This Diwali, be the Reason of Someone Else’s Celebration

“कितने भी दिए जला ले, रौशनी दिल के अंदर तभी पहुंचेगी, जब इंसान इंसान के काम आएगा!”

 

this diwali be the reason of someone else celebration

“No Matter How Many Lamps You Illuminate, The Light Enters The Heart Only When A Man Serves The Mankind.”

Diwali is auspicious in so many different ways and the celebrations fulfill humanity’s need for money, knowledge, and health. But Diwali is not just about self-fulfillment and self-enjoyment rather, it’s also about sharing joy with complete strangers and making them happy. Can we do something for underprivileged? Let’s celebrate this Diwali differently and make them happy.

This Diwali, take a few small steps and become the reason for someone else’s celebration. This is what you can do.

Support Small-Time Traders

During the festival time, support small-time traders, vendors, artists, and artisans who open shops around our vicinity. They sell earthen lamps, ethnic ornaments, candles, and other decorative items. Buy from them and be the reason for their ‘happy Diwali moments’.

Distribute Sweets Among Underprivileged Children

On Diwali, you’ll receive many gifts including sweets and dry fruit boxes from your loved ones. Instead of wasting them away, put them to noble use, and gift them to the underprivileged children. You cannot imagine the bliss that you would feel by doing this.

Charity Begins at Home, Truly

Sometimes we don’t need to go very far from home for doing something divine. Surprise your domestic helpers with a day off and some extra cash so that they can celebrate the festival with their family.

Don’t Forget the People Who Are on Road

Be appreciative of people who make your festivals and life safe and enjoyable. Be it a food delivery guy, a newspaper vendor or grocery wallah – you can gift them a box of sweets or a small tip as a token of deep gratitude.

Spend Time at an Old Age Home

Old age is really lonely for many elderly people during festivals as they miss their youth and also their loved ones during the time badly. You are well capable of elevating their mood by meeting them with a small box of sweets and some sweet talks. Hear out their experience and get immense love in return.

Be Concerned for Environment

This is the duty of everyone to feel a little bit accountable for the environment. Fortunately, now only green crackers are available in the market to fight air and noise pollution. Use only these crackers while celebrating Diwali and you can gift them to an orphaned child as well to make them enjoy their day.

Be Compassionate to Street Dogs & Birds

This is also crucial as any firecracker can affect street dogs, birds, and other animals to a great extent. Careless use of even green firecrackers can seriously injure and, sometimes, kill these animals. This is truly heartbreaking. Play with crackers in a responsible manner so that animals don’t get scared.
Whatever you do on Diwali, just keep this in your mind that no one shall feel any kind of pain because of you and you can become a reason for someone else’s celebration.

A Very Happy Diwali to all!
Blessings!

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This Diwali, Along with Your Home Light up Someone’s Life | Sponsor a Girl Child

नवरात्रें में करें मां नवदुर्गा के नौ रूपों की पूजा | युगऋषि पूजा एवं अनुष्ठान केन्द्र

 

Wordship Nine forms of Goddess Drugra in Navratri

नवरात्रि में माता दुर्गा के नौ रूपों को पूजा जाता है। माता दुर्गा के इन सभी नौ रूपों का अपना अलग महत्व है। माता के प्रथम रूप को शैलपुत्री, दूसरे को ब्रह्मचारिणी, तीसरे को चंद्रघण्टा, चौथे को कूष्माण्डा, पांचवें को स्कन्दमाता, छठे को कात्यायनी, सातवें को कालरात्रि, आठवें को महागौरी तथा नौवें रूप को सिद्धिदात्री कहा जाता है। नवरात्रें में मां दुर्गा के प्रतिदिन अलग-अलग रूपों की पूजा विशेष फल देने वाली है।

मां शैलपुत्री

देवी की अराधना के लिए पूजन मंत्र-

वन्दे वांछितलाभाय, चंद्रार्धकृतशेखराम।
वृषारूढ़ां शूलधरां, शैलपुत्रीं यशस्विनीम।।

मां दुर्गा का पहला स्वरूप शैलपुत्री का है। पर्वतराज हिमालय के यहां पुत्री के रूप में उत्पन्न होने के कारण इनको शैलपुत्री कहा गया। यह बैल पर बैठीं, दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में पुष्प कमल धारण किए हुए हैं। त्रिशूल भक्त की दैहिक, दैविक और भौतिक तीनों तरह के तापों से रक्षा करता है और कमल निर्लिप्तता का भाव जागृत करता है। यह नव दुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। नवरात्रि पूजन में पहले दिन इन्हीं का पूजन होता है। प्रथम दिन की पूजा में योगीजन अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करते हैं। यहीं से उनकी योग साधना शुरू होती है।

मां ब्रह्मचारिणी

देवी की अराधना के लिए पूजन मंत्र है-

दधाना करपाद्माभ्याम, अक्षमालाकमण्डलु।
देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

मां दुर्गा की नौ शक्तियों में से दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। यहां ब्रह्म शब्द का अर्थ तपस्या से है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय एवं अत्यंत भव्य है। इनके बाएं हाथ में कमण्डल और दाएं हाथ में जप की माला रहती है। जप माला जहां नाम सिमरन करते हुए अपने इष्ट की ओर एक-एक कदम बढ़ने का संकेत देती है वहीं कमण्डल अपने इष्ट-आराध्य की भक्ति से स्वयं के खाली घट को भरने का संकेत देता है। मां दुर्गा का यह स्वरूप भत्तफ़ों और सिद्धों को अनंत फल प्रदान करने वाला है। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है। दुर्गा पूजा के दूसरे दिन इन्हीं की उपासना
की जाती है। इस दिन साधक का मन स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित होता है। इस चक्र में अवस्थित मन वाला योगी उनकी कृपा और भत्तिफ़ प्राप्त करता है।

मां चंद्रघंटा

दुष्टों का नाश करने वाली देवी की अराधना के लिए मंत्र है-

पिंडजप्रवरारूढ़ा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्मं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।

मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघण्टा है। नवरात्र उपासना में तीसरे दिन इन्हीं के विग्रह का पूजन व आराधना की जाती है। इनका स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इनके मस्तक में घण्टे के आकार का अर्धचन्द्र है। इसी कारण इस देवी का नाम चंद्रघण्टा पड़ा। चंद्र जहां शीतलता का प्रतीक है वहीं घण्टा नाद ब्रह्म का प्रतीक है। नाद ब्रह्म अर्थात् ॐ का उच्चारण करते हुए भक्त पूर्ण ब्रह्म को प्राप्त करें। इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। इनका वाहन सिंह है। हमें चाहिए कि हम मन, वचन, कर्म एवं शरीर से शुद्ध होकर विधि-विधान के अनुसार, मां चंद्रघंटा की शरण लेकर उनकी उपासना व आराधना में तत्पर हों। इनकी उपासना से हम समस्त सांसारिक कष्टों से छूटकर सहज ही परमपद के अधिकारी बन सकते हैं।

