भारत को बचाना है तो मातृभाषा सहित भारतीय भाषाओं को बचाना होगा

save India, save Indian languages ​​पुणे, 21 फरवरी (प्रातः)। विश्व जागृति मिशन द्वारा यहाँ वर्धमान सांस्कृतिक केन्द्र प्रांगण में आयोजित विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के दूसरे दिन के पूर्वाह्कालीन सत्र में मिशन प्रमुख श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि जिन वृत्तियों को हम इस जीवन में जीते हैं, उन्हीं के अनुरूप अगला जीवन जीव को प्राप्त होता है। इसलिए हमें अपनी आदतों, वृत्तियों, प्रवृत्तियों पर गहरी नजर रखनी चाहिए और जीवन को सही दिशा में आगे बढ़ाना चाहिए।

भारतवर्ष के मशहूर अध्यात्म पुरुष आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने स्थूल, सूक्ष्म एवं कारण शरीर का ज्ञान-विज्ञान सत्संग समारोह में उपस्थित सभी ज्ञान-जिज्ञासुओं को समझाया और कहा कि स्थूल यानी दिखने वाले इस शरीर को ही अपना सब कुछ मान लेने वाले व्यक्ति अपार घाटे में रहते हैं। उन्होंने सूक्ष्म एवं कारण शरीरों के तत्वज्ञान पर प्रकाश डाला औऱ कहा कि मन, बुद्धि, चित्त, हिम्मत, धैर्य, सन्तुलन, दया, वफादारी, शालीनता, सहनशीलता, स्थिरता, योग्यता आदि में चरम सफलता के लिए स्थूल से ऊपर उठकर सूक्ष्म एवं कारण के महत्व को जानना और आत्मसात करना होगा। उन्होंने ध्यान-योग सत्र में बड़ी संख्या में पधारे स्त्री-पुरुषों को इनका व्यावहारिक प्रशिक्षण भी सभी को दिया।

मिशन प्रमुख ने कहा कि स्थूल शरीर मृत्यु के समय यहीं रह जाएगा, केवल सूक्ष्म एवं काऱण शरीर साथ जाएगा, आप इन दोनों को मजबूती दीजिये। उन्होंने निज-परिवार के अलावा एक बड़ा आध्यात्मिक परिवार बनाने की प्रेरणा भी सबको दी।

संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (२१ फ़रवरी) पर चर्चा करते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने अपनी मातृभाषा का समुचित सम्मान करने का आहवान किया। कहा कि अपनी जड़ों से जुड़े रहने वाले लोग ही मजबूत बनते हैं। मातृभाषा को सब कुछ दे सकने वाली कामधेनु और कल्पवृक्ष की संज्ञा देते हुए उन्होंने कहा कि निज की मातृभाषा व्यक्ति को पोषण, बुद्धि और बल प्रदान करती है। उन्होंने अपनी-अपनी मातृभाषा को बचाकर अपनी सभ्यता, संस्कृति, धर्म, परम्परा, आत्मबोध, राष्ट्र बोध, ज्ञान-विज्ञान और देश के भविष्य को बचाने को कहा। उन्होंने कहा कि हिन्दी सभी भाषाओं का महान सेतु है।

विश्व जागृति मिशन नयी दिल्ली के निदेशक श्री राम महेश मिश्र के मंचीय मार्गदर्शन में चल रहे इस सत्संग समारोह के मुख्य संयोजक एवं मिशन के पुणे मण्डल के प्रधान श्री घनश्याम झंवर ने बताया कि दिव्य भक्ति सत्संग महोत्सव रविवार 24 फरवरी की सायंकाल तक चलेगा। समापन दिवस पर मध्यान्हकाल 12 बजे सामूहिक मन्त्र दीक्षा का कार्यक्रम सत्संग सभागार में ही सम्पन्न होगा, जिसके पंजीकरण की प्रक्रिया आरम्भ हो चुकी है। उन्होंने सत्संग का अधिक से अधिक लाभ लेने का आहवान पुणेवासियों से किया।

One thought on “भारत को बचाना है तो मातृभाषा सहित भारतीय भाषाओं को बचाना होगा

  1. Vishwas kumar tiwari

    बहुत सुंदर
    देश की 1986 के पूर्व की शिक्षा नीति मे व्यक्ति निर्माण एवं चरित्र निर्माण की व्यवस्था थी शिक्षा मे शोध कार्य होते थे।वर्तमान मे लागू शिक्षा प्रणाली मात्र शिक्षित होने के प्रमाण पत्र बाटने की नीति है जिससे पैसा देकर प्रमाण पत्र लोग खरिदकर मात्र सरकारी नौकरी प्राप्त कर भोगी रोगी जीवन यापन करने योग्य भ्रष्टाचारी समाज का निर्माण करने वाला है ।
    सरकार मे बैठे नेता अधिकारी मात्र धन कामाने के लिए नित योजना बनाने क्रियान्वयन करने एवं दबाब डाल कर शत प्रतिशत सफल योजना बता रहे है ।जबकि वास्तविकता कुछ और है देश मे 68%लोग भ्रष्ट क्रप्ट है ।
    शिक्षा मे अनुसंधान की आवश्यकता है जिसके लिए आप आगे आ सकते है ।
    शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति निर्माण एवं चरित्र निर्माण करने वाली हो ।
    देश के शिक्षक समुदाय को प्रशिक्षण देने के लिए व्यक्तित्व निर्माण, चरित्रनिर्माण के आधार पर उस अनुरुप आचरण ,परिधान के लिए प्रशि ण माड्यूल बनाने की आवश्यकता है ।

Leave a Reply