ध्यान-योग सत्र में सूरतवासियों ने सीखीं गहरे उतरने की विधियाँ

सृष्टि में व्याप्त परमात्मा के अनहद नाद को सुनना सीखें

सूरत में सन्त श्री सुधांशु जी महाराज ने किया जनमानस का आहवान

In the meditation-yoga session, the dwellers of the path learned to go deep | Sudhanshu Ji Maharajसूरत, 13 जनवरी (प्रातः)। वेसू स्थित बालाश्रम अर्थात् विश्व जागृति मिशन के सूरत मण्डल के द्वारा रामलीला मैदान में आयोजित विराट् भक्ति सत्संग महोत्सव के आज के प्रातःकालीन सत्र में सूरतवासियों ने श्री सुधांशु जी महाराज से ध्यान-योग की महत्वपूर्ण क्रियाएँ सीखीं और आन्तरिक क्षेत्र की गहराई में उतरने की विधाओं का प्रशिक्षण प्राप्त किया। ध्यान-जिज्ञासुओं से खचाखच भरे विशाल सत्संग पण्डाल में आनन्दमय उल्लास चहुँओर बिखरा हुआ प्रतीत हो रहा था। बाद में मध्याहनकालीन सत्र में बड़ी संख्या में नर-नारियों ने सन्त श्री सुधांशु जी महाराज से मन्त्र दीक्षा ग्रहण की। दीक्षा सत्र में पूर्व से दीक्षित अनेक साधकों ने भी शिरकत की।

इस अवसर पर आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि इस ब्रह्माण्ड में एक दिव्य ध्वनि सदैव विराजमान होती है, उसे अनहद स्वर कहा जाता है। अनहद यानी जिसकी कोई सीमा नहीं हो अर्थात असीम। इस सृष्टि में परमात्मा ही असीम है, इसलिए अनहद नाद परमेश्वर की ही दिव्य ध्वनि है। उन्होंने ध्यान की गहराइयों में जाकर इस अनहद नाद को सुनने का प्रयास करने को कहा। इस ध्यान को ‘आदि-ध्यान’ की संज्ञा देते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि ध्यान-योग साधक को प्रभु की इस अनहद ध्वनि के समीप ले जाने में सेतु का काम करता है। ॐकार का निरन्तर अभ्यास इस काम में सहयोग करता है। उन्होंने उपस्थितजनों को इसका व्यावहारिक अभ्यास कराया।

विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने बताया कि मिशन द्वारा करुणासिन्धु, युगऋषि आरोग्य धाम एवं द व्हाइट लोट्स अस्पतालों के जरिये भारी संख्या में वंचित वर्ग के स्वजनों को स्वास्थ्य लाभ दिया जा रहा है। वहीं वृद्धाश्रम एवं गौशालाओं के माध्यम से बुजुर्ग स्त्री-पुरुषों तथा भारतीय नस्ल की गौमाताओं की सेवा सराहनीय ढंग से की जा रही है। उन्होंने नई दिल्ली स्थित आनन्दधाम गुरुकुल तथा महर्षि वेद व्यास अंतरराष्ट्रीय उपदेशक महाविद्यालय की सेवाओं की भी जानकारी उपस्थितजनों को दी।

गुरु व शिष्य की एकनिष्ठा ने रचे हैं इतिहास और बदला है राष्ट्र का भविष्य

सूरत के रामलीला मैदान में श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा

”गुरुब्रह्मा गुरुविष्णु: गुरुदेवो महेश्वर:”

विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का तीसरा दिन

 The loyalty of the master and the disciple has created history and the change is the future of the nation | Sudhanshu Ji Maharajसूरत, 12 जनवरी (सायं)। विश्व जागृति मिशन नई दिल्ली के सूरत मण्डल के तत्वावधान में आयोजित चार दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के तीसरे दिन की सन्ध्या गुरुसत्ता की महिमा के गायन, ऋषिसत्ता के सन्देशों के अवगाहन तथा अपने जीवन को श्रेष्ठता के मार्ग पर बढ़ाने के सामूहिक संकल्प को समर्पित रही। सत्र का शुभारंभ ‘गुरुब्रह्मा गुरु विष्णु गुरुदेवो महेश्वर:’ के समूह-गायन से हुआ। देश के प्रमुख आध्यात्मिक परिवार विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक सन्त श्री सुधांशु जी महाराज ने गुरु और शिष्य के सम्बन्धों पर बड़ी गहराई से प्रकाश डाला।

गुजरात एवं पड़ोसी प्रान्तों के अनेक जनपदों से भक्ति सत्संग समारोह में रामलीला मैदान पहुँचे ज्ञान-जिज्ञासुओं को सम्बोधित करते हुए आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि समर्थ गुरू रामदास के प्रति शिवाजी के श्रद्धा-समर्पण ने भारत में एक नया इतिहास रच दिया था। आचार्य चाणक्य द्वारा कठिन परिश्रम से गढ़े गए युवक चन्द्रगुप्त मौर्य ने खण्डित भारत को अखण्ड बनाकर 24 वर्षों तक दुनिया के बड़े भूभाग पर सफलतापूर्वक राज किया था। भगवद्स्वरूप गुरु श्रीकृष्ण के उपदेशों पर अमल करने के कारण अनुपम धनुर्धारी अर्जुन सहित पाण्डवों ने भारत को महाभारत बनाया था। आज जिनका जन्मदिन है उन चिरयुवा स्वामी विवेकानन्द को ठाकुर रामकृष्ण ने ऐसा रचा था कि वे भारतीय संस्कृति का परचम भारत भूमि से लेकर पाश्चात्य देशों तक फहरा सके थे।

