नयी दिल्ली। विश्व जागृति मिशन के पंजाब प्रान्त के मुख्य कार्यकर्ताओं की संगोष्ठी आज मिशन मुख्यालय आनन्दधाम में सम्पन्न हुई। संगोष्ठी में चण्डीगढ़, पटियाला, जालन्धर, संगरूर, लुधियाना, राजपुरा, नाभा, रोपड़, मलेर-कोटला, मण्डी-गोविन्दगढ़ आदि मण्डलों के मिशन अधिकारियों ने भाग लिया। संगोष्ठी में विश्व जागृति मिशन की गतिविधियों में और अधिक सक्रियता लाने तथा नए कार्यकर्ता बनाने और उन्हें मिशन की समाज व राष्ट्र निर्माण की गतिविधियों से जोड़ने के संकल्प उभरे।
बाईस जिलों वाले पंजाब राज्य के मालवा, माझा एवं दोआबा तीनों अंचलों से आए मिशन कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुये मिशन प्रमुख श्रद्धेय आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने विश्व की 760 करोड़ जनता, 84 लाख योनियों, सभी आत्माओं, कर्म-चक्र तथा पुण्य व पाप के ज्ञान-विज्ञान पर सारयुक्त चर्चा की और कहा कि पंजाब की धरती ने सदा से ढेरों कष्ट सहे हैं। सभी हमलावर पंजाब से होकर देश के कोने-कोने में पहुँचे थे। देश-विभाजन के समय इस राज्य ने जो दंश झेले, उसे शब्द देना बड़ा कठिन कार्य है। हर परिवार के बड़े बेटे को देश-धर्म-संस्कृति को समर्पित करने की ऋषि-राष्ट्र भारतवर्ष की गौरवशाली परम्परा का ज़िक्र करते हुये उन्होंने चेताया और कहा कि पर्यावरण को ढेरों हानियाँ पहुँचाने के कारण केरल और उत्तराखंड जैसी त्रासदियाँ झेलनी पड़ रही है। उन्होंने अपने आसपास अधर्म और अन्याय को रोकने तथा अभाव, अज्ञान एवं अकर्मण्यता से बचने की सलाह उपस्थित जनसमुदाय को दी।
सदगुरु श्री सुधांशु जी महाराज ने हर ईश्वर भक्त व गुरुभक्त को सन्देश दिया कि ईश्वरीय कार्य करने के लिए ‘सेवा’ को जीवन-मन्त्र की तरह स्वीकारें। गुरु को जीवनरूपी गाड़ी का सशक्त इंजन और शिष्य को उसका डिब्बा बताते हुए उन्होंने समाज सेवा के कार्यों में तन, मन और धन से जुड़ने का आहवान किया। उन्होंने धार्मिक और आध्यात्मिक पुरुष का अन्तर भी कार्यकर्ताओं को समझाया। कहा कि आध्यात्मिक लोग धर्म को जीते हैं और ऐसा कुछ कर गुज़रते हैं कि वे ‘धर्म’ और उसके संरक्षक ‘परमात्मा’ के परमप्रिय बन जाते हैं।
पंजाब अधिकारी सम्मेलन में युगऋषि आयुर्वेद पर विशेष चर्चा हुई। हानिकारक रसायनों एवं कीटनाशकों से पंजाब की धरती को मुक्त कराने की अपील करते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने जीवनोपयोगी हर उत्पाद का विकल्प युगऋषि आयुर्वेद में खोजने तथा पंजाब के घर-घर और जन-जन तक इसके पौने दो सौ उत्पाद पहुंचाने को कहा। मिशन कार्यकर्ताओं से धर्मादा के नौ कार्यक्रमों के लिए भारत की दशांश-दान (आय का दसवाँ भाग) की प्रथा को पुनर्जीवित करने का भी आह्वान उन्होंने किया। मिशन प्रमुख ने कार्यकर्ताओं को स्वयं की दैनिक उपासना के साथ-साथ साप्ताहिक एवं मासिक महोत्सवों से जुड़े कार्यक्रमों की रूपरेखा भी समझाई।
विश्व जागृति मिशन की मासिक पत्रिका ‘जीवन संचेतना’ को डाक से मंगाने की बजाय इकट्ठी मंगाकर खुद घर-घर जाकर पाठकों को पहुँचाने का मार्गदर्शन सन्तश्री सुधांशु जी महाराज ने किया। पंजाब से आए मिशन प्रतिनिधियों ने अपने अनुभव भी श्री सुधांशु जी महाराज के सानिध्य में साझा किए और उनसे विविध समस्याओं के समाधान पाए। सभी ने अपने-अपने क्षेत्र में वापस जाकर मिशन गतिविधियों में तीव्र गति लाने के संकल्प व्यक्त किए।
इस अवसर पर विश्व जागृति मिशन के महामन्त्री श्री देवराज कटारिया, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी श्री एम.एल.तिवारी, युगऋषि आयुर्वेद के सीईओ श्री के.के.जैन, मिशन की मासिक पत्रिका ‘जीवन संचेतना’ के सम्पादक डा. विजय कुमार मिश्र, आचार्य अनिल झा, श्री राजेश गम्भीर, श्री किशोर कत्याल सहित कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे। सभा संचालन एवं मंचीय समन्वयन मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया।
आज प्रातःकाल समस्त मिशन प्रतिनिधि अपने-अपने स्थानों के लिए प्रस्थान कर गये।