द्वेषरहित-प्रेम-करुणा-सेवाभावी परमेश्वर को प्रिय हैं | सुधांशु जी महाराज | हैदराबाद | 3 जनवरी | 2019

द्वेषरहित, प्रेम व करुणा से पूरित, सेवाभावी व्यक्ति परमेश्वर को सर्वथा प्रिय हैं

हीरानगरी हैदराबाद में श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा

“हे जग पिता हे जग प्रभू मुझे अपने नाम का दान दो”

विश्व जागृति मिशन का सन् 2019 का पहला कार्यक्रम दक्षिण भारत में

हैदराबाद में विराट् भक्ति सत्संग का हुआ श्रीगणेश

हैदराबाद, 03 जनवरी। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की संयुक्त राजधानी हैदराबाद में विश्व जागृति मिशन का विराट् भक्ति सत्संग महोत्सव आज सन्ध्याकाल शुरू हो गया। सन 2019 के प्रथम विशाल कार्यक्रम को सम्बोधित करने मिशन प्रमुख सन्तश्री सुधांशु जी महाराज आज मध्यान्हकाल नई दिल्ली से हैदराबाद पहुँचे। यहाँ नामपल्ली क्षेत्र स्थित ललित कला तोरणम् के विशालकाय प्रांगण में सत्संग का लाभ उठाने भारी संख्या में ज्ञान-जिज्ञासु पहुँचे। सत्संग समारोह में श्री स्वामि नारायण सम्प्रदाय के सन्तों सहित दक्षिण भारत की अनेक आध्यात्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

विश्व जागृति मिशन के अन्तरराष्ट्रीय प्रधान श्री प्रेम सिंह राठौर ने सर्वप्रथम उपस्थित जनसमुदाय की ओर से आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज का माल्यार्पण कर भावभीना अभिनंदन किया। इसके पूर्व श्री राठौर एवं मिशन के महामन्त्री श्री देवराज कटारिया ने विद्वान आचार्यों द्वारा वेदमंत्रोच्चार के बीच वैदिक रीति से व्यास पूजन किया।

सत्संग के उदघाटन सत्र में सन्त श्री सुधांशु जी महाराज ने उपस्थित जन-समुदाय को सम्बोधित करते हुएकहा कि मनुष्य ने जब से इस धरती पर क़दम रखे, तब से उसने ईश प्रार्थना की है। मनुष्य ससीम है लेकिन परमात्मा असीम है। दुनिया के सभी मजहबों व सम्प्रदायों में अपने प्राणप्रिय परमात्मा की प्रार्थना का विधान है। उन्होंने “हे जगपिता हे जगप्रभू मुझे अपने नाम का दान दो” प्रार्थना गीत का संगीतबद्ध समूह-गायन स्वयं कराया, जिससे ललित कला केन्द्र का पूरा परिसर अनूठे दिव्य भावों से भर उठा।

श्री सुधांशु जी महाराज ने हैदराबाद को देश की ऐतिहासिक नगरी बताया। कहा कि हमारी संस्कृति राम और कृष्ण की रही है। करोड़ों-अरबों के आराध्य श्रीराम ने आचार व विचार तथा मर्यादा की संस्कृति राष्ट्र-विश्व को दी, वहीं जीवन दर्शन एवं जीवन जीने की कला गीतानायक श्रीकृष्ण ने मानव समाज को प्रदान की। एक माली-किसान द्वारा वृक्षारोपण करते समय एक राजा द्वारा भेष बदलकर उससे किये गए सवाल और माली द्वारा उत्तर दिए जाने की इतिहास-घटना का जिक्र करते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने देशवासियों का आहवान किया कि पिछली पीढ़ियों द्वारा रोपी गई वाटिकाओं के फलों-फूलों का जिस तरह हमने उपभोग किया है उसी तरह हम ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण करके भावी पीढ़ियों को स्वस्थ पर्यावरण एवं समृद्ध प्रकृति की सतत् विरासत की श्रृंखला देते रहें।

मिशन प्रमुख ने आध्यात्मिक एवं पारमार्थिक दोनों स्तंभों को सुदृढ़ बनाने की अपील सभी से की। उन्होंने कहा कि प्रेमपूर्ण हृदय वाले, द्वेष रहित, मैत्री भाव से परिपूर्ण, करुणापूरित हृदय और समाज के प्रति सेवा भाव वाले व्यक्ति परमात्मा को अतिप्रिय होते हैं।

विश्व जागृति मिशन के हैदराबाद मण्डल के महामंत्री श्री आनन्द श्रीवास्तव ने बताया कि सत्संग समारोह का समापन 06 जनवरी की सायंकाल होगा। उन्होंने बताया कि सत्संग स्थल पर कल शुक्रवार एवं शनिवार को केवल सायंकालीन सत्र ही सम्पन्न होगा, जो ४ से ६ बजे तक चलेगा। शनिवार को प्रातःकालीन सत्र नारसिंगी में स्थित मिशन के अमृतधाम आश्रम में प्रातः10 बजे से आरम्भ होगा। रविवार को प्रातः 07 से 09 बजे ध्यान साधना इसी सत्संग स्थल पर सम्पन्न होगी। उन्होंने बताया कि उस दिन पूर्वाहनकॉल 10 बजे से सामूहिक मन्त्र दीक्षा का आयोजन किया गया है। विदाई व समापन सत्र रविवार को अपराह्न 04 बजे शुरू होगा तथा सायंकाल 06 बजे सत्संग महोत्सव का समापन होगा।

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