मां कूष्मांडा

मां कूष्मांडा की पूजा करने के लिए मंत्र है-

सुरासंपूर्णकलशं, रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां, कूष्मांडा शुभदास्तु मे।

माता दुर्गा के चौथे स्वरूप का नाम कूष्माण्डा है। अपनी मंद, हल्की हंसी द्वारा ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इनका नाम कूष्माण्डा पड़ा। नवरात्रें में चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के स्वरूप की उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन अनाहत चक्र में स्थित होता है। अतः पवित्र मन से पूजा-उपासना के कार्य में लगना चाहिए। मां की उपासना मनुष्य को स्वाभाविक रूप से भवसागर से पार उतारने के लिए सुगम और श्रेयस्कर मार्ग है। माता कूष्माण्डा की उपासना मनुष्य को आधिव्याधियों से विमुत्तफ़ करके उसे सुऽ, समृद्धि और उन्नति की ओर ले जाती है। अतः अपनी लौकिक, परलौकिक उन्नति चाहने वालों को कूष्माण्डा की उपासना में हमेशा तत्पर रहना चाहिए।

मां स्कंदमाता

मां स्कंदमाता की अराधना का मंत्र है-

सिंहासनगता नित्यं, पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी, स्कंदमाता यशस्विनी।

मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप को स्कन्दमाता कहा जाता है। भगवान स्कन्द ‘कुमार कार्तिकेय’ के नाम से भी जाने जाते हैं। इन्हीं भगवान स्कन्द अर्थात कार्तिकेय की माता होने के कारण मां दुर्गा के इस पांचवें स्वरूप को स्कन्दमाता के नाम से जाना जाता है। इनकी उपासना नवरात्रि पूजा के पांचवें दिन की जाती है इस दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में स्थित रहता है। इनका वर्ण शुभ्र है। ये कमल के आसन पर विराजमान हैं। इसलिए इन्हें पप्रासन देवी भी कहा जाता है। इनका वाहन भी सिंह है। नवरात्रि पूजन के पांचवें दिन का शास्त्रें में पुष्कल महत्व बताया गया है। इस चक्र में अवस्थित रहने वाले साधक की समस्त बाह्य क्रियाएं एवं चित्त वृत्तियों का लोप हो जाता है।

मां कात्यायनी

मां की पूजा के लिए मंत्र है-

चंद्रहासोज्जवलकरा, शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्यात्, देवी दानवघातिनी।।

मां दुर्गा के छठे स्वरूप को कात्यायनी कहते हैं। कात्यायनी महर्षि कात्यायन की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर उनकी इच्छानुसार उनके यहां पुत्री के रूप में पैदा हुई थीं। महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की थी इसलिए ये कात्यायनी के नाम से प्रसिद्ध हुईं। मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं। दुर्गा पूजा के छठे दिन इनके स्वरूप की पूजा की जाती है। इस दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित रहता है। योग साधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत ही महत्वपूर्ण स्थान है। इस चक्र में स्थित मन वाला साधक मां कात्यायनी के चरणों में अपना सब कुछ न्यौछावर कर देता है। भत्तफ़ को सहजभाव से मां कात्यायनी के दर्शन प्राप्त होते हैं। इनका साधक इस लोक में रहते हुए भी अलौकिक तेज से युक्त होता है।

मां कालरात्रि

इनका पूजन मंत्र है-

एकवेणी जपाकर्ण, पूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी, तैलाभ्यक्तशरीरिणी।।
वामपादोल्लसल्लोह, लताकंटकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा, कालरात्रिभयंकरी।।

मां दुर्गा के सातवें स्वरूप को कालरात्रि कहा जाता है। मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है लेकिन ये सदैव शुभ फल देने वाली मानी जाती हैं। इसलिए इन्हें शुभघ्करी भी कहा जाता है। दुर्गा पूजा के सप्तम दिन मां कालरात्रि की पूजा का विधान है। इस दिन साधक का मन सहस्त्रर चक्र में स्थित रहता है। उसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों के द्वार खुलने लगते हैं। इस चक्र में स्थित साधक का मन पूर्णतः मां कालरात्रि के स्वरूप में अवस्थित रहता है। मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश और ग्रह बाधाओं को दूर करने वाली हैं। जिससे साधक भयमुत्तफ़ हो जाता है।

मां महागौरी

इनके पूजन का मंत्र है-

श्र्वेते वृषे समारूढा, श्र्वेतांबरधरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यात्, महादेवप्रमोददाद।।

माँ दुर्गाजी की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है। दुर्गापूजा के आठवें दिन महागौरी की उपासना का विधान है। इनकी शत्तिफ़ अमोघ और सद्यः फलदायिनी है। इनकी उपासना से भत्तफ़ों के सभी कल्मष धुल जाते हैं, पूर्वसंचित पाप भी विनष्ट हो जाते हैं। भविष्य में पाप-संताप, दैन्य-दुःख उस भक्त के पास कभी नहीं जाते। महागौरी की पूजा-उपासना से भक्त सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है।

मां सिद्धिदात्री

इनका पूजन मंत्र है-

सिद्धंगधर्वयक्षाद्यै:, असुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात्, सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

मां दुर्गा की नौवीं शक्ति को सिद्धिदात्री कहते हैं। जैसा कि नाम से प्रकट है ये सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली हैं। नव दुर्गाओं में मां सिद्धिदात्री अंतिम हैं। इनकी उपासना से भत्तफ़ों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

 

शक्ति आराधना (शारदीय नवरात्र) दुर्गा पूजा से दुःख, दारिद्र्य, रोग-शोक का नाश एवं सुख-समृद्धि, आरोग्य व आयुष्य की प्राप्ति

3 अक्टूबर, 2024 से तक 12 अक्टूबर, 2024

भक्तों की सुविधा के लिये परमपूज्य सद्गुरु श्रीसुधांशुजी महाराज के कृपा-आशीर्वाद से आनन्दधाम आश्रम दिल्ली में युगऋषि पूजा एवं अनुष्ठान केन्द्र द्वारा सम्पूर्ण नवरात्रें में मां नवदुर्गा के नौ रूपों की शास्त्रीय विधि से पूजा-अर्चना सम्पन्न करायी जायेगी। इच्छुक भक्त ऑनलाइन यजमान बनकर मां नवदुर्गा की पूजा-आराधना से मनोकामना सिद्धि का वरदान प्राप्त करें।

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शक्ति आराधना (शारदीय नवरात्र) दुर्गा पूजा में नवदुर्गा उपासना से सुख सौभाग्य की प्राप्ति

Why do we Celebrate Guru Purnima?

 

Why do we celebrate Guru Purnima?

In the beautiful Indian tradition, the full moon day of the Ashadha period is Guru Purnima. This year, we will celebrate Guru Purnima on July 3, Monday. But why do we celebrate it?

According to the legends, Ved Vyas, the sage who penned The Mahabharat, was born on this day to Satyavati and Sage Parashar. He was a great scholar who gave the world four beautiful texts: the Rig Veda, Yajur Ved, Sam Ved, and Atharva Ved. And we offer our gratitude to Sage Ved Vyas on this day.
Folklore also says that Lord Shiva commenced the teachings of yoga to the Saptarishis on this day, and Guru Purnima is a way to revere Him.
The day, therefore, is of great importance in India as it continues to celebrate the Guru-Shishya tradition since times immemorial.
On this day, one must visit their Guru, offer obeisance, renew the pledge of discipleship and self-awakening and seek His blessings for another 365 days of holistic living filled with Divine Grace, good health and prosperity.

 

The Astrological Significance of Guru Purnima 2023

This year, the auspicious  Devotees celebrate Guru Purnima  on Monday, July 3rd. The Purnima Tithi will start  from 8:21 p.m. on July 2, 2023, till 5:08 p.m. on July 3, 2023. This specific time period has important astrological significance.

It is the full moon day in the Shukla Paksha of the Aashaadha month. During this time, the Moon stays in the house of Sagittarius, ruled by Jupiter. It also stays in the Purvashadha Nakshatra, which is ruled by Venus. This positioning of the moon has an important holistic impact on an individual’s body, especially their mind and heart.

Not only that ,Jupiter (Lord Brihaspati) is said to be the Guru of all Gods and devotees regard them as the planet of wisdom. Devotees believe  that the unique positioning of the planet, the moon and the earth works as a catalyst for a disciple seeking God-realization and salvation. Guru is also the one who eradicates darkness and spreads the light of divine wisdom not only in his disciple’s life but all around. Thus, the tradition of worshipping The Guru on this day has been given great importance in Hinduism since ancient times. Disciples and students express their gratitude towards their Gurus, God, and teachers on this day in different ways. It is also a practice to seek live Darshan of your Guru on this day.

On the other hand, people  also believe  that astrologically during this auspicious time the Gurus radiate stronger positivity and divine grace all around them that can be absorbed by the disciple who has prepared himself for this day. The positive energy from the Guru enhances the moral, physical, spiritual, and materialistic growth of the disciple. Thus, recognize the significance of this day and seek darshan of your Guru and offer your gratitude too.

 

What are some Dos and Don’ts of Guru Purnima?

Likewise, A Guru always has a special place in the life of every person. Without a Guru, no one can attain any kind of knowledge.
Therefore, we celebrate and revere our Guru on Guru Purnima and also follow certain dos and don’ts.

Dos

On this day, one should  wake up early in the morning and take a holy bath in the Ganges or with The Holy Water from The Ganges.
Visit Guru Dham and seek His blessings. If you are unable to do so then worship the idol of your Guru or their symbol at home. Meditate and chant the Guru Mantra. Donate yellow grains, yellow sweets, or yellow clothes to the needy

Don’ts

Do not get lethargic on the day. Stay away from Tamasic activities and food. Do not disrespect your Guru. Do not sit in front of your Guru in a disrespectful manner. Never deviate from or disobey the teachings of your Guru,

 

 

What are the rituals that are performed on Guru Purnima?
A Guru has the same importance in a disciple’s life as Lord Brahma, Vishnu, or Mahesh.
And the day of Guru Purnima is dedicated to being grateful to our spiritual Guru who guides us.

 

Some Guru Purnima rituals are:

• In addition , One should visit the abode of the Guru and seeking His blessings
•  Moreover ,Listening to the Guru’s wise words in Satsang
• Chanting or reciting mantras related to Lord Vishnu or Lord Shiva and worshipping them
• One must chant  the Guru mantra
•  Furthermore ,one should perform Guru Purnima worship by offering prayers at the holy feet of The Guru.
•  Equally important ,Meditating under the guidance of the Guru.
•  Likewise ,Seek forgiveness for sins committed over the past year and renew vows of discipleship for another year.
• Perform Mangal Guru Aarti.
• Take a pledge to do one act of kindness every day.

 

What is the significance of Lord Vishnu on Guru Purnima?

Well, Lord Vishnu is the Lord of sustenance. He is the source of divine grace.
On Guru Purnima, disciples, seekers, and devotees worship Lord Vishnu as well. They recite Vishnu Sahasranamam  Stotram to bring auspiciousness to life.
Devotees of  Ved Vyas regard him as an incarnation of Lord Vishnu, and  devotees celebrate Guru Purnima on his birthday, so they revere Lord Vishnu on this special day

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Gift a Dream Adopt a Child | Balkalyan Yojana

India accounts for the highest number of deaths of children under five years of age. Around 50% of such deaths caused mainly due to malnutrition and poor living conditions. According to the Unicef report, India accounts for 22% of the total under-five children death globally.

A child is a gift of God, born into certain circumstances, cultures, places, wealthy or poverty, with specific genetics, talents and drawbacks. No one has any control over these circumstances Life for a newborn baby is like a river with multiple tributaries branching out in different directions. And really, it’s a bit like that for all of us.

Joy of giving

Teaching a child ‘how to live’ is greater than just giving birth. Of course, nothing can replace the joy of giving birth, but still, some people throw away this blessing specially if it’s a girl child. Among the most unconventional reasons to adopt a child is the joy of giving love to those who are not so fortunate to get parents’ love. Adoption is not just good for the society, but for your well-being, as you feel deeply connected with your child and get to experience the blessing in disguise.

Joy of supporting a child

If it’s not always possible for a couple or for that matter for an individual to adopt a child due to any reason, you can always sponsor a child through NGOs or charitable societies. Thousands of children are living in poverty, and they are praying for their survival. Children growing up in poverty have to face many challenges: hunger, no education, limited access to medical services and social discrimination. But people like you can help these children get the basic necessities of life. It can be by sponsoring them for education or food. It will create lasting change in their lives and in communities.

No joy could be bigger than to see a child progressing because of your share of love and care that you extended. The kind of satisfaction is at par beautiful.

Joy of spreading happiness

We must come forward to help needy children not just for the welfare of these children, but also as a step towards ensuring our own betterment. Because our future depends on them! Adopt poor children and be their savior. Help them in whatever way you can as per your capacity, financially or even in kind. And if you can not help them financially, go and spend time with them. Making those children realize that they aren’t alone and that they have friends to be with, can make them joyful. Giving smiles and happiness serves the same way.

By adopting a ‘poor’ child and caring for him/her, you are filling up your ‘good karma‘. After all, children are a priceless gift from God that brings joy, pride and prosperity.

HH Maharajshri Says

Those children without parents are not alone, rather they are more fortunate because they are the children of God and so He named them ‘Devdoot‘.

Having the most kind and loving eye for these children, He introduced Devdoot Balkalyan Yojna, a special platform for the welfare of these children of God. Calling them orphans is strictly restricted in the Mission family. He has built several schools and balashrams specifically for these children and for those who are not able to fund their education and meals. He wants that each child must realize their capability at it’s best and shines bright.

Gift a Dream

You can ‘Gift a dream” to one or as many children you want. Gift them a dream of education, a dream of healthy food, a dream of progress and a dream of being successful in your capacity. Remember that Maharajshri says, ‘that each one of us should contribute 2% of our total income towards any social cause to bring fortune in our own life’.What better could be, than sponsoring a child’s education for a better future.

When each one of us will be determined to contribute towards the welfare of the society in whatever capacity we can, Satyug will return.

Donate: https://www.vishwajagritimission.org/donation/

नववर्ष में बदलो और बदला छोड़ो। | Vishwa Jagriti Mission | New Year 2023

विश्व में नवप्रभात भारत के गौरव के साथ उगेगा

नववर्ष में बदलो और बदला छोड़ो

नववर्ष का नवप्रभात खुशियों की किरणें लेकर आये, किसानों के खेतों में सुनहरी गेहूं की बालियां लहरायें! नर्मदा का चांदी जैसा नीर ध्रती को सीचें। ध्रती शस्य श्यामला हो! व्यवसायिकों के उद्योग-व्यवसाय भारत के जन-मन को समृद्ध करें। ज्ञानीजनों के ज्ञानशिक्षा से युवा भारत मेधवी हो। श्रमिकजनों के श्रमकण श्वेदबिन्दू भारत माता के भाल का गौरव बढ़ायें।

हमारे वीरों का शौर्य सीमा पर दुश्मनों के हृदयों को कम्पित कर राष्ट्र का गौरव बढ़ाये। मैं कामना करता हूं अज्ञान मिटे, अन्याय छटें, अभाव दूर हो, आलस्य-अकर्मण्यता, दुर्गुण हमारे देश और समाज में न रहें। नये वर्ष में आरोग्यता की समृद्धि से हम समृद्ध होने का संकल्प लें। आर्थिक आत्मनिर्भरता को लक्ष्य बनायें। पारिवारिक प्रसंता और प्रेम के लिए हम हर त्याग करने को तत्पर हों। हमारा सामाजिक यश बढ़े, हम सामाजिक कत्र्तव्य और दायित्व को समझें, देश-ध्र्म और मानवता के प्रति वपफादार रहें। नववर्ष में खुशियां हमारे कदम चूमें तो आवश्यक है!

नववर्ष में खुशियां हमारे कदम चूमें

1. हास्यप्रियता का गुण अपनायें।
2. क्षमा करें, भूलें और आगे बढ़ें।
3. प्रतिकूल परिस्थितियों में ध्ैर्य न खोयें, शांत रहें, आत्मविश्वास से आगे बढ़ें।
4. जीवन को खुशियों का उपहार देने के लिए अपना नियंत्राण दूसरों के हाथों में न दें। कोई भड़कायें और आप भड़क जायें, कोई बहकाये और आप बहक जायें। इतना कमषोर अपने आपको न होने दें।
5. दर्द देने वाले कारणों से स्वयं को न जोड़ें, बदलो और बदला छोड़ो।
6. स्वयं मुस्कराओ और दूसरों की मुस्कराहट का कारण बनो।
7. प्रार्थना अवश्य करें ईश्वर के नाम में बड़ी भारी शक्ति है। उस शक्ति से स्वयं को शक्तिमान करें।

नववर्ष  2023 में मेरा लक्ष्य है मैं भारत के जन-मन में प्रेम, शांति, सौहार्द और भक्तिरस का संचार करने के लिए और अध्कि उद्यम करूं!
गुजरात का सौंदर्य प्रेम, कला, उद्योग-व्यवसाय, संस्कृति और संस्कार है! जो विश्व को प्रभावित करता है! मैं चाहता हूं वह और बढ़े। शहर सूरत और खूबसूरत हो! भारत देश विश्व का सिरमौर हो! मैं देखता हूं गुजरात जैसे उन्नति कर रहा है आने वाला वर्ष इसके गौरव को और भी बढ़ायेगा। भारत देश, विश्व का नेतृत्व करते हुए कीर्तिमान गढ़ेगा। मुझे ऐसा स्पष्ट दिखाई दे रहा है।
प्रधनमंत्राी, भारत गौरव नरेन्द्र भाई मोदी और भी यशस्वी-तेजस्वी होंगे। ऐसा मेरा विश्वास है।

राष्ट्र के उपेक्षित बचपन को संवारने की अभिनव प्रयोग भरी मिशन की शिक्षा सेवा | vishwa Jagriti Mission

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शिक्षा जीवन निर्माण की आधार शिला है

 शिक्षा जीवन निर्माण की आधार शिला है, करोड़ों बचपनों को बेहद दुःखी और व्यथित देखकर पूज्य महाराजश्री के मन में संकल्पभाव जगा कि ‘‘देश के अनाथ बच्चों के प्रति संवेदनशील होना हर सभ्य समाज का अत्यन्त महत्वपूर्ण दायित्व है। फुटपाथों, गलियों और जंगलों में भटकते इस बचपन को सम्हाला व संवारा न गया, तो ये अपनी ही भारत मां के सीने में घाव कर सकते हैं।’’ इसी संवेदनाओं से विश्व जागृति मिशन राष्ट्र के उपेक्षित बचपन को वात्सल्य संरक्षण, शिक्षण-प्रशिक्षण देकर उन्हें सुयोग्य बनाकर राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने का मिशन अभिनव प्रयास करता आ रहा है।

