नया साल, नव चेतना: आत्म जागरण की नवीन यात्रा | New Year | Sudhanshu ji Maharaj | Vishwa Jagriti Mission

 नया साल, नव चेतना: आत्म जागरण की नवीन यात्रा

नया साल, नव चेतना आत्म जागरण की नवीन यात्रा

नया साल लेकर आता है नए अध्याय की शुरुआत।  इस अध्याय को हर वर्ष हमें अपने अनुसार लिखने की संधि मिलती है। हम सब जानते हैं बीते वर्ष की गई गलतियों के बारे में और इसमें आवश्यक सुधार के बारे में,  इसी सुधार की उम्मीद के साथ हम अपने नए साल की शुरुआत करते हैं। हम में से लगभग हर कोई नए साल के कुछ लक्ष्य तैयार करता है और उन सभी लक्ष्यों को पूरा करने के लिए साल भर मेहनत भी करता है। परन्तु क्या आपने विचार किया है कितने लोगों की लक्ष्यसिद्धि होती है? जी हां, इसका सकारात्मक परिणाम अत्यंत कम लोगों को मिलता है जिसका कारण है, दृढ़ संकल्प की कमी। आपको पता है, संकल्प दृढ़ हो तो  मुश्किल से मुश्किल काम भी आसान हो जाते हैं और संकल्प की कमी से संभव और आसान काम भी बिगड़ जाते हैं।

आज मैं आपसे इसी विषय पर चर्चा करना चाहता हूँ। इस नए साल को केवल कहने के लिए नया न मानें, इस नए वर्ष में कुछ नया, कुछ विशेष करने का संकल्प लें। इस नए वर्ष में आत्मपरिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करें और उसके लिए अच्छी आदतों को अपनाएं जो आपके जीवन को सरल एवं सफल बनाने में सहायता करेंगी।

इस पूरी प्रक्रिया में आपको निराशा और अवसाद से बचाकर प्रेरणा देने का कार्य गुरु करते हैं, क्योंकि गुरु के बिना गति नहीं मिलती न कार्य को न मनुष्य को। गुरु के मार्गदर्शन में आप अपने जीवन में सकारात्मक संकल्प लेकर आदतों में बदलाव कर सकते हैं। आज मैं आपको इसी संकल्प की शक्ति के बारे में अपने अनुभव का निचोड़ बताने वाला हूँ जिसे जानकर आप अपनी आदतों में बदलाव कर सफल एवं विख्यात हो सकते हैं।

स्वास्थ एवं आहार

नव वर्ष में सबसे पहले संकल्प लें कि आप अपने शरीर को परमात्मा का निवासस्थान मानेंगे, जिसकी साफ सफाई और सुंदरता का दायित्व आपका है। इसलिए आप संकल्प लें कि इस नए वर्ष में केवल सात्विक और ऊर्जादायक भोजन का ही सेवन करेंगे और अपनी दिनचर्या को नियमित और संतुलित रखेंगे। क्योंकि  जैसा अन्न वैसा मन जैसा पानी वैसी वाणी शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् अर्थात स्वस्थ शरीर ही धर्म का पहला एवं उत्तम साधन है।

ध्यान एवं आध्यात्मिक विकास  

जीवन में सफल बनने के लिए मन शांत और संयमित होना आवश्यक है। अशांत मन हमेशा गलत निर्णय लेता है जो आपके लिए हानिकारक भी हो सकता है। ऐसे में मन को शांत करने हेतु प्रतिदिन ध्यान एवं प्रार्थना का समय निकालें। यह आदत आपको जीवन के संघर्षों से जूझने की शक्ति प्रदान करेगी और मन को सदैव प्रभु से जोड़े रखेगी और जब प्रभु के सान्निध्य में रहेंगे तो गलत निर्णय का तो प्रश्न ही नहीं उठता।

परिवार के साथ समय बिताएं

जैसे-जैसे दौर बदल रहा है लोग अपनों से दूर और अपने में ज्यादा व्यस्त होते जा रहे हैं। ऐसे में अकेलापन बढ़ता जा रहा है। न आपके सुख को दुगुना करने वाला कोई है न दुख को कम करने वाला। इस नए वर्ष प्रण करिए कि परिवार के साथ ज्यादा समय बिताएंगे, उनके साथ खुलकर बात करेंगे, अपनी भावनाएं साझा करेंगे जिससे आपमें प्रेम और दया का विस्तार होगा और जीवन में संतोष की प्राप्ति होगी।

बुरी आदतों का त्याग करेंगे

अच्छी आदतें अपनाने से ज्यादा ज़रूरी है बुरी आदतों का त्याग।  इस नए वर्ष में आपको संकल्प लेना होगा कि आप बुरी आदतों का त्याग करेंगे। बुरी आदतें जैसे क्रोध करना, आलस करना, देर से सोना-उठना, झूठ एवं अपशब्द बोलना। इन बुरी आदतों का त्याग करना होगा, ताकि आपका जीवन सरल एवं सदाचार से परिपूर्ण हो सके।

धन का सही उपयोग एवं बचत

धन केवल सुख प्राप्त करने के लिए नहीं अर्जित किया जाता, धन समाज के कल्याण के लिए कमाया जाता है। इस नव वर्ष संकल्प लें कि अपने कमाए धन को अपनी क्षमता अनुसार ज़रूरतमंदों में दान करेंगे एवं व्यर्थ खर्च को रोकते हुए सत्कार्य में पैसा लगाएंगे। यह कार्य आपको मानसिक शांति देता है जिससे आपको दुगुनी कामयाबी मिलती है।

जीव दया एवं प्रकृति के प्रति दायित्वों का निर्वहन

जीवन में हम कितना कुछ प्रकृति से लेते हैं और बदले में हम केवल उसे विनाश देते हैं।  इस नव वर्ष संकल्प करें कि प्रकृति मां का हम संरक्षण करेंगे। संकल्प लें कि इस नए वर्ष हम अधिक से अधिक वृक्षारोपण करेंगे, जल बचाएंगे, पर्यावरण अनुकूल वस्तुओं के उपयोग को बढ़ावा देंगे ताकि पृथ्वी अन्य जीवों के लिए भी उतना ही सुरक्षित स्थान बनी रहे जितनी मनुष्यों के लिए है।

इस सम्पूर्ण प्रक्रिया में ध्यान रखना है कि, नव वर्ष आत्म निरीक्षण एवं आत्मसुधार का समय है। नए संकल्प, नई आदतें हमें भीतर और बाहर से शांतचित्त, संयमित और सकारात्मक बनाएंगी और इसी के द्वारा हम अपने निर्धारित उद्देश्यों की पूर्ति कर जीवन के नवीन सूर्योदय का साक्षात्कार कर पाएंगे।

पुण्यवर्धक है नववर्ष में ब्रह्मयज्ञ | Sudhanshu Ji Maharaj

पुण्यवर्धक है नववर्ष में ब्रह्मयज्ञ

पुण्यवर्धक है नववर्ष में ब्रह्मयज्ञ

यज्ञका अर्थ आग में घी डालकर मंत्र पढ़ना नहीं होता। यज्ञ का अर्थ है- शुभ कर्म। श्रेष्ठ कर्म। सतकर्म। वेदसम्मत कर्म। सकारात्मक भाव से ईश्वर-प्रकृति तत्वों से किए गए आह्‍वान से जीवन की प्रत्येक इच्छा पूरी होती है। मांगो, विश्वास करो और फिर पा लो। यही है यज्ञ का रहस्य। यजुर्वेद मुख्यतः यज्ञ करने की सही प्रक्रिया व उसके महत्व के बारे में बताता है। इसी कारण इसे कर्मकांड प्रधान ग्रंथ भी कहते हैं। अश्वमेध, राजसूय, वाजपेय, अग्निहोत्र आदि अनेक यज्ञ करने, करवाने का विस्तारपरक वर्णन इसी में है। आज कोरोना संकट काल के जिस दौर में पूरा ब्रह्माण्ड विक्षुब्ध है, इस ब्रह्मयज्ञ की महिमा और बढ़ जाती है। यह यज्ञ कृमिनाशक एवं वातावरण, पर्यावरणशोधक भी तो है।

यज्ञ प्रयोजन में प्रयुक्त होने वाली औषधियों की प्रार्थना महिमागान करते हुए यजुर्वेद में कहा गया है।-

             शयिता नो वनस्पतिःसहस्व मे अरातीः सहस्व पृतनायतः। सहस्व सर्व पाप्नात ¦ सहमानास्योषधेः।।

अर्थात् हे यज्ञदेव वनस्पतियां हमें शांति-प्रदान करें। रोगों को दूर करें। पूज्य गुरुदेव कहते हैं ‘‘दिव्य संकल्पों के साथ यज्ञाहुतियों से वातावरण का परिष्कार एवं संवर्धन  होता है, साथ ही मंत्र प्रयोग से देवशक्तियों के सूक्ष्म प्रभाव से जुड़ी शक्तिधाराओं का साधक के जीवन में स्थापना होती है। यजुर्वेदीय यज्ञ में यह क्षमता और भी बढ़कर देखने को मिल सकती है।’’ क्योंकि रोगों, कीटाणुओं को नष्ट करने के लिए यज्ञ धूम्र की शक्ति को प्राचीनकाल में भली प्रकार परखा जा चुका है। इसके उल्लेख स्थान-स्थान पर उपलब्ध हैं। यजुर्वेद परम्परा का यह मंत्र यही तो संदेश एवं प्रयोग की प्रेरणा देता है।

दिवि विष्णु व्यक्तिस्त जागनेत छंदसा। तते निर्भयाक्ता योस्यमान द्वेष्टि यंच वचं द्विषमः।

अन्तरिक्षे विष्णुव्यक्रंस्त त्रेप्टुते छन्दसा। सतो नर्भक्तो।

पृथिव्यां विष्णुर्व्यक्रस्तंगायणे छन्दसा। अस्यादन्नात्। अस्ये प्रतिष्ठान्ये। अगन्य स्वः संज्योतिषाभूम। 

             इस विशिष्ट ब्रह्मयज्ञ द्वारा यज्ञ के इसी ज्ञान एवं विज्ञान का प्रयोग ही तो आनन्दधाम आश्रम में पूज्य गुरुदेव के मार्गदर्शन में सम्पन्न होने जा रहा है। इसके लिए गुरुधाम में यज्ञीय प्रयोगशाला निर्माण सहित सभी तैयारियां पूरी हो चुकी है। हवन सामग्री मंत्रें का चयन इस स्तर का हो रहा है कि याजकों के सातों ऊर्जा चक्रों में जागरण सम्भव हो सके वातावरण के सूक्ष्म विकार मिटे। इससे साधक दीर्घ जीवन, सुख, सौभाग्य, शांति, आरोग्यता और सम्पन्नता प्राप्त करे। दिव्य शक्तियोंका सान्निध्य प्राप्त करें, यही गुरुवर की अपेक्ष है। इसी कारण आश्रम में विगत 20 वर्षों से सम्पन्न हो रहे महायज्ञों में नववर्ष का यह यज्ञ अति विशेष है।