सन्त श्री सुधांशु जी महाराज ने माँ को पहले और पिता को दूसरे गुरु की संज्ञा दी और कहा कि माँ बच्चे को शब्द ज्ञान देती है और परिवार से उसका परिचय कराती है। नवागन्तुक शिशु को साहस, शक्ति, संतुलन एवं शौर्य के गुण पिता द्वारा सिखाये जाते हैं। दुनिया के विषयों का ज्ञान देने वाले शिक्षक गुरु की तीसरी श्रेणी में आते हैं। श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति में ‘आध्यात्मिक गुरु’ को सर्वोच्च स्थान दिया गया है, जो मनुष्य को लोक व परलोक का ज्ञान कराते हैं और मानव जीवन को सार्थक बनाते हैं। उन्होंने गुरु को अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ाने वाला ज्ञानी महापुरुष कहा और अनेक इतिहास पुरुषों की सफलता का श्रेय उनके सदगुरु के मार्गदर्शन को दिया। उन्होंने मानव को सृष्टि का अदभुत राजकुमार बताया और मनुष्य मात्र से अपेक्षा की कि वे पशु-पक्षियों के स्तर से ऊपर उठकर अपने एवं अपने परिवार के साथ अन्यों के कल्याण के निमित्त कार्य करें।

नई दिल्ली से आये धर्मादा सेवा अधिकारी श्री गिरीश चन्द्र जोशी ने नौ तरह की धर्मादा सेवाओं की जानकारी दी और बताया कि अनाथाश्रम सेवा, गुरुकुल सेवा, वृद्धाश्रम सेवा, करुणा सिन्धु अस्पताल सेवा, गौशाला सेवा, भंडारा सेवा, देव मन्दिर सेवा, अन्नक्षेत्र सेवा, यज्ञ-सत्संग सेवा एवं दैवीय आपदा सेवा के तहत मिशन परिवार द्वारा समाज की सेवा विविध विधि की जा रही है।

सूरत सत्संग महोत्सव के मुख्य संयोजक धर्माचार्य पं.राम कुमार पाठक ने बताया कि कल रविवार को मध्यान्हकाल सामूहिक मन्त्रदीक्षा का कार्यक्रम सम्पन्न होगा, जिसमें सैकड़ों स्त्री-पुरुष गुरुदेव श्री सुधांशु जी महाराज से गुरुदीक्षा ग्रहण करेंगे। कल ही सायंकाल सत्संग समारोह का समापन होगा।

दुनिया पर शासन वे ही करते हैं जो स्वयं पर शासन करते हैं

ध्यान करना यानी चिन्तन में गहरे तक उतरना

प्रदर्शन नहीं आत्मदर्शन की ज़रूरत

सूरत में श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा

सत्संग समारोह का पूर्वाहनकालीन सत्र रहा ध्यान-योग को समर्पित

The world is ruled by those who rule themselves | Sudhanshu Ji Maharajसूरत, 12 जनवरी (प्रातः)। जमाना कोई भी रहा हो, युग कोई भी क्यों न रहा हो, इस दुनिया पर शासन उन्होंने ही किया है, जिन्होंने स्वयं पर शासन करना सीखा है। स्व-अनुशासन एक ऐसा ताकतवर शब्द है जो मनुष्य को शीर्ष पर पहुंचा देता है। इसीलिये मैं कहा करता हूँ कि दुनिया पर शासन वही करते हैं जो स्वयं पर शासन करते हैं।

यह उदगार आज प्रातःकाल धर्मनगरी के रूप में विकसित होते जा रहे सूरत महानगर के रामलीला मैदान में श्री सुधांशु जी महाराज ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि हम भारतीय प्रदर्शन नहीं वरन् आत्मदर्शन करने पर अधिक ध्यान दें। उन्होंने कहा कि ध्यान का सत्र हम-सबको इसी आत्म दर्शन की ओर उन्मुख कराता है। ध्यान किया नहीं जाता बल्कि गहरे चिन्तन में डूबने पर वह स्वतः हो जाता है। ध्यान भीतर की शक्तियों का जागरण करने में पूरी तरह सक्षम है। उन्होंने ध्यान-योग की विधियाँ सभी को सिखलाई।