3000 से अधिक बच्चों का जीवन संवारा जा रहा है

इस प्रकार देश के बचपन को भारत के ऋषि प्रणीत प्राचीन ज्ञान एवं आधुनिकतम विज्ञान से जोड़ने के लिए मिशन की शिक्षा सेवा अहर्निश समर्पित है। आज मिशन लगभग 3000 बच्चों पर कार्य कर रहा है। इन बच्चों को उचित शिक्षण-प्रशिक्षण के साथ-साथ उनके ऊपर आने वाले समस्त व्यय का वहन करता है।  आदिवासी रुक्का-खूंटी ग्राम में दो विद्यालय मिशन द्वारा संचालित हैं। इन बच्चों के लिए समस्त पाठ्य सामग्री, वस्त्र-भोजन आदि की व्यवस्था संस्था द्वारा की जाती है। 1200 अत्यंत निर्धन बच्चे हरियाणा फरीदाबाद मण्डल के ज्ञानदीप विद्यालय में शिक्षा-दीक्षा प्राप्त कर रहे हैं। ये वे बच्चे हैं जो कूड़ा-कचरा बीनने से लेकर भीख मांगने का कार्य करते थे।

महर्षि वेदव्यास गुरुकुल विद्यापीठ

इस क्रम में सर्व प्रथम आनन्दधाम आश्रम, नई दिल्ली में महर्षि वेदव्यास गुरुकुल विद्यापीठ, आनन्दधाम, नई दिल्ली की स्थापना हुई। इन विद्यार्थियों की शिक्षा, भोजन, आवास, वस्त्र, चिकित्सा सुविधा तथा अन्य सभी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति मिशन निःशुल्क करता है। छात्रें के लिए यहां का सुंदर विशाल परिसर अपने आप में उदाहरण है। यही नहीं विद्यार्थियों के लिए बने शिक्षण कक्ष, सभागार से लेकर खेल का मैदान, प्रतियोगिताशाला, दिव्यतापूर्ण यज्ञशाला, उपासना कक्ष, भोजनालय देखकर किसी भी अभिभावक का भी मन अपने बालकों को इस गुरुकुल से जोड़ने हेतु मचल उठता है। प्रातः जलपान से लेकर भोजन तक की उत्तम सुरुचिपूर्ण व्यवस्था बच्चों के स्वास्थ्य संवर्धन एवं मानसिक विकास का यह अपना अलग श्रेष्ठ संदेश देता है।

उपदेशक महाविद्यालय

तत्पश्चात देश में पुनः धर्मोपदेशकों की आवश्यकता को महसूस करते हुए पूज्यवर ने धर्माचार्य प्रशिक्षार्थियों के निर्माण हेतु वर्ष 2019 में उपदेशक महाविद्यालय की स्थापना की। लोक पीड़ा को सेवा में परिवर्तित करने वाले युवाओं को गढ़ना गुरुसंकल्प की यह विशेष कड़ी है। लोक पीड़ा का अहसास करते हुए राष्ट्र सेवा में हाथ बंटा सकें। देश को ऐसे वानप्रस्थियों, उपदेशकों की जरूरत की पूर्ति कर रहा है यह महाविद्यालय।

बालाश्रम, सूरत (गुजरात)

बालाश्रम, सूरत (गुजरात) लगभग दो दशक पूर्व गुजरात भूकम्प त्रसदी में अनाथ बच्चों को संरक्षण देने की भावधारा में इस अनाथालय का निर्माण हुआ। तब से लेकर आज तक अनवरत चल रहे इस बालाश्रम में सैकड़ों अनाथ बच्चों के स्वर्णिम भविष्य का निर्माण हो रहा है। सैकड़ों विद्यार्थी विश्व जागृति मिशन के प्रयास से भारतीय सांस्कृतिक परिवेश में उच्च गुणवत्ता वाली अत्याधुनिक स्कूली शिक्षा प्राप्त कर स्वयं को समाज की मुख्य धारा के अनुकूल बना रहे हैं। इसी में से अनेक बच्चे प्रान्त स्तर पर विविध प्रतिस्पर्धाओं में स्वर्ण पदक भी प्राप्त कर चुके हैं।

महर्षि वेदव्यास अन्तर्राष्ट्रीय गुरुकुल विद्यापीठ

विश्व जागृति मिशन कानपुर मण्डल के बिठूर स्थित सिद्धिधाम आश्रम में प्रारम्भ हुए ‘‘महर्षि वेदव्यास अन्तर्राष्ट्रीय गुरुकुल विद्यापीठ’’ को संस्कार एवं विज्ञानयुक्त शिक्षण केन्द्र कह सकते हैं। प्राचीन ज्ञान एवं आधुनिक विज्ञान से युक्त यहां की अत्याधुनिक शिक्षा योग्य शिक्षकों द्वारा प्रदान की जाती है। वेदादि शास्त्रें से लेकर योग, नैतिक मूल्य, सुसंस्कार आदि के साथ कम्प्यूटर, योग, खेल आदि तकनीकों से भी इन बच्चों को जोड़ा जा रहा है। यहां इनके शिक्षण, आवास, भरणपोषण की उच्चस्तरीय व्यवस्था है। इस गुरुकुल की उत्कृष्ट मानव निर्माण की महाक्रान्ति को देखने देश-विदेश से अनेक गणमान्य आकर यहां से प्रेरित होते हैं। भविष्य में भी देश के विभिन्न नगरों में ऐसे गुणवत्ता वाले गुरुकुल खोलने की मिशन की योजना है।

आदिवासी पब्लिक स्कूल रुक्का एवं खूंटी (रांची-झारखण्ड)

इसी प्रकार रांची-झारखण्ड के रुक्का एवं खूंटी में विश्व जागृति मिशन द्वारा आदिवासी पब्लिक स्कूल’ के इन स्कूलों में आदिवासी क्षेत्रें के 700 से अधिक बच्चों को पुस्तकें, यूनिफार्म एवं अल्पाहार के साथ निःशुल्क शिक्षा दी ही जाती है।

ज्ञानदीप विद्यालय फरीदाबाद (हरियाणा)

