श्रीमद्भगवदगीता व श्रीरामचरितमानस देते हैं जीवन को सद्शिक्षण

इस देश के कण-कण में बसते हैं श्रीकृष्ण और श्रीराम

जून 2020 में होगी शिव धाम कैलास मानसरोवर की यात्रा

जिला मजिस्ट्रेट कुमार अमित ने भी सुना सत्संग

Virat Bhakti Satsang-Patiala-30-11-2019 | Sudhanshu Ji Maharajपटियाला, 30 नवम्बर (प्रातः)। विश्व जागृति मिशन के पटियाला मण्डल के द्वारा आयोजित चार दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के तीसरे दिवस के पूर्वाह्नक़ालीन सत्र में मिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज का उदबोधन सुनने पटियाला के जिला मजिस्ट्रेट सह डिप्टी कमिश्नर श्री कुमार अमित समेत जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी भी नगर के वीर हकीकत राय ग्राउण्ड स्थित सत्संग सभा में पहुँचे। इस अवसर पर पंजाब के प्रख्यात गायक श्री सुरजीत कुमार ने भजनों के माध्यम से विश्व जागृति मिशन की सृजनधर्मी गतिविधियों पर प्रकाश डाला।

प्रातःकालीन सत्र में श्री सुधांशु जी महाराज ने अपने उदबोधन का श्रीगणेश वन्दना गीत ‘ॐ नमः शिवाय’ के साथ किया। इस अवसर पर उन्होंने श्रीकृष्ण के काल के बाद के भारतीय इतिहास की चर्चा की और बताया कि एक यूनानी विद्वान द्वारा श्रीकृष्ण और उनकी मथुरा का जिक्र यूनानी साहित्य में किया गया था। जिसमें मथुरा को मथौरा बताते हुए कृष्ण की चर्चा यह कहते हुए की गई है, कि श्रीकृष्ण का वहाँ बहुत बड़ा प्रभाव है और लोग उन्हें ईश्वर की भांति मानते हैं। उन्होंने कहा कि इस देश के माताओं-पिताओं ने अपने बच्चों का नामकरण कृष्ण और राम के नाम पर किया। श्रीकृष्ण और श्रीराम विश्व के इस विशाल भूभाग के कण-कण में बसते हैं। इसलिए श्रीमद्भगवदगीता और श्रीरामचरितमानस हजारों-हजार वर्षों से न केवल भारतवर्ष वरन पूरी दुनिया के सनातनी समाज का मार्गदर्शन कर रहे हैं।

श्री सुधांशु जी महाराज ने परमात्मा के अनूठे नियमों एवं देनों की चर्चा की। पूछा कि खारे जल वाले समुद्र के समीप मीठा जल देने वाला ‘नारियल’ प्रदान करने वाले परमेश्वर जैसी रचनाएँ क्या कोई मनुष्य कर सकता है? जहाँ मोटे अनाजों का अभाव है, हिमाचल आदि उन पर्वतीय अंचलों में ‘सेव’ जैसी चीजें उत्पन्न करने की योग्यता क्या किसी अन्य में है? सभी का जवाब ‘ना’ में होगा। उन्होंने कहा कि प्रभु के बनाए नियम अनूठे हैं, अनुपम हैं। इन नियमों को जानना व मानना ही ‘धर्म’ है और इनका उल्लंघन करना, इन्हें तोड़ना ही ‘अधर्म’ है। श्री सुधांशु जी महाराज ने ऐसा ‘धर्मी’ यानी ‘धार्मिक’ बनने का आहवान सभी से किया।

विश्व जागृति मिशन मुख्यालय आनन्दधाम नई दिल्ली से आये स्टॉल प्रभारी श्री प्रयाग शास्त्री ने बताया कि सत्संग सभा स्थल पर लगभग एक दर्जन स्टॉल लगाए गए हैं, जिनमें साहित्य, वृद्धजन सेवा, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा सेवा, गौ सेवा, कैलाश यात्रा, अनाथ शिक्षा सेवा, धर्मादा सेवा, गुरुकुल आदि के स्टॉल शामिल हैं।

अपना आपा खोकर प्रभु में लीन होकर ही परमात्मा को पाया जा सकता है

अपना आपा खोकर प्रभु में लीन होकर ही परमात्मा को पाया जा सकता है

मन्त्र जप की ताकत समझायी आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने

मेयर पटियाला श्री संजीव शर्मा ‘बिट्टू’ समेत कई गण्यमानों ने सुना सत्संग

”मौत हरदम सिरहाने खड़ी, याद कर ले घड़ी दो घड़ी”

विराट भक्ति सतसंग महोत्सव का दूसरा दिन

विराट भक्ति सतसंग महोत्सवपटियाला, 29 नवम्बर (सायं)। विश्व जागृति मिशन पटियाला मण्डल द्वारा आयोजित चार दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के दूसरे दिवस मिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने ज्ञान जिज्ञासुओं को सम्बोधित करते हुए मन्त्र-जप की ताकत समझाई। कहा कि मन्त्र का जप मनुष्य का सम्बन्ध परमात्मा से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम है। आत्मा और परमात्मा का यह जुड़ाव तब होता है, जब हम गहरे उतरते हैं और अपना आपा प्रभु में संविलीन कर देते हैं। उन्होंने इसे विभिन्न उदाहरणों के जरिये समझाया और कहा कि गुरुमन्त्र का जप व्यक्ति को चरम ऊँचाईयों पर प्रतिष्ठित कर देता है।

मिशन प्रमुख ने कहा कि जीवन में सुखी तभी हुआ जा सकता है जब हमारे साथ ईश्वरीय सत्ता का संरक्षण हो। उन्होंने एक माँ और उसके छोटे से बच्चे की कहानी सुनाते हुए कहा कि मेले में माँ से अलग हो जाने के बाद जिस तरह बच्चे को वे सभी चीजें बिल्कुल बेकार लगने लगती है, जिन्हें वह माँ की उंगली पकड़े दिलवा देने का बालहठ बार-बार कर रहा था। कहा कि प्रभु से दूर होने पर इस काया में बैठी आत्मा को दुनिया की वे कोई भी वस्तुएँ नहीं भातीं, जिन्हें पाने के लिए वह भाँति-भाँति के प्रयत्न किया करता था।उन्होंने एक भजन के माध्यम से विषय का प्रतिपादन किया तथा श्रोताओं को आध्यात्मिक जीवन जीते हुए पारलौकिक व लौकिक दोनों क्षेत्रों में आगे बढ़ने एवं ऊँचे उठने की प्रेरणाएँ दीं।

विराट भक्ति सतसंग महोत्सवमिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने विश्व जागृति मिशन के संगीत विभाग के कलाकार श्री चुन्नी लाल तंवर को आदरपूर्वक याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी। कहा कि मुरादाबाद के पूर्ववर्ती सत्संग महोत्सव में वह हमारे साथ थे, आज पटियाला के कार्यक्रम में उनके साज पर अन्य कलाकार सहयोगी बन रहे हैं। उन्होंने श्री तंवर के असमय देहावसान पर गहरा दुःख जताया।

सांध्यक़ालीन सत्संग सत्र की शुरुआत प्रेरणादायी दिव्य भजनों से हुई। जिससे सत्संग सभागार का वातावरण बड़ा ही मधुरिम हो उठा। नई दिल्ली स्थित विश्व जागृति मिशन मुख्यालय आनन्दधाम से आये सर्वश्री कश्मीरी लाल चुग, राम बिहारी एवं सुनीता समीजा ने कई भजन प्रस्तुत किये। वाद्य यंत्रों पर जिनका साथ श्री महेश सैनी, राहुल आनन्द एवं राम निधि ने दिया। श्री सुधांशु जी महाराज के प्रवचन के पूर्व व्यास पूजन आचार्य अनिल झा द्वारा किये गए वेद मंत्रोच्चार के बीच श्री अजय गुप्ता एवं डॉ. पूनम गुप्ता ने किया।

सत्संग समारोह की दूसरी भोर में गूँजे वेद मन्त्र, दिव्य भजनों का हुआ समूह गायन

जो शक्ति भक्त को संकटों के गहरे भंवर से उबारकर आन्तरिक व बाह्य क्षेत्रों में अनन्त प्रगति यात्रा पर आगे बढ़ा दे उसका नाम शिव है

पटियाला समेत पंजाब के विभिन्न अंचलों से ज्ञान सुधा पाने भारी संख्या में आये नर-नारी

”दलबल के साथ माया घेरे जो आके मुझको, हे नाथ आगे आकर मुझको तो बचा लेना”

Virat Bhakti Satsang-Patiala-29-11-2019 | Sudhanshu Ji Maharajपटियाला, 29 नवम्बर (प्रातः)। विश्व जागृति मिशन के स्थानीय मण्डल के तत्वावधान में यहाँ वीर हकीकत रॉय ग्राऊंड में गुरुवार की सन्ध्याकाल से चल रहे चार दिनी विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के दूसरे दिवस के भोर की शुरुआत गायत्री महामंत्र सहित विविध पावन वेद-मन्त्रों से हुई। इसके साथ ही प्रेरणादायी भजनों का समूह गायन भी हुआ। पटियाला समेत पंजाब के विभिन्न अंचलों से भारी संख्या में ज्ञान सुधा पाने यहाँ पहुँचे नर नारियों ने मिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज का प्रेरणादायी उदबोधन सुना। मंचीय समन्वयन कर रहे मिशन निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने सभी ज्ञान-जिज्ञासुओं से गुरुसत्ता को सम्मान देने के साथ-साथ उनके विचारों को सर्वाधिक सम्मान देने एवं उन्हें जीवन में आचरित करने का आहवान किया।

प्रख्यात चिन्तक, विचारक, अध्यात्मवेत्ता एवं विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने उपस्थित सुधी श्रोताओं से कहा कि जो शक्ति संकटों के गुह्यतर भंवरजाल में फंसे साधक-भक्त को उबारकर भीतरी एवं बाहरी क्षेत्र में अनन्त प्रगति यात्रा पर आगे बढ़ा दे, उसका नाम ‘शिव’ है। कहा कि शिव कृपा और ईश्वरीय संरक्षण के लिए व्यक्ति को ‘बीज’ से सीखना चाहिए। घरों में जो चावल के टोकरे दिखलाई पड़ते हैं उनके पीछे धान के सख्त कवर में बन्द ‘चावल’ की संकल्प-शक्ति का कमाल होता है। वह चावल पहले ‘धान’ के कवर को तोड़ता है और फिर कठोर धरती के सीने को चीरकर बाहर निकलता है। वह अपने आसपास की घास-फूस से, कीट-पतंगों से, सख्त कंकरीट से लड़ता है, अपने आपको पशुओं एवं पक्षियों की बुरी नजर से बचाता है तथा खुद को भयंकर गरमी व हवाओं-तूफानों के थपेड़ों से बचाता है।

श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि इतने संघर्षों के बाद वह बीज एक से अनेक बन जाता है
और धरतीवासियों की क्षुधा को, भूख को शान्त करता है। उन्होंने बीज से सीखकर खुद को बीज की जगह रखकर अनेक विपरीतताओं से लड़कर सफल बनने के आध्यात्मिक सूत्र जनमानस को दिए। उन्होंने कहा कि हीरा पत्थर में स्वाभाविक रूप से मौजूद होता है लेकिन वह घिसने पर ही प्रकाश में आता है तथा क़ीमती बनता है। श्रद्धेय आचार्यश्री ने सभी से कहा कि वे बच्चों से सदैव खुश रहने एवं हंसते व खिलखिलाते रहने का गुण सीखें। उन्होंने कहा कि प्रकृति कभी कोई कर्जा अपने पास नहीं रखती, उसके साथ थोड़ा सा भी करने पर वह अनेक गुना वापस कर देती है।

नई दिल्ली से पटियाला पहुँची श्रीमती शशि खन्ना ने बताया कि विश्व जागृति मिशन मुख्यालय आनन्दधाम में वर्ष 1999 से संचालित महर्षि वेदव्यास गुरुकुल विद्यापीठ में संस्कृत शिक्षा के साथ-साथ वेदों का सांगोपांग अध्ययन तो कराया ही जाता है, उनके लिए कम्प्यूटर शिक्षा, संगीत शिक्षा तथा अंग्रेजी भाषा का समुचित ज्ञान दिलाने की सम्यक व्यवस्था की गई है।उन्होंने कहा कि यहाँ बड़े विद्यार्थियों को ‘ऋषिकुमार’ तथा छोटे छात्रों को ‘मुनिकुमार’ कहा जाता है। ये विद्यार्थी अनिवार्य रूप से ब्राह्ममुहूर्त वेला में नित्य प्रातःकाल 04 बजे जागते हैं और वे यज्ञ, ध्यान एवं आत्म-जागरण की विभिन्न गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी करते हैं। श्रीमती खन्ना के अनुसार गुरुकुल के छात्रों ने योग विज्ञान में राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार अर्थात गोल्ड-मेडल पाए हैं। दिल्ली सरकार की शैक्षणिक संस्थाओं में इस गुरुकुल ने महत्वपूर्ण स्थान बनाया है और सरकार उन्हें हर बड़े कार्यक्रम का हिस्सा बनाती है। बताया कि देश के विभिन्न अंचलों से इन ऋषिकुमारों की मांग भागवत कथा तथा संगीत आयोजनों के आयोजनों के लिए बढ़ रही है। कहा कि हमारा समाज प्रति छात्र रु. 6,000 प्रतिमाह की सहायता से इन्हें गोद लेता है और उन्हें शिक्षित बनाने में सहयोगी बनता है।

विश्व जागृति मिशन पटियाला मण्डल के उप-प्रधान श्री प्रदीप गर्ग ने बताया कि विराट भक्ति सत्संग समारोह में पंजाब के अलावा चण्डीगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश सहित विभिन्न पड़ोसी प्रान्तों के ज्ञान-जिज्ञासु ज्ञान गंगा में स्नान का लाभ लेने आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि रविवार-एक दिसंबर को मध्याहनकाल सामूहिक मन्त्र दीक्षा सम्पन्न होगी।

ज्ञान, भक्ति और कर्म में समन्वय बनाकर बनें सच्चे कर्मयोगी

पंजाब के महानगर पटियाला में विराट भक्ति सत्संग महोत्सव शुरू

पंजाब के मन्त्री व अधिकारियों समेत गण्यमान व्यक्तियों ने सुना सत्संग

पटियाला में विराट भक्ति सत्संग महोत्सवपटियाला, 28 नवम्बर। पंजाब के महानगर पटियाला के वीर हकीकत राय ग्राउंड में चार दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का आज अपराह्नकाल श्रीगणेश हो गया। विश्व जागृति मिशन के पटियाला मण्डल के तत्वावधान में आयोजित इस सत्संग समारोह का उदघाटन मिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने दीप प्रज्वलित करके किया।

दीप प्रज्वलन के विशिष्ट अवसर पर पंजाब के वरिष्ठ राजनेता पूर्व मंत्री सरदार सुरजीत सिंह रखड़ा, शहरी विकास मन्त्री श्री ब्रह्म मोहिंद्रा की धर्मपत्नी श्रीमती हरिप्रीत मोहिंद्रा, आरटीआई कमिश्नर श्री संजीव गर्ग, सीए श्री नरेश गुप्ता, मिशन मण्डल प्रधान श्री अजय अलिपुरिया एवं उप प्रधान श्री प्रदीप गर्ग मौजूद रहे। कार्यक्रम में भारी संख्या में पटियालावासी तथा पंजाब के विभिन्न जनपदों से आये ज्ञान जिज्ञासु उपस्थित थे।

आचार्यवर श्री सुधांशु जी महाराज ने अपने प्रवचन की शुरुआत ‘हरि ॐ नमो नारायनाय से की। इस समूह गायन के बीच सत्संग सभागार में उपस्थित ज्ञान जिज्ञासु भक्ति भाव से सराबोर हो उठे।

Become a true Karmayogi by combining knowledge, devotion and karmaश्री सुधांशु जी महाराज ने हजारों की संख्या में मौजूद स्त्री, पुरुषों एवं युवक-युवतियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हम सब परम पिता परमात्मा के अभिन्न अंग हैं। अपनी आत्म ज्योति को, आत्म चेतना को पहचान कर हम प्रभु की ओर उन्मुख होते हैं और उनकी निकटता, उनका सामीप्य प्राप्त करते हैं। उन्होंने इस दिव्य मिलन की विधि सभी को बताई और श्रोताओं को अनेक आध्यात्मिक जीवन सूत्र दिए। श्री सुधाशु जी महाराज ने जीवन -फर्ज पर विस्तार से प्रकाश डाला और कहा कि श्रीमद्भगवदगीता फर्ज से भागते पराक्रमी धनुर्धर अर्जुन को फर्ज निभाने के लिए दी गयी अनुपम व आध्यात्मिक शिक्षा है।

आत्मा को परमात्मा की भांति अजर-अमर बताते हुए उन्होंने परमेश्वर से जुड़ने की आध्यात्मिक विधियां समझाईं और अपने जीवन के फर्जों अर्थात् कर्तव्यों का निर्वहन भलीभांति करने को कहा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक मनुष्य चारों वर्णों को जीवन में जीता है, जिसमें एक की प्रधानता होती है। उन्होंने हर भक्त को ज्ञान, कर्म और भक्ति तीनों को अंगीकार करने तथा एक प्रमुख तत्व पर सर्वाधिक ध्यान देने की शिक्षा दी। कहा कि ऐसे लोग सच्चे कर्मयोगी बनते हैं।

विश्व जागृति मिशन पटियाला मण्डल के प्रधान श्री अजय अलिपुरिया ने बताया कि सत्संग समारोह रविवार 02 दिसम्बर की सन्ध्याकाल तक चलेगा। उसी दिवस दोपहर में सामूहिक मन्त्र दीक्षा भी सम्पन्न होगी। सत्संग कार्यक्रम का मंचीय समन्वयन एवं संचालन नयी दिल्ली से आए विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया।

महामृत्युंजय मंत्र और गायत्री महामन्त्र में है अद्भुत शक्ति

महामृत्युंजय मंत्र और गायत्री महामन्त्र में है अद्भुत शक्ति

विश्व जागृति मिशन परिजन के आत्मिक उत्थान के साथ-साथ अनाथ बाल शिक्षा, गौसेवा एवं पर्यावरण संवर्धन के कामों में तेजी लाएँ

Mahamrityunjaya Mantra and Gayatri Mahamantra have amazing powerमुरादाबाद, 19 नवम्बर (सायं)। यहाँ दीनदयाल नगर स्थित नेहरू युवा केन्द्र के विशाल प्रांगण में विश्व जागृति मिशन के तत्वावधान में विगत 15 नवम्बर से चल रहे पाँच दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का आज सायंकाल विधिवत समापन हो गया। विदाई सत्र सम्पन्न होने के बाद मिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज का नागरिक अभिनंदन किया गया। समारोह का समापन ईश आरती के साथ हुआ। इस मौके पर हजारों की संख्या में ज्ञान जिज्ञासु मौजूद रहे।

आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने मन्त्र शक्ति पर विस्तार से चर्चा की और महामृत्युंजय मंत्र व गायत्री महामंत्र की वैज्ञानिकता पर प्रकाश डाला। कहा कि ऋषियों के द्वारा गहन अनुसन्धान के बाद मिले मन्त्रों में बड़ी शक्ति होती है। महामृत्युंजय मंत्र में मानव को गम्भीर बीमारियों से निजात दिलाने तथा रोगों को नष्ट करने की अद्भुत क्षमता विद्यमान है। विशुद्ध अन्तःकरण एवं भावभरे हृदय से इस मंत्र का किया गया जप बड़ा ही फलदायी होता है। इस अवसर पर कई हजार कण्ठों ने एक साथ महामृत्युंजय मंत्र का गायन किया तो युवा केन्द्र परिसर का वातावरण बड़ा ही दिव्य हो उठा।

उत्तर प्रदेश सरकार की माध्यमिक शिक्षा राज्यमन्त्री श्रीमती गुलाबो देवी सत्संग महोत्सव के समापन सत्र में पधारीं। उन्होंने श्रद्धेय महाराजश्री का राज्य सरकार की ओर से अभिनंदन किया। उन्होंने विश्व जागृति मिशन के क्रियाकलापों को सराहा और कहा कि विद्वान एवं तपस्वी सन्त ईश्वरीय प्रतिनिधि होते हैं तथा वे सर्वमान्य होते हैं, सबसे ऊपर होते हैं। उन्होंने कहा कि आज मानव ने प्रकृति के अनेक क्षेत्रों में विजय प्राप्त कर ली है, लेकिन दिमागी शान्ति कहीं खो गई है। शान्ति केवल सन्त वचनों का अनुसरण करके और भीतरी अमीरी का अनुभव करके ही प्राप्त हो सकती है। शिक्षा मंत्री ने इस मायाबी संसार में पूरी जिम्मेदारी के साथ अपना कर्तव्य निर्वहन करते हुए आत्मउत्थान करने को सबसे बड़ा धर्म बताया।

श्री सुधांशु जी महाराज ने कुछ इतिहास प्रसिद्ध तपस्वी सन्तों का विशेष उल्लेख किया और उनकी सफल गायत्री साधनाओं की चर्चा की। बताया कि गायत्री महामंत्र का जप करने वाले के सम्मुख तामसिक कोई शक्ति ठहर नहीं सकती। उन्होंने कहा कि गायत्री उपासक भीतर से बड़ा आत्मबली बन जाता है।

आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने अपेक्षा की कि विश्व जागृति मिशन के परिजन आत्मिक उत्थान के साथ-साथ अनाथ बाल शिक्षा, गौसेवा एवं पर्यावरण संवर्धन के कामों में तेज़ी लाएँ। उन्होंने राष्ट्र भक्ति को देवभक्ति से बड़ी भक्ति की संज्ञा दी। मुरादाबाद भक्ति सत्संग समारोह का समापन दिव्य ईश आरती के साथ हुआ। इसके पूर्व मिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज का नागरिक अभिनन्दन किया गया। समस्त कार्यक्रमों का मंचीय समन्वयन व संचालन नयी दिल्ली से आए विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया।

