पितरों की कृपा-प्रसन्नता के लिये करें पौष अमावस्या पर पितृपूजन
पितरों की कृपा-प्रसन्नता के लिये करें पौष अमावस्या पर पितृपूजन
02 जनवरी, 2022 रविवार को पौष अमावस्या है। यह नववर्ष 2022 की प्रथम अमावस्या है। वर्ष भर पितरों की कृपा प्रसन्नता प्राप्ति के लिये इस अमावस्या का विशेष महत्व है। ऋषियों-मनीषियों के देश भारतवर्ष में प्रत्येक वर्ष, महीना, पक्ष एवं दिन का अपना बहुत ही विशेष महत्व होता है। प्रकृति के परिर्वतन का इन सब पर अपना प्रभाव देखने को मिलता है। जिसका अनुभव प्रकृतिप्रेमी ऋषियों ने बहुत ही गहराई के साथ शरीर, मन, आत्मा पर होने वाले असर को अपनी अन्तस्तल की दिव्यता से समझा है। उनके अनुसार कई बार मनुष्य के जीवन में अचानक अनचाहे दृश्य उपस्थित होते हैं जिनके कारण मन के कमजोर होने से कुछ ऐसी क्रियाएं हो जाती हैं जिन्हें कोई समझ नहीं पाता है किन्तु उनके परिणाम बहुत ही कष्टदायी होते हैं। किसी भी क्षण हमारा कुछ भी अनिष्ट न हो इसलिये मन को सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर बनाए रखने हेतु पवित्र नदियों में स्नान, तीर्थों की यात्र, दान, सेवा-सहायता, यज्ञ, भजन, तप, साधु-सन्तों का संग, गुरु की शरण, धार्मिक ग्रन्थों का स्वाध्याय, माता-पिता का सम्मान, गरीबों पर दया एवं देव-पितरों का पूजन जैसे बहुत से साधन निर्देशित किए गए हैं। ज्योतिष के अनुसार पितृदोष, विषदोष, मंगली दोष, सन्तान हीनता, वैधव्य, दारिद्रड्ढ, धूर्त, पति-पत्नी कलह आदि भयंकर दोषों का कारण व्यक्ति के अपने अमर्यादित कर्म ही होते हैं, जिनसे मुक्ति प्राप्त करने के लिये धर्म का आचरण ही औषधि का कार्य करता है। धर्म का अुनसरण करने से पिछले दुष्कर्मों का प्रायश्चित होकर मन में पवित्रता का संचार होता है।
02 जनवरी, 2022 रविवार को पौष अमावस्या के पुण्य पर्व पर परमपूज्य सद्गुरुदेव की कृपा से आप सभी की धार्मिक निष्ठा की पूर्ति में समर्पित ‘‘युगऋषि पूजा एवं अनुष्ठान केन्द्र’’ द्वारा अमावस्या पर किए जाने वाले मन्त्रनुष्ठानों का लाभ प्राप्त करके अपने जीवन को धन्य बनाएं।
मन्त्र, पाठ एवं अनुष्ठान विवरण