गौ की सेवा अनेकानेक रोगों को दूर करने के लिए एवं स्वास्थ्य लाभ में अमृत औषधि है। सभी देवी देवताओं का निवास गौ में होता है। जो लाभ, आशीर्वाद हमें यज्ञ व पूजन से प्राप्त होता है, वही लाभ हमें गौ सेवा व पूजन से मिलता है। प्राचीन समय से देश में समृद्धि की प्रतीक गौउएं कालांतर में दर-दर भटकने को मजबूर हो गईं, यहां तक कि उन्हें कसाइयों द्वारा कसाई खाने में काटा जाने लगा। गौवंश के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से आनन्दधाम आश्रम में कामधेनु गौशाला की स्थापना की गई जहां वर्तमान में डेढ़ सौ से अधिक गौओं की सेवा की जाती है। इसी तरह 8 और बड़ी गौशालाएं देश के प्रमुख शहरों में स्थापित हैं। विश्व जागृति मिशन मुख्यालय आनन्दधाम के अलावा दिव्यलोक गौशाला मुरादाबाद (उ-प्र-), कामधेनु गौशाला, कानपुर (उ-प्र-), अमृत गौशाला, पानीपत (हरियाणा), अमृतधाम गौशाला, हैदराबाद (आन्ध्रप्रदेश), श्री नन्दिनी गोपाल गौशाला,लालसोट (राजस्थान) एवं श्रीधाम आश्रम गौशाला, बंगलुरु (कर्नाटक) में आदर्श गौशालाएँ संचालित हैं।
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एक ओर जहां शिक्षा प्रकल्पों के मध्यम से मिशन ज्ञान का प्रकाश फैला रहा है वहीं गरीब रोगियों की चिकित्सा-सेवा के लिए वर्ष 2000 में स्थापित करुणासिंन्धु धर्मार्थ अस्पताल में 32 कुशल चिकित्सकों की टीम अपनी उत्कृष्ट सेवाएं दे रही है। आखों के अस्पताल के नाम से मशहूर करुणा सिंधु अस्पताल, दिल्ली एन-सी-आर- के चार टॉप अस्पतालों में से एक है। यहां पर नेत्र, हृदय, नाक-कान-गला, स्त्री रोग, शिशु रोग, हड्डी रोग, होम्योपैथिक आदि सभी विभागों की चिकित्सा की जाती है। आस-पास एवं दूर-दराज के लगभग 500 गरीब जरूरतमंद रोगी प्रतिदिन निःशुल्क चिकित्सा का लाभ प्राप्त करते हैं। यहां पर अब तक लगभग 20 लाख रोगी निःशुल्क उपचार प्राप्त कर चुके हैं और लगभग 37 हजार मोतियाबिंद के निःशुल्क ऑपरेशन किए जा चुके हैं। करुणासिंधु धर्मार्थ अस्पताल सभी प्रकार की नवीन तकनीकी जाँच सुविधाओं से सुसज्जित है।
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आयुर्वेदिक चिकित्सा के लिए आनन्दधाम आश्रम, दिल्ली में युगऋषि आरोग्यधाम की स्थापना की गई है। इस केन्द्र में पंचकर्मा, प्राकृतिक चिकित्सा एवं वन-जड़ीबूटियों औषधियों से रोगियों का उपचार किया जाता है। अबतक हजारों
गरीब जरूरतमंद रोगी युगऋषि आरोग्यधाम से स्वास्थ्य लाभ ले चुके हैं।
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फरीदाबाद में स्थापित आरोग्य धाम अस्पताल में अनुभवी चिकित्सकों द्वारा अब तक 10 लाख गरीब रोगियों का निःशुल्क उपचार व 8 हजार मोतियाबिन्द के निःशुल्क ऑपरेशन हो चुके हैं। करुणासिंधु धर्मार्थ अस्पताल, दिल्ली की तरह फरीदाबाद के आरोग्यधाम अस्पताल में शीघ्र ही नवीन तकनीकी जाँच सुविधाआ से युक्त किया जा चुका है। मिशन के अन्य अनेक आश्रमों में जहाँ चिकित्सा सेवा के लिये निःशुल्क डिस्पेन्सरियाँ संचालित हैं वहीं विभिन्न मण्डलों में समय-समय पर निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण एवं उपचार केन्द्रों में लाखों मरीज स्वास्थ्य सुविधा प्राप्त कर चुके हैं।