नैया पड़ी मझधार गुरु बिन कैसे लागे पार, हरि बिन कैसे लागे पार

वे लोग सौभाग्यशाली हैं जिन्हें आन्तरिक जीवन निर्माण का समुचित मार्गदर्शन एवं वातावरण मिला
ज्ञान के समान पवित्र अन्य कोई भी वस्तु इस संसार में नहीं है। यह ज्ञान जानकारी से नहीं बल्कि अनुभूतियों से आता है
गायत्री परिवार मुरादाबाद ने किया श्री सुधांशु जी महाराज का अभिनन्दन
”नैया पड़ी मझधार गुरु बिन कैसे लागे पार, हरि बिन कैसे लागे पार”

ज्ञान के समान पवित्र अन्य कोई भी वस्तु इस संसार में नहीं हैमुरादाबाद, 19 नवम्बर (प्रातः)। विश्व जागृति मिशन मुरादाबाद मण्डल के तत्वावधान में यहाँ दीनदयाल नगर स्थित युवा केन्द्र प्रांगण में चार दिनों से चल रहे विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के आज के पूर्वाह्नकालीन सत्र में मिशन प्रमुख श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि वे व्यक्ति अत्यन्त सौभाग्यशाली होते हैं जिनको आंतरिक जीवन का निर्माण करने के लिए ज्ञानवान पुरुषों का समुचित मार्गदर्शन और सम्यक् वातावरण मिल पाता है, जिन्हें समर्थ मार्गदर्शक का सानिध्य व सामीप्य प्राप्त होता है। सक्षम मार्गदर्शक और सुयोग्य गाईड मनुष्य में छिपी अदृश्य शक्तियों को उभारकर उन्हें जागृत कर देता है।

मिशन प्रमुख ने कहा कि माचिस की तीली में छिपी आग की तरह प्रत्येक मानव में अनेक शक्तियाँ छिपी होती हैं, लेकिन जिस तरह तीली को माचिस के ज्वलनशील स्थान से रगड़ने पर ही उसकी लौ प्रकाशित होती है, उसी प्रकार अनेक शक्तियों से ओतप्रोत मानव काया तब तक सक्षम व समर्थ नहीं बन पाती, जब तक कि किसी सामर्थ्यशाली मार्गदर्शक का, परम समर्थ सदगुरु का संरक्षण एवं मार्गदर्शन उसे प्राप्त नहीं होता। उन्होंने सभी से आध्यात्मिक सन्देशों की गहराई में उतरने का स्नेहभरा आहवान किया।

श्री सुधांशु जी महाराज ने हजारों की संख्या में वहाँ मौजूद ज्ञान जिज्ञासुओं से कहा कि ज्ञान के समान अन्य कोई भी वस्तु इस संसार में नहीं है। एक सुनिश्चित तथ्य और यथार्थ सच यह है कि ज्ञान अनुभव से आता है, जीवन की व्यावहारिक अनुभूतियों के बीच से ही ज्ञान उपजता है और तभी व्यक्ति को सच्चा ज्ञान प्राप्त होता है। तब तक वह ज्ञान नहीं कहलाता, उसे केवल जानकारी की ही संज्ञा दी जा सकती है।

आज गायत्री परिवार मुरादाबाद के एक कार्यकर्ता दल ने सत्संग मंच पर पहुँचकर लाइनपार स्थित श्रीगायत्री शक्तिपीठ तथा अपनी अन्तरराष्ट्रीय आध्यात्मिक संस्था की ओर से गायत्री मन्त्र जड़ित पीत अंगवस्त्र ओढ़ाकर श्रद्धेय महाराजश्री का अभिनन्दन किया। गायत्री साधक श्री दिनेश शर्मा एवं श्री रमेश वर्मा की अगुवाई में आये गायत्री परिजनों ने प्रचण्ड गायत्री साधक, महान लेखक, अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रणेता वेदमूर्ति पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा रचित वाङ्मय “राष्ट्र समर्थ और सशक्त कैसे बनें” की प्रति ससम्मान भेंट की।

पूर्वाह्नक़ालीन बौद्धिक सत्र के उपरान्त मध्याह्नकाल में सत्संग सभा स्थल पर सामूहिक मन्त्रदीक्षा का दिव्य कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर मुरादाबाद के 85 स्त्री-पुरुषों ने आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज से गुरुदीक्षा ली। श्रद्धेय महाराजश्री ने नवदीक्षितों को उपासना, साधना एवं आराधना के तरीक़े बताए और जीवन को निरन्तर आध्यात्मिक ऊँचाइयों की ओर बढ़ाने के महत्वपूर्ण सूत्र इन्हें प्रदान किए। इस मौक़े पर भारी संख्या में पूर्व-दीक्षित साधक भी मौजूद रहे और अपने गुरुदेव से शुभाशीष प्राप्त किया।

