देहरादून के परेड ग्राउंड में विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का प्रथम दिवस

देवात्मा हिमालय व माँ गंगा से प्रेरणा लेकर चिन्तन को ऊँचा उठाएँ और आन्तरिक निर्मलता लाएँ

द्रोणनगरी देहरादून में विश्व जागृति मिशन प्रमुख श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा

भाजपा विधायक उमेश काऊ, राजेश शुक्ल व कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धसमाना ने किया विजामि प्रमुख का अभिनंदन

Satsang-Dehradun-Sudhanshuji Maharaj-27 09 2018देहरादून, २७ सितम्बर। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के परेड ग्राउंड में आज अपराहनकाल विश्व जागृति मिशन के स्थानीय मण्डल द्वारा आयोजित चार दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का श्रीगणेश हुआ। मिशन प्रमुख आचार्य सुधांशु जी महाराज द्वारा उदघाटन-दीप-प्रज्ज्वलन में विधायक धर्मपुर श्री उमेश क़ाऊ एवं विधायक किच्छा रुद्रपुर श्री राजेश शुक्ल भी सम्मिलित हुये। इसके पूर्व उन्होंने उत्तराखंड विधानसभा एवं कांग्रेस उपाध्यक्ष श्री सूर्यकांत धसमाना ने राज्य की जनता की ओर से व्यासपीठ पर पहुँचकर महाराजश्री का अभिनंदन किया। राज्यपाल श्रीमति बेबी रानी मौर्य के प्रतिनिधि राजभवन के प्रोटोकाल आफ़िसर श्री एसएस सोलंकी ने गवर्नर की ओर से सम्मान-बुके श्रद्धेय सुधांशु जी महाराज को भेंट किया।

इस अवसर पर श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि ईश्वर सदैव धर्म के साथ होते हैं। महाभारत के प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने पाण्डवों की जीत का श्रेय जहाँ उनकी धर्म-पथ को दिया, वहीं प्रभु श्रीकृष्ण के प्रति पाण्डवों के समर्पण को दिया। हिमालय और गंगा के प्रान्त उत्तराखंड की राजधानी में बैठकर देवात्मा हिमालय एवं मां भागीरथी गंगा का महत्व समझाते हुए उन्होंने हिमालय से ऊंचे चिंतन तथा गंगा से आंतरिक निर्मलता व वैचारिक अविरलता का शिक्षण लेने का आहवान किया और कहा कि जीवन में सुख और दुःख का समय एक सा नहीं रहता। उन्होंने कहा कि दोनों में समरूप रहने वाले लोग ही सदा सुखी रहते हैं।

सन्त श्री सुधांशु जी महाराज ने ‘’मन के हारे हार है और मन के हारे जीत’’ की उक्ति की व्याख्या की और कहा कि यह एक शाश्वत सिद्धांत है कि व्यक्ति मन के हारने से ही जीवन संग्राम हारता है । उन्होंने मनोबली बनने की प्रेरणा सबको दी। उन्होंने कर्मशीलता को भाग्य के निर्माता की संज्ञा दी और गीता की कर्मयोग सिद्धांत को जीवन में आचरित करने को कहा। उन्होंने भक्तियोग और ज्ञानयोग को कर्मयोग के साथ के महत्वपूर्ण दो-पाया बताया। मिशन प्रमुख ने स्मित मुस्कान, हास्य, योग, प्राणायाम, अच्छी नींद, सही खान-पान एवं सकारात्मक चिंतन की ताकत सभी को समझायी और सभी के उज्जवल भविष्य की शुभकामना की।

मिशन के केन्द्रीय अधिकारी श्री मनोज शास्त्री के समन्वयन एवं देहरादून मंडल प्रधान श्री सुधीर शर्मा की अगुवाई में आयोजित सत्संग समारोह में आचार्य अनिल झा, कश्मीर लाल चुग, महेश शर्मा, राम बिहारी के भजनों ने वहां के खुशनुमा माहौल में उत्साह का संचार कर दिया, वाद्य यन्त्रों पर जिनका साथ चुन्नी लाल तंवर, प्रमोद राय एवं राहुल आनन्द ने दिया। कार्यक्रम का मंच समन्वयन व संचालन मिशन निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया।

अपर तुनवाला स्थित आनन्द देवलोक आश्रम के धर्माचार्य कुलदीप पाण्डेय ने बताया कि नयी दिल्ली से आए श्री प्रयाग शास्त्री के नेतृत्व में युगऋषि आयुर्वेद, साहित्य, वृद्धजन सेवा, गौसेवा, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा सेवा आदि के स्टॉल लगाए गए हैं जिनका लाभ क्षेत्रीयजन भारी संख्या में उठा रहे हैं।

भारत में जब से गोवध शुरू हुआ, तब से शुरू हुआ देश का पतन

पानीपत में अमृत गौशाला का हुआ लोकार्पण

सन्त श्री सुधांशु जी महाराज ने विश्व जागृति मिशन की सातवीं बड़ी गौशाला देश को सौंपी

निरन्तर प्रयास से मानव ईश्वरीय प्राणों से भर उठता है -डॉ. अर्चिका दीदी

satsang panipat - Sudhanshujimaharajसोमनाथ धाम आश्रम, निम्बरी, पानीपत। हरियाणा की एेतिहासिक नगरी पानीपत के ग्रामीण अंचल में स्थित सोमनाथ धाम आश्रम में आज एक समृद्ध गौशाला का लोकार्पण किया गया। विश्व जागृति मिशन की सातवीं बड़ी गौशाला का उद्घाटन करते हुये संस्था प्रमुख सदगुरु श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि श्रीकृष्ण युग में 16 करोड़ जनता के साथ क़रीब एक अरब गाएँ भारत में रहती थीं। यानी हर देशवासी के हिस्से 6 गाएँ आती थीं। उन दिनों 1.00 लाख गोवंश के स्वामी को ‘नन्द’ और 10 लाख गायें रखने वाले व्यक्ति को ‘महानन्द’ कहा जाता था। कालान्तर में इस देश में गायों की उपेक्षा की गयी और उनका वध शुरू हुआ, तो यह राष्ट्र लम्बे समय तक पराधीन और परेशान रहा। उन्होंने कहा कि सदा-सदा के लिए एक मज़बूत भारत के निर्माण एवं विकास के लिए गोवध को रोकना ज़रूरी होगा। इसका एकमात्र उपाय है कि गोवंश की आर्थिकी को समझकर गोसेवा की व्यवस्था की जाए तथा यहाँ भारतीय गोवंश को बढ़ाया जाए। इससे यह देश हर तरह से सम्पन्न और समृद्ध होगा।

