विद्यार्थी शिक्षकों को मान दें, अपना मन न भटकाएँ
वैविध्यपूर्ण शिक्षा प्रदान करें हमारे शिक्षक
विजामि प्रमुख श्री सुधांशु जी महाराज युगनिर्माता शिक्षकों व राष्ट्र के भाग्यविधाता विद्यार्थियों से कहा
आनन्दधाम, 05 सितम्बर। विद्यार्थी अपने शिक्षकों का सम्मान करें, अपना मन लक्ष्य से न भटकाएँ, मन लगाकर सीखें, सेवा के अवसर तलाशें और राष्ट्र सेवा करें, योग्यता के बल पर अपनी एक अलग पहचान बनाएँ, अच्छा बोलना सीखें, श्रेष्ठ लिखना सीखें और समग्र व्यक्तित्व के स्वामी बनें। शिक्षक अपने ऋषिकुमारों एवं मुनिकुमारों को वैविध्यपूर्ण शिक्षा प्रदान करें, उन्हें श्रेष्ठ उद्घोषक बनाएँ, उनको उत्कृष्ट लेखक बनाएँ, उन्हें नित नया बनाएँ, आगे बढ़ाएँ और ऊँचा उठाएँ।
यह उद्गार आज महर्षि वेदव्यास गुरुकुल विद्यापीठ में विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक श्रद्धेय आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने व्यक्त किए। वह शिक्षक दिवस के अवसर पर ऋषिकुमारों, मुनिकुमारों एवं आचार्यों को सम्बोधित कर रहे थे। शिक्षक दिवस की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि हमारे विद्यार्थी अर्जुन की तरह श्रेष्ठ विद्यार्थी बनें। हंसने व हंसाने तथा खेलकूद को स्वस्थ जीवन का बड़ा टाॅनिक बताते हुए उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि विद्यार्थी अपनी भाषा संस्कृत एवं हिन्दी के साथ अंग्रेजी एवं कुछ अन्य क्षेत्रीय व विदेशी भाषाएँ भी सीखें। छात्र-छात्राओं द्वारा अपने शब्दकोष को निरन्तर बढ़ाने और अधिकाधिक पर्यायवाची शब्दों की शिक्षा ग्रहण करने को जीवन की अमूल्य सम्पदा की संज्ञा देते हुए उन्होंने शिक्षकों से विद्यार्थियों को संगीत, वाद्य, गायन, वाद-विवाद के साथ-साथ बोध कथाओं, जातक कथाओं, महाभारत कथा, रामायण कथा आदि का भी शिक्षण-प्रशिक्षण देने को कहा। उन्होंने गुरुकुल के आचार्यों से ऋषिकुमारों एवं मुनिकुमारों को शास्त्रार्थ का अभ्यास भी कराने की अपेक्षा की। कहा कि कहानी, नाटक, विशेष रूप से एकांगी नाटक आदि से विद्यार्थियों की प्रतिभा का विकास होता है, अतः सभी प्रयोगों द्वारा हमारे ऋषिकुमारों एवं मुनिकुमारों को बहुमुखी प्रतिभा का धनी बनाया जाए।