अध्यात्म एवं राष्ट्र निर्माण की गंगा को जिस मिशन ने आधार बनाकर जन-जन का उद्धार किया। सेवा, सिमरन, स्वाध्याय, सत्संग, संतोष, समर्पण के सूत्र देकर लाखों लोगों को धर्म की ओर मोड़ा। वृद्धों की पीड़ा, संवेदना को सृजनात्मक जनभाव में बदलने के लिए श्रद्धापर्व चलाया, सुख-शांति की नई दृष्टि व दिशा दी। जिनके संकल्प अभियान से करोड़ों श्रद्धालुओं का जीवन परिवर्तित हुआ, करोड़ो घरों में प्रेम, सद्भाव एवं सद्संकल्प के दीप जले तथा भत्तिफ़ पथ प्रशस्त हुआ। लाखों जनों के दुर्भाग्य-सौभाग्य में बदले। जिनके सतत प्रयास से कॉलेजों में रैगिंग रोकने के लिए कानून बना। जिस अभियान से जुड़कर सैकड़ों युवक धर्मोपदेशक एवं धर्माचार्य बनकर भारत की सनातन संस्कृति का रक्षण करने निकलेे। जिन्होंने अनाथों के दर्द को समझकर बालाश्रम देवदूत अभियान के माध्यम से लाखों छात्रें को संरक्षण, पोषण, शिक्षा एवं स्वावलम्बन दिया। जिनके अभियान में आदिवासी निराश्रित बच्चे निःशुल्क शिक्षा व पोषण-संरक्षण प्राप्त कर रहे हैं। उन सद्गुरु का केन्द्रीय धाम है नई दिल्ली स्थित आनंदधाम आश्रम। उनके विराट अभियान का नाम है ‘विश्व जागृति मिशन’। 1991 की चैत रामनवमी को ओंकारेश्वर मंदिर से प्रवाहित हुई इस मिशन रूपी गंगोत्री की धारा में असंख्य सेवा, साधना, स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वाध्याय, सत्संग रूपी सेवा सरिताओं का प्रवाह जुड़कर विराट आकार पा रहा है।
पूज्यश्री सुधांशु जी महाराज की इस मिशन रूपी विराट यात्र में उपेक्षित वृद्धों, अनाथों, निर्धन बालकों सहित करोड़ों भावनाशील नर-नारी को आध्यात्मिक, धार्मिक पोषण मिल रहा है तथा समाज में फैली अनेक भ्रामकताओं के अन्धकूप में पड़े जन-सामान्य को पीड़ा से मुक्ति का अवसर मिल रहा है। जन-जन में आत्मिक शक्तियों का विकास कर उन्हें मानवसेवा एवं जन-जागृति से जोड़कर श्रेष्ठ समाज के सुनिर्माण हेतु सरअंजाम जुटा रहा यह मिशन अपने में अनुपम है।
करुणा व सेवा का समन्वयः
जहां पुरुषोत्तम भगवान राम की मर्यादा, कृष्ण का कर्मयोग, बुद्ध की करुणा, महावीर की अहिंसा, नानक, कबीर, रैदास एवं अन्य सभी संत महापुरुषों के दिव्य भावों को आपस में समेट इस मिशन ने मानव चेतना को नई दिशा दी, वहीं भारतीय संस्कृति में निहित जीवन मूल्यों, मानवीय सम्बन्धों, आदर्शों, मर्यादाओं एवं परम्पराओं को पुनर्स्थापित करने का भी यह महा-अभियान बनकर उभर रहा है। समाज के समक्ष ‘धर्म एवं विज्ञान’ को एक-दूसरे का पूरक मानकर जीवन को गरिमा पूर्ण ढंग से स्थापित करना इस मिशन का लक्ष्य है। इस प्रकार विश्व जागृति मिशन का धर्म, आस्था एवं मानवसेवा तथा मानव उत्थान का यह अभियान देश भर में पूज्यश्री के सान्निध्य में चल रहा है। आज विश्व के करोड़ों नर-नारी आह्लादित भाव से पूज्यवर एवं उनके अभियान को अपना प्रेरक मानकर सद्पुरुषार्थ रत हैं।
त्रिस्तरीय विस्तारः
