गुरुवर ने अनुभव किया कि समाज, राष्ट्र एवं विश्व में जागृति का कोई भी प्रयत्न क्यों न हो, व्यक्ति के निजी चिन्तन, चरित्र, आचरण एवं व्यवहार में उत्कृष्टता लाए बिना वह पूरा नहीं होगा। इसके लिए निरन्तर गम्भीर आध्यात्मिक पुरुषार्थ करने होंगे, साथ ही नई पीढ़ी को भारतीय ट्टषिप्रणीत गौरव से ओतप्रोत शिक्षा और संस्कारों से जोड़ना होगा। इस प्रकार व्यक्ति की आत्मा को सबल बनाने और उसे उदात्त मानवीय भावों से ओत-प्रोत करने हेतु पूज्यश्री ने शिक्षा क्षेत्र में तपः पूर्ण प्रयोग प्रारम्भ किये। गुरुकुल शिक्षा के साथ-साथ उन नौनिहालों-किशारों को भी अपने तपःपूर्ण शिक्षा से जोड़ा, जो धरती पर जन्म तो ले चुके थे, पर उनका न कोई पालन-पोषण करने वाला था, न ही उनमें जीवन के प्रति आशा जगाने वाला कोई सहारा था। जो बच्चे अपने-माता-पिता से दैवीय व अन्य कारणों से वंचित थे। चौराहों, गलियों के बीच उनका जीवन भूखे-प्यासे बीत रहा था। ऐसे बच्चों के पालक एवं तारण हार बनकर साक्षात नारायण के रूप में सामने आये पूज्य सद्गुरु सुधांशुजी महाराज और उनके शैशव से किशोरकाल तक शिक्षण, पोषण एवं संरक्षण पर शिक्षा संस्थानों की देशभर में स्थापनायें प्रारम्भ की। आज भी देश के करोड़ाें बचपनों को बेहद दुःखी और व्यथित देखकर पूज्य महाराजश्री कहते हैं कि देश के अनाथ बच्चों के प्रति संवेदनशील होना हर सभ्य समाज का अत्यन्त महत्वपूर्ण दायित्व है। फुटपाथों, गलियों और जंगलों में भटकता इस बचपन को सम्हाला व संवारा न गया, तो ये अपनी ही भारत मां के सीने में घाव कर सकते हैं।’’
इसी संवेदनाओं से विश्व जागृति मिशन द्वारा आनंदधाम परिसर में सर्वप्रथम महर्षि वेदव्यास गुरुकुल विद्यापीठ स्थापित हुआ। तत्पश्चात् सूरत (गुजरात) में बालाश्रम, कानपुर (उ-प्र-) में देवदूत बालाश्रम, ज्ञानदीप विद्यालय फरीदाबाद (हरियाणा), झारखण्ड के रुक्का एवं खूंटी में बाल सेवा सदन सहित अनेक बाल सेवा के संरक्षण केन्द्रों की स्थापनायें हुईं, जिसमें पूज्यवर के स्नेह भरे संरक्षण मार्गदर्शन में हजारों बच्चे निःशुल्क पोषित-शिक्षित एवं
संस्कारित हो रहे हैं।
शिक्षा में गुणवत्ता एवं गरिमा का समुच्चय केन्द्र बालाश्रम, सूरत (गुजरात):
लगभग दो दशक पूर्व जनवरी के गुजरात भूकम्प त्रसदी में अनाथ बच्चों को संरक्षण देने की भावधारा में इस अनाथालय का निर्माण हुआ। उन दिनों मिशन में अल्प साधन के बावजूद इस बालाश्रम का गुरुवर ने निर्माण कराया। माननीय जार्ज फर्नाण्डीज एवं अनेक गणमान्य प्रतिष्ठित जनों की गरिमामयी उपस्थिति में पूज्यवर के सान्निध्य में उद्घाटन किया गया। तब से लेकर आज तक अनवरत चल रहे इस बालाश्रम में सैकड़ों अनाथ बच्चों के स्वर्णिम भविष्य का निर्माण हो रहा है। सैकड़ों विद्यार्थी विश्व जागृति मिशन के प्रयास से भारतीय सांस्कृतिक परिवेश में उच्च गुणवत्ता वाली अत्याधुनिक स्कूली शिक्षा प्राप्त कर स्वयं को समाज की मुख्य धारा के अनुकूल बना रहे हैं। इसी
में से अनेक बच्चे प्रान्त स्तर पर विविध प्रतिस्पर्धाओं में स्वर्ण पदक भी प्राप्त कर चुके हैं।
संस्कार एवं विज्ञानयुक्त शिक्षा केन्द्र देवदूत बालाश्रम, कानपुर (उ-प्र-):
विश्व जागृति मिशन कानपुर मण्डल के बिठूर स्थित सिद्धिधाम आश्रम में प्रारम्भ हुए इस बालाश्रम में आज सैकड़ों अनाथ बच्चों का जिस रूप में जीवन निर्माण हो रहा है, वह सम्पूर्ण मानव समाज के लिए मानव सेवा का महान आदर्श है। प्राचीन ज्ञान एवं आधुनिक विज्ञान से युक्त यहां की अत्याधुनिक शिक्षा मिशन के कार्यकर्त्ताओं, योग्य शिक्षकों द्वारा प्रदान की जाती है। वेदादि शास्त्रें से लेकर योग, नैतिक मूल्य, सुसंस्कार आदि के साथ कम्प्यूटर, योग, खेल आदि तकनीकों से भी इन बच्चों को जोड़ा जा रहा है। आश्रम के ये बच्चे अपने को मिशन
परिवार का अंग मानकर गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं। यहां इनके शिक्षण, आवास, भरणपोषण की उच्चस्तरीय व्यवस्था है। बालाश्रम की उत्कृष्टता मानव निर्माण की महाक्रान्ति को देखने देश-विदेश से अनेक गणमान्य आकर यहां से प्रेरित होते हैं। भविष्य में देश के विभिन्न नगरों में ऐसे गुणवत्ता वाले अनाथालय खोलने की मिशन की योजना है। पूज्यवर द्वारा मिशन के इन अनाथ बच्चों की शिक्षा विश्वविद्यालय स्तर तक कराने एवं उन्हें आत्मनिर्भर बनाने तक जारी रखने का संकल्प है।
सफलताओं का सुनिश्चेतर महर्षि वेदव्यास गुरुकुल विद्यापीठ, आनन्दधाम:
पूज्य महाराजश्री ने वर्षों पूर्व आनन्दधाम आश्रम, नई दिल्ली में इस गुरुकुल की स्थापना की। लक्ष्य रखा संवेदनशील इस आयु वर्ग के बच्चों में वैदिक एवं आधुनिक शिक्षा का समावेश करना। बच्चों को आधुनिक विज्ञान एवं तकनीक से भी परिचित कराने हेतु कम्प्यूटर, इंटरनेट की शिक्षा से जोड़ने हेतु मिशन ने प्रतिबद्धता दिखाई। विद्यार्थियों की शिक्षा, भोजन, आवास, वस्त्र तथा अन्य सभी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति विश्व जागृति मिशन इन्हें निःशुल्क करता है। छात्रें के लिए यहां का सुंदर विशाल परिसर अपने में उदाहरण है। यही नहीं विद्यार्थियों के लिए बने शिक्षण कक्ष, सभागार से लेकर, खेल का मैदान, प्रतियोगिताशाला, दिव्यतापूर्ण यज्ञशाला, उपासना कक्ष, भोजनालय देखकर किसी का भी मन अपने बालकों को इस गुरुकुल से जोड़ने हेतु मचल उठता है। प्रातः जलपान से लेकर भोजन तक की उत्तम सुरुचिपूर्ण व्यवस्था बच्चों के स्वास्थ्य संवर्धन एवं मानसिक विकास का अपना अलग श्रेष्ठ संदेश देता है। इस गुरुकुल में शिक्षण के लिए उच्च स्तर के शिक्षक तो हैं ही साथ-साथ पूज्य महाराज श्री स्वयं इन बच्चों के लालन में प्रत्यक्ष भूमिका निभाते हैं। यही कारण है कि यहां के बच्चे अनेक आधुनिक प्रतियोगिताओं में उच्च सफलता पाते आ रहे हैं। योग, खेल, ध्यान, गायन, वादन, गीता व वैदिक ज्ञान कण्ठस्थ बच्चों की यहां सहज बहुलता
