जयपुर में आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज बोले
”रघुनन्दन राघव राम हरे, सियाराम हरे सियाराम हरे”
विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का दूसरा दिन
जयपुर, 15 फरवरी (सायं)। ईश्वरनिष्ठ जीवन परमात्मा से मानव जीवन को मिला सबसे बड़ा वरदान है। धर्म प्रेरित बुद्धि व्यक्ति को सात्विक एवं सदगुणी बनाकर उसकी ताकत को कई गुना बढ़ा देती है। उन्होंने कहा कि आज प्रखर बुद्धि और बुद्धिमानों से देश व विश्व को अनेक खतरे पैदा हो गये हैं। इसे रोकने के लिए बुद्धि को धर्मनिष्ठ व ईश्वरनिष्ठ बनाना होगा। शान्त एवं सन्तुलित मष्तिष्क और ऐसे मष्तिष्कधारी लोग किसी समाज व देश का कल्याण करने में पूरी तरह सफल होते हैं।
यह उद्गार आज सायंकाल विश्व जागृति मिशन के कल्पनापुरुष एवं संस्थापक-संरक्षक आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने यहाँ चल रहे विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के दूसरे दिवस की संध्या में व्यक्त किये। वह जयपुर सहित राजस्थान के विभिन्न अंचलों से यहाँ आये ज्ञान-जिज्ञासुओं को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भवतगीता के 12वें अध्याय में इसी मन और बुद्धि को ईश्वर की ओर प्रवृत्त करने की बात कही है। अर्जुन को अपना मन व चित्त प्रभु के श्रीचरणों में अर्पित करने की बात कहते हुए गीतानायक ने अभ्यास-योग का शिक्षण भी कुरुक्षेत्र की रणभूमि पर दिया था। श्री सुधांशु जी महाराज ने आदतों का महत्व बताया और अच्छी आदतों के निर्माण की तकनीक सभी को सिखलायी।
मिशन प्रमुख श्रद्धेय महाराजश्री ने जीवन में उच्चस्तरीय सफलता के लिए पहले उस विषय का इरादा करने, फिर इच्छा शक्ति को जगाकर आगे बढ़ने, तत्पश्चात उसे दृढ़ संकल्प में बदलने तथा सकारात्मक जिद पैदा करने को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्ति निश्चित रूप से जीवन उद्देश्य में सफल होते हैं। उन्होंने वरिष्ठजनों से अपील की कि सफल जीवन और सफल लोगों के किस्से सुनाकर अपनी नई पीढ़ी को सफलता के सूत्र सिखायें। उन्होंने इस अवस्था में आने के लिए जरूरी ध्यान उपस्थित जनसमुदाय को कराया और महत्वपूर्ण सूत्र (टिप्स) सभी को दिए। उन्होंने मन्त्र सिद्ध करने के तरीके भी सिखाए।
आनन्दधाम नई दिल्ली से आये विश्व जागृति मिशन प्रतिनिधि श्री प्रयाग शास्त्री ने जानकारी दी कि घरों में बीमारियों का प्रवेश रोकने के उद्देश्य से चलायी गयी युगऋषि आयुर्वेद योजना के 175 उत्पाद देशवासियों को प्रभावी लाभ प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जय तुलसी, नवरस संजीवनी, मधुसूदनी रस, अमृत केसरी, आयुष वीटा, गाय का घी, शुभ्रदन्ति, लिव स्ट्रोंग, युरिटोन, सखी अमृत, पीड़ाशांतक तथा चन्दन सुधा साबुन नामक उत्पादों की सर्वाधिक माँग समाज से प्राप्त हो रही है। बताया कि इन आयुर्वेदिक उत्पादों के उपभोक्ताओं की विविध बीमारियाँ दूर हो रही हैं।