आचार्य सुधांशु जी महाराज ने गाय और भैंस का व्यावहारिक अन्तर सबको समझाया और कहा कि गोदुग्ध बुद्धि को तीव्र करता है। गाय के खुरों के नीचे की भूमि तीर्थ के समान पवित्र हो जाती है। देशी नस्ल की गायों की सेवा करने से व्यक्ति के भाग्य की लकीरें मिट जाती हैं और जीवन में सौभाग्य जाग जाता है। उन्होंने लोगों से यहाँ आकर गोसेवा व गौ-परिक्रमा करने की प्रेरणा सबको दी और कहा कि इससे अनेक तरह की बीमारियाँ दूर होंगी।

इस अवसर पर ध्यान गुरु डॉ. अर्चिका दीदी ने कहा कि ‘प्रयास और प्राण’ के बीच बड़ा गहरा सम्बन्ध है। सत्कर्म करते हुये हमारे सत्प्रयास हमारे जीवन में प्राणों का संवर्धन कर देते हैं। गौसेवा, गोसंरक्षण और गोसंवर्धन का हरियाणा के पानीपत से शुरू हुआ यह प्रयास इस प्रदेश में प्राणों को भारी मात्रा में निःसन्देह घोलेगा और गोसम्पदा व कृषि से विशेष रूप से जुड़ा हमारा हरियाणा प्रान्त एवं अपना प्यारा भारतवर्ष सुख-समृद्धि से भरा-पूरा हो, यह विश्वास किया जाना चाहिए। योग ग्रन्थ ‘ए योगिक लिविंग’ की लेखक डॉ. अर्चिका दीदी ने ध्यान-योग के सूत्रों से बड़े सहज रूप में उपस्थित जनसमुदाय को जोड़ा। उनकी प्रेरक बातों को सुनकर जनमानस उत्साह से ओत-प्रोत हो उठा।

गोशाला लोकार्पण कार्यक्रम में पहुँचे पानीपत (ग्रामीण) विधायक श्री महिपाल ढॉंडा एवं पानीपत (शहरी) विधायक श्रीमती रोहिता रेवणी ने रु. 11-11 लाख की निधि गौशाला विकास के लिए देने की घोषणा की। कार्यक्रम में पानीपत सहित हरियाणा के विभिन्न अंचलों के लोग भारी संख्या में मौजूद रहे। श्री सुधांशु जी महाराज ने सोमनाथ धाम आश्रम में रुद्राक्ष के 108 पेड़ों के रोपण तथा कल्पवृक्ष वाटिका बनाने को कहा। उन्होंने यहाँ पीपल के पेड़ के नीचे गायत्री महामन्त्र का जप करने की प्रेरणा दी और सबसे साप्ताहिक यज्ञ में भाग लेने का आहवान किया। केएल चुग, सुनीता सतीजा एवं निधि चावला के संगीत-भजनों ने वातावरण को ख़ासा सुरम्य बनाया, सीएल तंवर एवं राहुल आनन्द ने वाद्ययन्त्रों पर उनका साथ दिया।

सभा मंच का समस्त समन्वयन व संचालन विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया। पानीपत मण्डल के मिशन प्रधान डॉ. जगजीत आहूजा ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। मिशन प्रमुख श्री सुधांशु जी महाराज के नागरिक अभिनंदन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

सुख सौभाग्य के लिए यज्ञ करें

ऋषि संस्कृति के निर्माता यज्ञ

Yagya for happiness & good fortune

दुःख, विघ्न संताप हरने के लिए तथा सुख समृद्धि, धन, ऐश्वर्य, की प्राप्ति हेतु गणेश लक्ष्मी महायज्ञ प्रभावी ईश्वरीय कार्य है।

‘यज्ञो वै विष्णुः’ अर्थात् यज्ञ ही प्रभु का स्वरूप है। ‘स्वर्ग कामो यजेत’ अर्थात् सुख सौभाग्य के लिए यज्ञ करें। समस्त पूजा पद्धति में सबसे पुरातन तथा प्रभावी पूजा पद्धति यज्ञ है। जब कोई पूजा काम न करे, तो यज्ञ करे। दुःख, विघ्न संताप हरने के लिए तथा सुख समृद्धि, धन, ऐश्वर्य, की प्राप्ति हेतु गणेश लक्ष्मी महायज्ञ प्रभावी ईश्वरीय कार्य है।

