गणेश जन्मोत्सव | गणपति स्तुति, पूजन, यज्ञ, अनुष्ठान एवं कैलाश शिखर आरती
“गणपति स्तुति, पूजन, यज्ञ, अनुष्ठान एवं कैलाश शिखर आरती” गणेश जन्मोत्सव की पूजा से भक्तों को मनोरथ सिद्धि का वरदान देते हैं भगवान सिद्धि विनायक
श्री गणेश चतुर्थी ( श्री गणेश जी का अद्भुत प्राकट्य )
श्री गणेश जी के जन्म का वर्णन भी बड़ा रुचिकर तथा आदिशक्ति माता पार्वती की रचना कौशल का अनुपम उदाहरण है।
माता पार्वती को उनकी जया-विजया नामकी की विशेष प्रिय सखियों द्वारा अपना निजी एक आज्ञाकारी गण की रचना करने की इसलिए सलाह दी गई कि जितने भी गण ( द्वारपाल ) हैं वे सब भगवान शिव के हैं। जिसके कारण शिव जी के द्वारा आपकी एकाग्रता टूटती रहती है। माता को सलाह अच्छी लगी और उन्होंने कौतुकवश अपने शरीर के चेतन शक्ति से सम्पन्न मैल के द्वारा एक पुरुष के देह का आकार बनाकर उसमें चेतन शक्ति की स्थापना कर दी। अब क्या था माता के देखते ही देखते वह चेतन पुरुष सामने खड़ा हुआ और उसने ‘माँ’ कहकर पार्वती जी के चरणों में साष्टाङ्ग प्रणाम किया और आदेश की प्रार्थना की। माता ने उस सर्वाङ्गसुन्दर, महाबलवान्, महापराक्रमी, अनुपमेय चेतन पुरुष को ‘पुत्र’ कहकर एक छड़ी देकर प्रसन्नता प्रकट की और उसे अपना द्वारपाल बना लिया। माता पार्वती ने अपने स्नान के समय द्वार पर खड़े रहकर स्नान पूरा होने तक कोई भी हो, कैसा भी हो और कहीं से भी आ हो मेरी आज्ञा के बिना अंदर प्रवेश नहीं करने पाये, ऐसा आदेश कर दिया। गणेश जी पूरी जिम्मेदारी से माँ के आदेश का पालन करने के लिए द्वार पर डट गए।
भगवान् शिव जी के द्वारा स्वेच्छा से भवन में प्रवेश करते समय भगवती शिवा के नव सृजित सुपुत्र गणेश जी द्वारा रोकने पर शिव गणों एवं श्री गणेश जी का घोर युद्ध हुआ। शिव गण हार कर भाग गए किन्तु शिव जी ने अपरिचित श्री गणेश जी का अतिक्रोध में आकर सिर काट दिया।
माता पार्वती ने पुत्र की हत्या पर अपनी शक्तियों के साथ पूरी धरती का संहार करना प्रारम्भ कर दिया। भगवान शिव, ब्रह्मा एवं भगवान विष्णु तथा अन्य देव शक्तियां त्राहि-त्राहि करने लगीं। समस्त ऋषियों ने माता पार्वती को अनेक तपस्याओं एवं स्तुतियों से मनाना चाहा किन्तु पार्वती जी ने जब तक मेरे पुत्र गणेश को जीवित नहीं किया जायेगा और शिव जी के सभी गणों का पूज्य नहीं बनाया जायेगा तब तक संहार नहीं रुकेगा।
तब त्रिलोक की रक्षा एवं कल्याण हेतु शिव जी ने गणों को उत्तर दिशा से सर्वप्रथम मिलने वाले जीव का सिर लेकर गणेश जी को जीवित करने का आदेश दिया। गणों को एक दांत वाला हाथी का बच्चा सर्वप्रथम दिखा और उसी का सिर लाकर श्री गणेश को जीवित किया गया, संहार रुका तथा सभी देवी-देवता प्रसन्न हुए।
तभी से गणेश जी को एक नाम गजानन मिला। समस्त देवों तथा देवकार्यों में विघ्नों का विनाश करने हेतु प्रथम पूज्य होने का वरदान प्राप्त हुआ। चतुर्थी रिक्ता तिथि को भी गणेश जी ने अमर कर दिया। माताएं गणेश चतुर्थी का व्रत करके एवं गणेश जन्मोत्सव मनाकर अपने जीवन तथा घर परिवार में सुख समृद्धि और उनकी प्रसन्नता प्राप्त की जाती है।
श्रद्वालु भक्त भाद्र शुक्ला चतुर्थी ( रिक्ता ) से अनन्त चतुर्दशी तक लगातार सुंदर ढंग से अनेक विधियों एवं पूजा सामग्री से उनका पूजन, भजन, संकीर्तन करते हैं तथा अनंत चतुर्दशी को नाचते गाते ‘गणपति बप्पा मोरिया मंगल मूर्ति मोरिया’ के जयकारे लगाते हुए फिर से जल्दी आने की प्रार्थना करते हुए उनका विसर्जन करते हैं। भण्डारे, भोज से हजारों भक्तों, साधुओं, ब्राह्मणों तथा गरीबों को तृप्त करके आनन्द मनाते हैं।
इस वर्ष श्री गणेश चतुर्थी का महापर्व भाद्रशुक्ल चतुर्थी 7 सितम्बर, 2024 दिन शनिवार से भाद्रशुक्ल अनंत चतुर्दशी 17 सितम्बर, 2024 दिन मंगलवार तक पूरे भारत वर्ष एवं विश्व के असंख्य देशों में मनाया जायेगा। इन 11 दिनों तक भगवान श्री गणेश (सिद्धि-विनायक) की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए उनके विविध कामनाओं की पूर्ति करने वाले मंत्रों के जाप एवं पाठ व पूजन किए जाएंगे।
भाद्रशुक्ल चतुर्थी के चाँद का दर्शन 6 सितम्बर, शुक्रवार को निषेध है, भक्तजन इस बात का ध्यान रखें।
परमपूज्य सद्गुरु श्रीसुधांशुजी महाराज के आशीर्वाद से युगऋषि पूजा एवं अनुष्ठान केन्द्र द्वारा आनंदधाम आश्रम, दिल्ली में गणेश जन्मोत्सव 7 सितम्बर से लेकर 17 सितम्बर, 2024 तक प्रतिदिन (सायं 6 से 7:30 बजे ) श्रीगणेश जी का पूजन-अर्चन किया जायेगा। श्रद्धालु भक्त इन दिनों अपना ऑनलाइन आरक्षण करवाकर भगवान गणपति की कृपा – प्रसन्नता से मनोवांछित फल प्राप्त करें।
नोट: एक दिन एवं सम्पूर्ण गणेश जन्मोत्सव के मुख्य यजमान परिवार सहित अपना फोटो अवश्य भेजें, जिसे लाइव में दिया जा सके। मुख्य यजमानों को प्रसाद के रूप में श्री गणेश जी का पटका एवं प्रसाद भेजा जायेगा।
गणपति स्तुति, पूजन, यज्ञ, अनुष्ठान एवं कैलाश शिखर आरती में 7 से 17 सितम्बर, 2024 तक मन्त्र जप, सहस्रनाम पाठ, मादेक पूजा आदि अनुष्ठान कराने वाले यजमानों के अनुष्ठानों के वीडियो उनके फोन पर अनुष्ठान विभाग द्वारा अवश्य भेजे जाएंगे।
युगऋषि पूजा एवं अनुष्ठान केन्द्र