प्रभु का धन्यवाद कीजिए, उनकी समस्त कृपाओं के प्रति आभार व्यक्त कीजिए।| Prayer | Sudhanshu Ji Maharaj

प्रभु का धन्यवाद कीजिए, उनकी समस्त कृपाओं के प्रति आभार व्यक्त कीजिए

हाथ जोड़ लीजिए! प्रेमपूर्वक आंखें बंद कर लें! और अपने हृदय में, अपने प्रभु का स्वरूप ध्यान में लेकर आइए! प्रभु का धन्यवाद कीजिए! मन-मन में उनका नाम स्मरण करें! और कहें कि भगवान सदा साथ निभाना। दुनिया के रिश्तों के मेले की भीतर हर कोई व्यक्ति अकेला ही है! सुख में भीड़ है और दुःख में हर कोई अकेला ही, बच्चा हो, उसे भी अपना दुःख का सामना खुद करना होता है! बूढ़ा हो! उसे भी अपने दुःख का सामना खुद करना, बीमार हो या कमज़ोर हो, निर्धन हो या बेसहारा, जब भी व्यक्ति को ज्यादा सहारे की जरूरत पड़ती है, तभी संसार के लोगों का सहारा नहीं मिलता।

दुःख में कोई साथ नहीं होता

निर्धनता में कोई धन नहीं देता! बेचारगी में कोई चारा नहीं बनता और दुःख में कोई साथ नहीं होता! और जब अपमान मिल रहा हो तो मान देने वाला कोई नहीं होता! जब कोई हमें नहीं समझ पा रहा हो तो केवल भगवान आप ही समझते हैं! आप ही सबका मान बनते हैं, आप ही सबकी शक्ति बनते हैं। आप ही वह आशा की किरण बनते हैं जो फिर से कहती है उठो!

आकाश में भी बादल आते हैं! और सूरज को भी ग्रहण लगता है, लेकिन ग्रहण सदा नहीं रहता, सूरत फिर चमकता है। फिर से व्यक्ति पहले से भी ज्यादा ऊंचे स्थान पर पहुंच जाता है। ये विश्वास, ये शक्ति आपसे मिलती है। फिर आप साधन बनाते हो, देने का ढंग आपका अद्भुत है, देते हो पर आपके हाथ नहीं दिखाई देते, दिया हुआ जरूर हमें मिलता है। किस बहाने से देते हो, किस तरह से देते हो। आकाश में कहीं पर भी आपका सागर या तालाब या दरिया नहीं है, पर बारिश तो आकाश से ही होती है।

चिड़िया का दाना सब जगह बिखेर कर रखा है

आपके भंडारे कहां हैं! भंडार गृह कहीं पर नहीं दिखाई देता! पर दुनिया में कोई भी नहीं ऐसा जिसको दाना, पानी, भोजन, जीवन न मिल रहा हो, देने वाले आप ही हो। चिड़िया का दाना सब जगह बिखेर कर रखा है, पर आप किसी के मुख पर जाकर नहीं डालते और किसी को कहते हैं कि जाओ उड़ो और अपना भोजन ढूंढो। छिपा के मैंने रख दिया है, थोड़ा पुरुषार्थ करो, थोड़ी बुद्धि लगाओ और फिर तुम खोज लो और प्राप्त करके खुश हो। हम भूल जाते हैं, देने वाले दाता के प्रति धन्यवाद करना।

प्रभु का धन्यवाद

प्रभु! का धन्यवाद कीजिए, उनकी समस्त कृपाओं के प्रति आभार व्यक्त कीजिए! साथ निभाने के लिए, रक्षा करने के लिए और सबसे बड़ा रिश्ता निभाने के लिए, अपने प्रभु को बारंबार धन्यवाद कीजिए और सभी रिश्तों में सबसे प्यारा और पवित्र रिश्ता, सुख-दुःख में साथ निभाने वाला रिश्ता, उलझनों को सुलझाने के लिए शक्ति और आशीर्वाद देने वाला रिश्ता। इस धरती पर परमात्मा का प्रतिनिधि बनकर जो सामने विराजमान होता है, वह “सद्गुरु” का रिश्ता है।

प्रार्थना को स्वीकार कीजिए

उनके प्रति हमारी श्रद्धा, निष्ठा, वफादारी सदा बनी रहे! और हम सब तरह से समर्पित होकर अपने सद्गुरु के प्रति अपने फर्ज निभा सकें! यह आशीर्वाद मांगिए भगवान से। परमात्मा आप सभी अपने बच्चों पर दया करना, आपके दरबार से जुड़े बैठे जितने भी लोग हैं, जो आश लगाकर आए हैं! उन पर कृपा करना। हे जगदंबा, जगजननी मां परमेश्वरी, करुणामयी सब पर कृपा करो, आशीष दो, सभी का कल्याण हो, प्रार्थना को स्वीकार कीजिए।

ॐ शान्ति शान्ति शान्ति ॐ

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