सदगुरु मानव जीवन की अनिवार्य आवश्यकता: श्री सुधांशुजी महाराज

“भावावेश बुरी बात है लेकिन भावावेश में की गई भक्ति जीवन को धन्य कर देती है”

यदि सिखाया न जाए तो व्यक्ति अपनी भाषा भी नहीं सीख सकता

”मेरे प्रभू तू इतना बता तेरे लिए मैं क्या करूँ? मन में मेरे बसे हो तुम मन्दिर में जाके क्या करूँ”

विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का चौथा दिवस

Sadguru mandatory requirement of human life | Sudhanshu Ji Maharajनागपुर, 29 दिसम्बर (सायं)। यदि बच्चे को कुछ सिखाया न जाए तो आदमी इस दुनिया की कोई भी भाषा नहीं सीख पाए। जो सिखाते हैं उन्हें ‘गुरु’ कहा जाता है। व्यक्ति के जन्म लेने के बाद मां बच्चे को अक्षर-ज्ञान कराती है उसे शब्द सिखाती है, भाषा सिखाती है। माँ हर इंसान की प्रथम गुरु होती है, साथ ही पिता गुरु की भूमिका निभाता है। बड़े होने पर विद्यार्थी जीवन में अनेक शिक्षक मिलते हैं वह भी गुरु कहलाते हैं। जब जीवन के सच्चे मार्गदर्शक सदगुरु के रुप में मिलते हैं तब व्यक्ति का जीवन निहाल हो उठता है।

यह उदगार आज यहाँ महावीर उद्यान प्रांगण में चल रहे सत्संग के सायंकालीन सत्र में प्रख्यात चिंतक, विचारक, अध्यात्मवेत्ता एवं विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक श्री सुधांशु जी महाराज ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि सद्गुरु मानव जीवन की अनिवार्य आवश्यकता है। जीवन में सद्गुरु के मिल जाने पर जीवन धन्य हो जाता है। जिस तरह लता पेड़ का सहारा पाकर वृक्ष से भी ऊँची उठ जाती है, उसी प्रकार शिष्य श्रेष्ठ गुरु से जुड़कर उच्चता एवं महानता के उच्च शिखर को पा लेता है। उन्होंने विवेकानंद व ठाकुर रामकृष्ण परमहंस, चंद्रगुप्त मौर्य व आचार्य चाणक्य, शिवाजी और समर्थ गुरु रामदास आदि निष्ठावान शिष्यों एवं समर्थ गुरुओं का उल्लेख किया। जीवन में सद्गुरु की अनिवार्य ज़रूरत की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यदि मिट्टी के गुरु की भी स्थिति बनें तो ऐसा करने में हिचकना नहीं चाहिए। उन्होंने श्रद्धावान समर्थ शिष्य ‘एकलव्य’ की विशेष चर्चा की और कहा कि श्रद्धा और विश्वास के सहारे व्यक्ति इतिहास में अमर हो जाता है।

श्री सुधांशु जी महाराज ने उपस्थित जनसमुदाय से कहा कि तैश में, आवेश में और भावावेश में की गई गलतियाँ जीवन भर रुलाती हैं, लेकिन भावावेश में की गई भक्ति जीवन को धन्य कर देती है। इसलिए आप गीता के भक्तियोग और कर्मयोग को जीवन का अविभाज्य अंग बनाएँ।

आनन्दधाम से आयी संगीत विभाग की सात सदस्यीय टीम के सदस्यों के भजनों ने आज की सन्ध्या को बड़ा रोचक बना दिया। संगीत टोली में गायक आचार्य अनिल झा, कश्मीरी लाल चुग, राम बिहारी एवं महेश सैनी के अलावा वादक रवि शंकर, प्रमोद राय एवं चुन्नी लाल तंवर शामिल थे।

विश्व जागृति मिशन के नागपुर मण्डल के महामन्त्री एवं सत्संग कार्यक्रम के मुख्य यजमान श्री दिलीप मुरारका ने बताया कि विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का समापन कल रविवार को सायंकाल छः बजे होगा। मिशन के पदाधिकारी श्री बिट्ठल मेहेरकुरे ने जानकारी दी कि मध्यान्हकाल में कई सौ साधक-जिज्ञासु सामूहिक गुरु दीक्षा सद्गुरु श्री सुधांशु जी महाराज से ग्रहण करेंगे।

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