गहरे उतरने पर ही मोती मिला करते हैं – श्री सुधांशु जी महाराज
नागपुर, 29 दिसम्बर (प्रातः)। विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के चौथे दिन का प्रातःकालीन सत्र ध्यान-योग की कक्षा को समर्पित रहा। इस सत्र में सैकड़ों स्त्री-पुरुषों एवं युवाओं ने ध्यान की गहराइयों में उतरने के गुर सीखे। भीतरी शक्तियों को जागृत करके उनका नियोजन आत्म सुधार से लेकर परिवार निर्माण एवं समाज निर्माण में करने की महत्वपूर्ण विधाएँ विश्व जागृति मिशन के प्रणेता सन्तश्री सुधांशु जी महाराज ने उपस्थित ध्यान-जिज्ञासुओं को सिखाईं। आनन्दधाम नई दिल्ली से आये धर्माचार्य श्री अनिल झा ने योग का व्यावहारिक प्रशिक्षण सभी को दिया।
ध्यान-योग सत्र में बड़ी संख्या में आये स्वास्थ्य-जिज्ञासुओं को सम्बोधित करते हुए सन्त श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि यदि मोती पाने हैं तो गहरे उतरना ही होगा। ध्यान व्यक्ति को गहरे उतार देता है। ध्यान के माध्यम से व्यक्ति के भीतर छिपी हुई शक्तियाँ जाग उठती हैं। यह ऊर्ध्वगमन श्रेष्ठता की ओर किया जाता रहे तो साधारण सा दिखने वाला व्यक्ति असाधारण बन जाता है। उन्होंने कहा कि सभी सफल व्यक्ति इसी गहरी विधा से ही ऊँचे उठे हैं।
उन्होंने ज्योतिर्लिंग व ओंकार ध्वनि के प्राकट्य पर चर्चा करते हुए बताया कि आज तक संपूर्ण सृष्टि में वही ॐकार ध्वनि गूँजती रहती है। यही अनहद ध्वनि है अर्थात जिसकी कोई सीमा नहीं है और जो बिना चोट से प्रकट हुई है। यह अनहद ध्वनि ही परमात्मा की वास्तविक ध्वनि है। उन्होंने कहा कि संसार की ध्वनियाँ चोट मारने से प्रकट होती है, इसे अहद ध्वनि कहते हैं।
सन्तश्री ने कहा कि अ, उ और म में समाया है सम्पूर्ण संसार। यही तीन अक्षर दुनिया की समस्त ध्वनियों का मूल हैं। यह ऐसी ध्वनि है जिसे गूंगा और बाचाल दोनों बोल सकते हैं। क्योंकि यह परमात्मा द्वारा निकली ध्वनि है। इसलिए ॐ शब्द को किसी भी मन्त्र के पूर्व में लगाकर उस मन्त्र को शक्तिवान बनाया जाता है। पर ॐ की ध्वनि के साथ जब भक्ति का भाव जुड़ जाता है और भक्त प्रभु में लीन हो जाता है तब जीवन में परमात्मा प्रकट होता है। उन्होंने सभी को प्रेरित किया कि आप परमात्मा से संगति स्थापित करने के लिए भक्ति की मौज में प्रवेश करो।
श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि योगियों और ध्यानियों के देश में रहकर ध्यान-योग का लाभ न ले पाना बड़ी विडम्बना का विषय है। इस विडम्बना को दूर करने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि अनेकों मन्त्र महान वैज्ञानिक ऋषियों ने बड़ी तपश्चर्या के उपरान्त मानव समाज को दिए हैं। इसलिए मन्त्र, ध्यान, योग से जुड़कर सभी को ऊँचे उठना चाहिए। उन्होंने मन्त्र सिद्धि साधना, वरदान सिद्धि साधना एवं चांद्रायण तप साधना के भावी कार्यक्रमों में पधारने का न्यौता उपस्थित जनसमुदाय को दिया।
आनन्दधाम से आए वृद्धाश्रम प्रभारी श्री रमेश सरीन ने बताया कि इस आश्रम में वृद्धजनों की सेवा बड़े अच्छे तरीक़े से की जाती है। नयी दिल्ली से आए श्री सूर्यमणि दूबे ने घर बैठे गौसेवा के तरीक़े बताए। उन्होंने बताया कि देशी नस्ल के गौवंश की सेवा मिशन की गौशालाओं में की जा रही है।