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समाज में आये नैतिक मूल्यों की भारी गिरावट के कारण आज लोगों को एक समय के बाद अपने माता-पिता बोझ लगने लगते हैं। ऐसे वृद्ध लोग जिनके लिए अपने घर में ही स्थान नहीं है उनके लिए भी आपने स्थान बनाया। जो समर्थ हैं उनके लिए आपने वरदान सीनियर लिविंग होम जैसा स्थान बनाया जहां लोग सुख, शान्ति और प्रसन्नता से प्रकृति की गोद में जीवन के उत्तरार्द्ध को आनन्द से व्यतीत कर सकें और जो असमर्थ हैं उनके लिए भी वानप्रस्थाश्रम और वृद्धाश्रम बनाकर आत्मसम्मान से रहने का स्थान दिया।
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धार्मिक आस्था की वृद्धि, देवी-देवताओं की कृपा प्राप्ति, पर्यावरण शुद्धि, सुख-शांति, धन समृद्धि की प्राप्ति, नौकरी व्यापार में उन्नति और विश्व कल्याण की पावन भावना के साथ-साथ समस्त भक्त्जनों के कष्टों के निवारण हेतु वर्ष 2001 से प्रतिवर्ष अक्तूबर माह में आनन्दधाम आश्रम में 108 कुण्डीय श्री गणेश-लक्ष्मी महायज्ञ का आयोजन पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में किया जा रहा है।
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झारखण्ड के राँची जिले में रुक्का और खूंटी नामक दो ग्रामों को विश्व जागृति मिशन ने गोद लिया। इन नक्सल प्रभावी आदिवासी ग्रामों में लोगों का जीवन स्तर बहुत ही निम्न स्तर का था। समाज में कैसे रहना और क्या करना है? इन सब चीजों से वह अनभिज्ञ थे। आदिवासियों की बदतर स्थति को देखते हुए मिशन ने वहां अपनी सेवाएं शुरू की और मिशन द्वारा संचालित सेवा प्रकल्पों का स्पष्ट परिणाम यह हुआ है कि आदिवासियों ने अपनी जीवनशैली को बदल दिया है। जहां पहले वे इकट्ठे बैठकर मद्यपान करते थे, अब सत्संग का आनन्द लेते हैं। ईश्वर के अस्तित्व में अब अटूट श्रद्धा है। इसके साथ-साथ आदिवासी क्षेत्रें में मिशन द्वारा स्वरोजगार की योजनाओं के लिए प्रशिक्षण केन्द्र खोले गए हैं। आदिवासियों को खेती सम्बन्धी जानकारी एवं उसके लिए साक्षरता अभियान भी चलाए गये हैं। उन्हें मद्यपान एवं व्यवसनों से दूर रहने तथा वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित किया गया। हर घर में एक-एक गाय दी गई, जिससे वह गौ सेवा के साथ-साथ अपने जीविका का साधन भी प्राप्त कर सकें। अब आदिवासी लोगों का जीवन बेहत्तर स्थिति में है।
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1998 में रोहतक में बाढ़ हो या उत्तराखण्ड के चमोली में भूकम्प या हो गुजरात, अथवा आंध्रप्रदेश में प्राकृतिक सुनामी, कारगिल युद्ध हो या राष्ट्रीय संकट या कोरोना जैसी महामारी विश्व जागृति मिशन प्रभावित लोगों की तन-और धन से सेवा करने में सर्वदा अग्रणी रहा है। कारगिल युद्ध में शहीद वीर जवानों के परिवारों के लिए मिशन ने प्रधानमंत्री राहतकोष में आर्थिक सहयोग दिया। वर्ष 2015 में नेपाल भूकम्प पीडि़तो के लिए राहत कोष में भी आर्थिक सहयोग 2 मई को अमृत महोत्सव पर तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को दिया गया। वर्ष 2020 में कोरोना संकट काल में मिशन द्वारा प्रधानमंत्री राहत कोष में सहयोग दिया गया और विदेशों से 125 ऑक्सीजन कंसनट्रेटर मंगाकर ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे रोगियों की मदद की गई और शहरों से पलायन कर रहे गरीब लोगों में भोजन व दिनचर्या की आवश्यक सामग्रियां बांटी गई। सुनामी पीडि़त लोगों के लिये घर बनाकर दिये और झारखण्ड में 2 गाँव को गोद लेकर हर घर में एक-एक गाय दी। इस वर्ष हिमाचल प्रदेश में बाढ़ पीडि़तों के लिए मुख्यमंत्री राहतकोष में भी मिशन ने आर्थिक सहयोग दिया।
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