विश्व जागृति मिशन गुरुवर के विराट संकल्प को तीन व्यापक आधारों पर कार्यान्वित कर रहा है। पहला हैµदेश-विदेश में विराट भक्ति सत्संग एवं ध्यान-शिविरों के आयोजन से गुरुदेव द्वारा अपने सरल, सरस, दिव्य उद्बोधनों, प्रवचनों, व्याख्यानों एवं प्रेरणाप्रद सम्बोधनों से मनुष्य की आत्मा को पोषित तथा मानव की प्रसुप्त चेतना शक्ति को जागृत कर उसे देवत्व के तल पर स्थापित करना। दूसरा अपने तप-पुण्य से जन-जन को क्षुद्रताओं के घेरे से बाहर निकालकर निराशा, विषाद, ईर्ष्या, द्वेष, घृणा, क्रोध एवं वैमनस्य से रहित सुख-शांति एवं समृद्धि से परिपूर्ण जीवन जीने की सेवा शक्ति जगाना। तीसरा है भारतीय ट्टषि परम्परा, भारतीय सांस्कृतिक-आध्यात्मिक विरासत, आर्षकालीन गौरव से भारत को गौरवान्वित करना।
ताकि खुशियों के कमल मुस्करा उठेंः
पूज्य महाराजश्री कहते हैं कि ‘‘जैसे इस शरीर को पोषित करने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है, वैसे ही शरीर के अन्दर विद्यमान आत्मा के पोषण हेतु सद्ज्ञान की आवश्यकता रहती है।’’ इस दृष्टि से व्यक्ति की आत्मा को सबल बनाने और उसे उदात्त मानवीय भावों से ओत-प्रोत करने हेतु पूज्यश्री वेदादि शास्त्रें से लेकर आधुनिक युग तक के सभी ट्टषि-मुनि, सिद्ध-सन्त, ज्ञानी, विचारक, चिन्तक, दार्शनिक मनोवैज्ञानिक आदि के गूढ़ जीवन रहस्य के संजीवनी सदृश विचारों को एक साथ अपनी सरल, सरस तथा अलौकिक माधुर्ययुक्त वाणी से जन-जन तक पहुंचाने का स्तुत्य कार्य कर रहे हैं।
जिससे सम्पूर्ण समाज में ऐसा स्वर्गिक वातावरण निर्मित हो, हर व्यक्ति के आंगन में खुशियों के कमल मुस्करायें। घर-परिवार और समाज में वरिष्ठजनों, वृद्धजनों और गुरुजनों का सतत सम्मान-सहकार होने लगे। सन्तानें माता-पिता को सुख, सम्मान और आदर दें, युवा अपने कर्त्तव्य एवं दायित्व को समझें और अपनी ऊर्जा का प्रयोग धर्म, संस्कृति एवं जीवनमूल्यों की रक्षा के साथ-साथ राष्ट्रनिर्माण में करे। समाज का हर वर्ग नारी को सम्मान दे और हर बच्चा मां की ममता और पिता के प्यार की छांव में आत्मविकास का पथ पाये। इस धरा पर कोई अनाथ न रहे। सम्पूर्ण विश्व शांति, सौहार्द, भ्रातृभाव, सहयोग और अहिंसा की उत्कृष्ट मानवी भावधारा से ओतप्रोत हो, मानवता देवत्व की ऊंचाईयों को स्पर्श करे। इसी को पोषित कर रहा है यह मिशन।
सेवा का बहुआयामी बीजारोपणः
विश्व जागृति मिशन के अनेक सेवा प्रकल्प व्यावहारिक रूप में समाज की आवश्यकता अनुरूप क्रियाशील हैं। वास्तव में मिशन कोई व्यावसायिक प्रतिष्ठान नहीं, अपितु मानव सेवा के क्षेत्र में इस युग का एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण अभियान है। यह मिशन की सेवा मानवता के आंगन को वानप्रस्थ परम्परा, गौ उत्थान, अनाथ बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा आदि रूप में सिंचित कर रही है। आनन्दधाम स्थित शिवशक्ति धाम वानप्रस्थाश्रम को पूज्यश्री ने वानप्रस्थ के आदर्श के रूप में संचालित किया है। वे चाहते हैं कि बुढ़ापा जो जीवन की मिठास, अनुभवों का कोष लिए है, उसके भक्ति द्वारा आत्मिक शक्ति जागरण का महान अवसर मिले, इसलिए वृद्धाश्रम को एक प्रकल्प रूप में स्थापित किया गया है। जो आत्मकल्याण एवं समाजकल्याण हेतु उपयोगी सिद्ध हो रहा है।
आदिकाल से ही गाय को विविध रूपों में मानवकल्याण के लिए उपयोगी माना गया है। हमारी सत्य-सनातन धर्म-धारा में प्रत्येक धार्मिक एवं शुभकार्य में गौ माता की आवश्यकता को महत्व दिया गया है। यह मिशन अपनी कामधेनु गौशाला द्वारा लोगों को गौ सेवा की प्रेरणा देता आ रहा है। आनन्दधाम आश्रम परिसर में स्थापित विशाल कामधेनु गौशाला तथा सम्पूर्ण देश में स्थित पूज्य महाराजश्री के अनेक आश्रमों में गौशालाओं द्वारा भक्तजनों को गौ सेवा द्वारा देवकृपा से जोड़ा जाता है। पूज्यश्री का संकल्प है कि ‘‘देशी नस्ल की गायें, भारतीय जनमानस के लिए दैवीय वरदान रही हैं। देश के प्रत्येक साधक को भी इसे अपने घरों में प्रतिष्ठित करने का यह मिशन संदेश देता है।’’ इसी के साथ परिसर में स्थित करुणासिन्धु अस्पताल स्वास्थ्य सेवा के महान प्रकल्प रूप में लम्बे काल से विशिष्ट नेत्र चिकित्सा के साथ अन्य सभी रोगों की चिकित्सा कर जन सेवा के कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। मिशन के ऐसे ही अनेक प्रकल्प देश-विदेश में संचालित हो रहे हैं, जिनसे जन-जन की सेवा द्वारा पीड़ा निवारण होती है।
जनजागरण केन्द्रों का विस्तारः
अपनी व अपने भक्तों, साधकों की जीवन व कार्यशैली को गुरुवर ने छः भागों में बांट रखा है, सत्संग, सिमरन, स्वाध्याय, सेवा, सहानुभूति एवं सहयोग। मिशन के देश-विदेश के 85 केन्द्रों से इन सबके लिए कार्य चल रहे हैं। मिशन मुख्यालय में देवोपासना के लिए 28 भव्य मंदिरों की स्थापना है, जिसमें ओंकारेश्वर महादेव मंदिर, राधामाधव मंदिर, आनन्दधाम मंदिर दिल्ली, सनातन धर्म मंदिर फरीदाबाद, सोमेश्वर महादेव मंदिर पानीपत, मंगल मूति सिद्ध गणपति मंदिर मुम्बई, सिद्धेश्वर महादेव मंदिर पुणे, अमृतेश्वर महादेवालय हैदराबाद आदि। इन मंदिरों में देवोपासना के साथ ध्यान-साधना के केन्द्र भी संचालित किए जाते हैं। साथ ही सामूहिक प्रार्थना पर बल दिया जाता है। पूज्यवर श्री सुधांशु जी महाराज के गुरुकुल विद्यापीठ एवं उपदेशक महाविद्यालय शिक्षण-प्रशिक्षण के लिए लोकार्पित हैं। इस प्रकार सहयोग एवं सहानुभूति पर आधारित यह विश्व जागृति मिशन समाज के सम्पूर्ण वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हुए सभी के हित के लिए कार्य करता है। बाल युवा, युवती, वृद्ध, वृद्धा, जवान, किसान, श्रमिक, व्यवसायी, इंजीनियर, डॉक्टर समाज के समस्त के जागरण के लिए यह अभियान है, ताकि कोई भी दुःखी, दीन, शोषित वंचित, पद-दलित न रहे। आप भी इस महाअभियान से जुड़ें, जीवन में सौभाग्य जगायें।