ईश्वर सर्वज्ञ है और मनुष्य अल्पज्ञ
ज्ञान मार्ग पर चलकर बढ़ें परमेश्वर की ओर
ध्यान-योग की विशेष कक्षा में सन्त श्री सुधांशु जी महाराज के उद्गार
पीतमपुरा-नई दिल्ली,16 दिसम्बर (पूर्वाह्नकाल)।यहाँ रामलीला मैदान में १२ दिसम्बर से चल रहे श्रीमद् भागवत सत्संग समारोह के आखिरी दिन का पूर्वान्हकालीन सत्र ध्यान-योग कक्षा को समर्पित रहा। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के विभिन्न अंचलों से आये सैकड़ों स्त्री-पुरुषों ने इस विशेष सत्र का लाभ उठाया। विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक श्रद्धेय श्री सुधांशु जी महाराज ने ध्यान-जिज्ञासुओं से कहा कि ईश्वर ‘सर्वज्ञ’ है और मनुष्य ‘अल्पज्ञ’ है। कर्म के सिद्धांत का पालन करते हुए ज्ञान मार्ग पर चलकर प्रभु की उस सर्वज्ञता की ओर बढ़ा जा सकता है। श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि जब बुद्धि तमोगुणी होती है तब वह न केवल खुद तमोगुणी व्यक्ति का विनाश करती है बल्कि अन्य अनेकों के लिए भी हानिकर होती है। रजोगुण की प्रबलता वाले व्यक्ति चंचल स्वभाव के होते हैं और सतोगुणी व्यक्ति इहलोक व परलोक दोनों को संवार लेते हैं। सद्गुरु के सानिध्य एव मार्गदर्शन से मानव की बुद्धि सुबुद्धि में बदल जाती है और उसके जीवन में आमूल-चूल परिवर्तन हो जाता है।
ध्यान जिज्ञासुओं को ध्यान-योग के अनेक महत्वपूर्ण सूत्रों का सैद्धांतिक विवेचन करते हुए ध्यान-योग गुरु डॉ. अर्चिका दीदी ने उन्हें व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया। उन्होंने कहा कि व्यक्ति की भावना जैसी होती है वह वैसा ही बन जाता है। कहा- आपकी भावनाओं की तरंगें आपके पास ही वापस आती हैं और अच्छा या बुरा फल देती हैं। आपके कर्म एवं भावनाएं आपकी लगाई ऐसी फसल है, जो निःसन्देह आपको ही काटनी होगी। इसलिए महापुरुषों ने कहा है कि ”जैसा बोओगे-वैसा काटोगे”। उन्होंने स्वस्थ वृत्त का व्यावहारिक प्रशिक्षण सभी को दिया।
विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र में बताया कि श्रीमद भागवत सत्संग समारोह का समापन आज सायंकाल होगा। मध्यान्हकाल में सामूहिक मन्त्र दीक्षा का कार्यक्रम सम्पन्न होगा।