पापांकुशा एकादशी के व्रत-पूजन से पुण्यों का उदय
पापांकुशा एकादशी के व्रत-पूजन से पुण्यों का उदय
14 अक्टूबर, 2024 दिन सोमवार को आश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इस एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहते हैं। इस एकादशी के व्रत-पूजन से पापों का प्रायश्चित होता है और साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस व्रत को करने से कठिन से कठिन तपस्या का फल प्राप्त होता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार विन्ध्य पर्वत पर क्रोधन नामक एक बहेलिया रहता था । उसका सारा जीवन लूट-पाट, हिंसा, गलत संगति और पापकर्मों में बीता। जब उसका अंतिम समय आया तब यमराज के दूत बहेलिये को लेने आये और कहा कि कल तुम्हारे जीवन का अंतिम दिन है, कल तुम्हारी मृत्यु हो जायेगी। यह बात सुनकर बहेलिया बहुत दुखी हुआ और महर्षि अंगिरा के आश्रम में पहुंचकर उनके चरणों में गिरकर प्रार्थना करने लगा कि हे ऋषिवर! मैंनें जीवन भर पापकर्म ही किये हैं। कृपा कर मुझे कोई ऐसा उपाय बताइये जिससे मेरे सारे पाप मिट जायें और मोक्ष मिल जाये। बहेलिये के निवेदन पर अंगिरा ऋषि ने उसे आश्विन शुक्ल पापांकुशा एकादशी का व्रत और भगवान विष्णु के पूजन की विधि बताई।
अंगिरा ऋषि के कहे अनुसार उस बहेलिये ने एकादशी का व्रत और भगवान विष्णु का पूजन किया जिसके प्रभाव से उसके सभी पाप नष्ट हो गये और मोक्ष की प्राप्ति हुई।
14 अक्टूबर, 2024 दिन सोमवार को पापांकुशा एकादशी के पुण्य पर्व पर परमपूज्य सद्गुरुदेव की कृपा से आप सभी की धार्मिक निष्ठा की पूर्ति में समर्पित “युगऋषि पूजा एवं अनुष्ठान केन्द्र” द्वारा पापांकुशा एकादशी पर किए जाने वाले मन्त्रानुष्ठानों का लाभ प्राप्त करके अपने जीवन को धन्य बनाएं।
मन्त्र, पाठ एवं अनुष्ठान विवरण
युगऋषि पूजा एवं अनुष्ठान केन्द्र