणों से सन्तान सम्बन्धी गलतियां होने के परिणाम स्वरूप दम्पति को जब सन्तान नहीं प्राप्त हो पाती है तब मन को पीड़ा तो अवश्य होती है। इसी बात को ऋषियों ने अपने अन्तरात्मा की गहराइयों से भगवान नारायण ( श्रीविष्णु) की आराधना के लिये विशेष तिथि एकादशी की खोज की। पौष शुक्ला पुत्रदा एकादशी का महत्व भविष्योत्तर पुराण में युधिष्ठिर एवं भगवान श्रीकृष्ण के संवाद से ज्ञात होता है। इस व्रत में मुख्य रूप से भगवान नारायण के पूजन एवं मन्त्र जाप की महिमा है। जो दम्पति सन्तान की इच्छा वाले हैं, उन्हें सन्तान प्राप्त हो एतदर्थ व्रत पूर्वक भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करनी चाहिये और जो सन्तान सुख से सम्पन्न हैं वो उनके अच्छे स्वास्थ्य, दीर्घायु, सद्बुद्धि, सदाचरण तथा उज्जवल भविष्य की कामना पूर्ति हेतु भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना करें।
परम पूज्य सद्गुरुदेव भक्तों के कल्याण हेतु क्षण-प्रतिक्षण अपने इष्टदेव से प्रार्थना करते रहते हैं कि हे परमेश्वर ! आप भक्तों की शुभकामनाओं को पूरा करें, उन्हें अच्छी सन्तान, स्वास्थ्य, धन-धान्य, भक्ति और ज्ञान से सम्पन्न करें।
इसी भावना और कामना से सद्गुरुदेव जी द्वारा आनन्दधाम आश्रम के कैलाश शिखर प्रांगण में मानसरोवर झील के तट पर वंश वृक्ष, कल्पवृक्ष, रोग निवारक निम्ब वृक्ष, आंवला एवं लक्ष्मी जी के निवास रूप बिल्व वृक्ष तथा सेमल जैसे अमृत वृक्ष से घिरा हुआ (पुत्रजीवा) अर्थात् सन्तान जीवक देववृक्ष प्रतिष्ठित किया गया है। जहां पर संतान प्राप्ति एवं संतान की उन्नति-प्रगति व दीर्घायु के लिये मंत्र जाप व पूजा-पाठ विशेष फलदायी है। इस पुत्रदा एकादशी पर इसी सन्तान जीवक देववृक्ष के तले अग्रलिखित जप-पूजन, अनुष्ठान सम्पन्न कराये जायेंगे।
यह पुत्रदा एवं पवित्रा एकादशी जो 27 अगस्त, 2023 रविवार को मनायी जा रही है इसके आराध्यदेव की पूजा जप हेतु निम्न विवरण दिया जा रहा है। प्रेमी भक्त इस पवित्र अवसर का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
मन्त्र, पाठ एवं अनुष्ठान विवरण