जिनके सिर पर गंगा बिराजती है उन शिव की गहें शरण और करें निज कल्याण

गुरु प्रेरणा से करेंगे राष्ट्र निर्माण के विविध कार्य

पुणेनगरी में उभरे विजामि स्वयंसेवकों के संकल्प

पूना का गुरुपूर्णिमा पर्व समारोह सम्पन्न

Guru-Purnima-Pune-28-Jun-19 | Sudhanshu Ji Maharajपुणे, 28 जून। गुरुतत्व में असीम गहराई है, गुरु अन्धकार से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाने में सक्षम हैं, गुरुदेव से जुड़कर और उनका आदेशानुपालन कर साधारण व्यक्ति भी असाधारण व्यक्तित्व का स्वामी बन जाता है, गुरु धरती पर परमात्मा के स्थूल प्रतिनिधि हैं, गुरुमुख होना जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य है; इन तथ्यों पर विचार कर आज महाराष्ट्र की तीर्थनगरी पुणे के गणेश क्रीडा रंगमंच के आडिटोरियम में कई हजार स्त्री-पुरुषों ने गुरु प्रेरणाओं का पालन कर राष्ट्र निर्माण के, देश सेवा के विविध कार्य करने का संकल्प लिया।

पूना के नेहरू स्टेडियम स्वारगेट स्थित गणेश क्रीडा रंगमंच के विशालकाय प्रेक्षागृह में विश्व जागृति मिशन के पुणे मण्डल के तत्वावधान में आयोजित गुरुपूर्णिमा समारोह में भारी संख्या में मौजूद शिष्य-साधकों को सम्बोधित करते हुए मिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि गुरु अनुशासन का नाम है, मर्यादा का नाम है। यह अनुशासन व मर्यादा हमारे दैनिक जीवन में उतरने चाहिए। हमारी दिनचर्या, हमारी वाणी, जब हमारे कर्म-कर्तव्य सभी में इन मर्यादा के दर्शन होते हैं तब ईश्वरीय सत्ता को भी बड़ा सुख मिलता है। गुरुसत्ता वस्तुतः ईशसत्ता का कार्य करने के लिए धरती पर आती है, उन्हें सुख पहुंचाने और आदर की भावना पहुंचाने का यही एकमात्र मार्ग है।

श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि इसके लिए आवश्यक है कि हमारा शरीर स्वस्थ और आत्मा बलिष्ठ रहे। इसके लिए उन्होंने गुरु मन्त्र का निष्ठापूर्वक जप करने की प्रेरणा दी और कहा कि जिनके सिर पर से गंगा प्रवाहित होती है, उन सदाशिव से अपने-आपको जोड़ें। शरीर साधना के लिए उन्होंने प्रातःकालीन सैर और ध्यान-प्राणायाम करने का नियम पालन करने को कहा, वहीं अपने खान-पान, रहन-सहन और आहार-विहार पर विशेष ध्यान करने की प्रेरणायें दीं। श्री सुधांशु जी महाराज ने आयुर्वेद को पंचम-वेद बताया और कहा कि युगऋषि आयुर्वेद के जरिये, उसके उत्पादों का सेवन करके घर व जीवन में बीमारियों के प्रवेश को रोका जा सकता है।

गुरुपूर्णिमा पूर्व के इस विशिष्ट समारोह में गुरु-पाद-पूजन और सामूहिक गुरु प्रणाम का दृश्य बड़ा ही अनूठा था। पुणे सहित महाराष्ट्र के विभिन्न अंचलों से आये शिष्य-साधकों की एक अनूठी भाव-गंगा गणेश क्रीडा रंगमंच परिसर में प्रवाहित हो उठी। विश्व जागृति मिशन पुणे मण्डल के प्रधान श्री घनश्याम झंवर के विदाई उदबोधन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। समस्त कार्यक्रमों का मंचीय समन्वय व संचालन नयी दिल्ली से आए मिशन निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया।

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