विश्व जागृति मिशन के मुखिया श्री सुधांशु जी महाराज ने ध्यान, पूजा और प्रार्थना के बीच का अन्तर सत्संग सभा में उपस्थित जनसमुदाय को विस्तार से समझाया। कहा कि हल्दी और चूने के मिश्रण से जिस तरह दोनों अपना-अपना पीला व सफ़ेद रंग छोड़कर एक हो जाते हैं और मानव रक्तवर्णी अर्थात् लाल बन जाते हैं, उसी तरह पूजा व प्रार्थना आत्मा एवं परमात्मा के बीच का भेद मिटाकर मानव को देवतुल्य बना देते हैं। ऐसी पूजा हमें परमात्मा से जोड़ देती है। उन्होंने पूजा में उपयोग होने वाले अक्षत यानी चावल को अखण्डित मन का प्रतीक बताया, वहीं आरती की ज्योति की तुलना आत्मज्योति से की। कहा कि इसी आत्मज्योति को परमात्मज्योति से एकाकार करने के लिए श्रद्धापूर्वक आरती की जाती है। उन्होंने ध्यान, पूजा, सिमरन, सेवा आदि का मर्म सभी को बताया और उनका व्यावहारिक प्रशिक्षण भी सबको दिया।

विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के मुख्य संयोजक धर्माचार्य पं.राम कुमार पाठक ने बताया कि कल रविवार को मध्यान्हकाल सामूहिक मन्त्रदीक्षा का कार्यक्रम सम्पन्न होगा, जिसमें सैकड़ों स्त्री-पुरुष परम पूज्य गुरुदेव श्री सुधांशु जी महाराज से गुरुदीक्षा ग्रहण करेंगे। कल ही सायंकाल सत्संग समारोह का समापन होगा। उन्होंने बताया कि यह समस्त कार्यक्रम वेसू स्थित बालाश्रम के सुविकास के लिए समर्पित हैं।

”चिन्ता और चिता दोनों ही इन्सान को जलाती हैं”

परमेश्वर का प्रबन्धन अद्भुत। यह सृष्टि ईश्वरीय अनुशासन से होती है संचालित।

जीवन प्रबंधन पर दें समुचित ध्यान

मष्तिष्क के आई.क्यू.लेवल और ई.क्यू.लेवल में बेहतर संतुलन से व्यक्ति होता है जीवन में सफल

हठयोगी बालक नचिकेता के जीवन से शिक्षण लें

सूरत में सन्त श्री सुधांशु जी महाराज बोले

जून 16-26 में होगी सामूहिक कैलाश मानसरोवर यात्रा

विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का दूसरा दिन

 "Both Chinata and Chita burn the human being" | Sudhanshu Ji Maharajसूरत, 11 जनवरी (सायं)। विश्व जागृति मिशन के सूरत मण्डल द्वारा आयोजित चार दिनी विराट भक्ति सत्संग महोत्सव की दूसरी सन्ध्या में मिशन प्रमुख सन्त श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि परमपिता परमात्मा का प्रबंधन अद्भुत है। उनका जैसा कोई व्यवस्था-विशेषज्ञ आज तक सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में पैदा नहीं हुआ। उन्होंने इस सृष्टि की रचना की और उसके सुचारु संचालन के लिए विभिन्न अनुशासन निर्धारित किये, जिन्हें ज्ञानी-ध्यानी ऋषियों व व्यासों ने मानव समाज को सौंपा।

उन्होंने कहा कि यह सृष्टि ईश्वरीय अनुशासन से ही संचालित होती है। उन्होंने इतिहास प्रसिद्ध हठयोगी बालक नचिकेता के जीवन से शिक्षण लेकर सत्साहसपूर्वक जीवन में आगे बढ़ने को कहा। श्री सुधांशु जी महाराज ने ”रघुनन्दन राघव राम हरे, सिया राम हरे सिया राम हरे” भजन गाकर सभी को मन्त्रमुग्ध कर दिया।

श्री सुधांशु जी महाराज ने गुजरात के विभिन्न अंचलों से आये ज्ञान-जिज्ञासुओं को सम्बोधित करते हुए सन्तुलित जीवन की उपमा योगी जीवन से की और कहा कि संतुलन को जीवन में उतारने वाले लोग ही परमात्मा को प्राप्त कर पाते हैं। उन्होंने श्रीमद्भागवतगीता के चुने हुए श्लोकों की व्याख्या की और कहा कि प्रतिकूलता में दुःख और अनुकूलता में सुख अनुभव करने की प्रवृत्ति को अपने जीवन में उतार लेना कत्तई उचित नहीं। उन्होंने अनेक प्रसंग उद्धृत करते हुए प्रतिकूल को भी अनुकूल बनाने की प्रेरणा सभी स्त्री-पुरुषों को दी।

श्री सुधांशु जी महाराज ने अपने मन पर विजय प्राप्त कर लेने वाले व्यक्तियों को दुनिया का सबसे बड़ा विजेता बताया। उन्होंने ”शान्ति में सोना और आनन्द में जागना” को जीवन का अचूक मन्त्र बताते हुए रोज़ देर शाम शयन पूर्व तत्त्वबोध की साधना करने को कहा तथा प्रातः काल जागरण के बाद आत्मबोध की साधना करने के लिए सभी को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि मष्तिष्क के आई.क्यू.लेवल और ई.क्यू.लेवल में बेहतर संतुलन से व्यक्ति जीवन में सफल होता है।