मिल जाएगी। अपने उत्कृष्ट शिक्षण के चलते दिल्ली संस्कृत अकादमी से लेकर विविध विश्वविद्यालय के कुलपति व आचार्यों की ओर से यह गुरुकुल अपने प्रारम्भ काल से ही प्रशंसा प्राप्त करता आ रहा है। विगत दिनों इस गुरुकुल से निकले अनेक ब्रह्मचारी सम्पूर्ण भारत को धर्म, मानवता, सद्भाव एवं एकता का संदेश देकर धरा को स्वर्ग बनाने का प्रयास करने में लगे हैं।ऐसे गुरुकुल में अपने बच्चों का विद्याध्ययन कराना हर किसी के लिए गौरव का विषय है।
शिक्षा एवं संस्कृति का केन्द्र महर्षि वेदव्यास उपदेशक महाविद्यालय:
देश में धर्मोपदेशकों की आवश्यकता को महसूस करते हुए पूज्यवर ने धर्माचार्य प्रशिक्षार्थियों के निर्माण हेतु उपदेशक महाविद्यालय की स्थापना की। लोक पीड़ा को सेवा में परिवर्तित करने वाले युवाओं को गढ़ना गुरुसंकल्प की यह विशेष कड़ी है। इस विद्यालय में शिक्षार्थियों को योग, ध्यान, यज्ञ, सत्संग, जप-उपवास के साथ रामायण, मानस, भागवत् आदि विषयों में पारंगत करने हेतु महाविद्यालय में इस स्तर पर सरंजाम जुटाये गये हैं कि शिक्षण बाद यहां से निकलने वाले उपदेशक मात्र कथावाचक बनकर न रहें, अपितु लोक पीड़ा का अहसास करते हुए राष्ट्र सेवा में हाथ बंटा सकें। आज देश को वानप्रस्थियों, उपदेशकों की की जरूरत है, जो देश व विश्व के जनमानस को झकझोर कर उन्हें भ्रांति, भय व लोभ से बाहर निकाल सकें। विश्व जागृति मिशन का यह महर्षि वेदव्यास उपदेशक महाविद्यालय इसी संकल्प से स्थापित है। पूज्य गुरुदेव के संरक्षण में प्रशिक्षित हो रहे ये छात्र भविष्य में संवेदना, सेवा, साधना आंदोलन के कर्णधार बनकर उभरे तो आश्चर्य नहीं।
प्रशिक्षण के दौरान संस्कृत, संस्कृति, कर्मकाण्ड, धर्म विज्ञान, योग विज्ञान, संगीत, आयुर्वेद इत्यादि में विद्वानों द्वारा इन्हें निष्णात् कराया जाता है। इन प्रशिक्षणार्थियों को निःशुल्क शिक्षा, भोजन, आवास के साथ-साथ मिशन की ओर से प्रतिमाह छात्रवृत्ति भी इसलिए दी जाती है, जिससे वे अपने को परावलम्बी अनुभव न करें। प्रशिक्षणोपरान्त देश में विश्व जागृति मिशन के विभिन्न सेवा केन्द्रों में इन उपदेशकों को लोक सेवक की भूमिका में मिशन स्थापित करेगा, जिससे ये अनुभवशील हो सकें।
सद्गुरुदेव जी के स्वप्नों का साकार आदर्श प्रतिमान ज्ञानदीप विद्यालय फरीदाबाद :
