रात्रिकालीन तत्वबोध साधना एवं प्रातःकालीन आत्मबोध साधना पर दें पूरा ध्यान

पुणे के वर्धमान सांस्कृतिक केन्द्र में श्री सुधांशु जी महाराज ने किया आहवान

Virat Bhakti Satsang Pune 24-Feb-19 | Sudhanshu Ji Maharajपुणे, 24 फरवरी (प्रातः)। रात्रि में शयन के पहले आत्मचिन्तन और दिन भर की अपनी गतिविधियों एवं अच्छाईयों-त्रुटियों पर गहरी दृष्टि डालना एक ऐसी साधना है, जो व्यक्ति के जीवन में आत्म-सुधार के अनेक द्वार खोल देती है। इसी तरह प्रातः काल उठने पर प्रभु का ध्यान करके उनसे अच्छा दिन प्रदान करने की प्रार्थना तथा दिन भर की निज-चर्या के नियोजन पर गम्भीर चिन्तन करके मनुष्य बाह्य जीवन एवं आंतरिक जीवन को ऐसा परिष्कृत कर लेता है, जिसकी तुलना किसी अन्य उपलब्धि से कमतर नहीं आँकी जा सकती।

यह बात आज पूना नगर के वर्धमान सांस्कृतिक केन्द्र प्रांगण में चले ध्यान-योग सत्र में हजारों की संख्या में भाग ले रहे ध्यान-जिज्ञासुओं को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि निरीक्षण और परीक्षण का जीवन में बड़ा महत्व है। आत्म निरीक्षण, आत्म परीक्षण एवं आत्म सुधार की त्रिवेणी बनने पर आपका जीवन परिष्कार की ऐसी डगर पर चल पड़ता है जो जीवन लक्ष्य की प्राप्ति तो कराता ही है, उसे सफलता के उच्च शिखरों तक पहुंचा देता है। शान्ति में सोने और आनन्द में जागने की इस प्रक्रिया को ‘तत्वबोध’ तथा ‘आत्मबोध’ की उच्चस्तरीय साधना बताते हुए विश्व जागृति मिशन के प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि ये छोटे-छोटे से लगने व दिखने वाले अभ्यास व्यक्ति को बहुत ऊँचा उठा देते हैं।

नई दिल्ली से आये विश्व जागृति मिशन प्रतिनिधि श्री प्रयाग शास्त्री ने जानकारी दी कि घरों में बीमारियों का प्रवेश रोकने के उद्देश्य से संचालित युगऋषि आयुर्वेद के 175 उत्पाद देशवासियों को प्रभावी लाभ प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जय तुलसी, नवरस संजीवनी, मधुसूदनी रस, अमृत केसरी, आयुष वीटा, घी, शुभ्रदन्ति, लिव स्ट्रोंग, युरिटोन, सखी अमृत, पीड़ाशांतक तथा चन्दन सुधा नामक उत्पादों की सर्वाधिक माँग समाज से प्राप्त हो रही है। बताया कि इन आयुर्वेदिक उत्पादों के उपभोक्ताओं की विविध बीमारियाँ दूर हो रही हैं।

कार्यक्रम का मंचीय समन्वयन व संचालन कर रहे मिशन निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने बताया कि सत्संग महोत्सव का समापन आज सायंकाल छः बजे होगा।

परमात्मा के प्रेम में जीने वालों का ही जीवन सार्थक होता है

ईश्वर से जुड़ने पर प्राप्त होती है शान्ति व आनन्द

पुणे में ध्यानगुरु डॉक्टर अर्चिका दीदी ने कहा

Virat Bhakti Satsang Pune 23 Feb 19 | Dr. Archika Didiपुणे, 23 फरवरी (सायं)। विश्व जागृति मिशन के तत्वावधान में चल रहे विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के चतुर्थ दिवस की सन्ध्याकाल सम्पन्न अमृत वर्षा कार्यक्रम में मिशन की उपाध्यक्ष ध्यानगुरु डॉ. अर्चिका दीदी ने कहा कि जीवन उसी व्यक्ति का सार्थक है जो परमात्मा के प्रेम में जीता है। यह प्रेम रंग सदगुरु से मिलता है। उन्होंने कहा कि प्रेमपूर्ण व्यक्ति प्राणिमात्र के प्रति संवेदनशील होता है। वह जड़ में, चेतन में, सर्वत्र अपने प्रभु को ही देखता है। उसे प्रभु के नाम जप में रस आने लगता है।