भारतीय संस्कृति ऋषि व देव संस्कृति के नामों से भी जानी जाती है। इन्हीं देव परम्पराओं में ‘यज्ञ’ को चौबीसवां अवतार माना गया है। यज्ञ को आराध्य, ईष्ट, सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का नाभिकेन्द्र कह सकते हैं। यज्ञ जन्म से लेकर मृत्यु तक जीवन के केन्द्रक रूप में कार्य करता है। मानव के दैनन्दिन जीवन तक में यज्ञ का महत्वपूर्ण स्थान है। यही कारण है वेदों, उपनिषदों, गीता, महाभारत, 18 पुराणों से लेकर हर आर्ष ग्रंथ में यज्ञ का विस्तृत वर्णन है। जीव की समस्त कामनाओं की पूर्ति का मूल मार्ग है यज्ञ। यज्ञ समस्त कामनाओं को पूर्ण करता है। ‘यज्ञो{यं सर्वकामधुक’ इस संकल्पना को लोक परम्परा में अक्षुण्य बनाये रखने में हमारे संतों, सद्गुरुओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यज्ञ संस्कृति की विकृति होती परम्पराओं के बीच संत सद्गुरु ही हैं, जो मानव उत्थान की इस शाश्वत वैदिक वैज्ञानिक प्रणाली को अक्षुण्य रखे हुए हैं।
ऋषि कहते हैं ‘यज्ञ में बुद्धि शुद्धि एवं सुख-सौभाग्य, आरोग्य, धन-वैभव, संतति-सुंदरता, दीर्घ जीवन, बल-ऐश्वर्य आदि संबंधी अनन्त शक्तियां निहित हैं। अतः इन समस्त तत्वों की प्राप्ति हेतु विधिवत ‘यज्ञ’ करना आवश्यक है। यही नहीं यज्ञ से अन्न, पशु, वनस्पति, दूध, खनिज पदार्थ आदि का प्रचुर मात्र में उत्पादन सम्भव बनता है। इसलिए यज्ञ में प्रस्तुत अग्नि को पुरोहित का दर्जा दिया गया है। अग्नि ही है जो साधक-याजक की श्रद्धा सद्गुरु तक पहुंचाता है और सद्गुरु परमात्मा से साधक के यश-वैभव की प्रार्थना करता है। यह सामान्य यज्ञ की परम्परा है। पर इस यज्ञ में सद्गुरु जब किसी विशिष्ट देवता का पुट लगाकर यज्ञायोजन करता है, तो साधक याजक को उस देवता की विशेष कृपा का विशिष्ट लाभ मिलता है। इसमें भी शर्त है कि यह यज्ञ समर्थ सद्गुरु के संरक्षण में सम्पन्न कराया गया हो।
इस संदर्भ में सद्गुरु श्री सुधांशु जी महाराज जी कहते हैं कि यज्ञ जैसी दिव्य ऋषि प्रणीत पुरातन परम्परा की प्रतिष्ठा समाज में सौहार्द, परिवार की सुख, शांति और समृद्धि, राष्ट्र की यश-कीर्ति की बढ़ोत्तरी के लिए आवश्यक है और इसे बढ़ावा दिया जाना चाहिए। धर्मशास्त्रें का भी संदेश है कि देवपूजन, यज्ञ-अनुष्ठान से दुर्भाग्य, सौभाग्य में बदलता है और यदि साधक शिष्य गुरु के सान्निध्य में साधना, पूजा, जप-तप, यज्ञ-अनुष्ठान करे तो वह बड़भागी होता है। वैसे तो धार्मिक अनुष्ठानों के लिये तीर्थस्थल पुण्यप्रद हैं, पर शिष्य के लिए सभी तीर्थों से पावन तीर्थ गुरुतीर्थ होता है, जिस स्थान पर सद्गुरु के चरण पड़ते हों, उनका निवास हो, जहां उनकी रात-दिन रहमत बरसती हो, वहां यदि ऐसे यज्ञ-अनुष्ठान, पूजन-अर्चन का सुअवसर मिलता है, तो वह अनंत गुणा फलदायी जाता है।
इसी भावना से परमपूज्य सद्गुरु सुधांशुजी महाराज के पावन सान्निध्य में वर्ष 2001 से प्रतिवर्ष आनंदधाम आश्रम, नई दिल्ली में श्रीगणेश-लक्ष्मी महायज्ञ का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष भी लोक-कल्याण एवं भक्तों की सुख-समृद्धि की कामना से आनन्दधाम आश्रम, दिल्ली में 21 से 24 अक्तूबर, 2018 तक 108 कुण्डीय श्री गणेश-लक्ष्मी महायज्ञ आयोजित किया जा रहा है, जिसमें साधक यज्ञ में सपत्नीक सम्मिलत होकर विघ्न विनाशक गणेश व मां लक्ष्मी की कृपा पाकर अपने घर-परिवार व राष्ट्र संस्कृति, ऋषि संस्कृति का उत्थान सुनिश्चित कर सकते हैं।

महर्षि वेदव्यास गुरुकुल विद्यापीठ ने धूमधाम से मनाया शिक्षक दिवस

विद्यार्थी शिक्षकों को मान दें, अपना मन न भटकाएँ

वैविध्यपूर्ण शिक्षा प्रदान करें हमारे शिक्षक

विजामि प्रमुख श्री सुधांशु जी महाराज युगनिर्माता शिक्षकों व राष्ट्र के भाग्यविधाता विद्यार्थियों से कहा

Teachers-day-gurukul 2018आनन्दधाम, 05 सितम्बर। विद्यार्थी अपने शिक्षकों का सम्मान करें, अपना मन लक्ष्य से न भटकाएँ, मन लगाकर सीखें, सेवा के अवसर तलाशें और राष्ट्र सेवा करें, योग्यता के बल पर अपनी एक अलग पहचान बनाएँ, अच्छा बोलना सीखें, श्रेष्ठ लिखना सीखें और समग्र व्यक्तित्व के स्वामी बनें। शिक्षक अपने ऋषिकुमारों एवं मुनिकुमारों को वैविध्यपूर्ण शिक्षा प्रदान करें, उन्हें श्रेष्ठ उद्घोषक बनाएँ, उनको उत्कृष्ट लेखक बनाएँ, उन्हें नित नया बनाएँ, आगे बढ़ाएँ और ऊँचा उठाएँ।

यह उद्गार आज महर्षि वेदव्यास गुरुकुल विद्यापीठ में विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक श्रद्धेय आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने व्यक्त किए। वह शिक्षक दिवस के अवसर पर ऋषिकुमारों, मुनिकुमारों एवं आचार्यों को सम्बोधित कर रहे थे। शिक्षक दिवस की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि हमारे विद्यार्थी अर्जुन की तरह श्रेष्ठ विद्यार्थी बनें। हंसने व हंसाने तथा खेलकूद को स्वस्थ जीवन का बड़ा टाॅनिक बताते हुए उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि विद्यार्थी अपनी भाषा संस्कृत एवं हिन्दी के साथ अंग्रेजी एवं कुछ अन्य क्षेत्रीय व विदेशी भाषाएँ भी सीखें। छात्र-छात्राओं द्वारा अपने शब्दकोष को निरन्तर बढ़ाने और अधिकाधिक पर्यायवाची शब्दों की शिक्षा ग्रहण करने को जीवन की अमूल्य सम्पदा की संज्ञा देते हुए उन्होंने शिक्षकों से विद्यार्थियों को संगीत, वाद्य, गायन, वाद-विवाद के साथ-साथ बोध कथाओं, जातक कथाओं, महाभारत कथा, रामायण कथा आदि का भी शिक्षण-प्रशिक्षण देने को कहा। उन्होंने गुरुकुल के आचार्यों से ऋषिकुमारों एवं मुनिकुमारों को शास्त्रार्थ का अभ्यास भी कराने की अपेक्षा की। कहा कि कहानी, नाटक, विशेष रूप से एकांगी नाटक आदि से विद्यार्थियों की प्रतिभा का विकास होता है, अतः सभी प्रयोगों द्वारा हमारे ऋषिकुमारों एवं मुनिकुमारों को बहुमुखी प्रतिभा का धनी बनाया जाए।

 

 

 

उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के विजामि अधिकारियों की कार्यशाला सम्पन्न

अभिनव कार्य करने के लिए संकल्प, करेंगे राष्ट्र सेवा

VJM-Uttarkhand-u.p-seminar18आनंदधाम, नई दिल्ली, २ सितम्बर। विश्व जागृति मिशन के नई दिल्ली स्थित अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय आनंदधाम में उत्तरप्रदेश एवं उत्तराखंड के मिशन अधिकारियों की दो दिवसीय कार्यशाला आज संपन्न हो गई। मिशन कार्यकर्ताओं ने राष्ट्र सेवा के लिए कई अभिनव कार्य करने के संकल्प लिए।

मिशन प्रमुख श्रद्धेय आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने आज के समापन सत्र में क्षेत्रीय प्रतिनिधियों का सशक्त मार्गदर्शन किया और कहा कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की पूर्व वेला पर उनके योग-दर्शन और यज्ञ-दर्शन को समझा जाए। अब अध्यात्म-दर्शन को समग्रता के साथ समझने एवं उसको जीवन में उतारने की बड़ी आवश्यकता है कि स्वदेश को बचाने के लिए स्वदेशी को ख़ुद अपनाने और संपर्क क्षेत्र के लोगों को समझाने की जरूरत है। युगऋषि आयुर्वेद इसका एक सशक्त माध्यम है। उन्होंने कहा कि ‘संगठन’ की ताकत को हमें समझना होगा। संगठन की शक्ति मच्छरों, कौओं एवं बंदरों तक से सीखी जा सकती है।

श्रद्धेय महाराजश्री ने युगऋषि आयुर्वेद का एक अधिकारी हर मंडल, हर शाखा और हर समिति में नियुक्त करें, जो इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम को क्षेत्रों में हर परिवार, हर जन तक पहुँचाएँ। उन्होंने बताया कि सिंगापुर सरकार ने युगऋषि आयुर्वेद के 13 उत्पादों को अपने देशवासियों के स्वास्थ्य लाभ के लिए बेहद उपयोगी पाया है और अपने देश में उनका उपयोग करने की स्वीकृति प्रदान की है।

मिशन कार्यकर्ताओं से दीपक की तरह प्रकाश फैलाने का आह्वान करते हुए उन्होंने ‘स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत-समृद्ध भारत’ बनाने की अपील देश व विश्व में फैले अपने आध्यात्मिक परिवार से की। दैनिक जीवन में प्रयोग होने वाले उत्पादों की गुणवत्ता पर चर्चा करते हुए उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि दुनिया के विभिन्न देशों में जिस साबुन से जानवरों को नहलाया जाता है, वे साबुन मानव स्नान के लिए जोर-शोर से प्रचारित व प्रसारित किए जा रहे हैं।

मिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने अपने कार्यकर्ताओं से स्कूलों में जाकर बच्चों को श्रेष्ठ जीवन जीने की प्रेरणा देने की अपील की और कहा कि भाषण प्रतियोगिता और गीता ज्ञान परीक्षा जैसे कार्यक्रमों के जरिए विद्यार्थियों को संस्कृति से जोड़े रखा जाए। धर्म, संस्कृति और ऋषि परंपरा का प्रसार जन-जन तक हमारे स्वयंसेवक करें। वटवृक्ष की मजबूती के लिए उसकी जड़ों का निरंतर सिंचन करने को जरूरी बताते हुए श्रद्धेय महाराजश्री ने आनंदधाम को सुदृढ़ बनाने के लिए सभी मिशन कार्यकर्ताओं से कहा।

विश्व जागृति मिशन के महामंत्री श्री देवराज कटारिया ने 21 से 24 अक्टूबर की तिथियों में आनंदधाम में आयोजित श्री गणेश लक्ष्मी महायज्ञ तथा 21 से 24 नवंबर को ऋषिकेश में परमार्थ गंगा तट पर विशेष ध्यान साधना शिविर में भागीदारी करने हेतु अपने पंजीयन कराने का आग्रह सभी से किया। कहा कि इसकी सूचना सभी को दें।

विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मिशन परिजनों का स्वागत करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश का ज्ञात इतिहास 4000 साल पुराना है।भारतवर्ष का सबसे बड़ा यह प्रदेश विश्व के 5 देशों भारत, अमेरिका, चीन, ब्राजील, इंडोनेशिया को छोड़कर सभी देशों से जनसंख्या में बड़ा है। इस प्रदेश को वर्ष 1902 में संयुक्त प्रांत नाम दिया गया था, जो 24 जनवरी 1950 को ‘उत्तर प्रदेश’ बना। वर्ष 1920 में ‘लखनऊ’ उत्तर प्रदेश की राजधानी बनी थी। उत्तराखंड को राष्ट्र का ‘भाल प्रांत’ बताते हुए उन्होंने संपूर्ण देश को शुद्ध हवा और गंगा व यमुना जैसी नदियां देने वाले इस प्रदेश का ध्यान रखने और इसके कल्याण के लिए काम करने का आह्वान किया। सभा संचालन व समन्वयन श्री मिश्र ने किया।

इस मौके पर युगऋषि आयुर्वेद के सीओओ श्री के के जैन, मार्केटिंग इंचार्ज श्री आशीष सिन्हा, आनंदधाम के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी श्री एमएल तिवारी, राजेश गंभीर, श्री मनोज शास्त्री, श्री प्रयाग शास्त्री, आचार्य अनिल झा इत्यादि व्यक्ति मौजूद थे।

विश्व जागृति मिशन के उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड की आनन्दधाम में संगोष्ठी शुरू

मिशन प्रतिनिधियों में उभरे अभिनव संकल्प

रविवार मध्याह्नकाल में होगा संगोष्ठी का सम्पन्न

VJM-Uttarkhand-u.p.-Sudhanshuji Maharajआनन्दधाम, नयी दिल्ली, ०१ सितम्बर। विश्व जागृति मिशन के उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड के विभिन्न जनपदों में सेवारत लोकसेवी कार्यकर्ताओं की दो दिवसीय संगोष्ठी आज अपराहनकाल शुरू हुई। उपस्थित मिशन प्रतिनिधियों को संस्था प्रमुख श्रद्धेय आचार्य सुधांशु जी महाराज ने सम्बोधित किया। मिशन के महामन्त्री श्री देवराज कटारिया ने भी मिशन विस्तार के विभिन्न सूत्रों पर क्षेत्रीय अधिकारियों से चर्चा की।

मिशन प्रमुख सन्तश्री सुधांशु जी महाराज ने इस अवसर पर कहा कि विश्व जागृति मिशन कोई पंथ-सम्प्रदाय नहीं, बल्कि सत्य सनातन संस्कृति का प्रहरी एक विशालकाय आध्यात्मिक संगठन है। मिशन ने अपनी गतिविधियों के माध्यम से विशुद्ध रूप से सनातन संस्कृति को प्रस्तुत किया है। धर्म की गंगा मिशन के इस गोमुख से बही। मिशन ने श्रद्धा संवर्धन के साथ-साथ अध्यात्म में विज्ञान का भी समावेश किया गया है। हमारे यहाँ अन्ध-विश्वास के लिए कोई स्थान नहीं है। हमने बुद्धि और तर्क का संगम किया है। यह मिशन साधना और सेवा वाला मिशन है। भक्ति से करुणा, करुणा से सेवा और सेवा से तपस्या यह क्रम एक आध्यात्मिक कार्यकर्ता का होता है, जिसके लिए सभी कार्यकर्ताओं को कमर कसना है। उन्होंने हनुमान को भक्ति एवं सेवा का अदभुत उदाहरण कहा। बताया कि तभी हनुमान प्रभु श्रीराम की तरह वन्दनीय बन गए।

उपस्थित कार्यकर्ताओं ने क्षेत्रों में मिशन को सुदृढ़ बनाने, गतिविधियों को तेज़ करने, नए युवा कार्यकर्ता बनाने और मिशन मुख्यालय आनन्दधाम से प्रभावी समन्वयन बनाने के संकल्प लिए।

सभा का मंचीय समन्वयन एवं संचालन विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया। मिशन के सचिव श्री राजेश गम्भीर ने बताया कि रविवार को द्वितीय एवं अन्तिम सत्र सम्पन्न होगा, जो पूर्वाहनकाल १० बजे आरम्भ होगा।

आनन्दधाम में हुई विजामि के पंजाब प्रान्त के कार्यकर्ताओं की संगोष्ठी

नयी दिल्ली। विश्व जागृति मिशन के पंजाब प्रान्त के मुख्य कार्यकर्ताओं की संगोष्ठी आज मिशन मुख्यालय आनन्दधाम में सम्पन्न हुई। संगोष्ठी में चण्डीगढ़, पटियाला, जालन्धर, संगरूर, लुधियाना, राजपुरा, नाभा, रोपड़, मलेर-कोटला, मण्डी-गोविन्दगढ़ आदि मण्डलों के मिशन अधिकारियों ने भाग लिया। संगोष्ठी में विश्व जागृति मिशन की गतिविधियों में और अधिक सक्रियता लाने तथा नए कार्यकर्ता बनाने और उन्हें मिशन की समाज व राष्ट्र निर्माण की गतिविधियों से जोड़ने के संकल्प उभरे।

बाईस जिलों वाले पंजाब राज्य के मालवा, माझा एवं दोआबा तीनों अंचलों से आए मिशन कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुये मिशन प्रमुख श्रद्धेय आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने विश्व की 760 करोड़ जनता, 84 लाख योनियों, सभी आत्माओं, कर्म-चक्र तथा पुण्य व पाप के ज्ञान-विज्ञान पर सारयुक्त चर्चा की और कहा कि पंजाब की धरती ने सदा से ढेरों कष्ट सहे हैं। सभी हमलावर पंजाब से होकर देश के कोने-कोने में पहुँचे थे। देश-विभाजन के समय इस राज्य ने जो दंश झेले, उसे शब्द देना बड़ा कठिन कार्य है। हर परिवार के बड़े बेटे को देश-धर्म-संस्कृति को समर्पित करने की ऋषि-राष्ट्र भारतवर्ष की गौरवशाली परम्परा का ज़िक्र करते हुये उन्होंने चेताया और कहा कि पर्यावरण को ढेरों हानियाँ पहुँचाने के कारण केरल और उत्तराखंड जैसी त्रासदियाँ झेलनी पड़ रही है। उन्होंने अपने आसपास अधर्म और अन्याय को रोकने तथा अभाव, अज्ञान एवं अकर्मण्यता से बचने की सलाह उपस्थित जनसमुदाय को दी।

सदगुरु श्री सुधांशु जी महाराज ने हर ईश्वर भक्त व गुरुभक्त को सन्देश दिया कि ईश्वरीय कार्य करने के लिए ‘सेवा’ को जीवन-मन्त्र की तरह स्वीकारें। गुरु को जीवनरूपी गाड़ी का सशक्त इंजन और शिष्य को उसका डिब्बा बताते हुए उन्होंने समाज सेवा के कार्यों में तन, मन और धन से जुड़ने का आहवान किया। उन्होंने धार्मिक और आध्यात्मिक पुरुष का अन्तर भी कार्यकर्ताओं को समझाया। कहा कि आध्यात्मिक लोग धर्म को जीते हैं और ऐसा कुछ कर गुज़रते हैं कि वे ‘धर्म’ और उसके संरक्षक ‘परमात्मा’ के परमप्रिय बन जाते हैं।

पंजाब अधिकारी सम्मेलन में युगऋषि आयुर्वेद पर विशेष चर्चा हुई। हानिकारक रसायनों एवं कीटनाशकों से पंजाब की धरती को मुक्त कराने की अपील करते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने जीवनोपयोगी हर उत्पाद का विकल्प युगऋषि आयुर्वेद में खोजने तथा पंजाब के घर-घर और जन-जन तक इसके पौने दो सौ उत्पाद पहुंचाने को कहा। मिशन कार्यकर्ताओं से धर्मादा के नौ कार्यक्रमों के लिए भारत की दशांश-दान (आय का दसवाँ भाग) की प्रथा को पुनर्जीवित करने का भी आह्वान उन्होंने किया। मिशन प्रमुख ने कार्यकर्ताओं को स्वयं की दैनिक उपासना के साथ-साथ साप्ताहिक एवं मासिक महोत्सवों से जुड़े कार्यक्रमों की रूपरेखा भी समझाई।

विश्व जागृति मिशन की मासिक पत्रिका ‘जीवन संचेतना’ को डाक से मंगाने की बजाय इकट्ठी मंगाकर खुद घर-घर जाकर पाठकों को पहुँचाने का मार्गदर्शन सन्तश्री सुधांशु जी महाराज ने किया। पंजाब से आए मिशन प्रतिनिधियों ने अपने अनुभव भी श्री सुधांशु जी महाराज के सानिध्य में साझा किए और उनसे विविध समस्याओं के समाधान पाए। सभी ने अपने-अपने क्षेत्र में वापस जाकर मिशन गतिविधियों में तीव्र गति लाने के संकल्प व्यक्त किए।

इस अवसर पर विश्व जागृति मिशन के महामन्त्री श्री देवराज कटारिया, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी श्री एम.एल.तिवारी, युगऋषि आयुर्वेद के सीईओ श्री के.के.जैन, मिशन की मासिक पत्रिका ‘जीवन संचेतना’ के सम्पादक डा. विजय कुमार मिश्र, आचार्य अनिल झा, श्री राजेश गम्भीर, श्री किशोर कत्याल सहित कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे। सभा संचालन एवं मंचीय समन्वयन मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया।

