सन्तश्री सुधांशु जी महाराज ने सप्तचक्रों के ज्ञान-विज्ञान पर की विशेष चर्चा
कई सौ स्वास्थ्य-जिज्ञासुओं ने ध्यान-योग की कक्षा का लाभ उठाया
वरदानलोक-थाणे-मुम्बई, 08 दिसम्बर (पूर्वाह्न)। महाराष्ट्र की थाणे नगरी के ग्रामीण अंचल से देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई सहित महाराष्ट्र के बड़े क्षेत्र में आध्यात्मिक पुण्य-प्रकाश विकेर रहे वरदान लोक आश्रम में आज पूर्वाह्नकाल की कक्षा ध्यान-योग को समर्पित रही। इस अदभूत सत्र का लाभ सैकड़ों स्वास्थ्य-जिज्ञासुओं ने उठाया। मिशन प्रमुख आचार्य सुधांशु जी महाराज ने थाणे, मुम्बई एवं उल्लाहसनगर के विभिन्न अंचलों से भारी संख्या में पधारे स्त्री-पुरुषों के बीच मानव काया में विद्यमान सप्तचक्रों के ज्ञान-विज्ञान पर विशेष चर्चा की। बताया कि प्रबल कुण्डलिनी शक्ति वाले मनुष्यों में अदभुत नेतृत्व क्षमता होती है। जिनका मणिपूर चक्र कमज़ोर होता है वे लोग डरपोक होते हैं, वे अक्सर भयग्रस्त एवं निराश देखे जाते हैं। इसी तरह उन्होंने सभी चक्रों की प्रबलता और न्यूनता के लाभों और हानियों का ज़िक्र किया। कहा कि इस ब्रह्माण्ड में परमात्मा की अपार शक्तियाँ विद्यमान हैं। ‘यत्पिंडे तत्र ब्रह्माण्डे’ की व्याख्या करते हुये उन्होंने कहा कि ध्यान के माध्यम से व्यक्ति ब्रह्माण्डव्यापी उन्हीं शक्तियों को आकर्षित करके अपने में धारण करता है। इसी से नर और नारायण की एकात्मता को सजीव व सार्थक होते देखा जा सकता है।
श्री सुधांशु जी महाराज ने विचारों और भावनाओं के बीच के सूक्ष्म (महीन) अन्तर का वर्णन किया और बताया कि विचारों और भावनाओं के संयुक्तीकरण से विशेष भाव-तरंगें निकलती है और प्रवाहित होकर वहाँ तक पहुँचती हैं, जिनके बारे में आप भावनाएँ व्यक्त कर रहे होते हैं। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन 60,000 विचार व्यक्ति के मस्तिष्क में उठते हैं, श्रेष्ठ भावनाओं के ज़रिए उनमें से कल्याणकारी विचारों से अपना तथा अन्यों का कल्याण करने की उन्होंने सभी को सलाह दी। श्रद्धेय महाराजश्री ने कहा कि इसी तरह ऋषियों द्वारा गहन साधना से निर्मित व विकसित मन्त्रों की शक्ति आपकी श्रद्धा एवं भावना की शक्ति से संयुक्त होकर देव शक्तियों की कृपा एवं उनके संरक्षण को आकर्षित करके लाती है और उसका लाभ साधक को मिलता है।
मिशन प्रमुख ने इस ब्रह्माण्ड में बहुत बड़ी मात्रा में व्याप्त ऊर्जाओं को इस विधा के द्वारा ग्रहण करने, धारण करने एवं विकसित करने की आध्यात्मिक-वैज्ञानिक कला उपस्थित जन-समुदाय को सिखाई। उन्होंने गायत्री महामन्त्र की वैज्ञानिकता से सभी को परिचित कराया और कहा कि इसके माध्यम से सूर्य शक्ति से जुड़े रहें। मिशन प्रमुख ने ध्यान-योग के आसनों का व्यावहारिक प्रशिक्षण भी ध्यान-जिज्ञासु स्त्री-पुरुषों को दिया।
इस अवसर पर श्रीमती मिलन एस राणे, श्रीमती अरुणा भावसार एवं श्री नारायण भावसार ने मंच पर पहुँचकर श्री सुधांशु जी महाराज का अभिनंदन किया। उन्होंने अनाथ बच्चों की शिक्षा में स्वयं सहयोग देकर सभी से देशहित के इस कार्य में सहयोगी बनने का आग्रह उपस्थित जनसमुदाय से किया। आनन्दधाम नई दिल्ली से आए श्री जीसी जोशी ने धर्मादा की नौ सेवाओं की जानकारी सत्संग-प्रेमियों को दी और बताया कि शिक्षा सेवा, स्वास्थ्य सेवा, गौ सेवा एवं वृद्धजन सेवा आदि के कार्यक्रम विश्व जागृति मिशन परिवार द्वारा चलाए जा रहे हैं। युगऋषि आयुर्वेद के राष्ट्रीय मार्केटिंग प्रमुख श्री प्रयाग शास्त्री के मार्गदर्शन में सत्संग स्थल पर लगे स्टालों का लाभ महाराष्ट्रवासी प्राप्त कर रहे हैं।
इस अवसर पर नव ईसवी वर्ष 2019 की दिव्य नव जीवन डायरी तथा पंचांग (कैलेण्डर) का भी विमोचन श्रद्धेय महाराजश्री द्वारा किया गया। इनको बड़ा ज्ञानपरक एवं जानकारीपरक बनाया गया है।
सत्संग समारोह का मंचीय समन्वयन व संचालन नयी दिल्ली से आए मिशन निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया। इस अवसर पर विश्व जागृति मिशन मुम्बई मण्डल के प्रधान श्री एसएस अग्रवाल, करनाल (हरियाणा) मण्डल के प्रधान श्री राजेन्द्र भारती एवं गोवा से आयी आध्यात्मिक महिला शान्ता माता सहित भारी संख्या में सुधी श्रोतागण उपस्थित रहे।
Very nice jai gurudev ke charno
Me koti koti pranam
Mai apne ap ko miss kar raha hu
Haridwar ki yatra pe hu
Kal ashram me ajauga