डॉ. अर्चिका दीदी ने श्रीमद्भवतगीता के महत्वपूर्ण प्रसंग उद्घृत किये और कहा कि जिस तरह मानव को बर्फ से शीतलता, अग्नि से उष्णता मिलती है उसी तरह परमात्मा से जुड़ने पर उसे शान्ति और आनन्द मिलता है। डॉक्टर दीदी ने कहा कि भक्ति बाहरी विषय नहीं है वह तो आन्तरिक विषय है। शरीर के साथ मन भी जुड़ जाए तो सोने में सुहागा की स्थिति बन जाती है।

डॉ. अर्चिका दीदी ने अहंकार को आध्यात्मिक प्रगति में सबसे बड़ी बाधा बताया और कहा कि आदमी अहंकार को जितना-जितना छांटता जाता है, उसका भक्ति का मार्ग उतना ही आसान होता जाता है। उन्होंने धन्यवादी बनने की प्रेरणा सभी को दी और कहा कि सच्चा व्यक्ति शिकायती नहीं बल्कि धन्यवादी होता है। इसलिए परमात्मा की अनन्त देनों को बार-बार स्मरण करना चाहिए। इससे भक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है और व्यक्ति लगातार ऊपर उठता चला जाता है।

मंच का संचालन करते हुए आनन्दधाम नई दिल्ली से आये आचार्य अनिल झा ने मिशन की गतिविधियों की जानकारी उपस्थित जनसमुदाय को दी। विश्व जागृति मिशन पुणे मण्डल के प्रधान श्री घनश्याम झंवर, महासचिव श्री विष्णु भगवान अग्रवाल, उपाध्यक्ष श्री गणेश कामठे, संगठन मन्त्री श्री रवीन्द्र नाथ द्विवेदी आदि ने ध्यानगुरु डॉ. अर्चिका दीदी का नागरिक अभिनन्दन किया।

अन्न को देव कहा गया, भोजन भी एक तरह की उच्चस्तरीय पूजा है

अन्न को देव कहा गया, भोजन भी एक तरह की उच्चस्तरीय पूजा हैभोजन चबा-चबाकर करना अच्छे स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी

विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के पूर्वाहनकालीन सत्र में डॉ. अर्चिका दीदी ने किया ध्यान जिज्ञासुओं का मार्गदर्शन

सिखाए ध्यान-योग के महत्वपूर्ण सूत्र, साधक हुए भावविभोर

पुणे, 23 फरवरी (प्रातः)। विश्व जागृति मिशन के पुणे मण्डल द्वारा यहाँ आयोजित पाँच दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के चौथे दिन के सत्र का कुशल संचालन विजामि की उपाध्यक्ष ध्यानगुरु डॉ. अर्चिका दीदी ने किया। उन्होंने अन्न को देव की श्रेणी में रखकर भोजन को भी पूजा मानकर उसे ग्रहण करने का परामर्श उपस्थित ध्यान-जिज्ञासुओं को दिया। उन्होंने भोजन को उच्चस्तरीय पूजा की संज्ञा दी और बिना देर किए भोजन प्रक्रिया को ठीक से ग्रहण करने का आह्वान सभी से किया।

विश्व जागृति मिशन (आनन्दधाम नयी दिल्ली) की उपाध्यक्ष ध्यानगुरु डॉ. अर्चिका दीदी, पीएच.डी. ने आज प्रातःकाल पुणे महानगर पहुंचकर कोंढवा मार्ग पर स्थित वर्धमान सांस्कृतिक केन्द्र पण्डाल में पहुँचकर यहाँ चल रहे भक्ति सत्संग समारोह के ध्यान-योग-सत्र को सम्बोधित किया। उन्होंने साधकों को ध्यान योग की क्रियाएँ व्यावहारिक रूप से भी सिखाईं। कहा कि खूब चबा-चबाकर भोजन करना अच्छे स्वास्थ्य के लिए अत्यावश्यक है। उन्होंने कहा कि खान-पान, रहन-सहन एवं आचार-विचार के क्षेत्र में निज को व्यवस्थित करने वाले व्यक्तियों के जीवन और घर में बीमारियों का प्रवेश नहीं होता। बताया कि ३२ दाँतों का उपयोग करके एक कौर की ३२ बार चबाकर भोजन-रस को परमात्म-अमृत बना लेने वाले व्यक्ति इसके सम्पूर्ण पोषक तत्वों का लाभ उठा पाते हैं और स्वस्थ रहते हैं। उन्होंने स्वस्थवृत्त के अनेक महत्वपूर्ण सूत्र सभी को दिए और उन्हें अपनी दिनचर्या में शामिल करने को कहा। उन्होंने श्वांस-प्रश्वांस की सही विधि सभी को सिखाईं और उन्हें व्यवस्थित करने की सलाह दी।

विश्व जागृति मिशन के पुणे मण्डल के प्रधान श्री घनश्याम झँवर ने जानकारी दी कि मिशन प्रमुख श्रद्धेय सुधांशु जी महाराज के मार्गदर्शन में पुणे महानगर में साल १९९८ से विभिन्न आध्यात्मिक एवं सेवा गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कल रविवार को पुणे भक्ति सत्संग महोत्सव का समापन दिवस है। आज सायंकाल डॉ.अर्चिका दीदी उपस्थित जनसमुदाय को सम्बोधित करेंगी। श्री झँवर ने यह भी बताया कि मिशन प्रमुख पूज्य गुरुदेव रविवार सुबह ध्यान-योग सत्र को सम्बोधित करेंगे।मध्यानहकाल सामूहिक मन्त्र दीक्षा इच्छुक स्त्री-पुरुषों को दी जाएगी। समापन सत्र का समय अपराहन 04 बजे से 06 बजे तक निर्धारित किया गया है।

श्रेष्ठ गुरु और समर्पित शिष्य का मिलन बदलता है जमाने की फिजा

गुरु से जुड़ाव यानी सत्य सिद्धान्तों से जुड़ाव

नेताजी शब्द सुभाष चन्द्र बोस के साथ ही अच्छा लगता है

”हे नाथ अब तो ऐसी दया हो जीवन निरर्थक जाने न पाए”

विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का तीसरा दिन

Virat Bhakti Satsang Pune 22-Feb-2019 | Sudhanshu Ji Maharajपुणे, 22 फरवरी (सायं)। विश्व जागृति मिशन द्वारा यहाँ आयोजित पंचदिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के तीसरे दिवस की सन्ध्या गुरु-शिष्य माहात्म्य को समर्पित रही। मिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज की चल रही व्याख्यानमाला में आज शाम देवभूमि भारतवर्ष के महान गुरुओं और स्वनामधन्य शिष्यों की चर्चा विस्तार से की गई। गुरु से शिष्य के जुड़ाव को उन्होंने सत्य-सिद्धांतों से जुड़ाव की संज्ञा दी।

इस अवसर पर श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि गुरु का अपने शिष्य के प्रति प्रेम किसी भी माता-पिता से कम नहीं होता। गुरु शिष्य के प्रति कठोर दिखता है लेकिन रामराज्य काल में अयोध्या से वन को जाने के बाद माता जानकी द्वारा दो पुत्रों लव और कुश को जन्म देने, कठोरता के साथ उनका लालन-पालन करने की इतिहास घटना सुनाते हुए उन्होंने अपने बच्चों को मुश्किलों व कठिनाइयों से रूबरू कराने की प्रेरणा सभी को दी। उन्होंने दुनिया से ऊपर उठकर कमल-पत्रवत् जीवन जीने को कहा।

भारत की ग्रामीण संस्कृति में ढेरों परिवर्तनों के बाद भी अनेक अच्छाइयाँ बताते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि शहरों में गायों को सड़कों पर लावारिस घूमते हुए और कुत्तों को प्यार के साथ बच्चे की भाँति घुमाते हुए देखकर ग्रामीण जन-मन को बेहद अचरज होता है। वह ग्रामीण सोचता है कि हमारे गाँव में कुत्ते आवारा घूमते हैं और गायों को सुरक्षित रखकर उनकी सेवा की जाती है। उन्होंने भारतीय ग्रामीण संस्कृति को अनुकरणीय बताया।

