शारदीय नवरात्र शक्ति आराधना
माँ नवदुर्गा की कृपा प्राप्ति के लिए नवरात्रि पूजा के ऑनलाइन यजमान बनें
नवरात्रि का अर्थ है नवीनता से युक्त ऐसी नौ रात्रियां जो साधक उपासक को नवशक्ति, नवसृजन से ओतप्रोत कर देती हैं। पूजा-पाठ, यज्ञ-उपासना में ‘संध्याकाल’ का विशेष महत्त्व माना गया है और नवरात्रि किसी दिन विशेष का नहीं अपितु ऋतुओं का संध्याकाल है। इस आश्विन मास की ‘शारदीय नवरात्र’ में एक ओर जहां ग्रीष्म ऋतु विदाई ले रही होती है वहीं शीत ऋतु दबे पांव दस्तक दे रही होती है। इन दो ऋतुओं की संधि बेला में प्रकृति और मानवीय प्रवृत्ति में संतुलन और सामंजस्य बनाने के उद्देश्य से हमारे ऋषियों ने ‘नवरात्रि’ के इस संधिकाल में माँ भगवती नवदुर्गा के शक्ति स्वरूप की आराधना-उपासना के लिए व्रत, जप, पूजा, पाठ एवं यज्ञ-अनुष्ठान का विधान बनाया।
माँ में माँ नवदुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा नौ अलग-अलग तिथियों में की जाती है। मान्यता है कि दुर्गा माता ने उस समय के महा आततायी राक्षस राज महिषासुर का बध करके इन्हीं नौ दिनों में अपने मायके आई थीं। तब से लेकर हर वर्ष भक्तों की मनोकामना पूर्ति के लिए नवरात्रों में माँ नवदुर्गा अपने मायके आती है। अर्थात् अपने हर उपासक भक्त के घर आती हैं।
नवरात्रों में दुर्गसप्तशती पाठ, देवी भागवत कथा, दुर्गा मंत्रो का जाप, रामायण का पाठ, यज्ञ आदि विशेष फलदायी है। जो भक्त नवरात्रों में माँ भगवती का पाठ-जाप यज्ञ करवाते हैं उनकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है।
कोरोना के इस विषमकाल में घर बैठे नवरात्रि की पूजा-पाठ, जप-यज्ञ के लिए गुरुवर श्री सुधांशु जी महाराज के आशीष से ‘‘युगऋषि पूजा एवं अनुष्ठान केन्द्र’’ ने आनंदधाम आश्रम दिल्ली में ऑनलाइन यजमान बनने की व्यवस्था की है। आप ऑनलाइन यजमान बनकर नवरात्रों में नवदुर्गा माता की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं।