गुरु से जुड़ाव यानी सत्य सिद्धान्तों से जुड़ाव
नेताजी शब्द सुभाष चन्द्र बोस के साथ ही अच्छा लगता है
”हे नाथ अब तो ऐसी दया हो जीवन निरर्थक जाने न पाए”
विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का तीसरा दिन
पुणे, 22 फरवरी (सायं)। विश्व जागृति मिशन द्वारा यहाँ आयोजित पंचदिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के तीसरे दिवस की सन्ध्या गुरु-शिष्य माहात्म्य को समर्पित रही। मिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज की चल रही व्याख्यानमाला में आज शाम देवभूमि भारतवर्ष के महान गुरुओं और स्वनामधन्य शिष्यों की चर्चा विस्तार से की गई। गुरु से शिष्य के जुड़ाव को उन्होंने सत्य-सिद्धांतों से जुड़ाव की संज्ञा दी।
इस अवसर पर श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि गुरु का अपने शिष्य के प्रति प्रेम किसी भी माता-पिता से कम नहीं होता। गुरु शिष्य के प्रति कठोर दिखता है लेकिन रामराज्य काल में अयोध्या से वन को जाने के बाद माता जानकी द्वारा दो पुत्रों लव और कुश को जन्म देने, कठोरता के साथ उनका लालन-पालन करने की इतिहास घटना सुनाते हुए उन्होंने अपने बच्चों को मुश्किलों व कठिनाइयों से रूबरू कराने की प्रेरणा सभी को दी। उन्होंने दुनिया से ऊपर उठकर कमल-पत्रवत् जीवन जीने को कहा।
भारत की ग्रामीण संस्कृति में ढेरों परिवर्तनों के बाद भी अनेक अच्छाइयाँ बताते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि शहरों में गायों को सड़कों पर लावारिस घूमते हुए और कुत्तों को प्यार के साथ बच्चे की भाँति घुमाते हुए देखकर ग्रामीण जन-मन को बेहद अचरज होता है। वह ग्रामीण सोचता है कि हमारे गाँव में कुत्ते आवारा घूमते हैं और गायों को सुरक्षित रखकर उनकी सेवा की जाती है। उन्होंने भारतीय ग्रामीण संस्कृति को अनुकरणीय बताया।
नई दिल्ली से आये मिशन के धर्मादा अधिकारी श्री जी.सी.जोशी ने बताया कि विश्व जागृति मिशन द्वारा नौ धर्मादा सेवाओं को विस्तार दिया जा रहा है, जिनमें स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा सेवा, वृद्धाश्रम-वानप्रस्थ सेवा, प्राकृतिक आपदा प्रबंधन सेवा, गौ पालन-गौ संवर्धन सेवा, योग-साधना सेवा, सत्संग सेवा एवं भंडारा सेवा आदि सम्मिलित हैं।
सत्संग महोत्सव के मंचीय समन्वयक एवं संचालक श्री राम महेश मिश्र ने बताया कि कार्यक्रम का समापन रविवार को सन्ध्याकाल होगा।