नई दिल्ली से आये मिशन के धर्मादा अधिकारी श्री जी.सी.जोशी ने बताया कि विश्व जागृति मिशन द्वारा नौ धर्मादा सेवाओं को विस्तार दिया जा रहा है, जिनमें स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा सेवा, वृद्धाश्रम-वानप्रस्थ सेवा, प्राकृतिक आपदा प्रबंधन सेवा, गौ पालन-गौ संवर्धन सेवा, योग-साधना सेवा, सत्संग सेवा एवं भंडारा सेवा आदि सम्मिलित हैं।

सत्संग महोत्सव के मंचीय समन्वयक एवं संचालक श्री राम महेश मिश्र ने बताया कि कार्यक्रम का समापन रविवार को सन्ध्याकाल होगा।

जो व्यक्ति को सत्य की ओर उन्मुख कर दे वही सत्संग है

सत्संग से आस्था और श्रद्धा में दृढ़ता आती है

‘गुरु गोविन्द गायो नहीं जन्म अकारथ कीन्ह”

विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का दूसरा दिवस

Virat Bhakti Satsang Pune-21-Feb-19 | Sudhanshu Ji Maharajपुणे, 21 फरवरी (सायं)। विश्व जागृति मिशन के पुणे मण्डल द्वारा आयोजित विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के दूसरे दिवस के सायंकालीन आध्यात्मिक सन्देश का शुभारंभ शिव वन्दना से हुआ। ॐ नमः शिवाय के सामूहिक संकीर्तन से आरम्भ हुए सत्र में मिशन के संस्थापक-संरक्षक श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि व्यक्ति को सत्य की ओर जो उन्मुख कर दे उसी का नाम सत्संग है। जहाँ से शुद्ध, निर्मल और पवित्र हवा प्रवाहित होने लगे, उसे सत्संग कहा जाना चाहिए। सत्संग भ्रमों से, भटकाओं से मुक्ति दिलाने में समर्थ होता है। उन्होंने कहा कि जहाँ से भ्रमों का उच्छेदन हो जाये, निराशा हटने लगे, विवेकशीलता बढ़ने लगे, स्नेह व प्यार की गंगा प्रवाहित होने लगे, वही सत्संग है। सत्संग न केवल व्यक्ति को बल्कि उसकी पीढ़ियों के जीवन पथ को प्रकाशित कर देता है। उन्होंने कहा कि सत्संग से आस्था और श्रद्धा में दृढ़ता बढ़ जाती है।

आज की संध्या दिव्य भजनों को समर्पित रही। आनन्दधाम नई दिल्ली से आए आचार्य अनिल झा, कश्मीरी लाल चुग एवं राम बिहारी ने प्रेरक भजन प्रस्तुत किये। वाद्ययंत्रों पर उनका सहयोग श्री चुन्नी लाल तंवर, श्री राहुल आनन्द एवं रवि शंकर ने दिया।

विश्व जागृति मिशन के पुणे मण्डल के वरिष्ठ संगठन सचिव श्री रवीन्द्र नाथ द्विवेदी ने बताया कि सत्संग स्थल पर श्री प्रयाग शास्त्री की अगुवाई में एक दर्जन स्टॉल लगाए गए हैं, जिनके माध्यम से प्रेरक साहित्य, अनाथ (देवदूत) बच्चों की शिक्षा, युगऋषि आयुर्वेद, वृद्धजन सेवा, गौ सेवा, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा सेवा आदि क्रियाकलापों की जानकारी आगंतुक स्त्री-पुरुषों को दी जा रही है। उन्होंने मिशन के पुणे मण्डल द्वारा स्थानीय स्तर पर चलाई जा रही साप्ताहिक गतिविधियों की जानकारी भी दी।

भारत को बचाना है तो मातृभाषा सहित भारतीय भाषाओं को बचाना होगा

save India, save Indian languages ​​पुणे, 21 फरवरी (प्रातः)। विश्व जागृति मिशन द्वारा यहाँ वर्धमान सांस्कृतिक केन्द्र प्रांगण में आयोजित विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के दूसरे दिन के पूर्वाह्कालीन सत्र में मिशन प्रमुख श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि जिन वृत्तियों को हम इस जीवन में जीते हैं, उन्हीं के अनुरूप अगला जीवन जीव को प्राप्त होता है। इसलिए हमें अपनी आदतों, वृत्तियों, प्रवृत्तियों पर गहरी नजर रखनी चाहिए और जीवन को सही दिशा में आगे बढ़ाना चाहिए।