इसी तरह छोटी-छोटी गरीब बच्चियों को प्रातःकाल कूड़ा बीनते, भीख मांगते देखकर मन में एक भाव जागृत हुआ कि कि क्यों न वह इन बच्चियों के लिये शिक्षा की व्यवस्था करके इन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़कर इनके जीवन को संवारा जाये और ज्ञानदीप विद्यालय फरीदाबाद (हरियाणा) की स्थापना हुई। पूज्य सद्गुरुदेव के मार्गदर्शन में जून 2001 में 5 छोटी-छोटी कन्याओं से आश्रम में नर्सरी कक्षा प्रारम्भ की। वर्ष 2002 में 28 कन्याएं दाखिल हुईं।

अब ज्ञानदीप विद्यालय में 700 कन्याएं और 300 बालक हैं। बालिकाएं प्रातः और बालक शाम की शिफ्रट में आते है। इस विद्यालय में नर्सरी से लेकर दसवीं तक शिक्षा दी जाती है।’’ सभी विद्यार्थियों को एक समय का खाना, पुस्तकें, वेशभूषा, जूते, स्वेटर निःशुल्क दिये जाते हैं। इन्हें पाठ्यक्रम के अनुसार शिक्षा देने के साथ-साथ संगीत, सिलाई, कम्प्यूटर का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इस विद्यालय में सभी पर्व, त्यौहार, मिशन के पर्व, राष्ट्रीय पर्व बड़े उत्साह से मनाये जाते हैं।

मिशन प्रयास कर रहा है कि इन बच्चों को सुयोग्य बनाकर राष्ट्र को अर्पित किया जाय। गुरुदेव के मिशन के इस शिक्षा सेवाकार्य में अपने पवित्रम आय में से कुछ अंश-हिस्सा देकर राष्ट्र निर्माण के इन प्रयासों में लोग सहभागी बन रहे हैं।

-टीम

Why you need Knowledge and Inspiration? | Sudhanshu Ji Maharaj

Why you need Knowledge and Inspiration

Why you need Knowledge and Inspiration

Why you need Knowledge and Inspiration?

You have to learn to fix your mind; You have to increase its strength; You have to use it properly.
Learn how to make your mind quiet About five days back a research study was published. It suggested that God should show his grace so that we forget the past things. Do not place so many things in the computer of your mind. Go on cleaning and vacating its back portion so that you may learn new things and find place to put them in. Do not allow the neurons of your mind to be damaged, which work for you. Do not put more pressure on them. But these are subtle and minute things which it will take up later.

Learn to Make Your Mind Quiet

Right now I am passing on to you some general directions. You have to understand them carefully. Need to learn to make your mind quiet because without quietness and peace of mind you cannot conceive of any happiness and without happiness you cannot make any progress in life.

Remember You have to be aware, conscious because without awareness you cannot have peace. You need knowledge and inspiration all the time so that you maintain awareness. It is very important that you are inspired.

You need a spark- The spark should continue igniting you. It should not extinguish because then it is of no use. You need constant awareness. Someone or something should continue to inspire you all the time. I have said this again and again that either you keep yourself inspired or the process of expiry will continue by itself. Either you keep yourself connected with God, with source of inspiration, make your life, make yourself aware or you will die. Do not live like the dead persons.

So, what is to be done?

What I am giving you here is the gist of our classics, our scriptures; it is all presented with a modern angle; it is our research of our past and rendered relevant for the present. I am presenting them so that you may understand them.

The knowledge is for living a life

The knowledge of India and the spirituality of India are in reality for living a life and for making life convenient and comfortable and are for realizing and achieving important things in life. They help us in realizing our highest potential. And meditation and devotion are not the processes for alienating you from life or for placing you in a secluded corner.

They are meant for success in life, for making you more happy, so that you may derive more and really worthwhile interest in life, for transporting you to a position where you may in the last part of your life say that you do not have any complaint against life, world or God, and that you are very, very and really happy.

Have seen this world thoroughly well?

I came to this world as a tourist, as a visitor. Have seen this world thoroughly well. I am contented, and, O God! I am coming to you, to your abode with so many sweet and sour memories. Really very, very satisfied and, O God! I am coming to your door to express my thankfulness to you. It should be a situation which we have lived with taste, interest and joy, and now we are taking a happy gracious bow and are leaving behind many sweet memories, and our own, peculiar smile.

Take Care of your Mind

So, go on understanding and following carefully. The first thing is: Reason with your mind and make it considerate. The second thing is: Make your man [mind] a su-man [good mind or flower]. Bring about a happy state of mind.

Your child is lettered and well-educated. He is strong and energetic. But try so that he continues to remain this way and make further forays into gentleness. For this it is necessary that your own mind is strong so that it is more useful and contributes to your family, to your society. Your mind has learnt many things. It is very necessary that you keep it cheerful and smiling like a flower.

Why you need Knowledge and Inspiration? | Sudhanshu Ji Maharaj

Why you need Knowledge and Inspiration

Why you need Knowledge and Inspiration?

You have to learn to fix your mind; You have to increase its strength; You have to use it properly.
Learn how to make your mind quiet About five days back a research study was published. It suggested that God should show his grace so that we forget the past things. Do not place so many things in the computer of your mind. Go on cleaning and vacating its back portion so that you may learn new things and find place to put them in. Do not allow the neurons of your mind to be damaged, which work for you. Do not put more pressure on them. But these are subtle and minute things which it will take up later.

Learn to Make Your Mind Quiet

Right now I am passing on to you some general directions. You have to understand them carefully. Need to learn to make your mind quiet because without quietness and peace of mind you cannot conceive of any happiness and without happiness you cannot make any progress in life.

Remember You have to be aware, conscious because without awareness you cannot have peace. You need knowledge and inspiration all the time so that you maintain awareness. It is very important that you are inspired.

You need a spark- The spark should continue igniting you. It should not extinguish because then it is of no use. You need constant awareness. Someone or something should continue to inspire you all the time. I have said this again and again that either you keep yourself inspired or the process of expiry will continue by itself. Either you keep yourself connected with God, with source of inspiration, make your life, make yourself aware or you will die. Do not live like the dead persons.

So, what is to be done?

What I am giving you here is the gist of our classics, our scriptures; it is all presented with a modern angle; it is our research of our past and rendered relevant for the present. I am presenting them so that you may understand them.

The knowledge is for living a life

The knowledge of India and the spirituality of India are in reality for living a life and for making life convenient and comfortable and are for realizing and achieving important things in life. They help us in realizing our highest potential. And meditation and devotion are not the processes for alienating you from life or for placing you in a secluded corner.

