पुणे के वर्धमान सांस्कृतिक केन्द्र में श्री सुधांशु जी महाराज ने किया आहवान
पुणे, 24 फरवरी (प्रातः)। रात्रि में शयन के पहले आत्मचिन्तन और दिन भर की अपनी गतिविधियों एवं अच्छाईयों-त्रुटियों पर गहरी दृष्टि डालना एक ऐसी साधना है, जो व्यक्ति के जीवन में आत्म-सुधार के अनेक द्वार खोल देती है। इसी तरह प्रातः काल उठने पर प्रभु का ध्यान करके उनसे अच्छा दिन प्रदान करने की प्रार्थना तथा दिन भर की निज-चर्या के नियोजन पर गम्भीर चिन्तन करके मनुष्य बाह्य जीवन एवं आंतरिक जीवन को ऐसा परिष्कृत कर लेता है, जिसकी तुलना किसी अन्य उपलब्धि से कमतर नहीं आँकी जा सकती।
यह बात आज पूना नगर के वर्धमान सांस्कृतिक केन्द्र प्रांगण में चले ध्यान-योग सत्र में हजारों की संख्या में भाग ले रहे ध्यान-जिज्ञासुओं को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि निरीक्षण और परीक्षण का जीवन में बड़ा महत्व है। आत्म निरीक्षण, आत्म परीक्षण एवं आत्म सुधार की त्रिवेणी बनने पर आपका जीवन परिष्कार की ऐसी डगर पर चल पड़ता है जो जीवन लक्ष्य की प्राप्ति तो कराता ही है, उसे सफलता के उच्च शिखरों तक पहुंचा देता है। शान्ति में सोने और आनन्द में जागने की इस प्रक्रिया को ‘तत्वबोध’ तथा ‘आत्मबोध’ की उच्चस्तरीय साधना बताते हुए विश्व जागृति मिशन के प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि ये छोटे-छोटे से लगने व दिखने वाले अभ्यास व्यक्ति को बहुत ऊँचा उठा देते हैं।
नई दिल्ली से आये विश्व जागृति मिशन प्रतिनिधि श्री प्रयाग शास्त्री ने जानकारी दी कि घरों में बीमारियों का प्रवेश रोकने के उद्देश्य से संचालित युगऋषि आयुर्वेद के 175 उत्पाद देशवासियों को प्रभावी लाभ प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जय तुलसी, नवरस संजीवनी, मधुसूदनी रस, अमृत केसरी, आयुष वीटा, घी, शुभ्रदन्ति, लिव स्ट्रोंग, युरिटोन, सखी अमृत, पीड़ाशांतक तथा चन्दन सुधा नामक उत्पादों की सर्वाधिक माँग समाज से प्राप्त हो रही है। बताया कि इन आयुर्वेदिक उत्पादों के उपभोक्ताओं की विविध बीमारियाँ दूर हो रही हैं।
कार्यक्रम का मंचीय समन्वयन व संचालन कर रहे मिशन निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने बताया कि सत्संग महोत्सव का समापन आज सायंकाल छः बजे होगा।