भारतवर्ष के मशहूर अध्यात्म पुरुष आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने स्थूल, सूक्ष्म एवं कारण शरीर का ज्ञान-विज्ञान सत्संग समारोह में उपस्थित सभी ज्ञान-जिज्ञासुओं को समझाया और कहा कि स्थूल यानी दिखने वाले इस शरीर को ही अपना सब कुछ मान लेने वाले व्यक्ति अपार घाटे में रहते हैं। उन्होंने सूक्ष्म एवं कारण शरीरों के तत्वज्ञान पर प्रकाश डाला औऱ कहा कि मन, बुद्धि, चित्त, हिम्मत, धैर्य, सन्तुलन, दया, वफादारी, शालीनता, सहनशीलता, स्थिरता, योग्यता आदि में चरम सफलता के लिए स्थूल से ऊपर उठकर सूक्ष्म एवं कारण के महत्व को जानना और आत्मसात करना होगा। उन्होंने ध्यान-योग सत्र में बड़ी संख्या में पधारे स्त्री-पुरुषों को इनका व्यावहारिक प्रशिक्षण भी सभी को दिया।

मिशन प्रमुख ने कहा कि स्थूल शरीर मृत्यु के समय यहीं रह जाएगा, केवल सूक्ष्म एवं काऱण शरीर साथ जाएगा, आप इन दोनों को मजबूती दीजिये। उन्होंने निज-परिवार के अलावा एक बड़ा आध्यात्मिक परिवार बनाने की प्रेरणा भी सबको दी।

संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (२१ फ़रवरी) पर चर्चा करते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने अपनी मातृभाषा का समुचित सम्मान करने का आहवान किया। कहा कि अपनी जड़ों से जुड़े रहने वाले लोग ही मजबूत बनते हैं। मातृभाषा को सब कुछ दे सकने वाली कामधेनु और कल्पवृक्ष की संज्ञा देते हुए उन्होंने कहा कि निज की मातृभाषा व्यक्ति को पोषण, बुद्धि और बल प्रदान करती है। उन्होंने अपनी-अपनी मातृभाषा को बचाकर अपनी सभ्यता, संस्कृति, धर्म, परम्परा, आत्मबोध, राष्ट्र बोध, ज्ञान-विज्ञान और देश के भविष्य को बचाने को कहा। उन्होंने कहा कि हिन्दी सभी भाषाओं का महान सेतु है।

विश्व जागृति मिशन नयी दिल्ली के निदेशक श्री राम महेश मिश्र के मंचीय मार्गदर्शन में चल रहे इस सत्संग समारोह के मुख्य संयोजक एवं मिशन के पुणे मण्डल के प्रधान श्री घनश्याम झंवर ने बताया कि दिव्य भक्ति सत्संग महोत्सव रविवार 24 फरवरी की सायंकाल तक चलेगा। समापन दिवस पर मध्यान्हकाल 12 बजे सामूहिक मन्त्र दीक्षा का कार्यक्रम सत्संग सभागार में ही सम्पन्न होगा, जिसके पंजीकरण की प्रक्रिया आरम्भ हो चुकी है। उन्होंने सत्संग का अधिक से अधिक लाभ लेने का आहवान पुणेवासियों से किया।

प्रार्थना ऐसी हो जो ह्रदय से निकलकर सीधे ईश्वर तक पहुँचे

 Prayer reaches God to the heartविश्व के हर पंथ-मजहब में है प्रार्थना का समान महत्व सन्त रविदास की भाँति कर्म को पूजा बनाएँ

विश्व जागृति मिशन प्रमुख श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा

”शरण में आ पड़ा तेरी, प्रभु मुझको भुलाना ना”

पुणे में विराट भक्ति सत्संग महोत्सव शुरू

पुणे, 20 फरवरी। प्रार्थना की शक्ति असीम है। प्रार्थना का अपना ज्ञान-विज्ञान बड़ा विलक्षण है। हमारी प्रार्थना ऐसी हो जो हृदय से निकले और सीधे ईश्वर तक पहुँचे। निर्मल मन वाले सच्चे साधक की प्रार्थना प्रभु अवश्य स्वीकार करते हैं और उसे संरक्षण प्रदान करते हैं। इसलिए प्रार्थना को अपनी दिनचर्या का अभिन्न अंग बनाएँ।