आज प्रातःकाल समस्त मिशन प्रतिनिधि अपने-अपने स्थानों के लिए प्रस्थान कर गये।

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(अन्तर्गत: विश्व जागृति मिशन) (संस्थापक: परमपूज्य श्री सुधांशु जी महाराज)
आनन्दधाम आश्रम, नई दिल्ली – 41, दूरभाष: 28344767, 28345656
टोल फ्री नम्बर: 1800 11 8188 ई-मेल: sanskarkendra.vjm@gmail.com

    सभी श्रद्धालु गुरुभक्तो, भाई-बहनो! आप लोगों के लिए प्रसन्नता की बात है कि आपकी परमश्रद्धा के मुख्य केन्द्र आनन्दधाम आश्रम में समस्त लोगों की सुख-समृद्धि हेतु परमपूज्य सद्गुरुदेव श्री सुधांशुजी महाराज के परम सान्निध्य में युगऋषि अनुष्ठान एवं ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र की स्थापना वर्ष 2006 में की गई थी। इस केन्द्र में तब से लेकर अब तक ज्योतिष एवं यज्ञ-अनुष्ठान के माध्यम से हजारों भक्तों की समस्याओं का समाधान एवं दुःखों का निवारण किया जा चुका है। आज दुनिया में लोगों को भ्रमित करके बहकाने वालों की भरमार हो रही है। ऐसे तथाकथित लोग समस्या निवारण के नाम पर भोले-भाले समाज को भयभीत करके बढ़े-चढ़े खर्चे कराकर केवल अपना स्वार्थ (बड़ी रकम) सिद्ध करते हैं। सच्चे व सरल हृदय भक्तों को सुरक्षित रखने हेतु श्री सद्गुरुदेव महाराज का सच्चा, निःस्वार्थ संकल्प इस अनुष्ठान केन्द्र के रूप में आपके उज्ज्वल भविष्य के लिये सेवा में प्रस्तुत है। आप लोग गुरुदेव जी के इस केन्द्र का अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करके जीवन को दुःखों से मुक्त, सशक्त, सुखी व समृद्ध बनायें।

अनुष्ठान केन्द्र के द्वारा निम्नलिखित समस्याओं का समाधान

ग्रहबाधा, असाध्य रोग, कालसर्पदोष, मंगलदोष, नक्षत्रदोष, शत्रुभय, वास्तुदोष, गृहदोष, पितृदोष, संतानप्राप्तिबाधा , दारिद्रड्ढदोष, गृहकलहदोष, कानून सम्बन्धी परेशानी, कोर्ट-कचहरी चक्कर, व्यापारबाधा, मारकेश, वैधव्यदोष विवाहप्रतिबंध, पति-पत्नी क्लेश, दुर्भाग्य, मानसिक तनाव,
प्रारब्ध दोष, धन का अभाव आदि।

अनुष्ठान केन्द्र द्वारा यजमान के हित में किये जाने वाले अनुष्ठान

महामृत्युंजय, रुद्राभिषेक (शतरुद्रिय, अष्टाध्यायी, नमक-चमक विधि) ग्रह शांति, कालसर्पदोष शान्ति, नक्षत्रशान्ति, शत्रुवशीकरण अनुष्ठान, वास्तुशान्ति, पितृदोषशान्ति, संतानगोपालमंत्र अनुष्ठान, दरिद्रता एवं दुर्भाग्य निवारण लक्ष्मी मंत्र, सद्बुद्धि एवं सद्विद्या वृद्धि अनुष्ठान, बगलामुखी देवी अनुष्ठान, सौभाग्य एवं धनवृद्धि प्रयोग, विपरीत ग्रहविशेष पूजा, अर्क-घट-विष्णु एवं अश्वत्थ विवाह विधि।

अन्य विशेषताएं

विविध प्रकार के यज्ञ जैसे – रुद्र, विष्णु, शक्ति, हनमुत्, गणेश, चण्डी आदि यज्ञ।

षोडश संस्कार

जातकर्म संस्कार, नामकरण, अन्नप्राशन, मुंडन, यज्ञोपवीत, विवाह संस्कार आदि।

समय-समय पर मान्यताओं पर आधारित महोत्सव

श्रीमद्भागवत सप्ताह कथा (संगीतमय), श्रीराम कथा, सुन्दरकाण्डपाठ, नाम संकीर्तन,
भजन संध्या, जन्मदिवस पूजा, प्रवचन, हवन, देवपूजा आदि।

ज्योतिष

जन्म कुण्डली देखना एवं जन्मकुण्डली निर्माण करना। जन्मकुण्डली में स्थित
विपरीत ग्रहों से उत्पन्न समस्या के निवारण हेतु उपाय बताना।

अनुष्ठान एवं मंत्रें का विवरण

1- महामृत्युंजय मंत्र संख्या – 11, 21, 27, 51, 71 हजार, 1 लाख, सवा लाख आदि।
2- सन्तान गोपाल मंत्र – एक लाख, सवा लाख, सवा दो लाख आदि।
3- वास्तु शांति मंत्र – 51 हजार, एक लाख, सवा लाख आदि।
4- चण्डी अनुष्ठान – नवचण्डी, शतचण्डी, सहड्डचण्डी पाठ आदि।
5- कालसर्प दोष शांति – राहु, सर्प, काल, केतु, चित्रगुप्त, ब्रह्मा, महामृत्युंजय, मनसा मंत्र जाप, रुद्राभिषेक, नागपूजा आदि।
6- रुद्राभिषेक साधारण एक आवृत्ति, 11 आवृत्ति तथा नमक-चमक विधि द्वारा अभिषेक।
7- अलग-अलग ग्रहों जैसे सूर्य, चन्द्र, मंगल आदि के निश्चित संख्या में मंत्र जप एवं यज्ञ।

विशेष

1- यज्ञ, पूजा-पाठ, अनुष्ठान इत्यादि आन-लाईन बुकिंग भी करा सकते हैं।
2- गृह प्रवेश, नामकरण, विवाह, यज्ञ-हवन आदि निजी घर पर अनुष्ठान सम्पन्न कराने हेतु आचार्य उपलब्ध हैं।
3- भागवत सप्ताह कथा (संगीतमय) एवं श्रीरामकथा के प्रवक्ता अनुष्ठान केन्द्र में उपलब्ध हैं।
4- अनुष्ठान कराने वाले श्रद्धालु यजमान को आश्रम में ठहराने के लिए उचित व्यवस्था उपलब्ध है।
5- विश्व जागृति मिशन की अन्य शाखाओं में भी  ‘युगऋषि अनुष्ठान एवं ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र’ की शाखायें स्थापित की जा रही हैं।