नई दिल्ली से सूरत पहुँचे करुणासिन्धु धर्मार्थ अस्पताल (आनन्दधाम) के जन सम्पर्क अधिकारी श्री विष्णु चौहान ने बताया कि हॉस्पिटल की चेयरपर्सन डॉ. अर्चिका दीदी के नेतृत्व में सैकड़ों शिव भक्तों का एक दल आगामी 16 जून को राष्ट्रीय राजधानी नयी दिल्ली से कैलाश मानसरोवर को प्रस्थान करेगा। संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) द्वारा वैश्विक स्तर पर 21 जून को वैश्विक स्तर पर आहूत विश्व योग दिवस उच्च हिमालयी क्षेत्र शिवधाम-कैलाश धाम में सम्पन्न होगा। उन्होंने गुजरातवासियों को कैलाश मानसरोवर यात्रा का आमन्त्रण भी दिया। इसके पूर्व सूरत बालाश्रम के नन्हें-मुन्हें छात्रों ने श्री सुधांशु जी महाराज का माल्यार्पण कर उनका अभिनन्दन किया।

धर्म को शुभ से जोड़े बिना शुभ लाभ की परिकल्पना सम्भव नहीं

श्री सुधांशु जी महाराज ने बताए व्यक्तित्व विकास के सद्गुण

सूरत का विराट भक्ति सत्संग महोत्सव

The idea of ​​auspicious benefits is not impossible without adding religion to auspiciousness | Sudhanshu Ji Maharajसूरत, 11 जनवरी (पूर्वाह्न)। यहाँ कल शुरू हुए विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के द्वितीय दिवस के पूर्वाहनकालीन सत्र में सन्त श्री सुधांशु जी महाराज ने व्यक्तित्व विकास के सद्गुण उपस्थित जनसमुदाय को सिखाये। उन्होंने आत्म चिन्तन को इसका सही माध्यम बताया। कहा कि परमात्मा ने जो शक्तियाँ मानव को दी हैं, वह उनका समुचित उपयोग नहीं कर पाता। इसके लिए बुद्धि को धर्म से जोड़ने की आवश्यकता होती है। उन्होंने जीवन में सफलता की प्राप्ति के लिए अनेक महत्वपूर्ण सूत्र दिए। उन्होंने कहा धर्म को शुभ से जोड़े बिना शुभ लाभ की परिकल्पना सम्भव नहीं।

नई दिल्ली से आये श्री प्रयाग शास्त्री ने बताया कि सत्संग स्थल पर लगाये गए एक दर्जन से अधिक स्टालों के जरिये जनसेवा के कार्यों की जानकारी जनमानस को दी जा रही है। उन्होंने बताया कि देवदूत (अनाथ) शिक्षा सेवा, युगऋषि आयर्वेद सेवा, साहित्य सेवा, धर्मादा सेवा, वृद्धजन सेवा, गौसेवा, करुणा सिन्धु अस्पताल, तीर्थयात्रा सेवा आदि के स्टॉल लगाए गए हैं। सूरत में सेवारत बालाश्रम के काउण्टर पर आमजन सम्पर्क कर देवदूत (अनाथ) बच्चों को शिक्षित बनाने में सहयोगी बनने की जानकारी प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने युगऋषि आयुर्वेद के माध्यम से जीवन को निरोग बनाने के बारे में बताया और कहा कि सत्संग स्थल पर एक स्वास्थ्य शिविर भी लगाया गया है, जहाँ नाड़ी वैद्य डॉ. विवेक बाथम आगुन्तकों को चिकित्सा परामर्श दे रहे हैं।

सत्संग समारोह का समापन १३ जनवरी को सायंकाल होगा।

सिल्क और डायमंड सिटी में विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का हुआ श्रीगणेश

राष्ट्र की मजबूती के लिए देवदूत बच्चों को शिक्षित बनाएँ

युक्ति और शौर्य से मिलती है श्री समृद्धि और सफलता

प्रख्यात अध्यात्मवेत्ता श्री सुधांशु जी महाराज ने सूरत में कहा

आनन्दधाम के संगीतज्ञों ने सजाई भजन सन्ध्या

Silk and Diamond City at the Virt Bhakti Satsang | Sudhanshu Ji Maharajसूरत, 10 जनवरी। छोटी मुम्बई कहे जाने वाले गुजरात के सूरत महानगर में विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का आज शाम श्रीगणेश हुआ। विश्व जागृति मिशन के सूरत मण्डल के तत्वावधान में आयोजित चार दिवसीय यह सत्संग समारोह सूरत नगरी के वेसू स्थित बालाश्रम में विद्याध्ययन कर रहे देवदूत (अनाथ) बालकों के लिए समर्पित किया गया है। मिशन का संकल्प इन वंचित वर्ग के नौनिहालों को सुयोग्य बनाकर राष्ट्र की मुख्य धारा में शामिल करना है।

