सन्तश्री सुधांशु जी महाराज ने की गुरुतत्व पर चर्चा
नागपुर में चल रही है पांच दिवसीय ज्ञान-चर्चा
नागपुर, 27 दिसम्बर (सायं)। विश्व जागृति मिशन द्वारा आयोजित विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के दूसरे दिवस की संध्याकाल संतश्री सुधांशु जी महाराज ने ‘गुरु शक्ति की अनिवार्य आवश्यकता’ विषय पर विस्तार से चर्चा की। महावीर उद्यान प्रांगण में विशाल जनसमुदाय को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मानव जीवन में गुरुसत्ता की आवश्यकता उसी तरह होती है जैसे जीवन के लिए हवा और पानी की ज़रूरत होती है। गुरुतत्व का विवेचन करते हुए उन्होंने कहा कि गुरुदेव जीवन के मार्गदर्शक होते हैं। सद्गुरु के माध्यम से हमें अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा नियमित रुप से प्राप्त होती है।
”शरण में आ पड़ा तेरी प्रभू मुझको भुलाना ना, पकड़ लो हाथ अब मेरा नाथ देरी लगाना ना” गुरुवंदना के इस भजन के साथ हुई सांध्यकालीन ज्ञान यज्ञ चर्चा में आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि गीतानायक प्रभु श्रीकृष्ण गीतोपदेश देते हुए एक गुरु की महान भूमिका का निर्वहन करते दिखाई देते हैं। श्रीमद्भगवद्गीता में मोहग्रस्त घृतराष्ट्र के उद्धत एवं मदमस्त पुत्र दुर्योधन के अन्तहीन अहंकार के कारण उपजे महाभारत के भीषण युद्ध में गुरु-रूप भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन के मन-मस्तिष्क को योद्धा एवं विजेता बनाते हैं। श्रीकृष्ण का एक नाम ‘मदन’ (यानी मद नहीं) बताते हुए उन्होंने कहा कि हमें अर्जुन की तरह अपने जीवन रथ की बागडोर ईश्वर को सौंप देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब मन में युद्ध होता है तब वह युद्ध भूमि पर अवश्य उतरता है। श्री सुधांशु जी महाराज ने वर्ष 2018 में गीता के 18 अध्यायों में से 18 श्लोकों का सार-संदेश ग्रहण करने का आह्वान उपस्थित जनसमुदाय से किया।
सत्संग समारोह स्थल पर लगे एक दर्जन से अधिक स्टॉलों के प्रभारी एवं युगऋषि आयुर्वेद के राष्ट्रीय मार्केटिंग प्रमुख श्री प्रयाग शास्त्री ने बताया कि महावीर उद्यान परिसर में युगऋषि आयुर्वेद, साहित्य, गौशाला, वृद्धजन, धर्मादा, करुणा सिन्धु अस्पताल, बालाश्रम, बाल विकास योजना, कैलास मानसरोवर यात्रा आदि के स्टॉल लगाए गए हैं। इन स्टालों का लाभ हजारों व्यक्ति उठा रहे हैं।