ज्ञानदीप विद्यालय फरीदाबाद से दसवीं की कक्षा पास करने के उपरान्त अन्य योग्यताएं प्राप्त कर कविता, सिमरन और खुशबू ने कभी स्वप्न में भी नहीं सोच होगा कि वह एक दिन क्रमशः हरियाणा पुलिस में भरती होकर कांस्टेबल बन जायेंगी या कम्प्यूटर टीचर अथवा सामान्य टीचर बन जायेंगी, किन्तु पूज्य सद्गुरुदेव जी की अनन्य कृपा से समय ने यह सत्य सिद्ध कर दिया। आज से लगभग 20 वर्ष पूर्व इस मण्डल के तत्कालीन प्रधान गुरुदेव जी के प्रिय शिष्य श्री सतीश सतीजा ने छोटी-छोटी गरीब बच्चियों को प्रातःकाल कूड़ा बीनते, भीख मांगते देखा तो उनके मन में एक भाव जागृत हुआ कि कि क्यों न वह इन बच्चियों के लिये शिक्षा की व्यवस्था करके इन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़कर इनके जीवन को संवारा जाये और सत्य में इन बच्चियों का भविष्य संवरने लगा और संवर भी गया। सतीजा जी ने गुरुदेव जी से स्वीकृति लेकर जून 2001 में 5 छोटी-छोटी कन्याओं से लेकर आश्रम में नर्सरी कक्षा प्रारम्भ की। वर्ष 2002 में 28 कन्याएं दाखिल हुईं, जिनमें अब हरियाणा में लेडीज विंग में सिपाही बनी कविता भी शामिल है। जिसको अप्रैल 2002 में प्रवेश दिया गया। इन बच्चियों के मां बाप को प्रारम्भ में समझाने में बहुत कठिनाइयां आईं कि अपनी बच्चियों को पढ़ने के लिए भेजो क्योंकि वे तो उनकी रोटी का साधन थीं। सतीजा जी और उनके साथ उनकी पत्नी और साथी उनके साथ मंदिर के पास झुग्गी-झोपड़ी कॉलोनियों, राहुल कॉलोनी, चार नम्बर
आदर्श कॉलोनी और संजय कॉलोनी में जाते थे और माँ-बाप बड़ी मुश्किल से कन्याओं को भेजने के लिए तैयार होते थे। कविता राहुल कॉलोनी से आई थी। अब ज्ञानदीप विद्यालय में 700 कन्याएं और 300 बालक हैं। बालिकाएं प्रातः और बालक शा की शिफ्रट में आते है। बालकों का प्रवेश भी 2005 में प्रारम्भ हो गया था। कन्याओं की संख्या जानबूझकर ज्यादा रखी गई है, क्योंकि गुरुदेव मानते हैं परिवार में शिक्षित एक नारी भी पूरे परिवार का रूप बदल देती है। इस विद्यालय में नर्सरी से लेकर दसवीं तक शिक्षा दी जाती है। आठवीं कक्षा तक
इसे हरियाणा बोर्ड से मान्यता प्राप्त है। सभी विद्यार्थियों को एक समय का खाना, पुस्तकें, वेशभूषा, जूते, स्वेटर निःशुल्क दिये जाते हैं। इन्हें पाठ्यक्रम के अनुसार शिक्षा देने के साथ-साथ संगीत, सिलाई, कम्प्यूटर का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। खो-खो, बैडमिन्टन जैसे खेल भी करवाए जाते हैं। यहां विद्यालय में सभी पर्व, त्यौहार, मिशन के पर्व, राष्ट्रीय पर्व बड़े उत्साह से मनाये जाते हैं। सूरजकुण्ड मेले में इन बालिकाओं के विशेष कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। यहां की कन्याएं आनन्दधाम आश्रम में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में नाटक, कव्वाली, भजन, नृत्य जैसे कार्यक्रम भी प्रस्तुत करती हैं। विद्यालय की प्रधान अध्यापिका सीमा अरोड़ाा एवं 20 अध्यापिकाएं विद्यालय के
