दिव्य कुंभ-भव्य कुंभ प्रयागराज में ओ०डी०ओ०पी० कैंप में आयोजित संस्कार

ODOP Camp Kumbh-Prayagraj | Sudhanshu Ji Maharajबीती 7 फ़रवरी को दिव्य कुंभ-भव्य कुंभ प्रयागराज में ओ०डी०ओ०पी० कैंप में आयोजित संस्कार,शिक्षा और उद्यम-नयी संभावनाएं विषय पर संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि विश्व जागृति मिशन के संस्थापक विश्वविख्यात आध्यात्मवेत्ता, श्रेष्ठ चिंतक, विचारक परम पूज्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि संस्कार अपने माता-पिता से प्राप्त हुआ करते हैं। श्रेष्ठ संस्कार प्राप्त कर बालकों का सर्वतोमुखी विकास होता है। वृद्धावस्था में ऐसे बालक ही माता-पिता की सेवा करते हैं। आज समाज में कुरीतियां बढ़ रही हैं, जिन पर अंकुश लगाने के लिए जीवन में संस्कारों की परम आवश्यकता है। श्रद्धेय महाराज जी ने कहा कि हमारा मिशन बालकों को स्कूली शिक्षा के साथ ही संस्कार शिक्षा पर विशेष ध्यान दें रहा है।

सदगुरु श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि आदिवासी समाज के जिन बच्चों के माता-पिता जीवित नहीं हैं और उन्हें जीविकोपार्जन के लिए जगह-जगह भटकना पड़ता है ऐसे बालकों के लिए झारखंड एवं हरियाणा में देवदूत बाल सेवाश्रम के माध्यम से शिक्षा प्रदान की जाती है। उन बालकों को उद्यमपरक शिक्षा भी दी जाती है जिससे वह अपनी जिंदगी आनन्द पूर्वक व्यतीत कर सकें।
एक उदाहरण देते हुए महाराजश्री ने कहा कि सबसे अच्छा फूल कौन होता है? किसी ने गुलाब किसी ने गेंदा तो किसी ने कमल आदि आदि बताया। गुरुदेव ने कहा कि यह जवाब सुनकर मैंने कहा कि कपास का फूल सबसे अच्छा होता है, क्योंकि इस फूल से लज्जा का निवारण होता है और यह फूल बहुत उपयोगी है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति न्यायमूर्ति श्री गिरिधर मालवीय ने पूज्य महाराजश्री के उद्बोधन की बहुत सराहना की।

उ०प्र० सरकार में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग के कैबिनेट मंत्री श्री सत्यदेव पचौरी ने पूज्य महाराजश्री का अभिनंदन किया। उन्होंने विश्व जागृति मिशन के कार्यक्रमों को सराहा।

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