मातृभक्ति, पितृभक्ति, गुरुभक्ति, ईश्वरभक्ति और राष्ट्रभक्ति के पाँच सन्देश एक साथ लेकर आया है महाशिवरात्रि पर्व
शिवभक्ति के भजनों पर भाव विभोर हुए शिव साधक
तीन दिवसीय महाशिवरात्रि पर्व का हुआ समापन
आनन्दधाम-नई दिल्ली, 04 मार्च। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के पश्चिमी दिल्ली जनपद के पंजाबी बाग प्रखण्ड में बक्करवाला मार्ग पर स्थित आनन्दधाम आश्रम प्रांगण में तीन दिनों से चल रहे महाशिवरात्रि पर्व का आज सायंकाल समापन हो गया। सवा लाख पार्थिव शिवलिंगों के अभिषेक, पशुपतिनाथ मंदिर पर अर्चन-पूजन, जप व ध्यान संगोष्ठी, द्वादश ज्योतिर्लिंग परिसर में अभिषेक, रुद्र महायज्ञ, कैलाश सिद्ध शिखर पर महाआरती इत्यादि कार्यक्रमों से सजे महाशिवरात्रि पर्व में नई दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, राजस्थान, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ प्रान्तों के अलावा अमेरिका, इंडोनेशिया, सिंगापुर देशों से आये शिव साधकों ने भारी संख्या में भाग लिया।
इस अवसर पर उपस्थित जनसमुदाय को सम्बोधित करते हुए विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि यह महाशिवरात्रि पर्व मातृभक्ति, पितृभक्ति, गुरुभक्ति, ईश्वरभक्ति और राष्ट्रभक्ति के पाँच सन्देश एक साथ लेकर आया है। उन्होंने आज के वैश्विक परिप्रेक्ष्य में राष्ट्र-भक्ति को ऊँचा स्थान देने का आह्वान सभी से किया। उन्होंने कहा कि जिस भूमि पर हम जन्में, जिसकी गोद में पले-बढ़े, जिस पर घुटने-घुटने चले, जहाँ पढ़े-लिखे, जहाँ हमने साँस ली और जिससे प्राणऊर्जा अर्जित की तथा नाम पाया एवं ऊँचे उठे, उस मातृभूमि का क़र्ज़ उतारने का यही असली समय है। उन्होंने देशभक्ति के रंग में बाहर से भीतर तक सराबोर होकर खुद को मिली ईश्वरीय विभूतियों का सदुपयोग देवभूमि भारतवर्ष के हित में करने की अपील शिवरात्रि महापर्व पर देशवासियों से की। इस मौके पर उपस्थिति जन समुदाय ने ”लंका दहन को आया फिर से मारुति नन्दन है, अभिनन्दन है अभिनन्दन है अभिनन्दन है” की धुन पर वीररस के विशेष गीत के साथ राष्ट्र भक्ति का अद्भुत उदघोष किया। उन पलों में ‘भारत माता की जय’ के नारों से समूचा आश्रम परिसर गुंजायमान हो उठा।
भगवान शिव के वैद्यनाथ नाम की व्याख्या करते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि जो पुष्प और पत्ता किसी देवता पर नहीं चढ़ाया जाता, उसे सदाशिव प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार करते हैं। आज के वनस्पति एवं जड़ी-बूटी विज्ञानियों ने सिद्ध किया कि वे सभी चीजें उच्च स्तर की औषधियाँ हैं। विष को पीकर संसार को अमृत प्रदान करने वाले भगवान शिव के नाम पर कोई भी नशा व व्यसन न करने की सलाह उन्होंने जनमानस को दी।
श्रद्धेय महाराजश्री ने शिवजी की उपासना व आराधना के ढेरों प्रभावी सूत्र सभास्थल पर उपस्थित शिव साधकों को दिए। उन्होंने महाशिवरात्रि की बधाई सभी को दी और श्रेष्ठ जीवन जीने की विविध प्रेरणाएँ दीं।
विश्व जागृति मिशन की उपाध्यक्ष ध्यान गुरु डॉ. अर्चिका दीदी ने गुरुतत्त्व का गम्भीर विवेचन किया और कहा कि ईश्वरीय कृपा पाने के लिए गुरुसत्ता का मार्गदर्शन जरूरी है। गुरुसत्ता इस धरित्री पर परमात्मसत्ता की स्थूल प्रतिनिधि है। शिव को सत्य का ही दूसरा रूप बताते हुए उन्होंने ‘सत्यं शिवं सुन्दरम’ के मन्त्र सूत्र की व्याख्या की और कहा कि श्रद्धा व विश्वास रूपी भगवान शंकर और जगदम्बा माता पार्वती की कृपा मन, वचन और कर्म तीनों में एकरूपता लाकर ही पायी जा सकती है। उन्होंने आनन्दधाम आये सभी शिव साधकों के उज्ज्वल भविष्य के लिए मंगलकामना कही।
दिव्य भजनों से सजी आज की सन्ध्या में आनन्दधाम के भजन गायक श्री कश्मीरी लाल चुग एवं श्री राम बिहारी के अलावा पानीपत से आये श्री प्रमोद चोपड़ा ने कई भजन प्रस्तुत किये। इस मौके पर महर्षि वेदव्यास गुरुकुल विद्यापीठ के ऋषिकुमारों ने मधुर भजन प्रस्तुत कर सभी को झूमने पर विवश किया।
महाशिवरात्रि पर्व के समस्त कार्यक्रमों का मंचीय समन्वयन एवं संचालन विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया।