आनन्दधाम आश्रम में गीता जयंती महोत्सव का गरिमापूर्ण आयोजन
गीता जयन्ती
सद्गुरुदेव श्रीसुधांशुजी महाराज के पावन सान्निध्य में प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी आनन्दधाम आश्रम में 12-14 दिसम्बर, 2021 को प्रातः व सायं गीता जयन्ती महोत्सव का सफल गरिमापूर्ण आयोजन किया गया। इस महोत्सव में विश्वविख्यात सन्त व सद्गुरुदेव जी एवं योगगुरु डॉ- अर्चिका दीदी के पावन उद्बोधन, विश्व के ख्यााति प्राप्त संबुद्ध विद्वान मनीषियों के संदेश आश्रम रूपी पावन तीर्थ से योगीराज भगवान श्रीकृष्ण का अमृतज्ञान सम्पूर्ण विश्व में प्रसारित किया गया।
जहां गीता जयन्ती वाले पावन दिन 14 दिसम्बर को आचार्य सतीश द्विवेदी जी के निर्देशन में विष्णु यज्ञ का आयोजन किया गया, वहां 12 व 13 दिसम्बर को प्रातः अश्रम में स्थित गुरुकुल के विद्यार्थियों एवं उपदेशक महाविद्यालय के प्रशिक्षु उपदेशकों ने गीता से जुड़े गीत, भजन व अन्य सुन्दर कार्यक्रम प्रस्तुत किये। विद्यार्थी विष्णुदेव के भजन ‘आत्मा से मिला है परमात्मा’ व प्रशिक्षु अमन तिवारी द्वारा गया गया ‘श्री सुधांशुजी अष्टकम्’ गीता ने सब का मन मोह लिया।
इस कार्यक्रम को विश्व में लाखों भक्तों ने देखकर अपने जीवन को धन्य किया। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वर जी, मानस मर्मज्ञ संत मुरारीबापू जी, सद्गुरु शरणानन्द जी महाराज, गीता मनीषि ज्ञानानन्द जी महाराज, सिद्धसन्त रमेश भाई ओझा जी, साध्वी ऋतम्भरा जी, स्वामी गोविन्द गिरीजी महाराज, गायत्री परिवार के शिखर डॉ- प्रणव पाण्ड्या जी, श्री कैलशानन्द गिरी जी महाराज, आयुर्वेदाचार्य बालकृष्ण जी, श्री विजय कौशल जी, रजास्थान के राज्यपाल श्री कलराज मिश्र जी एवं विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष श्री आलोक कुमार जी ने गीता ग्रन्थ को मानव कल्याण के लिये कृष्ण के मुखारबिन्द से निसृत अमृतवाणी बताने के साथ-साथ महाराजश्री द्वारा इस आयोजन के लिये बधाई दी और इसे ‘बन्दीय प्रयास’ की संज्ञा दी।
इस कार्यक्रम का शुभारम्भ महाराजश्री के करकमलों द्वारा दीपप्रज्ज्वलन से हुआ, जिसमें आचार्य सतीश द्विवेदी, डॉ- शेष कुमार शर्मा व श्री एम-एल- तिवारी जी ने सहयोग दिया। डॉ- नरेन्द्र मदान एवं श्रीमति अरोड़ा ने गुरुदेव जी महाराज का स्वागत किया।
गुरुदेव जी ने अपने सन्देश में कहा, ‘‘गीता जीवन संगीत है, सर्वदा उपयोगी है। यह पाचवां वेद है। गीता का पहला अक्षर धर्म व अन्तिम अक्षर मम है। अर्थात् गीता हमें धर्म का बोध कराती है। कृष्ण दिग्दर्शक हैं, प्रत्येक मनुष्य को अथवा मन, बुद्धि, प्रतिभा, गुण, कौशल, कर्म भगवान को अर्पित करे तो कल्याण है। डॉ- अर्चिका दीदी ने कहा, ‘गीता प्रकाश है, मोहन का मार्ग है, ज्ञान पूजा है, भक्तिक्षेत्र है, ज्ञान का संचार है। कृष्ण मनोवैज्ञानिक हैं, चिकित्सक हैं, हमको उनकी शरण में जाना चाहिये, विराट से जुड़कर स्वयं भी विराट बन जायें।
आचार्य अनिल झा जी ने कार्यक्रम का गरिमापूर्ण संचालन किया।