यह बात आज महाराष्ट्र के प्रमुख नगर पुणे के गंगाराम-कोठवा मार्ग पर स्थित वर्धमान सांस्कृतिक केन्द्र प्रांगण में प्रख्यात चिन्तक, विचारक, अध्यात्मवेत्ता आचार्य सुधांशु जी महाराज ने कही। वह विश्व जागृति मिशन के पुणे मण्डल के द्वारा मुख्यालय आनन्दधाम के तत्त्वावधान में आयोजित पाँच दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के उदघाटन सत्र में वहाँ हजारों की संख्या में उपस्थित ज्ञान-जिज्ञासुओं को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दुनिया की 760 करोड़ आबादी में करीब 300 मत-पंथ सम्प्रदाय हैं। सभी ने प्रार्थना के महत्व को समझा है और उसे अंगीकार किया है। उन्होंने प्रार्थना की सार्वभौमिकता की चर्चा की और देश की एक सार्वभौम प्रार्थना का जरूरत जताई।

श्रद्धेय श्री सुधांशु जी महाराज ने ऋषिवर शमीक के अपमान पर उनके पुत्र श्रृंगी ऋषि द्वारा दिये गए श्राप के बाद राजा परीक्षित द्वारा अपने पुत्र जनमेजय को राज्यभार सौंपकर एक सप्ताह की कथा विद्वान ऋषि शुकदेव से सुनने की इतिहास-घटना का जिक्र किया और कहा कि कथा वह है जो मनुष्य की व्यथा का हरण करे। उन्होंने शुकदेव-परीक्षित संवाद में उठे प्रश्नों व उत्तरों को जनहितकारी कथा की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि ये कथाएँ मानवमात्र के लिए कल्याणकारी है।

उन्होंने सन्त रविदास की तरह कर्म का संपादन उच्चस्तरीय ढंग से करते हुए ईश्वर प्रार्थना करने की प्रेरणा उपस्थित जनसमुदाय से कहा। उन्होंने पूजा-प्रार्थना को धंधा न बनाकर कर्म-धंधे को ही पूजा बना लेने को सर्वोच्च प्रार्थना बताया।

इसके पूर्व श्री सुधांशु जी महाराज ने दीपप्रज्ज्वलन करके पाँच दिनी भक्ति सत्संग समारोह का उदघाटन किया। इस मौके पर मिशन के महामंत्री श्री देवराज कटारिया, पुणे मण्डल के प्रधान श्री घनश्याम झंवर, उल्हासनगर (मुम्बई) के प्रधान श्री सुरेश माणिक, पुणे मण्डल के महामंत्री श्री विष्णु भगवान अग्रवाल, संगठन सचिव श्री रवीन्द्र नाथ द्विवेदी सहित कई गण्यमान व्यक्ति मौजूद रहे।

संगीतमय सत्संग महोत्सव का मंचीय समन्वयन एवं संचालन नई दिल्ली से आये विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया।

समुदाय में प्रार्थना का विशेष महत्व है, समूह मन की शक्ति जागृत कराएँ

”हरि ॐ नमो नारायणाय से गूँजा सूरज मैदान”

विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का हुआ समापन

Virat Bhakti Satsang Jaipur 17 Feb 2019 | Sudhanshu Ji Maharajजयपुर, 17 फरवरी (सायं)। विश्व जागृति मिशन के जयपुर मण्डल द्वारा आयोजित चार दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का आज विधिवत समापन हो गया। सूरज मैदान में सम्पन्न सत्संग समारोह में मिशन प्रमुख श्रद्धेय महाराजश्री ने प्रार्थना की शक्ति पर विशेष प्रकाश डाला। उन्होंने समूह मन की प्रार्थना पर विशेष बल दिया। कहा कि जीवन की प्रयोगशाला हमारे घर का ‘मन्दिर’ है। जब काल विकराल रूप लेकर हमारी परीक्षा लेता है तब महाकाल शिव की प्रार्थना हमें संरक्षण देती है और हम संरक्षित होते हैं।

”ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम् पुष्टिबर्धनम् उर्वारुकमिव बंद्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्” और ”ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुरवरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात” का समूह गायन कराते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि जो समुदाय सामूहिक ईश प्रार्थना करता है वह बेहद शक्तिशाली बनता है, क्योंकि हजारों-लाखों कण्ठों से की गई प्रार्थना से समूह मन की विलक्षण शक्ति का सृजन होता है। उन्होंने कहा ध्यान रहे! समूह मन के अद्भुत निर्माण से अर्जित इस ईश-शक्ति का उपयोग धर्म-भाव से ही किया जाना चाहिए। इसका सदुपयोग ही होना चाहिए, दुरुपयोग नहीं, क्योंकि दुरुपयोग उस व्यक्ति या समूह को ही भारी हानि पहुँचाता है।

इसके पूर्व भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष श्री अशोक परनामी, विधायक एवं राज्य के पूर्व काबीना मन्त्री श्री काली चरण सर्राफ, सहायक सूचना आयुक्त श्री मनमोहन हर्ष, जिला शिक्षा अधिकारी लालसोट श्री सीता राम शर्मा आदि ने सत्संग सभा स्थल पहुँचकर श्री सुधांशु जी महाराज का अभिनन्दन किया।

नई दिल्ली विदाई के पूर्व विश्व जागृति मिशन प्रमुख श्री सुधांशु जी महाराज नागरिक अभिनन्दन जयपुरवासियों द्वारा किया गया। इस दल में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की राजस्थान राज्य समिति के अध्यक्ष जस्टिस दीपक माहेश्वरी भी शामिल रहे। मिशन के जयपुर मण्डल के वरिष्ठ पदाधिकारियों श्री मदन लाल अग्रवाल, श्री नारायण दास गंगवानी, श्री रमेश चन्द्र सेन, श्री द्वारका प्रसाद मुटरेजा, श्री गोपाल बजाज, श्री सुरेश शर्मा, श्री सत्यनारायण कुमावत, श्री पी आर खुराना, श्री दिलीप, श्री दिनेश गुप्ता, श्री पी पी गुप्ता, श्री राजेश अग्रवाल, आचार्य अभिषेक तिवारी तथा आचार्य विष्णु शर्मा ने श्रद्धेय महाराजश्री को भावभीनी विदाई दी। समापन सत्र में सम्पन्न देव आरती में उपस्थित हजारों नर-नारी भक्ति भाव से सराबोर हो उठे।

समस्त कार्यक्रमों का मंचीय समन्वयन एवं मुख्य संचालन नई दिल्ली से आए विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया।

मानव जीवन असाधारण और बेशकीमती है

विजामि प्रमुख ने शरीरबल, आत्मबल, विद्याबल, बुद्धिबल से सम्पन्न होने के दिये सूत्र

ध्यान कक्षा से प्रमुदित हुए तन, मन और जीवन

Virat Bhakti Satsang Jaipur 17 Feb 19 | Sudhanshu Ji Maharajजयपुर, 17 फरवरी (प्रातः)। मानव जीवन साधारण नहीं, बल्कि यह असाधारण है, यह जीवन बेहद मूल्यवान है, वेशकीमती है। इसके लिए हमें शरीरबल, विद्याबल, बुद्धिबल, आत्मबल, सभी को बढ़ाना होगा। माता दुर्गा की 08 भुजाएँ ऐसी ही 08 शक्तियों का प्रतिनिधित्व देती है और उन शक्तियों को अर्जित करने की प्रेरणा मानव मात्र को देती है। इसके आध्यात्मिक सूत्र, इसके व्यावहारिक फार्मूले मानव काया में आने के बाद जीवन में उतारने का अभ्यास करना पड़ता है। मानव तनधारी हर व्यक्ति को ये अभ्यास करना ही चाहिए।

यह बातें आज गुलाब नगरी के आदर्श नगर स्थित सूरज मैदान में विशाल जनसमुदाय को सम्बोधित करते हुए प्रख्यात चिन्तक, विचारक एवं अध्यात्मवेत्ता श्री सुधांशु जी महाराज ने कहीं। वह विश्व जागृति मिशन के जयपुर मण्डल द्वारा आयोजित चार दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव में राजस्थान सहित विभिन्न राज्यों से जयपुर पहुँचे ज्ञान-जिज्ञासुओं को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने ध्यान-योग की विभिन्न क्रियाएँ सभी को सिखाईं और अच्छे स्वास्थ्य के टिप्स उन्हें दिए।