मुरादाबाद ज्ञान यज्ञ समारोह का समापन आज सायंकाल पावन विदाई सत्र के साथ होगा।

मन की दिशा पर निर्भर होती है हमारे जीवन की दिशा धारा

जब-जब मन अस्थिर हो तब-तब प्रभु स्मरण कर उसे स्थिर बनाने का प्रयास करें साधक

ॐ नमः शिवाय से गुंजरित हुआ नेहरू
युवा केन्द्र संगठन का विशाल प्रांगण

पूर्व डीजीपी गोपाल गुप्ता सत्संग स्थल पहुँचे

विश्व जागृति मिशन  मुरादाबाद मण्डल  मुरादाबाद, 16 नवम्बर (प्रातः)। दीनदयालनगर में स्थित नेहरू युवा केन्द्र संगठन का विशालकाय प्रांगण आज प्रातःकाल ‘ॐ नमः शिवाय’ के सामूहिक गायन से गुंजरित हो उठा। प्रख्यात अध्यात्मवेत्ता आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज के साथ स्वर से स्वर मिलाते हुए वहाँ उपस्थित सैकड़ों सनातन-प्रेमियों ने शिव-स्तुति गायी और भावविभोर होकर शिव महिमा का समूह-गायन किया। सत्संग स्थल पर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक (प्रशिक्षण) श्री गोपाल गुप्ता एवं कनाडा से आयीं वरिष्ठ प्रवासी भारतीय लोकसेवी श्रीमती सुमिति गुप्ता सहित कई गण्यमान व्यक्ति भी पहुँचे और विश्व जागृति मिशन के मुरादाबाद मण्डल द्वारा आयोजित भक्ति सत्संग का लाभ उठाया।

इस मौके पर नई दिल्ली स्थित विश्व जागृति मिशन के संस्थापक संरक्षक आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि मनुष्य के जीवन की दिशा उसके मन की दिशा एवं उसकी स्थिति पर निर्भर करती है। इसलिए मन की गति को सही दिशाधारा देने के लिए सतत अभ्यास किया जाना बहुत ज़रूरी होता है। सत्संग सभागार में मौजूद ज्ञान-जिज्ञासुओं से उन्होंने कहा कि जब-जब आपका मन अस्थिर हो, तब-तब प्रभु स्मरण, मन्त्र-शक्ति एवं एकाग्रता का सहारा लेकर उसे स्थिर बनाने का प्रयास अवश्य करें। उन्होंने कहा कि जैसी आपकी मनःस्थिति होगी वैसी ही परिस्थितियों का निर्माण आपके आसपास होता चला जाएगा। उन्होंने इसका सैद्धान्तिक व व्यावहारिक अभ्यास भी सभी को कराया। उन्होंने जीवन में सुख और शान्ति का वेशक़ीमती जोड़ा लाने का तरीक़ा भी सभी को सिखाया। मुरादाबाद स्थित दिव्य लोक आश्रम के धर्माचार्य पं.अजय कान्त मिश्र के वेदमंत्रोच्चार के बीच मिशन प्रमुख श्री सुधांशु जी महाराज ने देव पूजन का अनुष्ठान सम्पन्न किया।

विश्व जागृति मिशन के मुरादाबाद मण्डल के प्रधान श्री राकेश अग्रवाल ने बताया कि सत्संग स्थान पर मंगलवार-19 नवम्बर को मध्यान्हकाल में सामूहिक मन्त्र दीक्षा का कार्यक्रम सम्पन्न होगा। इसकी पंजीयन प्रक्रिया आरम्भ कर दी गई है। उन्होंने ज्ञान यज्ञ में आये जिज्ञासुओं का अभिनन्दन किया।

मुरादाबाद में पंचदिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का हुआ श्रीगणेश

शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं मानसिक एवं बौद्धिक स्वास्थ्य भी बेहद जरूरी

सत्संग धार्मिक मनोरंजन नहीं, व्यक्ति निर्माण व परिवार निर्माण के साथ साथ समाज निर्माण यानी लोकरंजन का एक सशक्त माध्यम भी है

आरआरके स्कूल की छात्राओं ने प्यारा सा नृत्य-गान प्रस्तुत करके किया श्री सुधांशु जी महाराज का स्वागत

Virat-Bhakti-Satsang-Moradabad-16-11-2019 | Sudhanshu Ji Maharajमुरादाबाद, 15 नवम्बर। उत्तर प्रदेश की विश्व-प्रसिद्ध पीतलनगरी मुरादाबाद के नेहरू युवा केन्द्र प्रांगण में आज सन्ध्याकाल पाँच दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का विधिवत श्रीगणेश हुआ। विश्व जागृति मिशन के मुरादाबाद मण्डल द्वारा आयोजित सत्संग समारोह का उद्घाटन मिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर वहाँ भारी संख्या में मौजूद ज्ञान जिज्ञासुओं को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उत्तम स्वास्थ्य ईश्वर द्वारा मनुष्य को प्रदत्त सबसे बड़ी नियामत है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है। उन्होंने कहा कि शारीरिक ही नहीं, मानसिक एवं बौद्धिक स्वास्थ्य भी हर व्यक्ति के लिए बेहद जरूरी है।

श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि सत्संग को धार्मिक मनोरंजन मानने की भूल कभी नहीं करनी चाहिए। वास्तविक सत्संग व्यक्ति को भीतर से बदल देता है। सत्संग व्यक्ति निर्माण एवं परिवार निर्माण का तो एक सशक्त माध्यम है ही, वह लोकरंजन का यानी समाज निर्माण का बड़ा ही महत्वपूर्ण जरिया है। उन्होंने अनेक जीवन-सिद्धान्त जनसामान्य को बताए और सफल जीवन की दिशाधारा हेतु कई उपयोगी सूत्र सिखलाए। उन्होंने क्रोध को मानव का सबसे बड़ा शत्रु बताया और उसके विविध लक्षणों पर प्रकाश डालते हुए उससे बचने के उपाय समझाए।