They are meant for success in life, for making you more happy, so that you may derive more and really worthwhile interest in life, for transporting you to a position where you may in the last part of your life say that you do not have any complaint against life, world or God, and that you are very, very and really happy.

Have seen this world thoroughly well?

I came to this world as a tourist, as a visitor. Have seen this world thoroughly well. I am contented, and, O God! I am coming to you, to your abode with so many sweet and sour memories. Really very, very satisfied and, O God! I am coming to your door to express my thankfulness to you. It should be a situation which we have lived with taste, interest and joy, and now we are taking a happy gracious bow and are leaving behind many sweet memories, and our own, peculiar smile.

Take Care of your Mind

So, go on understanding and following carefully. The first thing is: Reason with your mind and make it considerate. The second thing is: Make your man [mind] a su-man [good mind or flower]. Bring about a happy state of mind.

Your child is lettered and well-educated. He is strong and energetic. But try so that he continues to remain this way and make further forays into gentleness. For this it is necessary that your own mind is strong so that it is more useful and contributes to your family, to your society. Your mind has learnt many things. It is very necessary that you keep it cheerful and smiling like a flower.

आनन्दधाम में वृद्धावस्था सार्थक बनायें, गुरुकृपा का सौभाग्य पायें | Vishwa Jagriti Mission

Make old age meaningful by Guru's grace

बुजुर्गों का सम्मान करें

हमारा देश बुजुर्गों का सम्मान करने वाला देश है, राम, श्रवणकुमार का देश है, जहां अपने पिता की आज्ञा से राज्याभिषेक को छोड़कर जंगल की ओर चल देने की परम्परा है। वह भी इस भाव से कि पिता का आदेश है, तो निश्चित ही इसमें हमारा कोई न कोई हित अवश्य छिपा होगा। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि अपने बुजुर्गों व बड़ों के लिए यौवन का सुख, संसाध्न, पहचान, समाज, समृद्धि आदि सब कुछ छोड़कर निकल पड़ने में धर्महित, देशहित, लोकहित वाली हमारी संस्कृति है।

बुजुर्गों का अशीर्वाद महत्वपूर्ण है

इस प्रकार बुजुर्गों का अशीर्वाद महत्वपूर्ण पूजी मानी जाती है, बुजुर्गों के संकल्पों के अनुरूप जीवन जीते हुए मिली पहचान, सम्मान को जीवन का सौभाग्य मानकर स्वीकार करना यहां की थाती रही है। इस प्रकार जहां एक ओर प्राचीनकाल से माता-पिता, बुजुर्गों के सम्मान-मान वाली हमारी राम-कृष्ण की प्रेरणाओं वाली संस्कृति रही है। सम्पूर्ण विश्व में संयुक्त परिवार की रीढ़ माने जाने, परिवार के वरिष्ठ-बुजुर्ग को जीवन पूर्ण हो जाने के बाद भी उनका सम्मान बनाये रखने वाली भारतीय परम्परा आज तक नमन की जाती है। इस प्रकार समाज के हर असहाय, कमजोर, निर्बल को सहारा देना हमारी परम्परा है, इससे उसे खुशी मिलती है और सहारा देने वाले को बदले में पुण्य प्राप्त होता है, इसलिए कहते हैं कि जिस समाज में बुजुर्गों का सम्मान न हो, उस समाज का विकास रुक जाता है।

वृद्धा अवस्था मानव जीवन का वह पड़ाव है, जहां व्यक्ति अपने वाह्य पुरुषार्थ को आंतरिक आत्मपुरुषार्थ की ओर मोड़ने का अभ्यास करता है। वानप्रस्थ आश्रम के प्रारम्भ होते ही वह शान्तिपूर्ण जीवन बिताने के साथ साथ आत्म उत्थान-आत्म परिष्कार के प्रयोग अपनाता है।

जीवन निर्माण के छोटे-छोटे नियम सहायक साबित होते हैं

ईश्वरपूजन, गुरुदर्शन, गुरुकृपा, मंत्रा जप, यज्ञ, सत्संग आदि जीवन निर्माण के छोटे-छोटे नियम सहायक साबित होते हैं और वृद्धाअवस्था वरदान बनता है। यदि कहीं सदगुरुओं के आश्रमों स्थित वृद्धाश्रमों में यह वानप्रस्थ अवस्था व्यतीत करने का सौभाग्य मिल सके तो जीवन
ध्न्य और मानव जीवन सार्थक हो उठता है। ̧सदगुणों से भरे बुजुर्गों का सम्मान साक्षात परमात्मा का सम्मान माना जाता है, जो बुजुर्गों का आदर करते हैं, उसकी झोली परमात्मा स्वतः भर देता है। बुजुर्गों के साथ अन्य परिवारीजनों के रिश्ते सहज होते हैं और समर्पण-त्याग, विश्वास, प्रेम, मधुरता-जीवंतता भरा वातावरण परिवार में विकसित करते हैं, घर-परिवार सुख-शंाति से भरता है। इसीलिए हमारे ऋषिओं ने माता-पिता तथा परिवार के हर बुजुर्ग का सम्मान परमात्मा के सम्मान के समान महत्व दिया है।

जीवन आनन्दमय बनाने का सौभाग्य पाये

बुजुर्गों के प्रति इतने उफचे आदर्श वाले देश में जब अपने ही बच्चों द्वारा उनका असम्मान होता देखने को मिलता है, तो किसी भी संवेदनशील संत हृदयी का मन व्यथा से व्याकुल हो उठना स्वाभाविक है। पूज्य सद्गुरु जी महाराज चाहतें हैं कि देश एवं विश्वभर में पुनः
बुजुर्गों के सम्मान की परम्परा वापस आये, इसके लिए अपने विश्व जागृति मिशन के द्वारा वे जहां श्रद्धापर्व जैसे अभियान चला रहे हैं, वहीं आनन्दधम आश्रम परिसर में वृद्धाश्रम की स्थापना करके हर बुजुर्ग के जीवन की सांझ को सम्मानजनक एवं संतुष्ट बनाने के लिए प्रयासरत हैं।

