दुनिया के पीछे भागने से दुनिया आपसे दूर भागती है और ईश्वर से जुड़ जाने पर वही दुनिया आपके पीछे दौड़ती है
”प्रभु मेरे जीवन को कुन्दन बना दो, कोई खोट इसमें रहने न पाए”
विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का प्रथम दिवस
सूरत, 09 जनवरी (सायं)। विश्व जागृति मिशन के सूरत मण्डल द्वारा यहाँ रामलीला मैदान में आयोजित चार दिनी विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के प्रथम दिवस की सन्ध्या दिव्य भजनों तथा योगासनों की प्रस्तुतियों से सजी थी। नयी दिल्ली स्थित मिशन मुख्यालय आनन्दधाम से आए संगीत दल द्वारा प्रस्तुत भजनों तथा देव संस्कृति विश्वविद्यालय शान्तिकुंज हरिद्वार से उच्च शिक्षा प्राप्त योगाचार्य अतुल कुमार से प्रशिक्षण पाए बालाश्रम के बाल-योगियों की योग प्रस्तुतियों को देखकर समस्त जनमानस भावविभोर हो उठा। इस मौके पर हरिद्वार विश्वविद्यालय के अन्य योगगुरु आचार्य पंकज महाराज भी उपस्थित रहे।
बाल-योगियों एवं उनके योग शिक्षक की सराहना करते हुए मिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि योग विज्ञान इन दिनों पूरे विश्व में अपने पैर पसार रहा है। योग विज्ञान ने युवाओं के लिए रोजगार के अनेक अवसर प्रदान किये हैं। उन्होंने बालाश्रम की सक्रिय गतिविधियों के लिए स्थानीय विजामि मण्डल प्रधान श्री गोविन्द डांगरा सहित यहाँ के समस्त कार्यकर्ताओं, विशेष रूप से धर्माचार्य आचार्य श्री राम कुमार पाठक के प्रयासों की सराहना की।
श्रीमदभगवदगीता विषय पर आध्यात्मिक सन्देश देते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि सत्संग, प्रार्थना, भजन, नाम-स्मरण आदि मानव की आत्मा को विशुद्ध बनाते हैं। उन्होंने सत्संग को शान्ति प्रदाता बताया और कहा कि आत्मोद्धार के लिए सत्संग और स्वाध्याय से नियमित रूप से अपने-आपको जोड़े रखना चाहिए। उन्होंने शास्त्र-सम्मत ज्ञान का सम्मान करने का आहवान सभी से किया। आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने गीता सन्देशों को आत्मसात करने की अपील की और कई उद्धरण देते हुए विशेष गीतोपदेश दिया।
मिशन प्रमुख ने कहा कि यह दुनिया बड़ी अजीब है। जब आप इसके पीछे भागते हैं तब यह आपसे दूर चलती जाती है और जब आप दुनिया से भागते हैं तथा ईश्वर से पीछे दौड़ते हैं तब वही दुनिया आपके पीछे दौड़ती है। कहा कि इसलिए समझदार व्यक्ति दुनिया से नहीं बल्कि परम पिता परमात्मा से स्वयं को जुड़ते हैं। जुड़ती दुनिया भी है लेकिन भगवान का प्रिय बनने पर ही वह मनुष्य का यह सम्मान करती है। उन्होंने संघर्षों से नहीं भागने की प्रेरणा उपस्थित जनसमुदाय को दी और कहा कि यह जीवन ही एक संग्राम है, इससे लड़े बिना अर्थात संघर्षों का सामना किये बिना आप सफल नहीं हो सकते। कहा कि आंधियों तथा सर्दी, गर्मी एवं बरसात को झेलने वाले पेड़ ही मज़बूत बनते हैं और सभी के काम आते हैं। श्रद्धेय महाराजश्री ने अनासक्त योग पर भी ज्ञान जिज्ञासुओं का मार्गदर्शन किया। उन्होंने ज़िम्मेदारीपूर्वक कर्तव्य निर्वहन करते हुए उनमें लिप्त नहीं होने के सूत्र सभी को सिखलाए।
Superb