श्री सुधांशु जी महाराज ने श्रीमद्भागवतगीता को विश्व का अनोखा ग्रन्थ बताया और कहा कि गीता पराजय को विजय में बदलती है, व्यक्ति को समृद्धि से भरती है, उसकी निराशा दूर करती है, अधीरता को धीरता में बदलती है, कायरता को वीरता में परिवर्तित करती है, विषाद को प्रसाद में बदल देती है तथा विचारों में नवीनता लाती है। उन्होंने कहा कि गीता के बल पर खण्डित भारत अखण्ड भारत बना। उन्होंने सभी का आहवान किया कि वे खुद को भीतर से बदलें। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सराहना की और कहा कि विश्व की हर भाषा में प्रकाशित हो चुकी श्रीमदभगवदगीता की प्रति वह अपनी हर यात्रा में विदेशी शासनाध्यक्षों को अवश्य भेंट करते हैं। उन्होंने गीता को अनुपम उपहार की संज्ञा दी। श्री सुधांशु जी महाराज ने श्रीराम मन्दिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय की सराहना की और मुरादाबादवासियों को इसकी बधाई दी।

इसके पूर्व आरआरके स्कूल की वरिष्ठ शिक्षिका डॉ. जया शर्मा के नेतृत्व में आए छात्राओं के 12 सदस्यीय दल ने अद्भुत नृत्य-गान प्रस्तुत करके मिशन प्रमुख का अभिनंदन मुरादाबाद महानगर की ओर से किया। विश्व जागृति मिशन के मण्डल प्रधान श्री राकेश अग्रवाल ने सपत्नीक व्यास पूजन किया। इस मौके पर हजारों की संख्या में नगरवासी उपस्थित थे।

विश्व जागृति मिशन मुख्यालय नई दिल्ली से आये संस्था के निदेशक श्री राम महेश मिश्र के मंचीय समन्वयन एवं संचालन में चले सत्संग महोत्सव में एवं मिशन के मुरादाबाद मण्डल के उपप्रधान श्री प्रवीण कुमार ने बताया कि सत्संग का समापन मंगलवार 19 नवम्बर को सन्ध्याकाल होगा। इस बीच प्रतिदिन दो सत्र सम्पन्न होंगे।

गलतियाँ मानने और इन्हें छोड़ने से मनुष्य बनता है महान | आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज

Virat-Bhakti-Satsang-Moradabad-15-11-2019 | Sudhanshu Ji Maharajगाजियाबाद, 15 नवम्बर। विश्व जागृति मिशन के प्रणेता आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज आज कुछ देर के लिए गाजियाबाद पहुँचे। विशाल रामलीला मैदान की अशोक वाटिका में उन्होंने उत्तर प्रदेश की इस पश्चिमी उद्योग नगरी से देशवासियों को आध्यात्मिक सन्देश दिया।

वहाँ भारी संख्या में मौजूद ज्ञान जिज्ञासुओं से उन्होंने कहा कि गलती करना मनुष्य का एक सहज स्वभाव होता है, जो लोग गलतियों से सीखते हैं और उनकी पुनरावृत्ति नहीं करते, वे महान बनते हैं। उन्होंने कहा कि ईश्वर की प्राप्ति तभी होती है जब भक्त उसमें खो जाता है। सद्गुरु से मिलन को जीवन की बड़ी उपलब्धि बताते हुए उन्होंने कहा कि गुरु वचनों में विश्वास तथा उन्हें जीवन में आचरित करने पर गुरु सान्निध्य का पूरा लाभ शीघ्र मिलता है। श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि कुछ ऐसे विरले लोग भी होते हैं जो अपने गुरुदेव से दूर रहकर भी उनके अत्यधिक सन्निकट होते हैं।

श्री सुधांशु जी महाराज ने अपने मार्गदर्शक सद्गुरु के शिक्षाओं का संग्रह करने वालों को समाज व देश की अमूल्य निधि बताया। उन्होंने इस संदर्भ में मीराबाई की निकटवर्ती ललिता तथा भगवान बुद्ध के शिष्य आनन्द का विशेष जिक्र किया। कहा कि अपनी गुरुसत्ता की शिक्षाओं को उन्होंने बड़ी लगन व परिश्रम से संजोया, जिसका लाभ भविष्य की अनेक पीढ़ियाँ उठा सकीं।

बाएँ हाथ में पुरुषार्थ और दाएँ हाथ में कर्म को धारण करने वाले व्यक्ति हैं सराहना के योग्य-सुधांशु जी महाराज

बाएँ हाथ में पुरुषार्थ और दाएँ हाथ में कर्म को धारण करने वाले व्यक्ति हैं सराहना के योग्य  सफ़लता उनके बाएँ हाथ का खेल होती है -सुधांशु जी महाराज

राष्ट्र को वीररस से सराबोर कर देने और भारत को महाभारत बनाने का यही है उपयुक्त समय -जनरल जीडी बक्शी

सर्वसाधारण के लिए उपयोगी हैं विश्व जागृति मिशन की गतिविधियाँ -डॉ.अशोक बाजपेयी, सांसद व सचेतक, राज्यसभा