अभी फ्सीनियर सिटीजन लिविंग होम ̧ वरदान की स्थापना करके बुजुर्गों को आश्रम में स्थान देकर उन्हें आध्यात्मिक जीवन की ओर उन्मुख करने का अभिनव नव प्रयास प्रारम्भ किया है। जिसमें शामिल हर बुजुर्ग की जीवन पुरुषार्थ एवं गुरु अनुशासन व्यवहारों से आत्मा पर जमी नकारात्मक परत ध्ुले। द्वेष-घृणा, स्वार्थमय इच्छाओं, अहंकार भाव आदि भीतर से मिटाकर जीवन को पवित्रा, संवेदनशील, सरलता, ज्ञान, संतोष, शांतिवान बनाकर अपने आत्मतत्व को परमात्म तत्व से जोड़ सकें। गुरुकृपा व परिसर के दिव्य आश्रममय वातावरण के बीच अपने निज स्वभाव को परमात्मा के निकट ला सकें। आप भी सात्विक जीवन व्यतीत करते हुए अपने जीवन की सांझ को सार्थक और आनन्दमय बनाने का सौभाग्य पायें।

इच्छाशक्ति आत्म शक्ति को मजबूत करें

शारीरिक शक्ति कम होने के साथ उसकी इच्छाशक्ति आत्म शक्ति को मजबूत करने में लगे, यह उसका लक्ष्य होता है। इस प्रकार हर बुजुर्ग की सकारात्मक जीवन दृष्टि एवं उसकी संतानों का उसके प्रति सम्मान भाव परिवार के बीच दुर्लभ स्वर्गीय वातावरण का निर्माण करते हैं। क्योंकि परिवार के वृद्धाजन का अपना अनुभव, योग्यता जब उनके सन्तानों को भेंट रूप मिलती है, तो परिवार सुख-शांति-समृद्धि का केंद्र बनता है। वृद्धजनों की योजनाओं और अनुभवों का समाज एवं सम्पूर्ण विश्व लाभ उठाने का प्रयास आज भी करता ही रहता है, जो एक प्रकार का बुजुर्गों का सम्मान ही है।

शास्त्रों में मानव जीवन को ब्रह्चर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और सन्यास इन चार आश्रमों अर्थात भागों में बांटने के पीछे बुजुर्गों को सम्मानित जीवन जीने का अवसर देना है, क्योंकि इनमें से दो भाग वानप्रस्थ और सन्यास केवल- केवल बुजुर्गों के लिए ही समर्पित है। जीवन का यह विभाजन आयु की वैज्ञानिकता पर आधरित है। पूज्य सद्गुरु श्रीसुधंशु जी महाराज कहते हैं कि फ्मानव जीवन अनमोल है, इसको बुद्धि पूर्वक नियोजित कीजिये, ब्रह्मचर्य एवं गृहस्थ जीवन शास्त्रोक्त नियमों के अनुसार चलाईये तथा वर्ष की आयु पार करते जैसे ही आयु के साथ वन शब्द प्रयोग होने लगे, तुरंत सावधन हो जाईये और अपने मन को अटैचमेंट-डिटैचमेंट के प्रयोगों के अभ्यास से जोड़कर चलना प्रारम्भ कर दीजिये, इस प्रकार क्रमशः धीरे धीरे मोह छूटेगा और खुद वानप्रस्थ की गहराई में उतरने लगेंगे।’’ इसके साथ आत्म परिष्कार एवं आत्म विकास के इस मार्ग में योगाभ्यास, प्राणायाम, सन्तुलित आहार, सद्विचारों-सद्व्यवहार का सन्तुलन, ईश्वरपूजन, गुरुदर्शन, गुरुकृपा, मंत्रा जप, यज्ञ, सत्संग आदि जीवन निर्माण के छोटे-छोटे नियम सहायक साबित होते हैं और वृद्धावस्था वरदान बनता है। यदि कहीं सदगुरुओं के आश्रमों स्थित वृद्धाश्रमों में यह वानप्रस्थ अवस्था व्यतीत करने का सौभाग्य मिल सके तो जीवन धन्य और मानव जीवन सार्थक हो उठता है। ̧


 

 

Where there’s a WILL, there’s a WAY to HELP the NEEDY in winters

WAY to HELP the NEEDY in winters

 

WAY to HELP the NEEDY in winters

The winter season has kicked in. While many people have the comfort of cozying into that warm blanket or quilt, there are many homeless and poor people in the city, who struggle really hard to just survive in this cruel time of the year. Night shelters for the homeless come as a relief to many in big cities yet, they are hardly enough, considering a large number of the needy.

A large number of homeless spend their winter nights out on the streets without blankets or woolen clothes and sometimes without food. And the whole night is a battle of survival for such people that some win and some lose.

Can we help these people survive the chilly winds? Of course, we can! All we need is some will.

Here’s what can be done to support the poor & homeless who sleep under flyovers and footpaths.

1. Donating Blankets

Warm blankets are a much-needed essential for a whole lot of deprived people. You can arrange some blankets and donate them to shelter homes, temples, NGOs, and charities that are running blanket donation programs.

A few social service organizations have come forward for the noble cause.

For over a decade, Vishwa Jagriti Mission (VJM), under the gracious guidance of HH Sudhanshu ji Maharaj and Dr. Archika Didi Ji, is also carrying out a blanket distribution drive so that the needy can have their share of warmth during the winters.

This year also, blankets will be distributed to poor destitute people on New Year Day, 1st January.

Anyone can participate in the blanket distribution drive by gifting a meager amount to give the needy a well-needed touch of warmth amidst the cruel winters..

2. Offer ‘life-savers’ lying uselessly in your cupboards

We all have that sweaters and jackets we haven’t worn in many years. They are lying uselessly in a corner of the cupboard. Let’s give it to someone who’s in dire need of such clothes. These clothes are not less than life-savers for them.

3. Arrange a humble hot beverage/food camp

In the chilling weather, a small cup of hot beverage, like tea, works as a great relief. You can plan to organize a ‘tea camp’ in your vicinity where underprivileged people would be living. If you want you can also arrange a food camp or support any social service organization organizing such camps regularly.

Remember, even a modest gesture of warmth boosts the morale of the destitute. They don’t need more. If even 100 people in a city with a population of Crores will come forward, it will bring relief of warmth to the lives of thousands of deprived people.

Let’s be the ‘one’ among the 100.

4. Spread awareness about organizations helping the needy in winters

Many organizations and NGOs offer winter-care support, like warm clothes donation, to the needy for free. Inform the needy people around your locality about such organizations and help them in taking care of their wellbeing during the winter season.

5. Offering groceries

There are people out there who could barely manage basic meals in winters because of low mobility. This winter, donating groceries can be a noble idea. You can arrange oil, spices, Atta, rice, biscuits or anything that you want even in a small quantity for 50-100 needy people. It will give them relief in winters.

So, there are many ways to help the needy in winters. All you need is a little will.

This winter, be a little generous and give a touch of warmth to those who desperately need it in order to live on.

Happy giving!