विश्व जागृति मिशन के नई दिल्ली स्थित मुख्यालय आनन्दधाम से आयी संगीत टीम के भजनों से सजी सन्ध्या में मिशन प्रमुख सन्त श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि यह समय बड़े परिवर्तनों का समय है। बदलाव के इन क्षणों में अपने जीवन को शान्त व आध्यात्मिक बनाते हुए वैचारिक स्तर पर स्वयं को समुन्नत बनाने की महती आवश्यकता है। देश की नई पीढ़ी में ढेरों संभावनाएं जताते हुए उन्होंने ऐसे बच्चों को शिक्षित, संस्कारित, स्वस्थ एवं सभ्य बनाने का आहवान किया, जो अभाव, अज्ञान, अशिक्षा या अनाथ अवस्था के कारण पढ़ने की बात स्वप्न में भी सोच नहीं सकते। उन्होंने बताया कि इस आध्यात्मिक मिशन द्वारा सूरत सहित पाँच स्थानों पर ऐसे देवदूत (अनाथ) बच्चों को सुशिक्षित बनाया जा रहा है। उन्होंने सत्संग सभा में मौजूद ऐसे विद्यार्थियों का परिचित सभी से कराया।

मिशन प्रमुख ने कहा कि यह जीवन सुख और दुःख दो द्वंदों के बीच झूलता दृष्टिगोचर होता है। महाभारत के महत्वपूर्ण प्रसंगों को उदधृत करते हुए उन्होंने पाण्डवों और कौरवों की सज्जनता और दुर्जनता के कथानक सुनाए और कहा कि सज्जनता को किसी भी हालत में नहीं छोड़ने वाले तथा धर्म का साथ नहीं छोड़ने वाले की रक्षा प्रभु स्वयं करते हैं और उसे विकास के सभी अवसर देते हैं। कहा कि गीतानायक श्रीकृष्ण ने आज के कलियुग में धर्म की रक्षा और सज्जनता व शालीनता की रक्षा के सूत्र द्वापर में ही दे दिए थे। उन्होंने श्रीमद्भतगीता के प्रसंगों से शिक्षा ग्रहण करने की अपील सभी से की। उन्होंने कहा कि युक्ति और शौर्य से ही श्री समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।

इसके पूर्व सत्संग मंच पर व्यास पूजन श्री गोविन्द डांगरा एवं आचार्य राम कुमार पाठक द्वारा किया गया। पीला साफ़ा बाँधे पुरुषों एवं स्त्रियों की टोलियों ने श्री सुधांशु जी महाराज का स्वागत बैण्ड-बाजे की मधुर धुन के बीच किया। सत्संग समारोह का मंचीय समन्वयन एवं संचालन नई दिल्ली से आये मिशन निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया।

बालाश्रम के वरिष्ठ आचार्य एवं सत्संग समारोह के मुख्य संयोजक श्री राम कुमार पाठक ने बताया कि विराट भक्ति सत्संग महोत्सव चार दिनों तक चलेगा और इसका समापन 13 जनवरी की सायंकाल होगा। श्री पाठक ने बताया कि 11 से 13 जनवरी तक पूर्वाह्नक़ालीन सत्र 09.30 से 11.30 तक तथा सायंक़ालीन सत्र 05 से 07 बजे तक चलेगा। शनिवार व रविवार को प्रातःकाल ध्यान-योग की कक्षाएँ चलेंगी। रविवार को दोपहर में सामूहिक मन्त्रदीक्षा दी जाएगी, जिसके पंजीयन आरम्भ किए जा चुके हैं। इस अवसर पर मिशन द्वारा कई स्थानों पर शिक्षित बनाये जा रहे विद्यार्थियों के बारे में वीडियो फिल्में भी दिखाईं गयीं।

हैदराबाद विराट् भक्ति सत्संग महोत्सव का हुआ समापन

”जीवन में प्रगति के लिए समय-समय पर बदलाव जरूरी”

महामृत्युंजय मंत्र में साधक को रोगमुक्त करने की अद्भुत क्षमता

”भूलो ना भूलो ना भूलो ना प्रभु याद रहे”

Ending of Hyderabad Virat Bhakti Satsang Festival | Sudhanshu Ji Maharajहैदराबाद, 06 जनवरी (सायं)। विश्व जागृति मिशन के हैदराबाद मण्डल द्वारा आयोजित चार दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का आज सायंकाल विधिवत समापन हो गया। इसके पूर्व मिशन प्रमुख सन्त श्री सुधांशु जी महाराज का नागरिक अभिनन्दन मिशन के अंतरराष्ट्रीय प्रधान श्री प्रेम सिंह राठौर एवं क्षेत्रीय सांसद श्री बंडारू दत्तात्रेय ने किया। साथ ही वहाँ मौजूद सभी ज्ञान-जिज्ञासुओं ने भावपूर्ण दिव्य आरती भी सम्पन्न की।

श्री सुधांशु जी महाराज ने खुद ही प्रेरक भजन गाकर सभी को भाव विभोर कर किया। उनके द्वारा गाये भजन ‘भूलो ना भूलो ना भूलो ना प्रभु याद रहे’ के समूह गायन ने सत्संग सभा स्थल को अनूठे भावों से भर दिया। आनन्दधाम दिल्ली से आए भजनगायकों ने भी कई भजन प्रस्तुत किए।

