श्रीकृष्ण कृपा पूजा एवं आराधना – भाद्रपद माह में (22 से 31 अगस्त 2024)
भाद्रपद माह में (22 से 31 अगस्त 2024 तक) आनन्दधाम आश्रम स्थित शिव वरदान तीर्थ पर “श्रीकृष्ण कृपा पूजा”, यज्ञ एवं शिव वरदान तीर्थ आरती में सम्मिलित होने का सुनहरा अवसर
परमपूज्य श्री सुधांशु जी महाराज के पावन सान्निध्य एवं आशीर्वाद से आनन्दधाम आश्रम, नई दिल्ली में आयोजित श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव पर आराधना-पूजन एवं विशेष अनुष्ठानों द्वारा भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करके कृपा प्राप्त करें।
आज से 5250 वर्ष पहले भारत वर्ष की पवित्र भूमि पर परम पिता परमात्मा ने सृष्टि पर हो रहे आत्याचारों के दुष्प्रभाव को समाप्त करने की उत्कट इच्छा से मथुरा की कारागार में अपना प्राकट्य किया। जब-जब भारत की धरती पर अनाचार–पापाचार – दुराचार की वृद्धि हो जाती है तब-तब परमात्मा उसका शमन एवं सदाचार और धर्म की स्थापना करने हेतु निराकार होकर भी साकार हो जाता है। देवकी एवं वसुदेव जी के द्वारा ( माया से) प्रकट होकर गोकुल में नंद एवं यशोदा के यहां अपना जन्मोत्सव मनवाते हैं । निःसंतान नंद-यशोदा को संतान सुख का निरंतर अहसास कराने वाले करुणावरुणलय भगवान का प्रत्येक चरित्र मन भावन-लुभावन है। भगवान श्रीकृष्ण व्यष्टि से समष्टि (व्यापक) का उपदेश अर्जुन को तो करते ही हैं लेकिन बहुत ही गजब की बात है कि मथुरा की जेल में भी देवकी और वसुदेव जी को अपने जन्म का नाटक करने से पहले ही सत्य सनातन ज्ञान का उपदेश कर देते हैं। उन माता-पिता को भी भूत- वर्तमान और भविष्य के समस्त भयों से मुक्त कर देते हैं। उन्हें कारागार में भी किसी भी प्रकार का कष्ट न रहकर परमानंद का अनुभव करने की शक्ति प्रदान की अपनी लीलाओं से खेल-खेल में ही न जाने कितने आततायियों जैसे- पूतना, शकटासुर, बकासुर, अघासुर, शल-तोशल-मुष्टिक-चाणूर और यहां तक कि 11 वर्ष की आयु में ही कंस एवं उसके अन्याय-अत्याचारों से धरती माता को मुक्त कर दिया। और फिर संतों, भक्तों, योगियों, संन्यासियों, ब्राह्मणों, ब्रह्मवेत्ताओं व संसार के समस्त जीवों को संसार के शासक ने सामने से दर्शन देकर उनके जन्म जन्मान्तरों के कर्मों के दुष्परिणाम से मुक्ति देकर केवल आनंद का दान दिया।
भगवान ने गीता में स्वयं अर्जुन से कहा-
जन्मकर्म च मे दिव्यमेवं यो वेत्ति तत्वतः।
त्यक्त्वा देहं पुनर्जन्म नैति मामेति सोऽर्जुन ॥
भगवान कहते हैं कि मेरा जन्म दिव्य है, मेरे कर्म दिव्य हैं, इन बातों को जो भक्त अपनी साधना एवं आराधना से यथार्थ रूप से जान पाता है वह अपने नश्वर देह को छोड़ने के बाद दुबारा कर्मों के जाल में फंसाने वाले देह को नहीं बल्कि नित्य आनंद स्वरूप मुझको प्राप्त करके पूर्ण हो जाता है।
भगवान श्रीकृष्ण की प्रसन्नता प्राप्ति के लिए युगऋषि पूजा एवं अनुष्ठान केन्द्र द्वारा विविध प्रकार के अनुष्ठान आप सभी श्रद्धालु सद्गुरुदीक्षितों की मनोकामना पूर्ति हेतु आयोजित किये जायेंगे। जैसे – द्वादशाक्षर मंत्र, गोपाल सहस्रनाम, श्रीसूक्त, हृदय रोग नाशक, राशपञ्चाध्यायी, श्रीकृष्ण अष्टोत्तर शतनाम एवं सहस्रनाम, विष्णु सहस्रनाम, श्रीमद्भागवत पाठ, बालरक्षास्तोत्र पुरुष सूक्त, कनकधारा आदि।
आप सभी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महापर्व पर आयोजित किये जाने वाले अनुष्ठानों का लाभ 22 से 31 अगस्त 2024 तक सायं 6 बजे से 7:30 तक निरंतर ले सकते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण का जन्मसमारोह स्मति एवं वैष्णव परमपरा के भकतों (सभी का ) हेतु 26 अगस्त 2024 सोमवार को एवं भगवान की छठी का पर्व 31 अगस्त 2024. शनिवार को बड़ी धूमधाम के साथ गुरुदेव के सान्निध्य एवं उपस्थिति में मनाया जायेगा।
परमपूज्य सद्गुरुदेव एवं परमपिता परमात्मा की असीम कृपा आप सभी भक्तों पर सदैव बनी रहे।
इस विशेष पर्व को यू-टयूब व फेसबुक पर सीधा प्रसारण किया जायेगा एवं इस पूजा में सम्मिलित मुख्य यजमानों के फोटो भी दिखाये जाएगे।
विशेष रूप से अनुष्ठान कराने वाले श्रद्धालु यजमानों के अनुष्ठान के वीडियो (चलचित्र) उनके फोन पर अनुष्ठान विभाग द्वारा भेजे जायेंगे।
जिन भक्तों को यह पूजन करवाना है, वे अपना नाम, गोत्र, पता, मनोकामना आदि विश्व जागृति मिशन के ‘‘पूजा एवं अनुष्ठान केन्द्र’’ में भेजें। आश्रम के विद्वान आचार्यों द्वारा उनके नाम से संकल्प लेकर यह पूजा सम्पन्न करायी जायेगी। जिसका सम्पूर्ण फल श्रद्धालु यजमान को ही मिलेगा।
युगऋषि पूजा एवं अनुष्ठान केन्द्र