परमात्मा के प्रति श्रद्धा प्रीति बढ़ाने वाला महान व्रत है जया एकादशी
परमात्मा के प्रति श्रद्धा प्रीति बढ़ाने वाला महान व्रत है जया एकादशी
माघ शुक्ल एकादशी को जया एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष यह एकादशी 20 फरवरी, 2024 मंगलवार को है। एकादशी को ब्रह्ममुहूर्त में शैय्या त्यागकर शौचादि कर्मों से निवृत्त होकर भगवान राधाकृष्ण अथवा लक्ष्मी नारायण भगवान की विधिवत पूजा करें। “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” द्वादश अक्षर मंत्र का अधिक से अधिक जप करें । “हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे, हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।” महामंत्र से रात्रि जागरण करके संकीर्तन करें। विष्णु सहस्रनाम, गोपाल सहस्रनाम का भी पाठ करें। अथवा ब्राह्मण से करवाएं।
माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है। पौराणिक कथानुसार इन्द्र के नंदन वन में एक उत्सव में गंधर्व माल्यवान और पुण्यवती के अपराध से क्रोधित इन्द्र ने दोनों को पिशाच योनि में जाने का शाप दे दिया। दोनों पिशाच योनि प्राप्त कर हिलामय की कन्दराओं में रहने लगे। एक बार अनजाने में इनसे जया एकादशी व्रत का पालन हो गया जिससे पिशाच योनि से मुक्त होकर दोनों अपने लोक को प्राप्त हो गये। एकादशी व्रत सभी पाप – ताप – संताप मिटाने वाला श्रेष्ठतम व्रत है। भगवान में प्रीति, भक्ति, श्रद्धा बढ़ाने वाला एकादशी का यह व्रत अद्वितीय है।
इस वर्ष जया एकादशी दिनांक 20 फरवरी, 2024 मंगलवार को मनायी जाएगी। ऐसे में भगवान नारायण की उपासना हेतु परमपूज्य सद्गुरु श्री सुधांशु जी महाराज के आशीर्वाद से आप लोगों की सेवा में ” युगऋषि पूजा एवं अनुष्ठान केन्द्र” द्वारा विविध मन्त्रानुष्ठान आयोजित किए जा रहे हैं, जिनका लाभ आप लोग अवश्य प्राप्त करें।
मन्त्र, पाठ एवं अनुष्ठान विवरण