श्री सुधांशु जी महाराज ने बताए व्यक्तित्व विकास के सद्गुण
सूरत का विराट भक्ति सत्संग महोत्सव
सूरत, 11 जनवरी (पूर्वाह्न)। यहाँ कल शुरू हुए विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के द्वितीय दिवस के पूर्वाहनकालीन सत्र में सन्त श्री सुधांशु जी महाराज ने व्यक्तित्व विकास के सद्गुण उपस्थित जनसमुदाय को सिखाये। उन्होंने आत्म चिन्तन को इसका सही माध्यम बताया। कहा कि परमात्मा ने जो शक्तियाँ मानव को दी हैं, वह उनका समुचित उपयोग नहीं कर पाता। इसके लिए बुद्धि को धर्म से जोड़ने की आवश्यकता होती है। उन्होंने जीवन में सफलता की प्राप्ति के लिए अनेक महत्वपूर्ण सूत्र दिए। उन्होंने कहा धर्म को शुभ से जोड़े बिना शुभ लाभ की परिकल्पना सम्भव नहीं।
नई दिल्ली से आये श्री प्रयाग शास्त्री ने बताया कि सत्संग स्थल पर लगाये गए एक दर्जन से अधिक स्टालों के जरिये जनसेवा के कार्यों की जानकारी जनमानस को दी जा रही है। उन्होंने बताया कि देवदूत (अनाथ) शिक्षा सेवा, युगऋषि आयर्वेद सेवा, साहित्य सेवा, धर्मादा सेवा, वृद्धजन सेवा, गौसेवा, करुणा सिन्धु अस्पताल, तीर्थयात्रा सेवा आदि के स्टॉल लगाए गए हैं। सूरत में सेवारत बालाश्रम के काउण्टर पर आमजन सम्पर्क कर देवदूत (अनाथ) बच्चों को शिक्षित बनाने में सहयोगी बनने की जानकारी प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने युगऋषि आयुर्वेद के माध्यम से जीवन को निरोग बनाने के बारे में बताया और कहा कि सत्संग स्थल पर एक स्वास्थ्य शिविर भी लगाया गया है, जहाँ नाड़ी वैद्य डॉ. विवेक बाथम आगुन्तकों को चिकित्सा परामर्श दे रहे हैं।
सत्संग समारोह का समापन १३ जनवरी को सायंकाल होगा।