श्री गणेश लक्ष्मी एवं यजुर्वेद महायज्ञ

गीता के अठारहवें अध्याय के पांचवे श्लोक में लिखा है कि यज्ञ, दान और तप-ये तीनों मनुष्यों को पावन करते हैं, इसलिए हर एक व्यक्ति को अपने जीवन में इन चीजों को अवश्य अपनाना चाहिए।
केंद्रीय एवं दिल्ली सरकार द्वारा जारी कोविड-19 के दिशा निर्देशाें का पालन करते हुए आनंद धाम आश्रम परिसर में आकर यज्ञ में भाग लेना सम्भव।
‘यज्ञ’ यह दो अक्षरों का छोटा सा शब्द, लेकिन इस यज्ञ की महिमा और यज्ञीय प्रभाव का विस्तार हमारे ग्रंथों व मानव जीवन में वास्तविकता से सम्बन्ध रखने इतने बड़े चमत्कार हैं कि यज्ञ का महत्व बताते हुए हर स्तुति वाक्य छोटे पड़ जाते हैं।
यज्ञ, पूजा पद्धति, देव उपासना-आराधना कि वह वैदिक विधि है, जिसमें अग्नि पूजन कर वेद मंत्रों के स्वाहाकार के उच्चारण के साथ गोघृत द्वारा दिव्य हवनीय पदार्थों को पुरोहित और याज्ञिक यजमान द्वारा देवभोजन के निमित्त अग्नि में आहुतियां दी जाती है और यज्ञ भगावन से निराभिमान होकर प्रार्थना की जाती है ‘इदं न मम’। हे प्रभु! यह मेरा नहीं आपका है। आपके दिए हुए को मैं आपको ही अर्पण-समर्पण कर रहा हूँ।
वैज्ञानिक शोध से यह भी सिद्ध हुआ है कि यज्ञ में हवनीय पदार्थ के मिश्रण से एक विशेष तरह का गुण तैयार होता है, जो हवन होने पर वायुमंडल में एक विशिष्ट प्रभाव पैदा करता है। वेद मंत्रो के उच्चारण की शक्ति से उस प्रभाव में और अधिक वृद्धि होती है।
यजुर्वेद महायज्ञ
26 से 30 अक्टूबर 2020
यजुर्वेद ऋगवेद के बाद दूसरा वेद माना जाता है। यजुर्वेद दो शब्दों के मेल से बना है। यजुष् और वेद। यजुष का अर्थ है हवन, यज्ञ, समर्पण और वेद से आशय है ज्ञान का ग्रंथ। अर्थात् जिस ग्रंथ में पूजा-पाठ, यज्ञ-हवन, कर्मकाण्ड की सम्पूर्ण जानकारी दी है। वही यजुर्वेद है।
यजुर्वेद में यज्ञ, यज्ञ की विधि, यज्ञ के लाभ और यज्ञ से याज्ञिक को होने वाले व यज्ञ की महिमा का विस्तार से वर्णन है। और सबसे बड़ी से बड़ी बात यह है कि जिस यज्ञ का वर्णन वेदों में मिलता है उन वेदों की उत्पत्ति भी यज्ञ से मानी गई है।
कोरोना के इस विषम काल में भक्तों के कल्याण के निमित्त गुरुवर ने एक महान संकल्प लिया है। इस 11 दिवसीय अनुष्ठान को पूरे विधि-विधान से वेदपाठी ब्राह्मणों द्वारा यजुर्वेद के मंत्रें से आनन्दधाम आश्रम दिल्ली में सम्पन्न करवाया जायेगा।
श्री गणेश-लक्ष्मी महायज्ञ
31 अक्टूबर से 5 नवम्बर 2020
जो भक्त अपने जीवन में ‘श्री समृद्धि’ की कामना करते हैं उनके लिए अच्छे रोजगार, व्यापार, व्यवसाय, धनलक्ष्मी के साथ उत्तम विचार, परिवार का नाम रोशन करने वाली सुमति सम्पन्न सन्तान, ईश्वरीय कृपा, परिवार में आनन्द मंगल, दिनोदिन उन्नति-प्रगति प्राप्त होगी।
आप सुख-शांति, धन-समृद्धि के लिए प्रयासरत हैं, तो अवश्य सम्मिलित हों इस यज्ञ अनुष्ठान में।
विद्वान ब्राह्मणों द्वारा वैदिक विधि से श्री गणेश मंदि, श्विा मंदिर, कल्पवृक्ष वाटिका, राधाकृष्ण मंदि, नवग्रह वाटिका में लगातार 11 दिन पूजन-अर्चन से सिद्ध कर श्री यन्त्र एवं सुमेरु यन्त्र, जो कि आपके जीवन में शुभ-लाभ, रिद्धि-सिद्धि की स्थापना करेंगे । यजमानों को स्थिर लक्ष्मी के वास हेतु भेजे जायेंगे |
आप इस महायज्ञ घर बैठे पुण्य लाभ पाएं। यज्ञ में ऑनलाइन यजमान बनकर सम्मिलित हों। यज्ञ आपकी हर मनोकामना की पूर्ति करने वाला है।
विशेष: कृपया पंजीकरण कराते समय अपना नाम, गोत्र, स्थान, व्हाट्सऐप नम्बर देना न भूलें ताकि आपको यज्ञ, पूजन, अर्चन की विडियो भेजी जा सके। साथ ही आप अपना एक फोटो (व्हाट्सऐप पर) भी अवश् य भेजें ताकि आपको निर्धारित वेदी पर उसे लगाया जा सके।