इस अवसर पर श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि महामृत्युंजय मंत्र और गायत्री महामंत्र का संयुग्म व्यक्ति के जीवन को सुस्वास्थ्य और सद्ज्ञान से भर देता है। महामृत्युंजय मंत्र में जहाँ व्यक्ति मृत्यु के मुंह से निकालने की अद्भुत क्षमता विद्यमान है, वहीं गायत्री महामंत्र व्यक्ति को सन्मार्ग पर चलाकर उसे सद्गुणी बना देता है, फलतः साधक के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन हो जाता है।

मिशन प्रमुख ने जीवन में बदलाव को आवश्यक बताते हुए कहा कि परिवर्तनों के लिए व्यक्ति को अपने-आपको सदैव तैयार रखना चाहिए। समझदारी पूर्ण परिवर्तन उसे आज की अपेक्षा ऊँचे स्थानों पर प्रतिष्ठित करता है। उन्होंने शारिरिक, मानसिक एवं आत्मिक स्वास्थ्य के लाभकारी सूत्र उपस्थित जनमानस को दिए। उन्होंने आसक्ति और अनासक्ति का मर्म भी सभी को समझाया।

विश्व जागृति मिशन के हैदराबाद मण्डल प्रधान श्री प्रेम सिंह राठौर ने आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मिशन की हैदराबाद शाखा ने बीते बीस वर्षों में आध्यात्मिक लोक जागरण, दिन-दुखियों की सेवा की दिशा में अनेक कार्य किये हैं। यहाँ। शहर से १५ किलोमीटर दूर वर्ष 2000 में स्थापित अमृतधाम आश्रम में वृद्धजन सेवा तथा गौसंरक्षण व गौसंवर्धन आदि के विविध कार्य किये जा रहे हैं। उन्होंने श्रोता समुदाय के अलावा मिशन के अंतरराष्ट्रीय महामन्त्री श्री देवराज कटारिया एवं आनन्दधाम नई दिल्ली से आये सभी प्रतिनिधियों के प्रति आभार व्यक्त किया।

लोकसभा सांसद एवं पूर्व केन्द्रीय मन्त्री श्री बंडारू दत्तात्रेय सत्संग सभा में पहुँचे और श्री सुधांशु जी महाराज का हैदराबाद की धरती पर भावभीना अभिनन्दन किया। वित्त मंत्रालय भारत सरकार (सीएजी) के वरिष्ठ अधिकारी श्री कृपा शंकर शुक्ल एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती शारदा शुक्ला ने भी श्रद्धेय महाराजश्री का स्वागत किया।

इस अवसर पर वैदिक ज्योतिष में गोल्ड मेडलिस्ट श्रीमती माधुरी राम शर्मा ने अपनी हस्तलिखित सम्पूर्ण श्रीरामचरितमानस की प्रति श्री सुधांशु जी महाराज को भेंट की और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।

चार दिवसीय विराट् भक्ति सत्संग महोत्सव के समस्त कार्यक्रमों का मंचीय समन्वयन एवं संचालन विश्व जागृति मिशन नयी दिल्ली के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया।

आनन्द ही जीवन की सफलता है – श्री सुधांशु जी महाराज

प्रातः कालीन सत्र ध्यान-योग को समर्पित रहा

हैदराबाद का विजामि भक्ति सत्संग महोत्सव

Joy is the success of life | Sudhanshu Ji Maharajहैदराबाद, 06 जनवरी (पूर्वाह्न)। ध्यान व्यक्ति के बाह्य स्वरूप को हल्का बनाता है और आन्तरिक स्वरूप को गम्भीर एवं वज़नदार बना देता है। ध्यान व्यक्ति के बोझिल स्वरूप को दूर कर देता है, उसे आनन्द से भर देता है। फलस्वरूप व्यक्ति सदैव खिला-खिला रहता है। वह खुद आनन्दित रहता है और सबको आनन्द बाँटता है। ऐसा व्यक्ति सफल व्यक्ति कहलाता है। वस्तुतः आनन्द ही जीवन की सफलता है।

यह उदगार आज प्रातःकाल यहाँ पब्लिक गार्डन स्थित ललित कला टोरणम् के प्रांगण में आध्यात्मिक गुरु श्री सुधांशु जी महाराज ने वहाँ उपस्थित ध्यान-जिज्ञासुओं को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। उन्होंने दक्षिण भारत के विभिन्न क्षेत्रों से भारी संख्या में आये अध्यात्म-जिज्ञासुओं को ध्यान-योग की क्रियाएँ सिखाईं।

अमेरिका से आयीं Path to Anandam की अध्यक्ष डॉ. सत्या कालरा ने सत्संग स्थल पहुँचकर सन्त श्री सुधांशु जी महाराज का अभिनंदन किया। हैदराबाद मूल की अमेरिकी स्वास्थ्य विशेषज्ञ श्रीमती कालरा ने श्रद्धेय महाराजश्री से अमेरिका के विभिन्न प्रान्तों में आनंदम संस्था द्वारा चलाए जा रहे योग व स्वास्थ्य शिविरों में विश्व जागृति मिशन की सहभागिता कराने का आग्रह किया, साथ ही उन्हें अमेरिका आने का आमंत्रण भी दिया। ज्ञातव्य है कि वह उत्तराखण्ड सहित भारत के अन्तरराष्ट्रीय योग शिविरों में स्वास्थ्य प्रशिक्षक के रूप में सेवाएँ देने के लिए प्रतिवर्ष अमेरिका से भारत आती रही हैं।

