मोह निद्रा से जागरण बड़े सौभाग्य से सम्भव होता है
विजामि प्रमुख श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा
ध्यान, योग, प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने की दी प्रेरणा
ध्यानगुरु डाॅ. अर्चिका दीदी ने सिखायी ध्यान साधना
गुरु मन्त्र सिद्धि साधना शिविर सम्पन्न
कल धूमधाम से मनेगा गुरुपूर्णिमा का महापर्व
आनन्दधाम नयी दिल्ली, 15 जुलाई। मोह निद्रा मानव जीवन का एक ऐसा शत्रु है जिसके घातक परिणाम न केवल लौकिक जीवन को प्रभावित करते हैं बल्कि पारलौकिक जीवन को भी पिछड़ा बनाते हैं। इससे बाहर आने के लिए गम्भीर आध्यात्मिक प्रयत्नों की आवश्यकता पड़ती है। यह प्रयास हर किसी व्यक्ति को करना ही चाहिए। क्योंकि मोह निद्रा से बाहर निकले बिना जीवन के असल लक्ष्य की प्राप्ति सम्भव नहीं।
यह बात आज मध्याह्नकाल आनन्दधाम आश्रम के साधना सभागार में विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक श्रद्धेय आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कही। वह बीते तीन दिनों से चल रहे गुरु मन्त्र सिद्धि साधना के समापन सत्र में शिष्यों-साधकों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मोह निद्रा से जागरण बड़े सौभाग्य से सम्भव होता है। इस सौभाग्य की प्राप्ति के लिए साधक को निरन्तर प्रयत्न एवं अभ्यास प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। उन्होंने कहा कि जीव चैरासी लाख जन्म रूपी बन्धन में कैद है। मानव शरीर ही वह अवसर है जब जीव यानी व्यक्ति उस कैद से मुक्त हो सकता है, बाहर निकल सकता है। मानव काया का दसवाँ दरवाजा ब्रह्मरंध्र ही वह द्वार है कि जहाँ से आत्मा निकलकर मुक्त हो पाती है। उन्होंने कहा कि इस द्वार से प्राण-त्याग की विधि भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में बतायी है। यही विधि सद्गुरु साधना प्रशिक्षण में शिष्य को प्रदान करते हैं।
मिशन प्रमुख ने उपस्थित साधकों को गहन साधना विधियाँ सिखलाईं और योग विज्ञान की विविध विधाओं का प्रशिक्षण साधकों को प्रदान किया। उन्होंने सभी को विविध प्राणायाम कराए। कहा, अपने मणिपूर चक्र, उदय चक्र एवं आज्ञा चक्र पर 10-10 का अभ्यास करें। मौन के लिए आधा घण्टे का समय निकालें, उसके बाद शान्त होकर निर्मल एवं पवित्र भाव के साथ गुरु मन्त्र का जाप करें। उन्होंने आसन, माला एवं गोमुखी की पवित्रता पर सर्वाधिक जोर दिया। उन्होंने कहा कि मन्त्र की शक्ति अद्भुत है, उस शक्ति को अपने भीतर जागृत कीजिए। ऊंकार उच्चारण करते समय अपने नाभि केन्द्र को प्रभावित करें। कहा कि ऊंकार के नियमित उच्चारण से सृजन, पालन और संहार इन तीनों शक्तियों का जागरण होता है।
इसके पूर्व मिशन की उपाध्यक्ष ध्यानगुरु डाॅ0 अर्चिका दीदी ने साधकों को ध्यान साधना सिखलायी। उन्होंने साधकों से निज प्राणशक्ति को निरन्तर बढ़ाते रहने का अभ्यास करने को कहा। उन्होंने साधकों को ध्यान, योग, प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने की प्रेरणा दी। डाॅ0 अर्चिका दीदी ने कपालभाति, अनुलोम-विलोम प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम, भस्त्रिका प्राणायाम, शीतली प्राणायाम, शीतकारी प्राणायाम आदि का व्यावहारिक प्रशिक्षण सभी को दिया। प्रातःकाल वरिष्ठ आचार्य सतीश चन्द्र द्विवेदी के नेतृत्व में साधकों ने पशुपतिनाथ शिवालय में रुद्रीपाठ किया तथा द्वादशलिंग परिसर में विधि-विधान से पूजा-आराधना की।
तीन दिवसीय गुरु मन्त्र सिद्धि साधना का समापन सामूहिक मन्त्र दीक्षा से हुआ। श्री सुधांशु जी महाराज ने नवागत शिष्यों को साधना पथ पर आरूढ़ रहने को कहा। पूर्व से दीक्षित साधकों ने नवदीक्षितों का अभिनन्दन किया। कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों व अंचलों में ंसेवारत विश्व जागृति मिशन के वरिष्ठ पदाधिकारी भी मौजूद रहे।
विश्व जागृति मिशन के महामन्त्री श्री देवराज कटारिया ने बताया कि कल गुरुपूर्णिमा का महापर्व धूमधाम से आनन्दधाम आश्रम में मनाया जायेगा। उस महोत्सव में गुरु मन्त्र सिद्धि साधना के लाभार्थी साधक तो भागीदारी करेंगे ही, विभिन्न शाखाओं एवं मण्डलों से बड़ी संख्या में शिष्य-साधक आज रात्रि तक नयी दिल्ली पधार रहे हैं। श्री कटारिया ने बताया कि आनन्दधाम परिसर में स्थापित महर्षि वेदव्यास उपदेशक महाविद्यालय भी आगामी 25 जुलाई से आरम्भ हो रहा है। उसी दिन से महाविद्यालय की कक्षायें विधिवत आरम्भ हो जायेंगी। उन्होंने बताया कि महाविद्यालय के प्राचार्य के पद पर डाॅ0 सप्तर्षि मिश्र ने जिम्मेदारी संभाल ली है।
तीन दिवसीय गुरु मन्त्र सिद्धि साधना शिविर के समस्त कार्यक्रमों का मंचीय समन्वयन एवं संचालन विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया। आचार्य अनिल झा द्वारा मन्त्रोच्चारण इत्यादि के प्रशिक्षण साधकों को प्रदान किए गए। इस मौके पर महर्षि वेदव्यास गुरुकुल विद्यापीठ के प्रधान श्री दौलतराम कटारिया, महामन्त्री डाॅ0 नरेन्द्र मदान, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी श्री एम. एल. तिवारी, उपदेशक महाविद्यालय के संयोजक श्री मनोज शास्त्री, प्राचार्य डाॅ0 सप्तर्षि मिश्र, जीवन संचेतना मासिक के सम्पादक डाॅ0 विजय मिश्र, गुरुकुल पदाधिकारी श्रीमती शशि खन्ना, प्रधानाचार्य डाॅ0 शेष कुमार शर्मा, श्री राजेश गम्भीर, श्री रवीन्द्र गाँधी, श्री बल्देव दास आदि मौजूद रहे।