विकास के लिए पूर्णतया समर्पित हैं। विद्यालय की बालिकाओं ने वर्ष 2016 में भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जी से भी भेंट कर उनसे आशीर्वाद लिया।
2012 में श्री राजकुमार अरोड़ाा इस मण्डल के प्रधान बने और उन्होंने विद्यालय के लिए एक नये सुन्दर भवन का निर्माण करवाया गया। वह गुरुदेव जी के साथ काफी व्यस्त रहते हैं, किन्तु उनकी टीम में अनेक समर्पित भक्तजन हैं। सर्वश्री वी-के- सिंह, पी-डी- आहूजा, सतीश विरमानी, कंचन सुनेजा, रविन्द्र शर्मा एवं एच-बी- भाटिया व अन्य, जिन्होंने अरोड़ा जी के आत्मीय मधुर स्वभाव से प्रेरित होकर इस विद्यालय के लिए बहुत परिश्रम किया है। इस क्षेत्र की विधायिका श्रीमती सीमा त्रिखा जी का भी विद्यालय को काफी आशीर्वाद प्राप्त है। प्रत्येक मास विद्यार्थियों को माता-पिता के साथ पी-टी-एम होती है। अब इस विद्यालय में बच्चों को प्रवेश दिलवाने के लिए निवासियों में होड़ लगी रहती है। ज्ञानदीप विद्यालय का नाम अब फरीदाबाद में काफी प्रसिद्ध है। विश्व जागृति मिशन के देश भर में 85 से अधिक मण्डलों में फरीदाबाद मण्डल का नाम हर दृष्टि से शिखर वाले मण्डलों में है। फरीदाबाद आश्रम में विशाल भव्य मंदिर है, शिवालय है, सत्संग हॉल है, परामर्श कक्ष है और आरोग्यधाम अस्पताल है। अस्पताल में ई-सी-जी-, एक्सरे सहित सभी सुविधाएं और विभाग हैं। अब तक इस
अस्पताल में 10 लाख से अधिक मरीजों का उपचार हो चुका है।
प्रत्येक मास सत्संग का आयोजन किया जाता है जिसमें सैंकड़ों भक्तजन उपस्थित होते हैं। प्रत्येक वर्ष नगर में गुरुदेव जी के सान्निध्य में भव्य विराट भक्ति सत्संग का आयोजन किया जाता है, जिसकी व्यवस्था और प्रबन्ध देखने योग्य होता है। प्रत्येक वर्ष सत्संग के सुगम आयोजन में श्री एच-सी- सुनेजा विशेष परिश्रम करते हैं। शारीरिक मजबूरी के बावजूद घर-घर जाकर लोगों को सहयोग देने और सत्संग में आने की प्रार्थना करते हैं। इस मण्डल को सेवाकेन्द्र कहा जाये तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। सेवकों और कार्यकर्त्ताओं की भरमार है, जो हर सेवा के लिए निरन्तर तत्पर रहते है। निःस्वार्थ अधिकारियों के सेवाभाव व समर्पण से ही मण्डल सेवा केन्द्र बन जाते हैं।
यथार्थ में फरीदाबाद में ज्ञानदीप विद्यालय सद्गुरुदेव जी महाराज की सात्विक और परोपकारी सोच, समाज कल्याण के चिन्तन का साक्षात स्वरूप है। गरीब बच्चों को अमीर परिवारों के बच्चों जैसा वातावरण और सुविधाएं देकर उनके जीवन को सुधारने, सजाने और संवारने का काम कई वर्षों से चल रहा है। खुदा की रहमत से एक दरवेश ने मासूम बच्चियों की किस्मत संवार दी, जो भटकती थीं गलियों में दर-बदर, उनकी हालत सुधार दी, अब उन्हें भी जीने में फखर है। हजारों दुआएं देती हैं, वे उस महामानव को, जिसने उनका समाज में मान बढ़ाया है, जिसने उनको जिन्दगी में जीना सिखाया है।