विश्व जागृति मिशन जयपुर मण्डल के महामंत्री श्री आर सी सेन ने बताया कि आज मध्यान्हकाल भारी संख्या में स्त्री-पुरुषों ने गुरुदेव श्री सुधांशु जी महाराज से गुरुदीक्षा ली। आयकर विभाग में सहायक आयुक्त रहे श्री सेन ने बताया कि गुरु दीक्षा में विभिन्न स्थानों से आये मिशन साधक भी सम्मिलित हुए। उन्होंने बताया कि सत्संग समारोह का समापन आज सायंकाल होगा।

एक सक्षम गुरु और योग्य शिष्य बदल देता है जमाने की फिजा

चरण को पूजनीय बनाता है आचरण

‘गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु: गुरुदेवो महेश्वरः’

जयपुर सत्संग महोत्सव का तीसरा दिवस

Virat Bhakti Satsang Jaipur 16 Feb 2019 | Sudhanshu Ji Maharajजयपुर, 16 फरवरी (प्रातः)। विश्व जागृति मिशन जयपुर मण्डल द्वारा आयोजित विराट भक्ति सत्संग महोत्सव में मिशन प्रमुख श्री सुधांशु जी महाराज ने गुरु तत्व की महिमा पर विस्तार से प्रकाश डाला। इन पलों में ‘गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु: गुरुदेवो महेश्वरः’ के समूह संकीर्तन से पूरा सभा मण्डप गूँज उठा। इस अवसर पर श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि एक सक्षम गुरु और योग्य शिष्य पूरे जमाने की फिजा को बदल देते हैं। जरूरत होती है कि शिष्य आग में समिधा की भाँति अपने-आपको समर्पित कर दे।

आदर्श नगर के सूरज मैदान में चल रहे विराट भक्ति सत्संग महोत्सव की तीसरी सन्ध्या में विशाल जन समुदाय को सम्बोधित करते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने भारतीय आध्यात्मिक इतिहास के चुनिन्दा गुरुओं एवं शिष्यों की चर्चा की और उनकी विशेषताओं एवं उपलब्धियों की विवेचन की। उन्होंने श्रीकृष्ण और अर्जुन, ठाकुर राम कृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद, आचार्य चाणक्य और सम्राट चन्द्र गुप्त मौर्य, अरस्तू और अलेक्जेंडर, महात्मा बुद्ध और सारिपुत्र, समर्थ गुरु रामदास और परमवीर शिवाजी, रामानन्द और कबीर के द्वारा अपने समय के विपरीततम प्रवाह की दिशा को बदल देने की ऐतिहासिक घटनाएँ सुनायीं। श्रद्धेय महाराजश्री ने कहा कि यह सभी विभूतियाँ अपने उच्च आचरण के कारण ही महान और महानतम बनीं। उन्होंने कहा कि महान पुरुषों के चरण उनके श्रेष्ठ आचरण के कारण पूजनीय बना करते हैं, क्योंकि आचरण ही चरणों को श्रद्धा का पात्र बनाता है।

इसके पूर्व भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. अखिल शुक्ल, अंतरराष्ट्रीय कान्यकुब्ज ब्राह्मण महासंघ के प्रबंध निदेशक डॉ. विजय मिश्र, हिन्दी प्रचार-प्रसार संस्थान, राजस्थान के निदेशक डॉ. अविनाश शर्मा, अमृत गंगा चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री देवेन्द्र मक्कड़, श्री महेन्द्र सिंह, श्री राहुल गंगवानी आदि ने सभा स्थल पर पहुँचकर श्री सुधांशु जी महाराज का अभिनन्दन किया।

विजामि के जयपुर मण्डल के वरिष्ठ उपप्रधान श्री नारायण दास गंगवानी ने बताया कि रविवार को मध्यांहकाल सामूहिक मन्त्र दीक्षा सम्पन्न होगी। राजस्थान के विभिन्न अंचलों से बड़ी संख्या में आए नर-नारी श्री सुधांशु जी महाराज से गुरुदीक्षा ग्रहण करेंगे।