दिल्ली में महर्षि वेदव्यास उपदेशक महाविद्यालय का हुआ उद्घाटन

मेजर जनरल जी.डी.बख्शी आनन्दधाम पहुँचे

महाविद्यालय में तैयार होंगे निष्णात् धर्मोपदेेशक

एक सच्चा धर्मोपदेशक युगों को बदलने की क्षमता रखता है

विजामि प्रमुख आचार्य सुधांशु जी महाराज ने कहा

आनन्दधाम-नयी दिल्ली, 19 अपै्रल। विश्व जागृति मिशन के अन्तरराष्ट्रीय मुख्यालय आनन्दधाम में हनुमान जयन्ती के पावन अवसर पर आज ‘महर्षि वेदव्यास उपदेशक महाविद्यालय’ का उद्घाटन महावीर की तरह के व्यक्तित्व वाले भारतीय सेना के पूर्व मेजर जनरल श्री जी.डी. बख्शी के हाथों हुआ। मिशन प्रमुख, प्रख्यात मनीषी एवं अध्यात्मवेत्ता आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज की विशिष्ट उपस्थिति में सम्पन्न उद्घाटन समारोह में इस आध्यात्मिक आश्रम में ‘‘वीर भाव साधना’’ का अनूठा वातावरण विनिर्मित हो उठा।

विश्व जागृति मिशन परिवार में जनरल गगनदीप बख्शी का स्वागत करते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि ‘सेवक और सैनिक’ की संयुक्त अवस्था वाले श्रीराम भक्त हनुमान के जन्मोत्सव पर आरम्भ हुआ आज का यह अभिनव प्रकल्प भारत के भावी इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने उपदेशक महाविद्यालय में चलाये जाने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रमों की भी जानकारी सभी को दी। कहा कि धर्म, अध्यात्म, संस्कृति, राष्ट्रनिष्ठा सहित युगधर्म का सही एवं सम्यक् ज्ञान देने वाले धर्मोपदेशकों की इस देश व विश्व को महती आवश्यकता है।

श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि एक सच्चा धर्मोपदेशक युगों को बदलने की क्षमता रखता है। कहा कि वेद, उपनिषद, गीता, रामायण आदि पवित्र ग्रन्थों में पारंगत उपदेशक जो मनोविज्ञान व इतिहास के मर्मज्ञ भी होंगे, वे समाज व देश का सुन्दर निर्माण भी करेंगे। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस उपदेशक महाविद्यालय से निकले युवा न केवल अपने देश के कोने-कोने में पहुँचकर भारतीय धर्म एवं ऋषि संस्कृति की सही व सम्यक् जानकारी जनसामान्य तक पहुँचायेंगे, बल्कि विदेश की धरती पर भारतीय संस्कृति के आध्यात्मिक राजदूत बनकर सभी ओर संस्कृति का स्नेह-सिंचन करने में सफल होंगे। उन्होंने कहा कि इस दुनिया की सर्वोच्च उपलब्धि ईश्वर प्राप्ति यानी मोक्ष का अधिकारी या तो समाधिस्थ योगी होता है अथवा राष्ट्र की सीमा पर उसकी रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाला सैनिक।

बतौर मुख्य अतिथि जनरल जी. डी. बख्शी ने इस अवसर पर कहा कि उन्होंने 1947 के पूर्व कश्मीर के राजा हरि सिंह की सेना में रहे अपने पिता श्री एस.पी. बख्शी और 1965 में मात्र 23 साल की उम्र में भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहीद हुए बड़े भाई कैप्टन रमन बख्शी की बहादुरी को समीप से देखा है। वह बोले कि अग्रज के दिवंगत शरीर की बजाय एक मटकी में आयीं उनकी अस्थियों को देखकर अगले साल 1966 में हमने एन.डी.ए. ज्वाइन किया था। पढ़ाई पूरी होते ही 1971 में पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) के युद्ध के कारण एक महीने पहले ही सेना में कमीशन देकर मुझे युद्धभूमि पर भेज दिया गया था। मात्र 14 दिन में पाकिस्तान के दो टुकड़े करके 93,000 शत्रु सैनिकों को हमारी सेना ने बन्दी बनाया था, मैं उन गर्वीले क्षणों का न केवल प्रत्यक्षदर्शी रहा बल्कि उसका सक्रिय अंग भी रहा।

जनरल बख्शी ने आज के भारत के अजीबोगरीब परिदृश्य की चर्चा करते हुए सन्तों व संन्यासियों से बिना कोई देर किए ‘वीर-भाव-साधना’ के क्षेत्र मंें उतरने का आह्वान किया। उन्होंने अतीत काल में राष्ट्र रक्षा के लिए सन्तों द्वारा तलवार उठाने की इतिहास घटना भी सुनायी। जनरल बख्शी ने कहा कि भारतवर्ष जब कभी विश्व-गुरू बनेगा तो वह ताकत और ज्ञान दोनों के बल पर बनेगा। जनरल ने भारतीयों में ‘क्षात्र शक्ति’ उभारने के लिए विशेष अभियान चलाने पर बल दिया। उनने एक और महाभारत की अति आवश्यकता बतायी। कहा कि भारत मंें ही सदैव अवतार होते रहे हैं।

विश्व जागृति मिशन की उपाध्यक्ष ध्यान-योगगुरु डाॅ0 अर्चिका दीदी ने उपदेशक महाविद्यालय के रूप में मिले एक और अभिनव प्रकल्प के लिए महाविद्यालय प्रांगण में हजारों की संख्या में उपस्थित मिशन परिवार को बधाई दी। राष्ट्र की दिशाधारा बदल देने वाले अतीत के भारतीय विद्वान आचार्यों का उल्लेख करते हुए उन्होंने आनन्दधाम गुरुकुल एवं उपदेशक महाविद्यालय के आचार्यों का आह्वान किया कि देश को सुयोग्य धर्मोपदेशक देने के इस महान गुरुकार्य में अपनी पूरी शक्ति नियोजित करें।

विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र के मुख्य समन्वयन एवं संचालन में सम्पन्न महर्षि वेदव्यास उपदेशक महाविद्यालय उद्घाटन समारोह में आभार ज्ञापन करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ0 सप्तर्षि मिश्र ने कहा कि ब्राह्मशक्ति व क्षात्रशक्ति के अभाव में हमारा देश इन दिनों आन्तरिक एवं बाह्य असुरक्षा की गम्भीर स्थितियों से गुजर रहा है। भगवान परशुराम के कथन ‘‘अग्रतश्चतुरो वेदान् पृष्ठतः सशरं धनुः, इदं ब्राह्मं इदं क्षात्रं शास्त्रादपि शरादपि’’ का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस देश में एक धर्मोपदेशक शास्त्र व शस्त्र दोनों में निपुण रहा है। देश में वीरता के भाव का राष्ट्रीय जागरण करने के लिए आज पुनः इसकी बड़ी आवश्यकता है।

इसके पूर्व उपदेशक महाविद्यालय भवन में विशेष यज्ञ का आयोजन किया गया। पं0 सतीश चन्द्र द्विवेदी के आचार्यत्व में सम्पन्न इस यज्ञ में गुरुदेव श्री सुधांशु जी महाराज सहित कई गण्यमान व्यक्तियों ने भागीदारी की। उद्घाटन समारोह में विश्व जागृति मिशन के प्रधान श्री प्रेम सिंह राठौर, उपप्रधान श्री दौलत राम कटारिया, महामन्त्री श्री देवराज कटारिया, कोषाध्यक्ष श्री राज कुमार अरोड़ा, संयोजक डाॅ0 नरेन्द्र मदान, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी श्री एम.एल.तिवारी, जीवन संचेतना के सम्पादक डाॅ0 विजय कुमार मिश्र, केन्द्रीय अधिकारी श्री मनोज शास्त्री, नागपुर के श्री गौरीशंकर अग्रवाल, वाराणसी के श्री इन्द्रदेव दुबे, जालन्धर के श्री सुरेन्द्र चावला, आचार्य डाॅ0 शेष कुमार शर्मा, आचार्य अनिल झा सहित मिशन के विभिन्न मण्डलों के अधिकारी तथा नयी दिल्ली सहित एन.सी.आर. के विभिन्न अंचलों से आए मिशन कार्यकर्ता सम्मिलित हुए।

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