आज बड़ी संख्या में स्त्री-पुरुषों ने सन्तश्री सुधांशु जी महाराज से गुरुदीक्षा ग्रहण की। मुख्य संयोजक श्री प्रेम सिंह राठौर ने बताया कि सत्संग समारोह का समापन आज सायंकाल ६.३० होगा।

गुरुदेव ने मातृवत् व पितृवत् किया शिष्यों का मार्गदर्शन, दिए जीवन सूत्र

“दक्षिण भारत के अमृतधाम में हुई अमृत वर्षा”

Gurudev gave guidance to the mother and father-in-law, given life formula | Sudhanshuji Maharajहैदराबाद, 5 जनवरी(पूर्वाह्न)। विश्व जागृति मिशन के मुखिया सदगुरु श्री सुधांशु जी महाराज आज तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के ग्रामीणांचल में स्थित अमृतधाम आश्रम पहुँचे। उन्होंने आश्रम में ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों से बड़ी संख्या में पधारे स्त्री-पुरुषों का आध्यात्मिक मार्गदर्शन किया। उन्होंने विशाल साधक परिवार के नर-नारियों को सफल जीवन के अनेक सूत्र दिए। उन्होंने परिवर्तन के इन विशेष क्षणों में वैयक्तिक जीवन साधना पर विशेष ज़ोर देने का आह्वान सभी से किया।

श्री सुधांशु जी महाराज ने गीतानायक प्रभु श्रीकृष्ण के महाशंख ‘पान्चजन्य’’ को ‘पंच-प्यारे’ और ‘न्याय-शंख की संज्ञा दी और मौजूद जनसमुदाय से कहा कि वे साधनात्मक जीवन जीते हुए जहाँ निर्मल मन व स्वच्छ तन के धनी बनकर सीधे-सच्चे व्यक्ति बनें, वहीं अनीति व अन्याय के ख़िलाफ़ महाकाल के प्रतिनिधि बनकर तनकर खड़े हों। सदाशिव भगवान शंकर के विशालकाय मन्दिर के समीप स्थित सत्संग सभागार में मौजूद जनमानस से उन्होंने सच्चा शिवभक्त बनने की अपील की। उन्होंने कहा कि भगवान शंकर को वीरभद्र सर्वाधिक प्रिय होते हैं।

इसके पूर्व रमा जैमिनी और उनकी संगीत टीम ने तेलगू भाषा के गीत और विशेष धुन के साथ श्रद्धेय महाराजश्री का स्वागत किया। वयोवृद्ध कवि व तेलगू लेखिका श्रीमती पी.शारदा ने विशेष अर्चन-गीत के साथ मिशन प्रमुख का अभिनंदन किया। आनन्दधाम संगीत विभाग के सदस्यों ने भी भजन प्रस्तुत किए।

सन्तश्री सुधांशु जी महाराज के अमृतधाम पहुँचने पर विजामि के मण्डल प्रधान श्री प्रेम सिंह राठौर ने अमृतधाम परिवार की ओर से उनका माल्यार्पण कर स्वागत किया। मिशन प्रमुख ने आश्रम स्थापना से अब तक पिछले बीस वर्षों में निष्ठापूर्वक सेवा कर रहे विद्वान धर्माचार्य पण्डित सर्वज्ञ शर्मा और युवा आचार्य पं.शशि कुमार शर्मा को अंगवस्त्र भेंट कर उन्हें स्नेहाशीष प्रदान किया। इस मौक़े पर गौशाला प्रबन्धक श्री सूर्य नारायण ठाकुर तथा सक्रिय सहयोगी श्री दीना जी का अभिनंदन उनके सराहनीय कार्यों के लिए किया गया।

ज्ञातव्य है कि अमृतधाम में वृद्धाश्रम का संचालन भी किया जा रहा है। यहाँ शिव मन्दिर के अलावा मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम, भक्तराज हनुमान एवं गोपाल श्रीकृष्ण की प्रतिमाएँ विद्यमान हैं। लगभग नौ एकड़ में बसा यह आश्रम पठारी पहाड़ियों एवं विशाल झील से घिरा हुआ है। अमृतधाम आश्रम हैदराबाद रेलवे स्टेशन से १५ किलोमीटर दूर मंचीरेवुला-नारसिंगी में ५०० फ़ुट चौड़े राजमार्ग पर स्थित है।

द्वेषरहित-प्रेम-करुणा-सेवाभावी परमेश्वर को प्रिय हैं | सुधांशु जी महाराज | हैदराबाद | 3 जनवरी | 2019

द्वेषरहित, प्रेम व करुणा से पूरित, सेवाभावी व्यक्ति परमेश्वर को सर्वथा प्रिय हैं

हीरानगरी हैदराबाद में श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा

“हे जग पिता हे जग प्रभू मुझे अपने नाम का दान दो”

