परमात्मा के प्रेम में जीने वालों का ही जीवन सार्थक होता है

ईश्वर से जुड़ने पर प्राप्त होती है शान्ति व आनन्द

पुणे में ध्यानगुरु डॉक्टर अर्चिका दीदी ने कहा

Virat Bhakti Satsang Pune 23 Feb 19 | Dr. Archika Didiपुणे, 23 फरवरी (सायं)। विश्व जागृति मिशन के तत्वावधान में चल रहे विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के चतुर्थ दिवस की सन्ध्याकाल सम्पन्न अमृत वर्षा कार्यक्रम में मिशन की उपाध्यक्ष ध्यानगुरु डॉ. अर्चिका दीदी ने कहा कि जीवन उसी व्यक्ति का सार्थक है जो परमात्मा के प्रेम में जीता है। यह प्रेम रंग सदगुरु से मिलता है। उन्होंने कहा कि प्रेमपूर्ण व्यक्ति प्राणिमात्र के प्रति संवेदनशील होता है। वह जड़ में, चेतन में, सर्वत्र अपने प्रभु को ही देखता है। उसे प्रभु के नाम जप में रस आने लगता है।

डॉ. अर्चिका दीदी ने श्रीमद्भवतगीता के महत्वपूर्ण प्रसंग उद्घृत किये और कहा कि जिस तरह मानव को बर्फ से शीतलता, अग्नि से उष्णता मिलती है उसी तरह परमात्मा से जुड़ने पर उसे शान्ति और आनन्द मिलता है। डॉक्टर दीदी ने कहा कि भक्ति बाहरी विषय नहीं है वह तो आन्तरिक विषय है। शरीर के साथ मन भी जुड़ जाए तो सोने में सुहागा की स्थिति बन जाती है।

डॉ. अर्चिका दीदी ने अहंकार को आध्यात्मिक प्रगति में सबसे बड़ी बाधा बताया और कहा कि आदमी अहंकार को जितना-जितना छांटता जाता है, उसका भक्ति का मार्ग उतना ही आसान होता जाता है। उन्होंने धन्यवादी बनने की प्रेरणा सभी को दी और कहा कि सच्चा व्यक्ति शिकायती नहीं बल्कि धन्यवादी होता है। इसलिए परमात्मा की अनन्त देनों को बार-बार स्मरण करना चाहिए। इससे भक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है और व्यक्ति लगातार ऊपर उठता चला जाता है।

मंच का संचालन करते हुए आनन्दधाम नई दिल्ली से आये आचार्य अनिल झा ने मिशन की गतिविधियों की जानकारी उपस्थित जनसमुदाय को दी। विश्व जागृति मिशन पुणे मण्डल के प्रधान श्री घनश्याम झंवर, महासचिव श्री विष्णु भगवान अग्रवाल, उपाध्यक्ष श्री गणेश कामठे, संगठन मन्त्री श्री रवीन्द्र नाथ द्विवेदी आदि ने ध्यानगुरु डॉ. अर्चिका दीदी का नागरिक अभिनन्दन किया।

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