कृपया सम्पर्क करें –
                               आचार्य सतीश चन्द्र द्विवेदी
                               दूरभाष: 8826891953 टोल फ्री नम्बर: 1800 11 8188
                               ई-मेल: sanskarkendra.vjm@gmail.com

गुरुपूर्णिमा पर्व पर दिल्ली के आनन्दधाम आश्रम में उमड़ी लोकश्रद्धा

विश्व जगृति मिशन मुख्यालय पर मेघों के साथ बरसी गुरुतत्व की अनुपम कृपा

मिशन प्रमुख सुधांशु जी महाराज ने किया निज-जीवन को उत्कृष्टता से सराबोर करने का आह्वान

श्रेष्ठ चिन्तन को अपनाकर अपने कृतित्व और व्यक्तित्व को ऊँचा बनायें

चार पुस्तकों का हुआ विमोचन

तीन दिनों तक चलेगी गुरुमन्त्र सिद्धि साधना

Celebrated Guru-Purnima Anand Dham New Delhi 27 July-Sudhanshuji Maharajनयी दिल्ली, 27 जुलाई। गुरु-शिष्य के बीच श्रद्धा-अनुदान के वार्षिक महापर्व ‘गुरुपूर्णिमा’ के शुभ अवसर पर आज विश्व जागृति मिशन के मुख्यालय आनन्दधाम में अनूठी लोकश्रद्धा उमड़ पड़ी। गुरुधाम में मेघों के साथ-साथ गुरु-तत्व-कृपा की अद्भुत बरसात हुई। मिशन के संस्थापक-संरक्षक श्रद्धेय आचार्य सुधांशु जी महाराज के महोत्सव स्थल पर पहुँचने पर दिल्ली होमगार्ड विभाग के जवानों ने बैण्ड-धुन के साथ उनका भव्य अभिनंदन किया। देश के अनेक प्रान्तों से आए गुरुभक्तों की करतल ध्वनि के बीच महर्षि वेदव्यास गुरुकुल विद्यापीठ के ऋषिकुमारों एवं विद्वान आचार्यों के वेद मंत्रोच्चार एवं शंखध्वनि के साथ पर्व स्थल का वातावरण अपूर्व दिव्यता से ओतप्रोत हो उठा।

यद्यपि आज के दिन आनंदधाम में लोगों की आगत को कम करने के लिए भारत के प्रमुख एक दर्जन स्थानों पर गुरुपूर्णिमा की पूर्व वेला में गुरुपर्व समारोह सम्पन्न किए जा चुके थे, तथापि आनन्दधाम में कई हज़ार श्रद्धालु-शिष्य बरसात के मौसम में भी पहुँचे। सबने सर्वप्रथम पंक्तिबद्ध होकर गुरुदर्शन किया, यह पंक्तियाँ घण्टों तक चलती रहीं।मुख्यालय सहित देश भर के विभिन्न मंडलों के प्रमुख प्रतिनिधियों ने गुरु-पाद-पूजन में भाग लिया।आरती के समय भक्ति भाव के प्रवाह का दृश्य नयनों में सुरक्षित कर लेने वाला था। पंजाब की प्रख्यात गायिका ज्योति कुमारी के भजनों ने जहाँ अद्भुत समाँ बांधा, वहीं आनंदधाम के गायकों व महर्षि वेदव्यास गुरुकुल विद्यापीठ के विद्यार्थियों ने कई भजन प्रस्तुत किए।सभी कार्यक्रमों का लाभ नर, नारियों, युवाआें एवं बालक-बालिकाओं ने उठाया। इस अवसर पर गुरु आराधना, जीवन में आनन्द, मेरे सदगुरु-मेरे कृष्ण एवं जीवन नवनीत नामक चार पुस्तकों का विमोचन भी गुरु महाराज ने किया।

इस अवसर पर आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने साधक-शिष्यों को गुरुपूर्णिमा पर्व का सन्देश देते हुये कहा कि गुरुपूर्णिमा महापर्व गुरु-शिष्य सम्बन्धों को पूर्णता के लक्ष्य की ओर अग्रसर कर देने का महान दिवस है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए इस वर्ष से गुरुमन्त्र सिद्धि साधना शिविर का आयोजन साथ-साथ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मनुष्य के जीवन में चिन्तन का बड़ा महत्व है।कहा- जैसा आप सोचोगे, वैसा ही करोगे और वैसे ही बन जाओगे। चित्त की स्लेट पर आप जो चाहें लिख सकते हैं। आप उस पर वही लिखिए, जैसा आप बनना चाहते हैं। ध्यान रहे, यह लिखावट आपके चिन्तन, आपकी सोच से बना करती है। हर समझदार व्यक्ति इसका सदैव ध्यान रखता है। उन्होंने सभी से श्रेष्ठ चिन्तन को अपनाकर अपने कृतित्व और व्यक्तित्व को ऊँचा बनाने को कहा। श्रद्धेय महाराजश्री ने भाव तरंगों व ध्वनि तरंगों का ज्ञान-विज्ञान भी उपस्थित जनसमुदाय को समझाया।

श्री सुधांशु जी महाराज ने जीवन की सम्भावनाओं को वास्तविकता में परिणत करने के लिए श्रद्धा और विश्वास को सबसे सशक्त माध्यम बताया। उन्होंने ईश्वर को कालातीत बताते हुए ॐकार को उसको पाने का मुख्य स्रोत कहा। आज के समस्त गुरुपर्व कार्यक्रमों का सजीव प्रसारण राष्ट्रीय टीवी चैनल ‘दिशा’ ने किया।

इस मौक़े पर ध्यानगुरु डॉक्टर अर्चिका दीदी ने अपनी भावाभिव्यक्ति करते हुए गुरु-माहात्म्य पर सुन्दर सा प्रवचन दिया। कहा कि ध्यान के माध्यम से गुरुतत्व के परम-तत्व को पाया जा सकता है। सच्चे प्रेम और समर्पण के बल पर गुरुसत्ता के ज़रिए परमात्मा के ढेरों अनुदान-वरदान प्राप्त करने का उनने सभी भक्तजनों का आहवान किया। इसके पहले भोपाल से पधारे राष्ट्रीय कवि श्री अशोक भाटी ने ‘बेटी’ विषय पर बेहद प्रभावशाली नवरचित कविता सुनाई और उसे डॉक्टर अर्चिका दीदी के माध्यम से देश की सभी बेटियों को समर्पित किया।

विश्व जागृति मिशन के महामन्त्री श्री देवराज कटारिया ने बताया कि 21 से 24 अक्टूबर की तिथियों में श्री गणेश लक्ष्मी महायज्ञ का आयोजन आनन्दधाम में किया गया है। साथ ही ऋषिकेश स्थित परमार्थ गंगा तट पर 21 से 25 नवम्बर तक विशेष ध्यान साधना शिविर सम्पन्न होगा, जिनके लिए पंजीयन किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि 04 अगस्त को श्री शक्ति पर्व का आयोजन भी गुरुधाम-आनन्दधाम में किया गया है।

गुरूपूर्णिमा पे गुरुकुल, कानपुर का उप मुख्यमन्त्री ने किया उद्घाटन

बैकुंठपुर के सिद्धिधाम में गूँजे अदभुत गुरू मन्त्र

श्रद्धा, विश्वास, निष्ठा और वफ़ादारी से होती है ईश्वर प्राप्ति

 ख़ुद पर और भगवान पर भरोसा रखें

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों को सराहा –  श्री सुधांशु जी महाराज

Gurukul-Siddhi Dham Ashram, Kanpur-22 July 2018-Sudhanshuji Maharaj

कानपुर, २२ जुलाई। विश्व जागृति मिशन के कानपुर मण्डल के प्रमुख आश्रम सिद्धिधाम का सुरम्य वातावरण आज अनूठा था। गुरूपूर्णिमा के वार्षिक महोत्सव की पूर्व वेला में आज जहाँ गुरूपर्व समारोह मिशन प्रमुख आचार्य सुधांशु जी महाराज की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ, वहीं महर्षि वेदव्यास अन्तरराष्ट्रीय गुरुकुल विद्यापीठ का उद्घाटन प्रदेश के शिक्षा मन्त्री एवं उप मुख्यमन्त्री डॉ. दिनेश शर्मा ने किया।

कार्यक्रम में समाज कल्याण राज्यमन्त्री श्रीमती गुलाबो देवी, कानपुर की महापौर श्रीमती प्रमिला पाण्डेय, उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष डॉ. वाचस्पति मिश्र, विधायक श्री भगवती सागर, एम.एल.सी. श्री अरुण पाठक, भाजपा ज़िलाध्यक्ष श्री सुरेन्द्र मैथानी, श्रीमती अनीता गुप्ता एवं श्री आर.के. कटियार तथा विश्व जागृति मिशन के महामन्त्री श्री देवराज कटारिया सहित कई गण्यमान व्यक्ति मौजूद रहे। सभी ने मिशन मुख्यालय आनन्दधाम से आए किशोर योगी चि.विशाल द्विवेदी द्वारा प्रस्तुत दीपक-योगासन एवं हरिओम के कठिन योगासनों की मुक्तकण्ठ से सराहना की। समारोह सुमधुर भजनों से सज़ा हुआ था।

गुरूगीता पर बोलते हुये सन्तश्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि श्रद्धा, विश्वास, निष्ठा और वफ़ादारी के चार पायों पर चलकर ईश्वर तक पहुँचा जा सकता है।उन्होंने ख़ुद पर भरोसा रखते हुये भगवान पर विश्वास करने को कहा।उन्होंने मुदिता अर्थात् प्रसन्नता एवं सकारात्मकता को सुखी जीवन का सशक्त माध्यम बताया।इसके पूर्व सिद्धिधाम पहुँचे हज़ारों शिष्य-साधकों ने गुरूदर्शन एवं गुरूपादपूजन करके गुरूसत्ता के प्रति समर्पित रहकर देश-धर्म-संस्कृति के लिए काम करने का संकल्प लिया।

उत्तर प्रदेश के शिक्षा मन्त्री एवं उप मुख्यमन्त्री डॉ. दिनेश शर्मा ने सिद्धिधाम में महर्षि वेदव्यास अन्तरराष्ट्रीय गुरुकुल विद्यापीठ का उदघाटन करने के बाद कहा कि देववाणी संस्कृत पर किया गया कार्य वस्तुतः महान राष्ट्रीय कार्य है। विश्व जागृति मिशन प्राचीन गुरूकुलों की परम्परा को आधुनिक परिप्रे़क्ष्य में आगे बढ़ रहा है, यह अत्यन्त सराहना का विषय है। उन्होंने सुखी जीवन के लिए आध्यात्मिकता, नैतिकता, परिश्रम एवं देशप्रेम को ज़रूरी बताया और कहा कि जिस घर में गृहस्वामी, गृहस्वामिनी और गुरू तीनों की बात मानी जाती है, वह घर सदैव सुखी रहता है।

विश्व जागृति मिशन के कानपुर मण्डल के प्रधान मास्टर आर.पी. सिंह ने बताया कि सिद्धिधाम आश्रम के गुरूकुल में प्रवेश शुरू हो गए हैं।कक्षा छः से आठ अर्थात् प्रथमा प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय वर्ष के प्रवेश किए जा रहे हैं, साथ ही कक्षा-९ व १० यानी पूर्व मध्यमा प्रथम वर्ष एवं द्वितीय वर्ष में भी बच्चों को इस वर्ष प्रवेश दिए जाएँगे। उत्तर मध्यमा प्रथम वर्ष में यही विद्यार्थी प्रोन्नत होकर पहुँचेंगे तब इण्टरमीडिएट कक्षाएँ भी आरम्भ हो जाएँगी।

महर्षि वेदव्यास अन्तरराष्ट्रीय गुरुकुल विद्यापीठ के मुख्य संयोजक श्री मनोज शास्त्री ने बताया कि गुरूकुल स्थापना का उद्देश्य गाँव-गाँव और नगर-नगर को श्रेष्ठ आचार्य उपलब्ध कराना, समाज व राष्ट्र को श्रेष्ठ धर्मोपदेशक समर्पित करना, संस्कृत शिक्षा संस्थानों को अच्छे व कुशल शिक्षक-आचार्य उपलब्ध कराना है।

नयी दिल्ली से आए आचार्य राकेश द्विवेदी व आचार्य राकेश कौशिक, सूरत-गुजरात से आचार्य रामकुमार पाठक, आनन्दधाम के आचार्य अनिल झा, देहरादून के आचार्य कुलदीप शर्मा, कानपुर के आचार्य रजनीश भट्ट एवं आचार्य महेश शर्मा, लखनऊ के आचार्य डॉ.सप्तर्षि मिश्र एवं मेरठ से पधारे प्रयाग शास्त्री सहित कई विद्वान आचार्यों ने कार्यक्रम में सक्रिय भूमिका निभाई।

समारोह का समस्त मंचीय समन्वयन एवं संचालन विश्व जागृति मिशन नयी दिल्ली के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया।