डर और दुःख के बीच होता है गहरा रिश्ता
अयोग्य व्यक्ति को चापलूसी करनी पड़ती है और योग्य व्यक्ति स्वाभिमानी होता है एवं उसकी हर जगह कद्र होती है
शोभा यात्रा ने मचाई सूरत में विचार क्रान्ति की अद्भुत धूम
सूरत, 09 जनवरी (प्रातः)। गुजरात प्रान्त की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले सूरत महानगर में 04 दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का आगाज आज पूर्वाहनकाल गायत्री महामन्त्र के सामूहिक उच्चारण के साथ हुआ। नगर के रामलीला प्रांगण में दिव्य भजनों से आरम्भ हुए सत्संग समारोह के पूर्व नगर में विशाल मंगल शोभा यात्रा निकाली गई। दीप प्रज्ज्वलन के साथ शुरू हुए सत्संग महोत्सव के मान्य अतिथियों द्वारा आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज का भव्य स्वागत किया गया। सूरत के वेसू स्थित बालाश्रम के विद्यार्थियों के दल ने स्वस्तिवाचन किया। इस मौके पर आचार्यों द्वारा किए गए शंख ध्वनि से पूरा सभागार व प्रांगण गुंजायमान हो उठा।
प्रवचन करते हुए प्रख्यात अध्यात्मवेत्ता आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि डर और दुःख के बीच का रिश्ता बड़ा गहरा होता है। जो डरता है वह दुःख अवश्य पाता है। डरे हुए व्यक्ति से कभी बड़े काम नहीं हुआ करते। बीमारी हो अथवा अन्य कठिनाईयां, उनसे नहीं डरने पर मनुष्य उन पर विजय अवश्य प्राप्त करता है। गीता के उपदेश का उद्धरण देते हुए उन्होंने धार्मिक मनोरंजन की वृत्ति त्यागकर सच्चा आध्यात्मिक व्यक्ति बनने की प्रेरणा सभी को दी। कहा कि चूहे का दिल रखकर शेर का भी शरीर धारण कर लेने से कभी कुछ नहीं मिलता। कहा कि सिंह बनने के लिए अंतरतम को मनोबली बनाना होगा। ऋषि उक्ति ‘वीर भोग्या वसुधंरा’ की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि यह दुनिया बहादुरों की ही कद्र सदा से करती रही है। उन्होंने कायरता को जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप बताया।
मिशन प्रमुख ने कहा कि श्रीमदभगवतगीता को जीवन में आचरित करने पर व्यक्ति न केवल सुयोग्य बनता है बल्कि वह स्वाभिमानी चरित्र का धनी बनता है। उन्होंने कहा कि अयोग्य लोगों को सक्षम व्यक्तियों की चापलूसी करनी पड़ती है लेकिन योग्य व्यक्ति भीतर से न केवल स्वाभिमानी होते हैं बल्कि उनकी हर जगह कद्र होती है। ऐसे व्यक्तियों को बड़े-बड़े मालिक भी अपने से दूर नहीं करना चाहते। उन्होंने योग्यता को एक ‘देवी सम्पदा’ की संज्ञा दी। आत्मा के स्वरूप को पहचानने की प्रेरणा देते हुए उन्होंने बताया कि योग्य व्यक्ति सदैव विनम्र बनते हैं और सभी के प्रिय पात्र बन जाते हैं।
नई दिल्ली से सूरत पहुँचे विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने संस्था की गतिविधियों की जानकारी देते हुए बताया कि मिशन के सेवा कार्यक्रमों में अनाथ (देवदूत) बच्चों की शिक्षा एक प्रमुख कार्यक्रम है। उन्होंने बताया कि देवदूत बच्चों का एक स्कूल यहाँ भी कार्यरत है। बालाश्रम सूरत के वरिष्ठ धर्माचार्य आचार्य रामकुमार पाठक ने बताया कि चार दिनी यह सत्संग महोत्सव मुख्य रूप से बालाश्रम में शिक्षा प्राप्त कर रहे देवदूत बालकों की शिक्षा एवं उत्थान के लिए ही समर्पित है। विश्व जागृति मिशन के सूरत मण्डल के प्रधान श्री गोविन्द डांगरा ने बताया कि सत्संग के अन्तिम दिवस मध्यानकाल में सैकड़ों दीक्षार्थी गुरुदेव श्री सुधांशु जी महाराज से मन्त्र दीक्षा ग्रहण करेंगे। इसकी पंजीयन प्रक्रिया आरम्भ हो चुकी है।