मन को शान्त करते हुए प्रभु की कृपा को हृदय में आमंत्रित कीजिए!
हाथ जोड़ लीजिए और आँखें बंद कर लें, माथे को शान्त कीजिए, आंखों पर कोई भी दबाव नई पड़ने दें, जैसे बच्चे की आंखें बहुत प्रेम और कोमलता से बंद होती हैं, कोमलता से पलकों को बन्द करें, माथा ढीला छोड़ें, शान्त होकर हृदय में परमेश्वर को आमंत्रित कीजिए, प्रभु की कृपा को हृदय में आमंत्रित कीजिए, मन को शान्त करते हुए अपने मानसिक रूप से प्रभु को मन ही मन प्रणाम करें, प्रभु की कृपाओं को ध्यान में रखकर उसको धन्यवाद दीजिए कि आपके आशीर्वाद से जीवन के संघर्षों के बीच में सफल होता जाता हूं, मुसीबतों से निकलता जाता हूं, बीमारियों को जीतता जाता हूं, अपने घर को संभालता रहता हूं, ये आपकी कृपा है प्रभु।
मन ही मन गुरु को प्रणाम करते हुए कृपाओं के लिए धन्यवाद दीजिए
गुरुदेव का मन में ध्यान कीजिए कि जिनके आशीर्वाद से अब तक एक रक्षाकवच आप पर बना हुआ है, आपके घर पर बना हुआ है, गुरुदेव का रक्षाकवच आपकी आमदनी पर, आर्थिक संपन्नता पर बना हुआ है कि जैसे कैसे भी करके आपके काम पूरे हो जाते हैं, गुरुदेव की कृपा को स्मरण कीजिए, समस्याओं से, उलझनों से, चिंताओं से, दु:ख से निकलने के लिए (ओ या वो देख लीजिएगा) कृपा आपको बचाती रहती है, गिरने से, धोखा खाने से, चोट खाने से, मन ही मन गुरु को प्रणाम करते हुए कृपाओं के लिए धन्यवाद दीजिए, अपने पितरों को स्मरण कीजिए, जिनके आशीर्वाद आपको निरन्तर मिलते रहे हैं,
नाम जपें, ब्रह्मवेला का, अमृतवेला का लाभ लें
जिनके कारण आपकी वंश परम्परा है, जिन पितरों ने त्याग, तपस्या, बलिदान, करते हुए आपकी वंशवेल को सुरक्षित रखा, अनेक उतार-चढ़ाव देखे, उनका मन ही मन प्रणाम कीजिए, आशीर्वाद बना रहे आप पर, उनसे आशीष मांगिए, दयानिधान, कृपानिधान परमात्मा को प्रणाम करते हुए आशीर्वाद मांगिए नाम जपने का, सेवा करने का, नाम सेवा करें, नाम जपें, ब्रह्मवेला का, अमृतवेला का लाभ ले सकें, बुद्धि सुबुद्धि रह सके, मन पवित्र रह सके, हाथ पवित्र हों,
परमात्मा का दिया हुआ परमात्मा के नाम पर सर्वप्रथम लगाएं, परमात्मा का दिया हुआ समय परमात्मा की राह में लगाने में संकोच न करें, बहाने न बनाएं, आशीर्वाद मांगिए, भगवान से प्रार्थना कीजिए कि मेरा हृदय ईर्ष्या, द्वेष, वैर, विरोध से जले नहीं, इसमें प्रभु आपका प्रेम बसे, मैं प्रभु आपका वफादार बनकर, नियम का भी वफादार बन जाऊं, नियम तोड़ने वाला न बनूं, गुरु का वफादार बनूं, गुरु के प्रति बेवफाई न करूं!
प्रभु हमारे घर में सज्जन लोगों का वास हो
आशीर्वाद मांगिए कि हमारा घर सज्जन लोगों का वास घर में हों, दुर्जन न आएं, दुर्जन घर में आ जाए तो घर के सारे सुख-शान्ति को नष्ट कर देता है, घरों को तोड़ देता है, कमाई पवित्र बनी रहे, आचरण पवित्र बना रहे, संगति पवित्र बनी रहे प्रभु, हमें आशीर्वाद दीजिए, अपने मन को, अपनी बुद्धि को, अपनी आत्मा को, हृदय को पवित्र करने का जो अवसर सत्संग में मिला है, प्रभु आपकी कृपा है जो हमें यह अवसर मिला, हम पर प्रभु की कृपा बनी रहे, सत्संग सुनने वाले बन जाएं, ज्ञान को धारण करने वाले बन जाएं , जीवन धन्य हो जाए, मेरे प्रभु हमारा प्रणाम स्वीकार करो, सिर झुकाकर प्रणाम कीजिए।