भारतीय थल सेना के बहादुर पूर्व सैन्य अफ़सर जनरल डॉ.जी.डी.बक्शी ने किया राष्ट्र को वीररस से सराबोर करने का आह्वान। कहा- अब वीरभाव की साधना का आ गया है समय। वह आनन्दधाम में चल रहे १०८ कुण्डीय श्री गणेश लक्ष्मी महायज्ञ में भाग लेने आए थे। वैश्विक स्थितियों समेत भारत एवं उसके पड़ोसी देश पर समीक्षात्मक टिप्पणी करते हुए वह बोले- कदाचित् परमात्मा ‘एक और महाभारत’ कराना चाहता है। उन्होंने कहा कि शान्ति के लिए कभी-कभी युद्ध भी आवश्यक होते हैं।आज वरिष्ठ सांसद एवं राज्यसभा के सचेतक डॉक्टर अशोक बाजपेयी ने भी महायज्ञ में भागीदारी की। उनका स्वागत करना हमारे लिए सुखद था। उत्तर प्रदेश सरकार में अनेक बार क़ाबीना मन्त्री रहे डॉक्टर बाजपेयी ने विश्व जागृति मिशन की गतिविधियों के बारे में विस्तार से जाना। संवैधानिक मामलों के श्रेष्ठ जानकार तथा प्रख्यात राजनैतिक वक़्ता डॉक्टर अशोक बाजपेयी ने विशेष रूप से अनाथ बच्चों को शिक्षित एवं स्वावलंबी बनाने के कार्यक्रम को सराहा। उन्होंने इन बच्चों को ‘देवदूत’ नाम देने के लिए श्री सुधांशु जी महाराज की प्रशंसा की।

इस अवसर पर मिशन प्रमुख श्रद्धेय आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि शरद पूर्णिमा पर किया गया यज्ञ बड़ा ही फलदायी होता है। यज्ञ को कर्मों में श्रेष्ठतम कर्म बताते हुए उन्होंने इसे पापनाशक, दुःखनाशक, सुखदायक एवं समृद्धिदायक कार्य की संज्ञा दी। प्राचीन काल में एक महायज्ञ में गंगा, यमुना व सरस्वती नदियों द्वारा की गयी भागीदारी के ऐतिहासिक आख्यान का ज़िक्र करते हुए उन्होंने यज्ञ को सभी प्रकार के विकारों को दूर करने वाला बताया।

मिशन प्रमुख ने वेद ऋचा ‘देहि मे ददामि ते’ की व्याख्या करते हुए कहा कि मनुष्य को कुछ देना पड़ता है तभी उसे कुछ मिलता है। वेद-ऋचाएँ विद्यार्थी से ‘सुख’ का दान माँगती हैं, जो विद्यार्थी यह दान देता है वही सुयोग्य बनकर बदले में जीवन भर के सुख और उपलब्धियाँ पाता है। जो छात्र-छात्राएँ विद्यार्थी जीवन में सुख का दान देने से कतराते हैं वे आगे चलकर उन अपने ही सफल सहपाठियों से याचना और मिन्नतें करते देखे जाते हैं। यही बात स्वास्थ्य के मामले में लागू होती है, खान-पान, रहन-सहन और योग-व्यायाम के नियमों का पालन करने वाले लोगों को सुस्वास्थ्य यानी उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त होता है। हमारा किसान भी ‘त्वदीयं वस्तु गोविंदम तुभ्यमेव समर्पये’ के भाव से भूमि में जब विश्वासपूर्वक एक बीज डालता है तब धरती माँ उसके बदले १०० दाने वापस करती है। उन्होंने इन उदाहरणों से सीख लेकर पहले देने और फिर पाने की बात को अंगीकार करने की अपील सभी से की।

वृन्दावन से २१ आचार्यों के साथ आए महायज्ञ के परमाचार्य पण्डित विष्णु कांत शास्त्री और अनेक आचार्यों की उपस्थिति में संस्था प्रमुख ने यज्ञ जिज्ञासुओं से कहा कि जिसकी जितनी बड़ी तृष्णा होती है वह उतना ही बड़ा दरिद्र होता है। उदार और दाताभाव वाले लोग दुनिया के सबसे बड़े अमीर व्यक्ति होते हैं। उन्होंने धर्मादा के नौ कार्यों तथा उसमें सहयोग के परिणामों पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। कहा कि पहले आय का दशांश यानी १०वाँ भाग समाज के खेत में बोने का अनिवार्य नियम था। अब सीएसआर में उसकी मात्रा २ प्रतिशत अनिवार्य रूप से तय की गयी है। भारत में दो से ढाई प्रतिशत सिक्खों द्वारा गुरुद्वारों के ज़रिए चलाए जा रहे सेवाकार्यों को उन्होंने धर्मादा क्षेत्र का एक बड़ा उदाहरण कहा। उन्होंने कहा कि धर्मादा सेवाएँ हमें ‘देना’ सिखाती हैं और ‘पाने’ का अद्भुत मन्त्र देती हैं।

श्री सुधांशु जी महाराज ने बाएँ हाथ में पुरुषार्थ और दाएँ हाथ में कर्म को थाम लेने वाले व्यक्तियों की सराहना की और कहा कि ‘सफलता’ ऐसे लोगों के बाएँ हाथ का खेल होता है। उन्होंने यज्ञ से होने वाले लाभों की विस्तार से चर्चा की और कहा कि यज्ञ मानव जीवन ही नहीं, सम्पूर्ण प्रकृति का एक अविभाज्य अंग है। उन्होंने अथर्ववेद १२/२१३७ पर दी गयी ऋचा ‘अयज्ञियो ह्वरचा भवति’ की व्याख्या की और कहा कि “यज्ञ न करने वाले का तेज़ नष्ट हो जाता है।”

१० अक्टूबर को आरम्भ हुए श्री गणेश लक्ष्मी महायज्ञ के दौरान प्रतिदिन अपराह्नकाल बौद्धिक सत्र चला, जिसमें आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज और डॉक्टर अर्चिका दीदी ने साधकों का सशक्त मार्गदर्शन किया। विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने मंचीय समन्वयन व संचालन किया। महायज्ञ में देश के अनेक प्रांतों तथा हाँगकाँग, चीन, ब्रिटेन आदि देशों से आए परिजनों ने भागीदारी की।

आज अपराह्नकाल में श्री गणेश लक्ष्मी महायज्ञ का विधिवत समापन हो गया है।