अपना समय, शक्ति, धन एवं बुद्धिमत्ता राष्ट्रनिर्माण और विश्वहित में लगाएँ
पंचकुला-हरियाणा। आगामी 27 जुलाई को पावन गुरुपूर्णिमा महापर्व की पूर्व वेला में देश के प्रमुख महानगरों में आहूत गुरुपूर्णिमा महोत्सवों की शृंखला में आज शनिवार के पूर्वांहक़ाल में पंचकुला में विशेष समारोह सम्पन्न हुआ। विश्व जागृति मिशन के चण्डीगढ़-पंचकुला मण्डल द्वारा आयोजित इस समारोह में भाग लेने नयी दिल्ली से मिशन प्रमुख श्रद्धेय आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज पहुँचे। कार्यक्रम में हरियाणा, पंजाब एवं संघशासित राज्य चण्डीगढ़ प्रान्तों के हज़ारों मिशन साधकों ने सहभागिता की।
इस अवसर पर सन्तश्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि गुरुपूर्णिमा पर्व शिष्यों के भीतर श्रद्धा, आस्था एवं विश्वास के नए-नए बीज रोपने और उन्हें खाद-पानी देने के लिए आता है। इसके ज़रिए साधक-शिष्यों की क्षमताओं को और अधिक बढ़ाकर उनका नियोजन समाज और राष्ट्र के हित में करने के बहुविधि प्रेरणाएँ दी जाती हैं। उन्होंने अपना समय, धन, ज्ञान यानी बुद्धि को भगवान के खेत में बो देने को कहा। उन्होंने आश्वस्त किया कि ऐसा करने से किसान को एक बीज के बदले सौ-सौ दाने मिलने की भाँति बोयी गयी चीज़ का अनेक गुना वापस मिलना सुनिश्चित है। उन्होंने नौ तरह की धर्मादा सेवाओं की भी चर्चा की और बताया कि ये सेवाएँ विजामि द्वारा चलायी जा रही हैं। उन्होंने धर्मादा को ऋषि-राष्ट्र भारतवर्ष की महाशक्ति बताया। उन्होंने देशवासियों का आह्वान किया कि इस ताक़त को समाप्त होने से बचाएँ।
श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि सदगुरु इस धरती पर प्रभु परमेश्वर के स्थूल प्रतिनिधि होते हैं। शिष्यों द्वारा अपना समय, ज्ञान, सम्पत्ति शक्ति, बुद्धिमत्ता आदि को गुरुद्वारे के माध्यम से समाज कार्य में लगाने से न केवल अपना कल्याण होता है, बल्कि ऐसा करने से परिवार, पड़ोस, समाज, राष्ट्र सभी के दूरगामी हित सधते हैं। उन्होंने शरीर से दी जाने वाली सेवाओं के अलावा अपने धन का और मन का दसवाँ अंश समाज सेवा में लगाने की प्रेरणा सभी उपस्थितजनों की दी।
सदगुरु महाराज ने अपने मन का १०वाँ अंश भगवान के ध्यान में लगाने को कहा। प्रार्थना में अपनी ग़लतियों की माफ़ी माँगने की राय दी। कहा- इससे साधक के जीवन-परिवार में गुरु का पहरा बैठ जाता है और उसके प्रारब्ध कटते हैं, कम होते हैं। उन्होंने सबका आह्वान किया कि साधना के बल पर भीतर की सहारा देने वाली ताक़त पैदा करो और उस शक्ति को लगातार बढ़ाओ। किसी दिन अपने मार्गदर्शक से दूर मत रहो। आप जब अन्दर से निर्मल होंगे, गुरु को सदैव साथ अनुभव करोगे। बताया कि सदगुरु के पीछे गुरुओं की परम्परा होती है, ईश्वरीय शक्तियाँ होती हैं। उनके ज़रिए पूरा का पूरा देव-मण्डल आपसे जुड़ता है।
श्री सुधांशु जी महाराज ने माता-पिता की ससम्मान सेवा को भगवान तक पहुँचने का सबसे बढ़िया माध्यम कहा। उन्होंने परिवारों की सुख-शान्ति के लिए तीनों पीढ़ियों में सामंजस्य व सन्तुलन बिठाने की सलाह देशवासियों को दी। कहा कि इससे हमारा समाज और राष्ट्र मज़बूत होगा।
आज का कार्यक्रम प्रेरक
भजनों से सज़ा था। आकाशवाणी व दूरदर्शन की कलाकार मीनाक्षी, केएल चुग, महेश सेनी ने भजन प्रस्तुत किए। मिशन मण्डल प्रधान श्री एस.के.गुप्ता एवं सहयोगियों ने गुरुपादपूजन किया। संचालन मिशन निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया।