बाएँ हाथ में पुरुषार्थ और दाएँ हाथ में कर्म को धारण करने वाले व्यक्ति हैं सराहना के योग्य-सुधांशु जी महाराज

बाएँ हाथ में पुरुषार्थ और दाएँ हाथ में कर्म को धारण करने वाले व्यक्ति हैं सराहना के योग्य  सफ़लता उनके बाएँ हाथ का खेल होती है -सुधांशु जी महाराज

राष्ट्र को वीररस से सराबोर कर देने और भारत को महाभारत बनाने का यही है उपयुक्त समय -जनरल जीडी बक्शी

सर्वसाधारण के लिए उपयोगी हैं विश्व जागृति मिशन की गतिविधियाँ -डॉ.अशोक बाजपेयी, सांसद व सचेतक, राज्यसभा

भारतीय थल सेना के बहादुर पूर्व सैन्य अफ़सर जनरल डॉ.जी.डी.बक्शी ने किया राष्ट्र को वीररस से सराबोर करने का आह्वान। कहा- अब वीरभाव की साधना का आ गया है समय। वह आनन्दधाम में चल रहे १०८ कुण्डीय श्री गणेश लक्ष्मी महायज्ञ में भाग लेने आए थे। वैश्विक स्थितियों समेत भारत एवं उसके पड़ोसी देश पर समीक्षात्मक टिप्पणी करते हुए वह बोले- कदाचित् परमात्मा ‘एक और महाभारत’ कराना चाहता है। उन्होंने कहा कि शान्ति के लिए कभी-कभी युद्ध भी आवश्यक होते हैं।आज वरिष्ठ सांसद एवं राज्यसभा के सचेतक डॉक्टर अशोक बाजपेयी ने भी महायज्ञ में भागीदारी की। उनका स्वागत करना हमारे लिए सुखद था। उत्तर प्रदेश सरकार में अनेक बार क़ाबीना मन्त्री रहे डॉक्टर बाजपेयी ने विश्व जागृति मिशन की गतिविधियों के बारे में विस्तार से जाना। संवैधानिक मामलों के श्रेष्ठ जानकार तथा प्रख्यात राजनैतिक वक़्ता डॉक्टर अशोक बाजपेयी ने विशेष रूप से अनाथ बच्चों को शिक्षित एवं स्वावलंबी बनाने के कार्यक्रम को सराहा। उन्होंने इन बच्चों को ‘देवदूत’ नाम देने के लिए श्री सुधांशु जी महाराज की प्रशंसा की।

इस अवसर पर मिशन प्रमुख श्रद्धेय आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि शरद पूर्णिमा पर किया गया यज्ञ बड़ा ही फलदायी होता है। यज्ञ को कर्मों में श्रेष्ठतम कर्म बताते हुए उन्होंने इसे पापनाशक, दुःखनाशक, सुखदायक एवं समृद्धिदायक कार्य की संज्ञा दी। प्राचीन काल में एक महायज्ञ में गंगा, यमुना व सरस्वती नदियों द्वारा की गयी भागीदारी के ऐतिहासिक आख्यान का ज़िक्र करते हुए उन्होंने यज्ञ को सभी प्रकार के विकारों को दूर करने वाला बताया।

मिशन प्रमुख ने वेद ऋचा ‘देहि मे ददामि ते’ की व्याख्या करते हुए कहा कि मनुष्य को कुछ देना पड़ता है तभी उसे कुछ मिलता है। वेद-ऋचाएँ विद्यार्थी से ‘सुख’ का दान माँगती हैं, जो विद्यार्थी यह दान देता है वही सुयोग्य बनकर बदले में जीवन भर के सुख और उपलब्धियाँ पाता है। जो छात्र-छात्राएँ विद्यार्थी जीवन में सुख का दान देने से कतराते हैं वे आगे चलकर उन अपने ही सफल सहपाठियों से याचना और मिन्नतें करते देखे जाते हैं। यही बात स्वास्थ्य के मामले में लागू होती है, खान-पान, रहन-सहन और योग-व्यायाम के नियमों का पालन करने वाले लोगों को सुस्वास्थ्य यानी उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त होता है। हमारा किसान भी ‘त्वदीयं वस्तु गोविंदम तुभ्यमेव समर्पये’ के भाव से भूमि में जब विश्वासपूर्वक एक बीज डालता है तब धरती माँ उसके बदले १०० दाने वापस करती है। उन्होंने इन उदाहरणों से सीख लेकर पहले देने और फिर पाने की बात को अंगीकार करने की अपील सभी से की।

वृन्दावन से २१ आचार्यों के साथ आए महायज्ञ के परमाचार्य पण्डित विष्णु कांत शास्त्री और अनेक आचार्यों की उपस्थिति में संस्था प्रमुख ने यज्ञ जिज्ञासुओं से कहा कि जिसकी जितनी बड़ी तृष्णा होती है वह उतना ही बड़ा दरिद्र होता है। उदार और दाताभाव वाले लोग दुनिया के सबसे बड़े अमीर व्यक्ति होते हैं। उन्होंने धर्मादा के नौ कार्यों तथा उसमें सहयोग के परिणामों पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। कहा कि पहले आय का दशांश यानी १०वाँ भाग समाज के खेत में बोने का अनिवार्य नियम था। अब सीएसआर में उसकी मात्रा २ प्रतिशत अनिवार्य रूप से तय की गयी है। भारत में दो से ढाई प्रतिशत सिक्खों द्वारा गुरुद्वारों के ज़रिए चलाए जा रहे सेवाकार्यों को उन्होंने धर्मादा क्षेत्र का एक बड़ा उदाहरण कहा। उन्होंने कहा कि धर्मादा सेवाएँ हमें ‘देना’ सिखाती हैं और ‘पाने’ का अद्भुत मन्त्र देती हैं।

श्री सुधांशु जी महाराज ने बाएँ हाथ में पुरुषार्थ और दाएँ हाथ में कर्म को थाम लेने वाले व्यक्तियों की सराहना की और कहा कि ‘सफलता’ ऐसे लोगों के बाएँ हाथ का खेल होता है। उन्होंने यज्ञ से होने वाले लाभों की विस्तार से चर्चा की और कहा कि यज्ञ मानव जीवन ही नहीं, सम्पूर्ण प्रकृति का एक अविभाज्य अंग है। उन्होंने अथर्ववेद १२/२१३७ पर दी गयी ऋचा ‘अयज्ञियो ह्वरचा भवति’ की व्याख्या की और कहा कि “यज्ञ न करने वाले का तेज़ नष्ट हो जाता है।”

१० अक्टूबर को आरम्भ हुए श्री गणेश लक्ष्मी महायज्ञ के दौरान प्रतिदिन अपराह्नकाल बौद्धिक सत्र चला, जिसमें आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज और डॉक्टर अर्चिका दीदी ने साधकों का सशक्त मार्गदर्शन किया। विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने मंचीय समन्वयन व संचालन किया। महायज्ञ में देश के अनेक प्रांतों तथा हाँगकाँग, चीन, ब्रिटेन आदि देशों से आए परिजनों ने भागीदारी की।

आज अपराह्नकाल में श्री गणेश लक्ष्मी महायज्ञ का विधिवत समापन हो गया है।

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