दुनिया पर शासन वे ही करते हैं जो स्वयं पर शासन करते हैं

ध्यान करना यानी चिन्तन में गहरे तक उतरना

प्रदर्शन नहीं आत्मदर्शन की ज़रूरत

सूरत में श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा

सत्संग समारोह का पूर्वाहनकालीन सत्र रहा ध्यान-योग को समर्पित

The world is ruled by those who rule themselves | Sudhanshu Ji Maharajसूरत, 12 जनवरी (प्रातः)। जमाना कोई भी रहा हो, युग कोई भी क्यों न रहा हो, इस दुनिया पर शासन उन्होंने ही किया है, जिन्होंने स्वयं पर शासन करना सीखा है। स्व-अनुशासन एक ऐसा ताकतवर शब्द है जो मनुष्य को शीर्ष पर पहुंचा देता है। इसीलिये मैं कहा करता हूँ कि दुनिया पर शासन वही करते हैं जो स्वयं पर शासन करते हैं।

यह उदगार आज प्रातःकाल धर्मनगरी के रूप में विकसित होते जा रहे सूरत महानगर के रामलीला मैदान में श्री सुधांशु जी महाराज ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि हम भारतीय प्रदर्शन नहीं वरन् आत्मदर्शन करने पर अधिक ध्यान दें। उन्होंने कहा कि ध्यान का सत्र हम-सबको इसी आत्म दर्शन की ओर उन्मुख कराता है। ध्यान किया नहीं जाता बल्कि गहरे चिन्तन में डूबने पर वह स्वतः हो जाता है। ध्यान भीतर की शक्तियों का जागरण करने में पूरी तरह सक्षम है। उन्होंने ध्यान-योग की विधियाँ सभी को सिखलाई।

विश्व जागृति मिशन के मुखिया श्री सुधांशु जी महाराज ने ध्यान, पूजा और प्रार्थना के बीच का अन्तर सत्संग सभा में उपस्थित जनसमुदाय को विस्तार से समझाया। कहा कि हल्दी और चूने के मिश्रण से जिस तरह दोनों अपना-अपना पीला व सफ़ेद रंग छोड़कर एक हो जाते हैं और मानव रक्तवर्णी अर्थात् लाल बन जाते हैं, उसी तरह पूजा व प्रार्थना आत्मा एवं परमात्मा के बीच का भेद मिटाकर मानव को देवतुल्य बना देते हैं। ऐसी पूजा हमें परमात्मा से जोड़ देती है। उन्होंने पूजा में उपयोग होने वाले अक्षत यानी चावल को अखण्डित मन का प्रतीक बताया, वहीं आरती की ज्योति की तुलना आत्मज्योति से की। कहा कि इसी आत्मज्योति को परमात्मज्योति से एकाकार करने के लिए श्रद्धापूर्वक आरती की जाती है। उन्होंने ध्यान, पूजा, सिमरन, सेवा आदि का मर्म सभी को बताया और उनका व्यावहारिक प्रशिक्षण भी सबको दिया।

विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के मुख्य संयोजक धर्माचार्य पं.राम कुमार पाठक ने बताया कि कल रविवार को मध्यान्हकाल सामूहिक मन्त्रदीक्षा का कार्यक्रम सम्पन्न होगा, जिसमें सैकड़ों स्त्री-पुरुष परम पूज्य गुरुदेव श्री सुधांशु जी महाराज से गुरुदीक्षा ग्रहण करेंगे। कल ही सायंकाल सत्संग समारोह का समापन होगा। उन्होंने बताया कि यह समस्त कार्यक्रम वेसू स्थित बालाश्रम के सुविकास के लिए समर्पित हैं।

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