विश्व जागृति मिशन का सन् 2019 का पहला कार्यक्रम दक्षिण भारत में

हैदराबाद में विराट् भक्ति सत्संग का हुआ श्रीगणेश

हैदराबाद, 03 जनवरी। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की संयुक्त राजधानी हैदराबाद में विश्व जागृति मिशन का विराट् भक्ति सत्संग महोत्सव आज सन्ध्याकाल शुरू हो गया। सन 2019 के प्रथम विशाल कार्यक्रम को सम्बोधित करने मिशन प्रमुख सन्तश्री सुधांशु जी महाराज आज मध्यान्हकाल नई दिल्ली से हैदराबाद पहुँचे। यहाँ नामपल्ली क्षेत्र स्थित ललित कला तोरणम् के विशालकाय प्रांगण में सत्संग का लाभ उठाने भारी संख्या में ज्ञान-जिज्ञासु पहुँचे। सत्संग समारोह में श्री स्वामि नारायण सम्प्रदाय के सन्तों सहित दक्षिण भारत की अनेक आध्यात्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

विश्व जागृति मिशन के अन्तरराष्ट्रीय प्रधान श्री प्रेम सिंह राठौर ने सर्वप्रथम उपस्थित जनसमुदाय की ओर से आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज का माल्यार्पण कर भावभीना अभिनंदन किया। इसके पूर्व श्री राठौर एवं मिशन के महामन्त्री श्री देवराज कटारिया ने विद्वान आचार्यों द्वारा वेदमंत्रोच्चार के बीच वैदिक रीति से व्यास पूजन किया।

सत्संग के उदघाटन सत्र में सन्त श्री सुधांशु जी महाराज ने उपस्थित जन-समुदाय को सम्बोधित करते हुएकहा कि मनुष्य ने जब से इस धरती पर क़दम रखे, तब से उसने ईश प्रार्थना की है। मनुष्य ससीम है लेकिन परमात्मा असीम है। दुनिया के सभी मजहबों व सम्प्रदायों में अपने प्राणप्रिय परमात्मा की प्रार्थना का विधान है। उन्होंने “हे जगपिता हे जगप्रभू मुझे अपने नाम का दान दो” प्रार्थना गीत का संगीतबद्ध समूह-गायन स्वयं कराया, जिससे ललित कला केन्द्र का पूरा परिसर अनूठे दिव्य भावों से भर उठा।

श्री सुधांशु जी महाराज ने हैदराबाद को देश की ऐतिहासिक नगरी बताया। कहा कि हमारी संस्कृति राम और कृष्ण की रही है। करोड़ों-अरबों के आराध्य श्रीराम ने आचार व विचार तथा मर्यादा की संस्कृति राष्ट्र-विश्व को दी, वहीं जीवन दर्शन एवं जीवन जीने की कला गीतानायक श्रीकृष्ण ने मानव समाज को प्रदान की। एक माली-किसान द्वारा वृक्षारोपण करते समय एक राजा द्वारा भेष बदलकर उससे किये गए सवाल और माली द्वारा उत्तर दिए जाने की इतिहास-घटना का जिक्र करते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने देशवासियों का आहवान किया कि पिछली पीढ़ियों द्वारा रोपी गई वाटिकाओं के फलों-फूलों का जिस तरह हमने उपभोग किया है उसी तरह हम ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण करके भावी पीढ़ियों को स्वस्थ पर्यावरण एवं समृद्ध प्रकृति की सतत् विरासत की श्रृंखला देते रहें।

मिशन प्रमुख ने आध्यात्मिक एवं पारमार्थिक दोनों स्तंभों को सुदृढ़ बनाने की अपील सभी से की। उन्होंने कहा कि प्रेमपूर्ण हृदय वाले, द्वेष रहित, मैत्री भाव से परिपूर्ण, करुणापूरित हृदय और समाज के प्रति सेवा भाव वाले व्यक्ति परमात्मा को अतिप्रिय होते हैं।

विश्व जागृति मिशन के हैदराबाद मण्डल के महामंत्री श्री आनन्द श्रीवास्तव ने बताया कि सत्संग समारोह का समापन 06 जनवरी की सायंकाल होगा। उन्होंने बताया कि सत्संग स्थल पर कल शुक्रवार एवं शनिवार को केवल सायंकालीन सत्र ही सम्पन्न होगा, जो ४ से ६ बजे तक चलेगा। शनिवार को प्रातःकालीन सत्र नारसिंगी में स्थित मिशन के अमृतधाम आश्रम में प्रातः10 बजे से आरम्भ होगा। रविवार को प्रातः 07 से 09 बजे ध्यान साधना इसी सत्संग स्थल पर सम्पन्न होगी। उन्होंने बताया कि उस दिन पूर्वाहनकॉल 10 बजे से सामूहिक मन्त्र दीक्षा का आयोजन किया गया है। विदाई व समापन सत्र रविवार को अपराह्न 04 बजे शुरू होगा तथा सायंकाल 06 बजे सत्संग महोत्सव का समापन होगा।