ध्यान-योग कक्षा में सुधांशु जी महाराज बोले
देहरादून, 29 सितम्बर। ध्यान एक उच्च स्तर की साधना है। इसके जरिये मानव की आन्तरिक शक्तियों को जागृत किया जाता है। इससे शरीर, मन व आत्मा तीनों को स्वस्थ किया जाना सम्भव है। ध्यान के माध्यम से विकसित शक्ति को केन्द्रित करके उसका नियोजन सकारात्मक दिशा में किया जाए तो उस शक्ति का प्रवाह कई गुना बढ़ जाता है। हमारा आहवान है कि देवभूमि उत्तराखण्डवासी इस ऋषि प्रणीत विधा का महत्व समझें और न केवल इसे स्वयं अपनाएँ बल्कि इसे अंगीकार कर इसका लाभ अन्यों तक भी पहुंचायें।
यह उदगार आज प्रातःकाल द्रोणनगरी के परेड ग्राउंड में चल रहे विराट भक्ति सत्संग मंच से सन्तश्री सुधांशु जी महाराज ने व्यक्त किये। कार्यक्रम का आयोजन विश्व जागृति मिशन देहरादून मण्डल द्वारा किया गया है। आज तीसरे दिवस पूर्वाह्नकालीन सत्र में उन्होंने ध्यान की गंगा में हजारों स्त्री-पुरुषों को डुबकी लगवाई। उन्होंने प्रार्थना की सामर्थ्य से भी लोगों को परिचित कराया और उसे नर व नारायण के बीच का महत्वपूर्ण सेतु बताया। कहा कि निःशब्द प्रार्थना सबसे पहले सुनी जाती है। उन्होंने प्राणायाम की विविध विधियाँ ध्यान-साधकों को सिखलाईं और बताया कि शवांस और प्रश्वांस का स्वस्थ जीवन के लिए बड़ा ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने अनुलोम, विलोम, प्राणायाम, भ्रामरी, उद्गीत ध्यान आदि का व्यावहारिक प्रक्षिक्षण भी उपस्थितजनों को दिया।
आयोजन समिति के संयोजक श्री मनोज शास्त्री ने बताया कि कल रविवार को सामूहिक मन्त्र दीक्षा मध्यान्ह 12 बजे से होगी। उन्होंने कार्यक्रम स्थल पर लगे स्वास्थ्य शिविर का लाभ लेने की अपील सभी से की। उल्लेखनीय है कि इस हेल्थ कैंप में क्वांटम एनालाइजर मशीन से पूरे शरीर के परीक्षण की भी व्यवस्था है, साथ ही नाड़ी विशेषज्ञ द्वारा नाड़ी देखकर भी लोगों को आयुर्वेदिक व प्राकृतिक चिकित्सकीय परामर्श दिया जा रहा है।